पंजाब के अमृतसर में गोल्डन टेंपल के बाहर सजा पूरी कर रहे सुखबीर बादल पर हुए हमले के मामले में अकाली दल ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। बिक्रम मजीठिया ने आज शनिवार एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने नारायण सिंह चौड़ा की वीडियो को जारी किया। विडियो में साफ दिखाया गया कि 3-4 दिसंबर को नारायण सिंह चौड़ा कई बार गोल्डन टेंपल में दिखा और सुखबीर बादल के आसपास दिखाई दिया। मजीठिया ने सवाल उठाया कि पुलिस बार-बार मुस्तैदी और सुखबीर बादल के पास 175 पुलिसकर्मियों को तैनात करने के दावे कर रही है। लेकिन सुखबीर बादल पर हमले के समय एक एएसआई जसबीर सिंह था, जो 25 सालों से बादल परिवार के साथ सुरक्षाकर्मी है और बाकी सुखदेव ढींढसा के साथ खड़े दो पूर्व सरपंच और अकाली दल के वर्कर थे। इस हमले के समय पुलिस के 175 पुलिसकर्मी कहीं नजर नहीं आए। बिक्रम मजीठिया की तरफ से जारी किए गए वीडियो में क्या-क्या हुआ बिक्रम मजीठिया ने कहा 3 तारीख को एक बार नहीं, कई बार नारायण चौड़ा गोल्डन टेंपल में आता-जाता है और 4 दिसंबर को कई बार सुखबीर बादल के आसपास दिखता है। नारायण सिंह चौड़ा की 3 दिसंबर की वीडियो- इसके बाद उन्होंने 4 दिसंबर का वीडियो दिखाना शुरू किया महिला ने कोर्ट परिसर में मजीठिया को दी धमकी बिक्रम मजीठिया ने भावुक होकर कहा कि उनके बच्चे उन्होंने गुरुघर में अरदास करके लिए हैं। वे बुजदिल लोगों को कहना चाहते हैं कि एक 10 और एक 13 साल का है। उसे बम से उड़ा दो या गोली मार दो। वे उस मालिक के दिए हैं, जितने श्वास उन्हें दिए हैं, वे लेकर जाएंगे। लेकिन मान है कि वे शेरों की तरह जिए। लेकिन वे पंजाब का माहौल खराब नहीं होने देंगे। मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं है, लेकिन मैं भुल्लर साहिब से पूछना चाहता हूं कि ये प्रेस कॉन्फ्रेंस क्या अपने करवाई थी। जिसमें एक महिला बोल रही है- मजीठिया तुम्हे नहीं जीने देना। मजीठिया को मारो, इसके घर धमाका करवाओ, मुझे ठंड पड़ेगी। मजीठिया ने कहा कि ये महिला कह रही है, मजीठा नहीं, इसके घर में धमाका करवाओ, मैने इसके दो बेटे देखे हैं। हैरानी की बात है कि पुलिस पीछे खड़ी सुन रही है। मुझे प्यार से बैठा दो, मैं बैठ जाउंगा, लेकिन मैं गुरु का सिख हूं, सीधे-सीधे डरा कर पंजाब के माहौल को खराब करने की कोशिश करने को कहोगे तो ये नहीं होने दूंगा। लोगों को उकसाया जा रहा है पंजाब के माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है। मजीठा ने कहा कि आज लोगों को उकसाया जा रहा है। लोगों को माहौल खराब करने के लिए कहा जा रहा है कि वही असली गुरु का सिख है, जो इनके सिर कलम करके लाएगा। 2017 में भी हालात खराब करने की बातें हुई थी। तब केजरीवाल के 2017 में एक घर में रुकने पर चर्चा हुई थी। इस दौरान बिक्रम मजीठिया ने अकाली नेता कलेर को फोन कर कहा- बब्बर खालसा जर्मनी से बोल रहा हूं। नारायण सिंह चौड़ा की पगड़ी उतारी। तुम बहुत बोलते हो, चुप कर जाओ। पंजाब के अमृतसर में गोल्डन टेंपल के बाहर सजा पूरी कर रहे सुखबीर बादल पर हुए हमले के मामले में अकाली दल ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। बिक्रम मजीठिया ने आज शनिवार एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने नारायण सिंह चौड़ा की वीडियो को जारी किया। विडियो में साफ दिखाया गया कि 3-4 दिसंबर को नारायण सिंह चौड़ा कई बार गोल्डन टेंपल में दिखा और सुखबीर बादल के आसपास दिखाई दिया। मजीठिया ने सवाल उठाया कि पुलिस बार-बार मुस्तैदी और सुखबीर बादल के पास 175 पुलिसकर्मियों को तैनात करने के दावे कर रही है। लेकिन सुखबीर बादल पर हमले के समय एक एएसआई जसबीर सिंह था, जो 25 सालों से बादल परिवार के साथ सुरक्षाकर्मी है और बाकी सुखदेव ढींढसा के साथ खड़े दो पूर्व सरपंच और अकाली दल के वर्कर थे। इस हमले के समय पुलिस के 175 पुलिसकर्मी कहीं नजर नहीं आए। बिक्रम मजीठिया की तरफ से जारी किए गए वीडियो में क्या-क्या हुआ बिक्रम मजीठिया ने कहा 3 तारीख को एक बार नहीं, कई बार नारायण चौड़ा गोल्डन टेंपल में आता-जाता है और 4 दिसंबर को कई बार सुखबीर बादल के आसपास दिखता है। नारायण सिंह चौड़ा की 3 दिसंबर की वीडियो- इसके बाद उन्होंने 4 दिसंबर का वीडियो दिखाना शुरू किया महिला ने कोर्ट परिसर में मजीठिया को दी धमकी बिक्रम मजीठिया ने भावुक होकर कहा कि उनके बच्चे उन्होंने गुरुघर में अरदास करके लिए हैं। वे बुजदिल लोगों को कहना चाहते हैं कि एक 10 और एक 13 साल का है। उसे बम से उड़ा दो या गोली मार दो। वे उस मालिक के दिए हैं, जितने श्वास उन्हें दिए हैं, वे लेकर जाएंगे। लेकिन मान है कि वे शेरों की तरह जिए। लेकिन वे पंजाब का माहौल खराब नहीं होने देंगे। मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं है, लेकिन मैं भुल्लर साहिब से पूछना चाहता हूं कि ये प्रेस कॉन्फ्रेंस क्या अपने करवाई थी। जिसमें एक महिला बोल रही है- मजीठिया तुम्हे नहीं जीने देना। मजीठिया को मारो, इसके घर धमाका करवाओ, मुझे ठंड पड़ेगी। मजीठिया ने कहा कि ये महिला कह रही है, मजीठा नहीं, इसके घर में धमाका करवाओ, मैने इसके दो बेटे देखे हैं। हैरानी की बात है कि पुलिस पीछे खड़ी सुन रही है। मुझे प्यार से बैठा दो, मैं बैठ जाउंगा, लेकिन मैं गुरु का सिख हूं, सीधे-सीधे डरा कर पंजाब के माहौल को खराब करने की कोशिश करने को कहोगे तो ये नहीं होने दूंगा। लोगों को उकसाया जा रहा है पंजाब के माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है। मजीठा ने कहा कि आज लोगों को उकसाया जा रहा है। लोगों को माहौल खराब करने के लिए कहा जा रहा है कि वही असली गुरु का सिख है, जो इनके सिर कलम करके लाएगा। 2017 में भी हालात खराब करने की बातें हुई थी। तब केजरीवाल के 2017 में एक घर में रुकने पर चर्चा हुई थी। इस दौरान बिक्रम मजीठिया ने अकाली नेता कलेर को फोन कर कहा- बब्बर खालसा जर्मनी से बोल रहा हूं। नारायण सिंह चौड़ा की पगड़ी उतारी। तुम बहुत बोलते हो, चुप कर जाओ। पंजाब | दैनिक भास्कर
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खालिस्तान समर्थक अमृतपाल बनाएगा नई पार्टी:14 फरवरी को माघी मेले में घोषणा होगी, अकाली दल भी वार्षिक सम्मेलन करेगा असम की डिब्रूगढ़ जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत बंद खालिस्तान समर्थक और खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह 14 जनवरी को पंजाब की नई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे। श्री मुक्तसर साहिब में माघी पर्व के अवसर पर आयोजित “माघी दा मेला” के दौरान इसकी घोषणा की जाएगी। इस अवसर पर पंथ बचाओ, पंजाब बचाओ रैली का आयोजन किया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। रैली के दौरान अमृतपाल सिंह के पिता और उनके करीबी सहयोगी पार्टी की घोषणा करेंगे। अपने विवादित बयानों और सिख पंथ से जुड़े मुद्दों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले अमृतपाल सिंह के इस कदम से क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। उनकी पार्टी के मुद्दे राज्य में सिख समुदाय के हितों की रक्षा करना और पंजाब की स्थानीय समस्याओं जैसे बेरोजगारी, कृषि संकट और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके साथ ही वह नशे के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे। अकाली दल में मची उथल-पुथल का फायदा उठाने की कोशिश पंजाब के सिख समुदाय के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माघी पर्व और माघी मेले को इस घोषणा के लिए चुना गया है। इस अवसर पर राज्य भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और समर्थक श्री मुक्तसर साहिब पहुंचते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमृतपाल सिंह का यह कदम पंजाब की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है, खासकर ऐसे समय में जब मौजूदा पार्टियां कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही हैं। अमृतपाल की नई पार्टी, जो पूरी तरह से क्षेत्रीय और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी, राज्य में मतदाताओं के लिए एक वैकल्पिक विकल्प बन सकती है। अकाली दल ने भी माघ मेले में करेगा कॉन्फ्रेंस अकाली दल में चल रही उठा-पटक के बीच अनुमान लगाया जा रहा था कि इस साल माघ मेले में वे अपनी वार्षिक कॉन्फ्रेंस नहीं करेंगे। लेकिन, दोपहर अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने घोषणा कर दी है कि इस साल अकाली दल कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है। डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने जानकारी साझा की है कि वे 14 जनवरी को माघी के अवसर पर श्री मुक्तसर साहिब में एक विशाल वार्षिक अकाली सम्मेलन आयोजित करेंगे। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। शिअद के सभी वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
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अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के बाद दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल हो रहा है, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्तूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना काफी हुई थी। 17 अक्तूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहब शक्ति और दया प्रदान करें। चंदूमाजरा की अध्यक्षता में चल रहा विरोधी गुट सुखबीर बादल के खिलाफ अकाली दल के बागी गुट की अगुआई प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। उनके साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला भी हैं। अकाली दल में फूट की वजह, 2 बार लगातार सरकार, फिर 2 बार हार अकाली दल में फूट की वजह सत्ता से बाहर होना है। 2008 तक अकाली दल प्रकाश सिंह बादल के हाथों में था, जबकि 2012 के चुनाव भी प्रकाश सिंह बादल की अगुआई में हुए। 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 62 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, जबकि अकाली दल ने 34 सीटें हासिल की। 2007 में अकाली दल फिर सत्ता में आई और 67 पर जीत हासिल की। इस दौरान कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई। 2012 के चुनावों में पहली बार अकाली दल ने खुद को रिपिट किया। प्रकाश सिंह बादल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और अकाली दल ने 68 और कांग्रेस ने 44 सीटें हासिल की। इसके बाद 2017 में अकाली दल को सुखबीर बादल ने अपने हाथों में लिया। उन्होंने चुनाव की अगुआई की। मगर अकाली दल 18 सीटों पर सिमट गया और कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार बना ली। इस चुनाव में अकाली दल तीसरे नंबर पर रहा क्योंकि 20 सीटें आम आदमी पार्टी जीत गई। 2022 में अकाली दल की स्थिति और दयनीय हो गई। आप 92, कांग्रेस 18 और अकाली दल मात्र 3 सीटों पर सिमट गई। लोकसभा में लगातार 2 बार 4 सीट जीती, अब एक सीट आई 2004 लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस ने 8, बीजेपी एक और शिरोमणि अकाली दल ने एक 4 सीट जीती थीं। जबकि साल 2014 में कांग्रेस 3, भाजपा 2, शिरोमणि अकाली दल 4, AAP 4 सीटों पर विजेता बनी थी। इसी तरह साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 8, शिरोमणि अकाली दल 2, भाजपा 2 और AAP को एक सीट मिली। इसी तरह साल 2024 के चुनाव में कांग्रेस 7, आप 3, शिरोमणि अकाली दल एक, दो आजाद उम्मीदवार जीते। बागी गुट के अकाल तख्त को सौंपे माफीनामे में कबूली 4 गलतियां… 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत: 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी: श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई: 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ: SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे।
शंभू बॉर्डर खोलने की याचिका खारिज:SC ने फटकार लगाई, कहा- लोगों को दिखाने मुकदमा करने आ गए; कल दिल्ली कूच नहीं करेंगे किसान
शंभू बॉर्डर खोलने की याचिका खारिज:SC ने फटकार लगाई, कहा- लोगों को दिखाने मुकदमा करने आ गए; कल दिल्ली कूच नहीं करेंगे किसान किसानों के प्रदर्शन के चलते बंद शंभू बॉर्डर को खोलने के लिए लगाई गई याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। SC ने कहा कि इस तरह के मामले पहले ही कोर्ट में चल रहे हैं, फिर बार-बार क्यों इस तरह की याचिका दाखिल की जा रही हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि याचिका दाखिल करने से ऐसी धारणा बन रही है कि यहां कोई व्यक्ति केवल लोगों को दिखाने के लिए और प्रचार के लिए मुकदमे करने के लिए आया है। आप पहले से चल रही याचिका में सहयोग करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। याचिका जालंधर के रहने वाले गौरव लूथरा ने लगाई थी। उन्होंने मांग की थी कि केंद्र सरकार के साथ हरियाणा और पंजाब की राज्य सरकारों को आदेश दिया जाए कि शंभू बॉर्डर समेत उन सभी स्टेट-नेशनल हाईवेज को ट्रैफिक के लिए खोला जाए, जो किसानों की वजह से बंद किए गए हैं। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका चल रही है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाकर किसानों और सरकार से बातचीत कर मध्यस्थता करने को कहा था। हालांकि अभी तक कोई हल नहीं निकला। वहीं, किसानों की आगे की रणनीति पर किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा- कल 10 दिसंबर को कोई जत्था दिल्ली रवाना नहीं होगा। भारत सरकार अपने आप में कन्फ्यूज चल रही है। यह देश के हित में नहीं है। किसान नेता पंधेर की प्रेस कॉन्फ्रेंस की 3 अहम बातें… 1.हरियाणा प्रशासन को समय दिया
कल राजपुरा में हरियाणा पुलिस प्रशासन से मीटिंग हुई थी। उन्होंने हमसे एक दिन का समय मांगा था। इसलिए हम उनको समय देंगे। कल खनौरी भी नहीं जा पाए थे। ऐसे में हम खनौरी भी जाएंगे। वहां जाकर मीटिंग करेंगे। कल हमारा जत्था दिल्ली कूच नहीं करेगा। 2. दहशत जैसा माहौल बनाया जा रहा
हरियाणा का प्रशासन कह रहा है कि आप (किसान) हरियाणा के लॉ ऑर्डर के लिए खतरा हैं। उन्होंने इंटरनेट बंद कर दिया। खनौरी व डबवाली बॉर्डर पर फोर्स लगा दी गई। यह दहशत जैसा माहौल बनाने की क्या जरूरत है? 3. भाजपा के मंत्री आपस में सलाह कर बोलें
केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू कहते हैं कि दिल्ली पैदल जाएं, आपका स्वागत करेंगे। हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज बोल रहे हैं कि इस तरह आएंगे तो पुलिस ऐसे ही स्वागत करेगी। कृषि मंत्री का बयान है कि पैदल जाने वालों को रोकेंगे नहीं। इन्हें पहले सलाह मशविरा करना चाहिए कि कहां पर हां करनी है और कहां पर नहीं। डल्लेवाल से मिले पंजाब पुलिस के अधिकारी
उधर, खनौरी बॉर्डर पर कल (10 दिसंबर) को सारे किसान भूख हड़ताल पर रहेंगे। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरणव्रत कल 15वें दिन में दाखिल होगा। आज डल्लेवाल से मिलने के लिए पंजाब पुलिस के अधिकारी पहुंचे। काफी दिनों से भूखे रहने के कारण डल्लेवाल की सेहत काफी बिगड़ गई है। हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग उखाड़ने का वीडियो जारी किया
8 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से 101 किसानों ने दिल्ली कूच करने की कोशिश की थी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर और वाटर कैनन का इस्तेमाल कर किसानों को खदेड़ दिया। इसमें 8 किसान घायल हो गए। इसके बाद हरियाणा पुलिस ने किसानों के बैरिकेडिंग उखाड़ने की कोशिश का वीडियो जारी कर दिया। जिसमें किसान बैरिकेड पर लगी जाली को उखाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कोशिश के बाद पहली बार आंसू गैस के गोले दागे गए थे। किसानों ने 2 बार कोशिश की, दोनों बार पीछे हटे 6 दिसंबर को ढाई घंटे में पीछे हटे किसान किसानों ने सबसे पहले 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच का ऐलान किया था। सुबह किसानों ने शंभू बॉर्डर पर पाठ किया। इसके बाद 101 किसानों के जत्थे को लंगर खिलाया गया। दोपहर 1 बजे किसानों का जत्था आगे बढ़ा। किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने 3 लेयर का सुरक्षा घेरा बनाया हुआ था। पहले किसानों ने बैरिकेडिंग उखाड़ दी। इसके बाद कंटीले तारों को उखाड़ा और आखिर में सीमेंट में गाड़ी गईं कीलें निकाल दीं। किसानों ने सीमेंट की बैरिकेडिंग उठाकर घग्गर नदी में फेंक दी। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इसमें 2-3 किसान घायल हो गए। कुछ किसान फिर भी आगे पुलिस अधिकारियों तक पहुंच गए। यहां पुलिस कर्मचारियों ने उन्हें रोकने के लिए पेपर स्प्रे किया। एक बार किसान पीछे की तरफ हो गए। दोबारा किसानों ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस की तरफ से दोबारा आंसू गैस के गोले दागे गए। इस पूरे घटनाक्रम में कुल 8 किसान घायल हो गए। बाद में सरवण सिंह पंधेर ने किसानों के जत्थे को वापस बुला लिया। ढाई घंटे तक चले इस घटनाक्रम के बाद किसान वापस धरनास्थल की तरफ चल पड़े। वह अपने साथ कंटीले तार और बैरिकेडिंग भी ले गए। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने तब कहा कि 8 दिसंबर को किसान दोबारा दिल्ली कूच करेंगे। 8 दिसंबर को पौने 4 घंटे बाद पीछे हटे
101 किसानों ने 8 दिसंबर को दूसरी बार शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने की कोशिश की। किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे धरनास्थल से दिल्ली कूच के लिए निकला। पुल पर पुलिस और किसानों के बीच बहस हुई। हरियाणा पुलिस ने किसानों से दिल्ली जाने का परमिशन लेटर मांगा। उन्होंने कहा कि बिना परमिशन के वह दिल्ली नहीं जा सकते। इसके बाद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। इस पर हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद पुलिस ने किसानों को चाय बिस्किट ऑफर किए और फूल भी बरसाए। फिर भी किसान दिल्ली कूच करने पर अड़े रहे। पुलिस ने दोबारा आंसू गैस के गोले दागे और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। जिसमें 8 किसान घायल हो गए। करीब पौने 4 घंटे चले घटनाक्रम के बाद किसान नेताओं ने जत्थे को वापस बुला लिया। इसके बाद किसान नेता पंधेर ने कहा कि किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की मीटिंग करने के बाद आगे का फैसला लेंगे। ********************** किसानों के दिल्ली कूच से जुडी ये खबरें भी पढ़ें :- किसानों ने एक दिन का अल्टीमेटम देकर दिल्ली कूच टाला हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर से किसान शुक्रवार (6 दिसंबर) को दोपहर एक बजे दिल्ली के लिए रवाना हुए, लेकिन करीब ढाई घंटे बाद किसानों ने मार्च टाल दिया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है, इसलिए हम कल तक इंतजार करेंगे। पढ़ें पूरी खबर किसानों ने फिर शंभू बॉर्डर से दिल्ली मार्च टाला पंजाब के 101 किसानों ने रविवार (8 दिसंबर) को दूसरी बार शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने की कोशिश की, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें घग्गर नदी के पुल पर रोक लिया। करीब पौने 4 घंटे बाद जत्थे को वापस लौटना पड़ा। पढ़ें पूरी खबर