सोनीपत की नेहा गोयल की कप्तानी में उनकी टीम ओडिशा वॉरियर्स ने फाइनल मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। अपनी टीम की मदद से उन्होंने सूरमा हॉकी क्लब को 2-1 से हराया। महिला हॉकी टीम की ऐतिहासिक जीत से पूरे प्रदेश में खुशी का माहौल है। नेहा जब सोनीपत स्थित अपने घर पहुंची तो परिजनों ने खुशी जाहिर की। पहली बार हुई महिला हॉकी इंडिया लीग में हरियाणा की खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। इस लीग में सोनीपत की नेहा गोयल बतौर कप्तान ओडिशा वॉरियर्स का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। फाइनल मुकाबले में विजेता ओडिशा वॉरियर्स टीम में हरियाणा की सात खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें सोनीपत की पांच खिलाड़ी शामिल थीं। वहीं, उपविजेता सूरमा हॉकी क्लब में हरियाणा की चार खिलाड़ी खेल रही थीं। ओडिशा वॉरियर्स की कप्तान और ओलंपियन नेहा गोयल ने कहा कि यह मुकाबला उनके लिए यादगार रहा। प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता सोनीपत के जवाहर नगर निवासी ज्योति रूमावत ने अपने शानदार प्रदर्शन से प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता। उनके प्रदर्शन ने न केवल जिले बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया। विजेता टीम में हिसार की सोनिका टांडी और अन्नू, सोनीपत की निशा वारसी, साक्षी राणा, कनिका सिवाच और नंदिनी शामिल थीं। सूरमा टीम की कप्तान सिरसा के जोधका गांव की ओलंपियन सविता पूनिया थीं। उनके साथ हिसार की शर्मिला देवी और सोनीपत की निधि ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। हरियाणा की कुल 18 खिलाड़ी खेली महिला हॉकी लीग में हरियाणा की कुल 18 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 11 ने फाइनल मैच में अपनी प्रतिभा दिखाई। लीग में सोनीपत की 11 खिलाड़ी चार अलग-अलग टीमों में खेल रही थीं। मनीषा, इशिका और शिल्पी डबास दिल्ली एसजी पाई-पर्स की ओर से खेली, जबकि महिमा चौधरी बंगाल टाइगर्स की ओर से खेली। नेहा गोयल ने खास बातचीत में बताया कि शादी के बाद उनकी टीम 30 नवंबर को बेंगलुरु कैंप के लिए रवाना हुई। उनका कैंप 20 दिसंबर तक बेंगलुरु में रहा। इसके बाद वे 27 दिसंबर को महिला हॉकी इंडिया लीग के लिए उड़ीसा में कैंप के लिए रवाना हुईं। यह लीग 12 जनवरी से 26 जनवरी तक रांची में आयोजित हुई। पति सुनील मैच देखने पहुंचे
नेहा गोयल ने बताया कि कप्तानी के दौरान उनके पति सुनील ने 15 और 16 जनवरी के दो मैच भी देखें। नेहा गोयल को खूब मोटिवेट किया। सुनील ने फाइनल मुकाबले के शुरू होने से पहले भी नेहा गोयल को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया था और वही नेहा गोयल को कहा था कि अच्छा खेल प्रदर्शन करना है। मैं वापस नहीं जा रहा, तुम्हारी टीम जीत के साथ वापस लौटेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि ये पहली ट्रॉफी है यह हमेशा यादगार रहेगी ।इसीलिए ट्रॉफी को गंवाना नहीं है। नेहा गोयल ने अपने पति सुनील से किए हुए वादे को निभाते हुए जीत दर्ज की। नेहा अपने 8 साल पुराने दोस्त सुनील कुमार के साथ 24 नवंबर को शादी के बंधन बंधी थी। सुनील कोलकाता में कैग में ऑडिटर के रूप में कार्यरत हैं, जबकि नेहा रेलवे में नौकरी करती हैं। दोनों की मुलाकात 8 साल पहले अंडर-17 नेशनल टूर्नामेंट में हुई थी। 2015 में जब नेहा गंभीर चोट से जूझ रही थीं, तब सुनील ने उनकी सबसे ज्यादा मदद की। कौन हैं नेहा गोयल
नेहा ने 11 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया। उनकी प्रतिभा को पूर्व भारतीय कप्तान और द्रोणाचार्य अवार्डी प्रीतम रानी सिवाच ने पहचाना और अपनी अकादमी में उन्हें प्रशिक्षित किया। नेहा ने अपनी स्कूली शिक्षा टीका राम सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल से पूरी की। 2014 में उन्होंने सीनियर भारतीय हॉकी टीम में पदार्पण किया और ग्लासगो में एफआईएच चैंपियंस चैलेंज में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। संघर्षों से सफलता तक का सफर
अपने पिता के निधन के बाद नेहा की मां ने उन्हें और उनकी दो बहनों को अकेले पाला। नेहा ने कहा कि उनकी मां ही उनका सबसे बड़ा सहारा हैं। मां के प्रति अपने लगाव को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वह कभी उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगी। नेहा ने एशियन हॉकी चैंपियनशिप सहित कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में देश का नाम रोशन किया है।नेहा गोयल की उपलब्धियां नई पीढ़ी को प्रेरित करेंगी और हॉकी के प्रति उनके उत्साह को बढ़ावा देंगी। सोनीपत की नेहा गोयल की कप्तानी में उनकी टीम ओडिशा वॉरियर्स ने फाइनल मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। अपनी टीम की मदद से उन्होंने सूरमा हॉकी क्लब को 2-1 से हराया। महिला हॉकी टीम की ऐतिहासिक जीत से पूरे प्रदेश में खुशी का माहौल है। नेहा जब सोनीपत स्थित अपने घर पहुंची तो परिजनों ने खुशी जाहिर की। पहली बार हुई महिला हॉकी इंडिया लीग में हरियाणा की खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। इस लीग में सोनीपत की नेहा गोयल बतौर कप्तान ओडिशा वॉरियर्स का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। फाइनल मुकाबले में विजेता ओडिशा वॉरियर्स टीम में हरियाणा की सात खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें सोनीपत की पांच खिलाड़ी शामिल थीं। वहीं, उपविजेता सूरमा हॉकी क्लब में हरियाणा की चार खिलाड़ी खेल रही थीं। ओडिशा वॉरियर्स की कप्तान और ओलंपियन नेहा गोयल ने कहा कि यह मुकाबला उनके लिए यादगार रहा। प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता सोनीपत के जवाहर नगर निवासी ज्योति रूमावत ने अपने शानदार प्रदर्शन से प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता। उनके प्रदर्शन ने न केवल जिले बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया। विजेता टीम में हिसार की सोनिका टांडी और अन्नू, सोनीपत की निशा वारसी, साक्षी राणा, कनिका सिवाच और नंदिनी शामिल थीं। सूरमा टीम की कप्तान सिरसा के जोधका गांव की ओलंपियन सविता पूनिया थीं। उनके साथ हिसार की शर्मिला देवी और सोनीपत की निधि ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। हरियाणा की कुल 18 खिलाड़ी खेली महिला हॉकी लीग में हरियाणा की कुल 18 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 11 ने फाइनल मैच में अपनी प्रतिभा दिखाई। लीग में सोनीपत की 11 खिलाड़ी चार अलग-अलग टीमों में खेल रही थीं। मनीषा, इशिका और शिल्पी डबास दिल्ली एसजी पाई-पर्स की ओर से खेली, जबकि महिमा चौधरी बंगाल टाइगर्स की ओर से खेली। नेहा गोयल ने खास बातचीत में बताया कि शादी के बाद उनकी टीम 30 नवंबर को बेंगलुरु कैंप के लिए रवाना हुई। उनका कैंप 20 दिसंबर तक बेंगलुरु में रहा। इसके बाद वे 27 दिसंबर को महिला हॉकी इंडिया लीग के लिए उड़ीसा में कैंप के लिए रवाना हुईं। यह लीग 12 जनवरी से 26 जनवरी तक रांची में आयोजित हुई। पति सुनील मैच देखने पहुंचे
नेहा गोयल ने बताया कि कप्तानी के दौरान उनके पति सुनील ने 15 और 16 जनवरी के दो मैच भी देखें। नेहा गोयल को खूब मोटिवेट किया। सुनील ने फाइनल मुकाबले के शुरू होने से पहले भी नेहा गोयल को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया था और वही नेहा गोयल को कहा था कि अच्छा खेल प्रदर्शन करना है। मैं वापस नहीं जा रहा, तुम्हारी टीम जीत के साथ वापस लौटेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि ये पहली ट्रॉफी है यह हमेशा यादगार रहेगी ।इसीलिए ट्रॉफी को गंवाना नहीं है। नेहा गोयल ने अपने पति सुनील से किए हुए वादे को निभाते हुए जीत दर्ज की। नेहा अपने 8 साल पुराने दोस्त सुनील कुमार के साथ 24 नवंबर को शादी के बंधन बंधी थी। सुनील कोलकाता में कैग में ऑडिटर के रूप में कार्यरत हैं, जबकि नेहा रेलवे में नौकरी करती हैं। दोनों की मुलाकात 8 साल पहले अंडर-17 नेशनल टूर्नामेंट में हुई थी। 2015 में जब नेहा गंभीर चोट से जूझ रही थीं, तब सुनील ने उनकी सबसे ज्यादा मदद की। कौन हैं नेहा गोयल
नेहा ने 11 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया। उनकी प्रतिभा को पूर्व भारतीय कप्तान और द्रोणाचार्य अवार्डी प्रीतम रानी सिवाच ने पहचाना और अपनी अकादमी में उन्हें प्रशिक्षित किया। नेहा ने अपनी स्कूली शिक्षा टीका राम सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल से पूरी की। 2014 में उन्होंने सीनियर भारतीय हॉकी टीम में पदार्पण किया और ग्लासगो में एफआईएच चैंपियंस चैलेंज में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। संघर्षों से सफलता तक का सफर
अपने पिता के निधन के बाद नेहा की मां ने उन्हें और उनकी दो बहनों को अकेले पाला। नेहा ने कहा कि उनकी मां ही उनका सबसे बड़ा सहारा हैं। मां के प्रति अपने लगाव को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वह कभी उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगी। नेहा ने एशियन हॉकी चैंपियनशिप सहित कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में देश का नाम रोशन किया है।नेहा गोयल की उपलब्धियां नई पीढ़ी को प्रेरित करेंगी और हॉकी के प्रति उनके उत्साह को बढ़ावा देंगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर