हरियाणा के गुरुग्राम के सोहना में एक सोसाइटी की 15 वीं मंजिल से गिरने से छात्र की दर्दनाक मौत हो गई है। वह 12 वीं कक्षा में पढ़ता था। छत पर खेलते समय संतुलन बिगड?ने से नीचे गिर गया था। घटना की सूचना मिलने पर भोंडसी पुलिस ने पहुंचकर छात्र के शव को अपने कब्जे में लेकर स्थानीय नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया। शव को उसके परिजनों को सौंप दिया है। जानकारी अनुसार बुधवार की रात को आशियाना अनमोल सोसाइटी के टावर नम्बर 3 की 15 वी मंजिल पर 18 वर्षीय छात्र आर्यन खेल रहा था। खेलने के दौरान आर्यन का संतुलन बिगड़ गया था। वह 15 वीं मंजिल की छत से जमीन पर आकर गिर पड़ा। गिरने से छात्र आर्यन का शरीर फट गया था। उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। घटना की सूचना मिलने पर भोंडसी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया। शव को अपने कब्जे में लेकर नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम करा दिया था। वहीं भोंडसी थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश कुमार बताते हैं कि मृतक छात्र गुरुग्राम के स्कूल में पढ़ता था। वह अपने पिता के साथ रहता था। हरियाणा के गुरुग्राम के सोहना में एक सोसाइटी की 15 वीं मंजिल से गिरने से छात्र की दर्दनाक मौत हो गई है। वह 12 वीं कक्षा में पढ़ता था। छत पर खेलते समय संतुलन बिगड?ने से नीचे गिर गया था। घटना की सूचना मिलने पर भोंडसी पुलिस ने पहुंचकर छात्र के शव को अपने कब्जे में लेकर स्थानीय नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया। शव को उसके परिजनों को सौंप दिया है। जानकारी अनुसार बुधवार की रात को आशियाना अनमोल सोसाइटी के टावर नम्बर 3 की 15 वी मंजिल पर 18 वर्षीय छात्र आर्यन खेल रहा था। खेलने के दौरान आर्यन का संतुलन बिगड़ गया था। वह 15 वीं मंजिल की छत से जमीन पर आकर गिर पड़ा। गिरने से छात्र आर्यन का शरीर फट गया था। उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। घटना की सूचना मिलने पर भोंडसी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया। शव को अपने कब्जे में लेकर नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम करा दिया था। वहीं भोंडसी थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नरेश कुमार बताते हैं कि मृतक छात्र गुरुग्राम के स्कूल में पढ़ता था। वह अपने पिता के साथ रहता था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष हरविंदर कल्याण:MLA बन पिता का सपना पूरा किया; कांग्रेस ने टिकट काटी, बसपा से हारे, BJP से हैट्रिक लगाई
हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष हरविंदर कल्याण:MLA बन पिता का सपना पूरा किया; कांग्रेस ने टिकट काटी, बसपा से हारे, BJP से हैट्रिक लगाई करनाल के घरौंडा से BJP विधायक हरविंदर कल्याण हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष बन गए हैं। शुक्रवार को CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। कल्याण विधानसभा के 18वें अध्यक्ष होंगे। कल्याण लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। उनकी जीत के बाद से ही उनके सरकार में शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन मंत्रिमंडल गठन में उनका नाम नहीं आया। जिसके बाद उन्हें अध्यक्ष बनाने की चर्चा तेज हो गई और आखिरकार पार्टी हाईकमान ने उन्हें अध्यक्ष बनाने का फैसला ले लिया। कल्याण के पिता ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं पाए। उनकी विधानसभा पहुंचने की इच्छा कल्याण ने ही पूरी की। कांग्रेस में रहते उनकी टिकट काट दी गई थी। बसपा से वह चुनाव हार गए लेकिन भाजपा में आते ही जीत की हैट्रिक लगा दी। पूर्व CM मनोहर लाल के करीबी हरविंदर कल्याण केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी माने जाते हैं। पूर्व सीएम के कार्यकाल में उन्होंने अपने क्षेत्र में अच्छे विकास कार्य कराए हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल जब भी करनाल आते हैं तो कल्याण से जरूर मिलते हैं। कई बार मनोहर लाल उनके आवास पर आते हैं। खट्टर के सीएम रहते कल्याण ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय बनवाया है। कल्याण को पार्टी ने कभी मंत्री नहीं बनाया, लेकिन उन्होंने कभी इसका विरोध भी नहीं किया। अपनी ईमानदार छवि और अपने क्षेत्र में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवाने के कारण कल्याण पूर्व सीएम की गुड लिस्ट में रहे हैं। कल्याण के बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने के पीछे भी मनोहर लाल का ही हाथ है। हरियाणा गठन के एक साल बाद जन्म हुआ
हरविंदर कल्याण का जन्म हरियाणा गठन के एक साल बाद करनाल के मधुबन के कुटैल गांव के किसान परिवार में हुआ। किसान परिवार से आने वाले हरविंदर सिंह ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 18 साल की उम्र में कल्याण ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के पुसाद में स्थित बाबासाहेब नाइक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की। उनकी पत्नी, रेशमा कल्याण, गृहिणी और लेखिका हैं। रेशमा के पिता मनोहर नाइक महाराष्ट्र विधानसभा में पुसद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। 2004 में की थी गांव-गांव की पद यात्रा
वर्ष-2004 में हरविंदर कल्याण कांग्रेस में प्रदेश महासचिव के पद पर थे। 2005 में होने वाले विधानसभा चुनावों में कल्याण का नाम टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल था। इसी बीच लोगों से जुड़ने के लिए और गांवों के हालातों का जायजा लेने के लिए इन्होंने पदयात्रा शुरू की थी। हरविंदर कल्याण की यह पदयात्रा 18 दिन तक चली थी। 18 दिन तक वे घर से बाहर ही रहे थे। रात को ग्रामीणों के बीच ही रहा करते थे। उन्हीं के बीच खाते थे और उन्हीं के बीच सो जाते थे। इन्होंने अपनी यात्रा के दौरान गांव की प्रत्येक समस्या को जाना था और ग्रामीणों को भी आश्वस्त किया था कि अगर उन्हें विधानसभा का टिकट और जनता का आशीर्वाद मिलता है तो वे गांव की समस्याओं को जड़ से खत्म करने का काम करेंगे। मगर, 2005 के चुनाव में कांग्रेस ने उनकी जगह विरेंद्र सिंह राठौर को टिकट दे दिया था। पिता के सपने को साकार करने वाले बेटे हरिवंदर कल्याण
हरविंदर कल्याण के नजदीकियों की मानें तो हरविंदर के पिता देवी सिंह कल्याण राजनीति में गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने राजनीति में किस्मत अजमाई। सांसद और विधायक के चुनाव भी लड़े, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि उन्हें हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड में अध्यक्ष तो बनाया गया, लेकिन कहीं न कहीं विधानसभा या फिर संसद में पहुंचने का उनका सपना अधूरा रह गया। हरविंदर कल्याण अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए राजनीति के मैदान में कूद गए और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाई। 2005 में विधानसभा के टिकट के दावेदारों में शामिल हुए, लेकिन टिकट नहीं मिला। 2009 में कांग्रेस को छोड़ा और बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर बीएसपी की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। 2014 में टर्निंग प्वाइंट आया और इन्होंने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार सफलता हासिल करते गए और आज स्पीकर के पद तक पहुंचे है। इन्होंने अपने पिता के सपने को साकार किया। हरविंदर कल्याण की एक बेटी, फाउंडेशन चलाती हैं
हरविंदर कल्याण और रेशमा कल्याण की एक बेटी है। जिसका नाम ऐषणा कल्याण है। ऐषणा की शादी मुंबई में हो चुकी है और उनके पति चंडीगढ़ में जॉब करते है। ऐषणा ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में डटकर मोर्चा संभाला और महिलाओं की एक बड़ी टीम खड़ी की। ऐषणा कल्याण अपना एक फाउंडेशन भी चलाती हैं, जिसका नाम वरित्रा फाउंडेशन है। जिसके माध्यम से वह समाज सेवा का कार्य करती हैं। यह खबर भी पढ़ें… कल्याण हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष, मिड्ढा उपाध्यक्ष बने:सर्वसम्मति से चुने गए; हुड्डा बोले- विज-ढांडा को कसके रखना, सदन अच्छा चलेगा हरियाणा विधानसभा का नया अध्यक्ष हरविंदर कल्याण को चुना गया है। शुक्रवार को विधानसभा सत्र में CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद CM ने हरविंदर कल्याण को गले मिलकर बधाई दी। CM ने कल्याण को कुर्सी पर बैठाया। वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) डॉ. कृष्ण मिड्ढा को चुना गया। कैबिनेट मंत्री कृष्णलाल पंवार ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। (पूरे खबर पढ़ें)
राव इंद्रजीत की प्रेशर पॉलिटिक्स का राज क्या?:हरियाणा में बेटी को मंत्रीपद, अपनी प्रमोशन या CM दावेदारी; 15 MLA के समर्थन का दावा कर चुके
राव इंद्रजीत की प्रेशर पॉलिटिक्स का राज क्या?:हरियाणा में बेटी को मंत्रीपद, अपनी प्रमोशन या CM दावेदारी; 15 MLA के समर्थन का दावा कर चुके हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने वाली BJP के भीतर अहीरवाल बेल्ट में सबसे ज्यादा राजनीति गर्माई हुई है। यहां से पार्टी को 11 में से 10 सीटों पर जीत मिली है। सरकार बनाने में इस इलाके का अहम रोल होने के कारण यहां के कद्दावर नेता और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह प्रेशर पॉलिटिक्स की राह पर चल पड़े हैं। रिजल्ट आने के बाद से ही राव इंद्रजीत सिंह पूरी तरह एक्टिव है और चुनाव जीते 9 MLA उनसे मुलाकात कर चुके हैं। राव इंद्रजीत सिंह से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, उनके संपर्क में 15 से ज्यादा MLA है। ऐसे में राव इंद्रजीत सिंह किस बड़ी मंशा को लेकर चल रहे हैं, इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है। सियासी माहिरों की मानें तो राव इस पूरे दांव से क्या साधना चाहते हैं, उसकी ये 5 वजहें हो सकती हैं…. 1. बेटी को हरियाणा में मंत्रीपद
राव इंद्रजीत सिंह ने इस बार अपने पसंद से अहीरवाल की 11 में से 9 सीटों पर उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया, जिनमें सभी चुनाव जीत गए। इनमें अटेली सीट से उनकी बेटी आरती राव भी शामिल है। आरती राव का ये पहला ही चुनाव था। उन्हें कड़े मुकाबले में जीत मिली है। राव इंद्रजीत सिंह बेटी आरती राव को नई सरकार में मंत्री बनाकर इलाके में अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। 2. अपने समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह
BJP अहीरवाल बेल्ट को इस बार 2 कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री का पद दे सकती है। राव इंद्रजीत सिंह की कोशिश अपने समर्थक विधायकों को ही इन पदों पर एडजस्ट करने की है। इनमें पटौदी से चुनाव जीती बिमला चौधरी के अलावा लक्ष्मण यादव, ओपी यादव को मंत्री बनाया जा सकता है। बिमला चौधरी किसी वजह से मंत्री नहीं बन पाई तो बावल से चुनाव जीते डॉ. कृष्ण कुमार को विकल्प के रूप में मंत्रीपद दिलवा सकते है। 3. राव नरबीर को मंत्री बनने से रोकना
अहीरवाल की बादशाहपुर सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले राव नरबीर सिंह का नाम नए मंत्रिमंडल को लेकर सुर्खियों में है। नरबीर सिंह इस बार अपने खुद के दम पर टिकट लेकर आए और चुनाव भी जीत गए। उन्हें राव इंद्रजीत सिंह का धुर विरोधी माना जाता है। राव इंद्रजीत सिंह नहीं चाहते कि राव नरबीर सिंह सरकार में मंत्री बने। राव इंद्रजीत सिंह खुद गुरुग्राम से सांसद है। अगर राव नरबीर मंत्री बनते है तो राव इंद्रजीत सिंह का वह इलाके में दूसरा बड़ा विकल्प बन सकते है। नरबीर 2014 में भी चुनाव जीतने के बाद मनोहर लाल की कैबिनेट में पावरफुल मंत्री बने थे। हालांकि 2019 के चुनाव में उनकी टिकट कट गई थी। 4. CM पद पर दावा बरकरार रखना
अहीरवाल से मुख्यमंत्री पद की मांग भी लगातार उठ रही है। रेवाड़ी यादव सभा इसकी मांग पहले ही कर चुकी है। हालांकि भाजपा पहले ही नायब सैनी को सीएम चेहरा घोषित कर चुकी है। फिर भी राव भविष्य के लिए दावा मजबूत रखना चाहते हैं। यही वजह है कि राव इंद्रजीत सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार सीएम पद पर दावा ठोका। रिजल्ट आने के बाद भी राव इंद्रजीत सिंह ने कहा- हमने 10 सीटें जिताकर अपना काम कर दिया। अब हाईकमान को इलाके की संज्ञान लेना चाहिए। 5. केंद्र में राज्यमंत्री की जगह कैबिनेट मंत्री की प्रमोशन
राव इंद्रजीत सिंह ने भाजपा में रहते हुए गुरुग्राम सीट से लगातार तीसरी लोकसभा चुनाव जीता। दोनों बार वह मोदी सरकार में राज्यमंत्री रहे। इस बार जीत के बाद उनके कैबिनेट मंत्री बनने की संभावनाएं थी। लेकिन उन्हें राज्यमंत्री का पद मिला। जिसका दर्द राव इंद्रजीत सिंह खुद बयां कर चुके हैं। वह कह चुके है कि उनसे छोटे नेता को कैबिनेट मंत्री बना दिया और वह आज तक राज्यमंत्री ही रहे, जिससे अहीरवाल इलाके में भी मायूसी हुई। अब विधानसभा चुनाव में इस इलाके से मिली बड़ी जीत के बाद राव इंद्रजीत सिंह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की प्रमोशन चाहते हैं। दो सीटों पर प्रचार करने नहीं गए राव इंद्रजीत
भाजपा ने इस बार गुरुग्राम से मुकेश शर्मा, बावल से डॉ. कृष्ण कुमार, पटौदी से बिमला चौधरी, सोहना से तेजपाल तंवर, रेवाड़ी से लक्ष्मण सिंह यादव, अटेली से आरती राव, नारनौल से ओमप्रकाश यादव और महेंद्रगढ़ से कंवर सिंह को राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से टिकट दी। जबकि नांगल चौधरी में डॉ. अभय सिंह और बादशाहपुर में राव नरबीर को उनके विरोध के बीच चुनावी मैदान में उतारा। राव नरबीर तो चुनाव जीत गए लेकिन अभय सिंह चुनाव हार गए। इलाके में मजबूत पकड़ होने के कारण राव इंद्रजीत सिंह ने प्रचार की जिम्मेदारी खुद संभाली। हालांकि वह बादशाहपुर और नांगल चौधरी में चुनाव प्रचार करने नहीं गए। अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के परिवार की पकड़
अहीरवाल इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के परिवार रामपुरा हाउस की पकड़ दशकों से रही है। पहले उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह का इलाके में दबदबा रहा। इसके बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पिता के रुतबे को इस इलाके में बनाए रखा। हालांकि राव इंद्रजीत सिंह एक तरह से अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपनी बेटी आरती राव को पूरी तरह एडजस्ट कर चुके है। राव इंद्रजीत सिंह 6 बार सांसद और 4 बाद विधायक बने है। अब उनकी उत्तराधिकारी के रूप में आरती राव इस पूरे इलाके में एक्टिव है।
करनाल में NHM कर्मचारियों का अनोखा प्रदर्शन:हाथ में कटोरा लेकर मांगी भीख, बोले मुख्यमंत्री राहत कोष में देंगे ये पैसे
करनाल में NHM कर्मचारियों का अनोखा प्रदर्शन:हाथ में कटोरा लेकर मांगी भीख, बोले मुख्यमंत्री राहत कोष में देंगे ये पैसे हरियाणा के करनाल में आज नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों के समर्थन में अनोखा प्रदर्शन किया। मंगलवार को हड़ताल के 19वें दिन करनाल में NHM कर्मचारियों ने हाथों में कटोरे लेकर सड़कों पर भीख मांगनी शुरू कर दी। यह कदम उन्होंने सरकार की बेरुखी और वेतन न देने की समस्या के प्रति विरोध जताने के लिए उठाया है। कर्मचारियों का कहना है कि जो भी भीख एकत्रित होगी, उसको मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाई जाएगी। सरकार के प्रति आक्रोश संगठन के जिला प्रधान संजीव ने बताया कि NHM कर्मचारियों का यह प्रदर्शन सांझा मोर्चा के तहत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी हड़ताल लंबे समय से चल रही है, लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। हमने 7 अगस्त को हरियाली तीज के अवसर पर ‘काली तीज’ के रूप में अपना विरोध दर्ज किया। हड़ताल को भी 10 अगस्त तक बढ़ा दिया। लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। मजबूर होकर आज हमें भीख मांगनी पड़ रही है, ताकि सरकार को कुछ शर्म आए और वे हमारी समस्याओं की ओर ध्यान दें। कर्मचारियों की मांगें NHM कर्मचारी संघ के जिला महासचिव गोपाल शर्मा ने भी इस आंदोलन के प्रति अपने संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे हड़ताल से नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा, चाहे इसके लिए कर्मचारियों को सड़कों पर उतरना ही क्यों न पड़े। गोपाल शर्मा ने कर्मचारियों की प्रमुख मांगों का उल्लेख करते हुए बताया कि वेतन विसंगति दूर की जाए, और 7वें वेतन आयोग का लाभ NHM कर्मचारियों को दिया जाए। इसके अलावा, कर्मचारियों की नियमितीकरण, 58 साल तक नौकरी की सुरक्षा, ग्रेच्युटी का लाभ, और अन्य मांगें भी पूरी की जाएं। सरकार की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार NHM कर्मचारियों का यह आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। वेतन न मिलने से नाराज कर्मचारी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं, और वे इसे तब तक जारी रखने का इरादा रखते हैं, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती। अब देखना यह है कि सरकार इस अनोखे और तीखे प्रदर्शन के बाद किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है और क्या कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए कोई ठोस कदम उठाती है।