‘मेरे मां-बाबा बांग्लादेश में हैं। वे किस हालत में हैं। कुछ पता नहीं। टीवी पर हिंसा की तस्वीरें देखता हूं, तो परेशान हो जाता हूं। वहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा, इसलिए परिवार से बात तक नहीं हो पा रही है। आखिरी बार 16 दिन पहले बात हुई थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा, क्या करूं। जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते, अपने देश वापस नहीं जा सकता। यही सोचता हूं कि मां-बाबा सुरक्षित रहें।’ वाराणसी के BHU में ग्रेजुएशन कर चुके अंतुल घोष यह सब कहते हुए मायूस हो जाते हैं। कैंपस में वह अकेले नहीं हैं। उनके जैसे करीब 240 स्टूडेंट हैं। इनमें भी 42 ऐसे स्टूडेंट हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है। अब उन्हें देश लौटना था। मगर, अचानक हिंसक हो चुके हालात के बाद वह देश वापस नहीं जा सकते। उनके परिवार वहां हैं, जब किसी के मरने की खबर चलती है, तो ये स्टूडेंट सहम जाते हैं। सिर्फ BHU ही नहीं, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी 31 स्टूडेंट बांग्लादेश के हैं। उनके कई साथी देश के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं। दैनिक भास्कर ने वाराणसी और अलीगढ़ में ऐसे छात्रों से बात की, पढ़िए रिपोर्ट… खबर में आगे बढ़ने से पहले बांग्लादेश के मौजूदा हाल समझिए… बांग्लादेश में हालात अस्थिर हैं। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद भंग कर दी है। देश की पूर्व PM खालिदा जिया को भी रिहा कर दिया गया है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मंगलवार दोपहर 3 बजे तक संसद भंग करने का अल्टीमेटम दिया था। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद जश्न मनाने के दौरान कई उपद्रवियों ने पुलिस थानों और इमारतों में लूट-पाट की घटना को अंजाम दिया। राजधानी ढाका के मीरपुर मॉडल पुलिस स्टेशन को भी उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। पैरामिलिट्री फोर्स बांग्लादेश अंसार को हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। देश में सभी पुलिस स्टेशनों की सुरक्षा के लिए भी उन्हें तैनात किया गया है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक भारत में शेख हसीना को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है। मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “शेख हसीना सदमे में हैं। सरकार बात करने से पहले उन्हें कुछ समय दे रही है। वे भविष्य को लेकर खुद फैसला लेंगी।” कयास हैं कि वे लंदन या फिनलैंड जा सकती हैं। पहले BHU कैंपस के स्टूडेंट की बातचीत… मेरे बाबा-मां, भाई सब परेशान हैं
कैंपस में हमारी मुलाकात विद्युत टांटी से हुई। हमने पूछा- क्या पढ़ते हैं? जवाब मिला – ग्रेजुएशन पूरा किया है। अब अपने देश जाना था, मगर देश में हिंसा भड़की है। आरक्षण आंदोलन शुरू होने के बाद नेटवर्क में इश्यू चल रहा है। घर पर मेरे बाबा हैं, मां और छोटा भाई है। फिर, विद्युत ने लंबी सांस ली और बोले- आज 10 मिनट के लिए वहां नेटवर्क ऑन हुआ था। हमारी बात हुई। परिवार के लोगों ने बताया कि जगह-जगह काफी दिक्कत है, ऐसा नहीं है कि हिंसा थम गई है। कब क्या हो जाए, कुछ पता नहीं। हमें सरकार से फर्क नहीं पड़ता, बस लोग सुरक्षित महसूस करें
कुछ दूरी पर खड़े समूदय चाकमा ने भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है। वह भी देश लौटने की तैयारी कर रहे थे, मगर हालात बदल गए। वह कहते हैं- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, कौन-सी सरकार आएगी। मगर जो भी आए, वह अच्छी आए और अच्छे से कम करे। लोग सुरक्षित महसूस करें। BHU में बांग्लादेश के छात्रों को फ्री हॉस्टल
BHU के प्रोफेसर एसवीएस राजू ने कहा- BHU में बांग्लादेश के करीब 200 छात्र-छात्राएं अलग-अलग विभागों में पढ़ाई करते हैं। इनमें से करीब 30 छात्र और 12 छात्राओं का कोर्स और फाइनल एग्जाम खत्म हो गया है। इन्हें वापस अपने देश जाना था, लेकिन वहां की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए वहां जाना अभी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक मानवीय पहल करते हुए इन सभी छात्रों को स्थिति सामान्य होने तक हॉस्टल में रहने की इजाजत से दी हैं। इन सभी छात्रों को बांग्लादेश की स्थिति सामान्य होने तक रहने के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना है। अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट की परेशानी समझते हैं… जब से हिंसा की खबर सुनी, न तो भूख लग रही, न प्यास
AMU में इंग्लिश से पीएचडी कर रहीं पायल रॉय ने बताया- मैं बांग्लादेश की रहने वाली हूं। मेरी शुरुआती पढ़ाई वहीं पर हुई है। 2022 में बांग्लादेश से भारत आ गई थी। यहां आकर AMU से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। अब पीएचडी कर रही हूं। 2022 के बाद से ही बांग्लादेश नहीं गई हूं, लेकिन परिवार और रिश्तेदार वहीं पर एक गांव में रहते हैं। बांग्लादेश में हिंसा के बाद से परिवार से संपर्क नहीं हो पा रहा है। हर मिनट डर बढ़ता ही जा रहा है। परिवार के लोगों की चिंता सता रही है। अब भूख प्यास भी नहीं लग रही है। बड़ी मुश्किल से एक अंकल का नंबर अरेंज हो पाया। वह गांव से थोड़ी दूर एक कस्बे में रहते हैं। एक सप्ताह पहले हुई थी परिवार से बात
स्टूडेंट अबू सईद ने बताया- मैं AMU से फूड केयर में पीएचडी कर रहा हूं। बांग्लादेश में जो हालात चल रहे हैं, उसको लेकर चिंता बनी हुई है। परिवार के लोगों से एक सप्ताह पहले संपर्क हुआ था। कल हिंसा फैलने की खबर के बाद परिवार से तो संपर्क नहीं हुआ, लेकिन किसी और माध्यम से यह जानकारी मिल गई है कि वह सुरक्षित हैं। बस ईश्वर से यह प्रार्थना करते हैं कि जल्द ही वहां के हालात सामान्य हो जाएं। बांग्लादेश में फंसे छात्रों से भी संपर्क करने की कोशिश
डिप्टी प्रॉक्टर प्रोफेसर एसअली जैदी ने कहा- AMU में 31 बांग्लादेशी छात्र पढ़ते हैं। इनमें से 7 छात्र अभी AMU में हैं। बाकी छात्र बांग्लादेश में हैं। उनसे भी संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। कई छात्रों का उनके परिवार से संपर्क टूट गया है। कुछ छात्र मिलने आए थे। छात्रों को कोई परेशानी नहीं होने नहीं दी जाएगी। AMU प्रशासन भी छात्रों के परिजनों से संपर्क करने का प्रयास कर रहा है। यह भी पढ़ें:- गाजियाबाद में एयरबेस के सेफ हाउस में शेख हसीना:बेटी भी कर सकती है मुलाकात; यूपी पुलिस के अधिकारी भी पहुंचे, VVIP गाड़ियों का मूवमेंट बढ़ा
हिंसा के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत आईं पूर्व PM शेख हसीना अभी गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस के सेफ हाउस में हैं। उन्हें और उनकी बहन रेहाना को छोड़कर बांग्लादेश का मिलिट्री प्लेन मंगलवार सुबह 9 बजे लौट गया। प्लेन में मिलिट्री के 7 जवान मौजूद थे। पढ़ें पूरी खबर… ‘मेरे मां-बाबा बांग्लादेश में हैं। वे किस हालत में हैं। कुछ पता नहीं। टीवी पर हिंसा की तस्वीरें देखता हूं, तो परेशान हो जाता हूं। वहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा, इसलिए परिवार से बात तक नहीं हो पा रही है। आखिरी बार 16 दिन पहले बात हुई थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा, क्या करूं। जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते, अपने देश वापस नहीं जा सकता। यही सोचता हूं कि मां-बाबा सुरक्षित रहें।’ वाराणसी के BHU में ग्रेजुएशन कर चुके अंतुल घोष यह सब कहते हुए मायूस हो जाते हैं। कैंपस में वह अकेले नहीं हैं। उनके जैसे करीब 240 स्टूडेंट हैं। इनमें भी 42 ऐसे स्टूडेंट हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है। अब उन्हें देश लौटना था। मगर, अचानक हिंसक हो चुके हालात के बाद वह देश वापस नहीं जा सकते। उनके परिवार वहां हैं, जब किसी के मरने की खबर चलती है, तो ये स्टूडेंट सहम जाते हैं। सिर्फ BHU ही नहीं, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी 31 स्टूडेंट बांग्लादेश के हैं। उनके कई साथी देश के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं। दैनिक भास्कर ने वाराणसी और अलीगढ़ में ऐसे छात्रों से बात की, पढ़िए रिपोर्ट… खबर में आगे बढ़ने से पहले बांग्लादेश के मौजूदा हाल समझिए… बांग्लादेश में हालात अस्थिर हैं। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद भंग कर दी है। देश की पूर्व PM खालिदा जिया को भी रिहा कर दिया गया है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मंगलवार दोपहर 3 बजे तक संसद भंग करने का अल्टीमेटम दिया था। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद जश्न मनाने के दौरान कई उपद्रवियों ने पुलिस थानों और इमारतों में लूट-पाट की घटना को अंजाम दिया। राजधानी ढाका के मीरपुर मॉडल पुलिस स्टेशन को भी उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। पैरामिलिट्री फोर्स बांग्लादेश अंसार को हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। देश में सभी पुलिस स्टेशनों की सुरक्षा के लिए भी उन्हें तैनात किया गया है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक भारत में शेख हसीना को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है। मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “शेख हसीना सदमे में हैं। सरकार बात करने से पहले उन्हें कुछ समय दे रही है। वे भविष्य को लेकर खुद फैसला लेंगी।” कयास हैं कि वे लंदन या फिनलैंड जा सकती हैं। पहले BHU कैंपस के स्टूडेंट की बातचीत… मेरे बाबा-मां, भाई सब परेशान हैं
कैंपस में हमारी मुलाकात विद्युत टांटी से हुई। हमने पूछा- क्या पढ़ते हैं? जवाब मिला – ग्रेजुएशन पूरा किया है। अब अपने देश जाना था, मगर देश में हिंसा भड़की है। आरक्षण आंदोलन शुरू होने के बाद नेटवर्क में इश्यू चल रहा है। घर पर मेरे बाबा हैं, मां और छोटा भाई है। फिर, विद्युत ने लंबी सांस ली और बोले- आज 10 मिनट के लिए वहां नेटवर्क ऑन हुआ था। हमारी बात हुई। परिवार के लोगों ने बताया कि जगह-जगह काफी दिक्कत है, ऐसा नहीं है कि हिंसा थम गई है। कब क्या हो जाए, कुछ पता नहीं। हमें सरकार से फर्क नहीं पड़ता, बस लोग सुरक्षित महसूस करें
कुछ दूरी पर खड़े समूदय चाकमा ने भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है। वह भी देश लौटने की तैयारी कर रहे थे, मगर हालात बदल गए। वह कहते हैं- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, कौन-सी सरकार आएगी। मगर जो भी आए, वह अच्छी आए और अच्छे से कम करे। लोग सुरक्षित महसूस करें। BHU में बांग्लादेश के छात्रों को फ्री हॉस्टल
BHU के प्रोफेसर एसवीएस राजू ने कहा- BHU में बांग्लादेश के करीब 200 छात्र-छात्राएं अलग-अलग विभागों में पढ़ाई करते हैं। इनमें से करीब 30 छात्र और 12 छात्राओं का कोर्स और फाइनल एग्जाम खत्म हो गया है। इन्हें वापस अपने देश जाना था, लेकिन वहां की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए वहां जाना अभी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक मानवीय पहल करते हुए इन सभी छात्रों को स्थिति सामान्य होने तक हॉस्टल में रहने की इजाजत से दी हैं। इन सभी छात्रों को बांग्लादेश की स्थिति सामान्य होने तक रहने के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना है। अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट की परेशानी समझते हैं… जब से हिंसा की खबर सुनी, न तो भूख लग रही, न प्यास
AMU में इंग्लिश से पीएचडी कर रहीं पायल रॉय ने बताया- मैं बांग्लादेश की रहने वाली हूं। मेरी शुरुआती पढ़ाई वहीं पर हुई है। 2022 में बांग्लादेश से भारत आ गई थी। यहां आकर AMU से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। अब पीएचडी कर रही हूं। 2022 के बाद से ही बांग्लादेश नहीं गई हूं, लेकिन परिवार और रिश्तेदार वहीं पर एक गांव में रहते हैं। बांग्लादेश में हिंसा के बाद से परिवार से संपर्क नहीं हो पा रहा है। हर मिनट डर बढ़ता ही जा रहा है। परिवार के लोगों की चिंता सता रही है। अब भूख प्यास भी नहीं लग रही है। बड़ी मुश्किल से एक अंकल का नंबर अरेंज हो पाया। वह गांव से थोड़ी दूर एक कस्बे में रहते हैं। एक सप्ताह पहले हुई थी परिवार से बात
स्टूडेंट अबू सईद ने बताया- मैं AMU से फूड केयर में पीएचडी कर रहा हूं। बांग्लादेश में जो हालात चल रहे हैं, उसको लेकर चिंता बनी हुई है। परिवार के लोगों से एक सप्ताह पहले संपर्क हुआ था। कल हिंसा फैलने की खबर के बाद परिवार से तो संपर्क नहीं हुआ, लेकिन किसी और माध्यम से यह जानकारी मिल गई है कि वह सुरक्षित हैं। बस ईश्वर से यह प्रार्थना करते हैं कि जल्द ही वहां के हालात सामान्य हो जाएं। बांग्लादेश में फंसे छात्रों से भी संपर्क करने की कोशिश
डिप्टी प्रॉक्टर प्रोफेसर एसअली जैदी ने कहा- AMU में 31 बांग्लादेशी छात्र पढ़ते हैं। इनमें से 7 छात्र अभी AMU में हैं। बाकी छात्र बांग्लादेश में हैं। उनसे भी संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। कई छात्रों का उनके परिवार से संपर्क टूट गया है। कुछ छात्र मिलने आए थे। छात्रों को कोई परेशानी नहीं होने नहीं दी जाएगी। AMU प्रशासन भी छात्रों के परिजनों से संपर्क करने का प्रयास कर रहा है। यह भी पढ़ें:- गाजियाबाद में एयरबेस के सेफ हाउस में शेख हसीना:बेटी भी कर सकती है मुलाकात; यूपी पुलिस के अधिकारी भी पहुंचे, VVIP गाड़ियों का मूवमेंट बढ़ा
हिंसा के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत आईं पूर्व PM शेख हसीना अभी गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस के सेफ हाउस में हैं। उन्हें और उनकी बहन रेहाना को छोड़कर बांग्लादेश का मिलिट्री प्लेन मंगलवार सुबह 9 बजे लौट गया। प्लेन में मिलिट्री के 7 जवान मौजूद थे। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर