हरियाणा के सोनीपत की बरोदा सीट से कांग्रेस विधायक इंदूराज नरवाल उर्फ भालू सोमवार को करनाल पहुंचे। उन्होंने अपनी ही पार्टी के असंध से पूर्व विधायक शमशेर गोगी के बयान “जीत का सेहरा बांधने वाले हार की जिम्मेदारी भी ले” पर भालू ने कहा कि “छाज तो बोले, अब छालनी भी बोलने लगी”। बरोदा विधायक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पार्टी के सभी नेताओं को अपने अंदर झांक कर देखना चाहिए कि कहां पर कमी रही। कमियों के बारे में एक दूसरे को पता है और नेताओं को भी उसके बारे में पता है, लेकिन कमी है उसको पूरा, दूर करें। विधानसभा में कांग्रेस की हार एक बड़ा षड्यंत्र था। चाहे ईवीएम की 99 प्रतिशत बैटरी की बात हो, या पैसे के दम की बात हो, शराब की ताकत का इस्तेमाल किया गया। भाले ने कहा कि आज प्रदेश में भले ही बीजेपी की सत्ता हो, लेकिन लोगों के दिलों में आज भी कांग्रेस का राज है। आज भी लोगो में बीजेपी के लिए कही भी जगह नहीं है। वहीं शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों के सवाल पर विधायक ने भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि किसान अपनी जायज मांगों को लेकर बैठे है। वे एमएसपी गारंटी की मांग कर रहे है, पुराने मुकदमों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार किसानों की मांगों को पूरा करें। सीएम पर कसा तंज इंदूराज ने सीएम नायब सैनी पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम को किसानों के धरने दिखाई नहीं देते, प्रदेश में लोगों को फोन कॉल्स पर धमकियां नहीं दिखाई देती, लेकिन गोहाना में जलेबियां तलने जरूर पहुंच जाते हैं। मैने विधानसभा में भी यह बात कही थी कि आपको जलेबी तो याद आ गई, लेकिन किसान याद नहीं आए। हरियाणा के सोनीपत की बरोदा सीट से कांग्रेस विधायक इंदूराज नरवाल उर्फ भालू सोमवार को करनाल पहुंचे। उन्होंने अपनी ही पार्टी के असंध से पूर्व विधायक शमशेर गोगी के बयान “जीत का सेहरा बांधने वाले हार की जिम्मेदारी भी ले” पर भालू ने कहा कि “छाज तो बोले, अब छालनी भी बोलने लगी”। बरोदा विधायक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पार्टी के सभी नेताओं को अपने अंदर झांक कर देखना चाहिए कि कहां पर कमी रही। कमियों के बारे में एक दूसरे को पता है और नेताओं को भी उसके बारे में पता है, लेकिन कमी है उसको पूरा, दूर करें। विधानसभा में कांग्रेस की हार एक बड़ा षड्यंत्र था। चाहे ईवीएम की 99 प्रतिशत बैटरी की बात हो, या पैसे के दम की बात हो, शराब की ताकत का इस्तेमाल किया गया। भाले ने कहा कि आज प्रदेश में भले ही बीजेपी की सत्ता हो, लेकिन लोगों के दिलों में आज भी कांग्रेस का राज है। आज भी लोगो में बीजेपी के लिए कही भी जगह नहीं है। वहीं शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों के सवाल पर विधायक ने भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि किसान अपनी जायज मांगों को लेकर बैठे है। वे एमएसपी गारंटी की मांग कर रहे है, पुराने मुकदमों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार किसानों की मांगों को पूरा करें। सीएम पर कसा तंज इंदूराज ने सीएम नायब सैनी पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम को किसानों के धरने दिखाई नहीं देते, प्रदेश में लोगों को फोन कॉल्स पर धमकियां नहीं दिखाई देती, लेकिन गोहाना में जलेबियां तलने जरूर पहुंच जाते हैं। मैने विधानसभा में भी यह बात कही थी कि आपको जलेबी तो याद आ गई, लेकिन किसान याद नहीं आए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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राव इंद्रजीत की प्रेशर पॉलिटिक्स का राज क्या?:हरियाणा में बेटी को मंत्रीपद, अपनी प्रमोशन या CM दावेदारी; 15 MLA के समर्थन का दावा कर चुके हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने वाली BJP के भीतर अहीरवाल बेल्ट में सबसे ज्यादा राजनीति गर्माई हुई है। यहां से पार्टी को 11 में से 10 सीटों पर जीत मिली है। सरकार बनाने में इस इलाके का अहम रोल होने के कारण यहां के कद्दावर नेता और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह प्रेशर पॉलिटिक्स की राह पर चल पड़े हैं। रिजल्ट आने के बाद से ही राव इंद्रजीत सिंह पूरी तरह एक्टिव है और चुनाव जीते 9 MLA उनसे मुलाकात कर चुके हैं। राव इंद्रजीत सिंह से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, उनके संपर्क में 15 से ज्यादा MLA है। ऐसे में राव इंद्रजीत सिंह किस बड़ी मंशा को लेकर चल रहे हैं, इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है। सियासी माहिरों की मानें तो राव इस पूरे दांव से क्या साधना चाहते हैं, उसकी ये 5 वजहें हो सकती हैं…. 1. बेटी को हरियाणा में मंत्रीपद
राव इंद्रजीत सिंह ने इस बार अपने पसंद से अहीरवाल की 11 में से 9 सीटों पर उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया, जिनमें सभी चुनाव जीत गए। इनमें अटेली सीट से उनकी बेटी आरती राव भी शामिल है। आरती राव का ये पहला ही चुनाव था। उन्हें कड़े मुकाबले में जीत मिली है। राव इंद्रजीत सिंह बेटी आरती राव को नई सरकार में मंत्री बनाकर इलाके में अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। 2. अपने समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह
BJP अहीरवाल बेल्ट को इस बार 2 कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री का पद दे सकती है। राव इंद्रजीत सिंह की कोशिश अपने समर्थक विधायकों को ही इन पदों पर एडजस्ट करने की है। इनमें पटौदी से चुनाव जीती बिमला चौधरी के अलावा लक्ष्मण यादव, ओपी यादव को मंत्री बनाया जा सकता है। बिमला चौधरी किसी वजह से मंत्री नहीं बन पाई तो बावल से चुनाव जीते डॉ. कृष्ण कुमार को विकल्प के रूप में मंत्रीपद दिलवा सकते है। 3. राव नरबीर को मंत्री बनने से रोकना
अहीरवाल की बादशाहपुर सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले राव नरबीर सिंह का नाम नए मंत्रिमंडल को लेकर सुर्खियों में है। नरबीर सिंह इस बार अपने खुद के दम पर टिकट लेकर आए और चुनाव भी जीत गए। उन्हें राव इंद्रजीत सिंह का धुर विरोधी माना जाता है। राव इंद्रजीत सिंह नहीं चाहते कि राव नरबीर सिंह सरकार में मंत्री बने। राव इंद्रजीत सिंह खुद गुरुग्राम से सांसद है। अगर राव नरबीर मंत्री बनते है तो राव इंद्रजीत सिंह का वह इलाके में दूसरा बड़ा विकल्प बन सकते है। नरबीर 2014 में भी चुनाव जीतने के बाद मनोहर लाल की कैबिनेट में पावरफुल मंत्री बने थे। हालांकि 2019 के चुनाव में उनकी टिकट कट गई थी। 4. CM पद पर दावा बरकरार रखना
अहीरवाल से मुख्यमंत्री पद की मांग भी लगातार उठ रही है। रेवाड़ी यादव सभा इसकी मांग पहले ही कर चुकी है। हालांकि भाजपा पहले ही नायब सैनी को सीएम चेहरा घोषित कर चुकी है। फिर भी राव भविष्य के लिए दावा मजबूत रखना चाहते हैं। यही वजह है कि राव इंद्रजीत सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार सीएम पद पर दावा ठोका। रिजल्ट आने के बाद भी राव इंद्रजीत सिंह ने कहा- हमने 10 सीटें जिताकर अपना काम कर दिया। अब हाईकमान को इलाके की संज्ञान लेना चाहिए। 5. केंद्र में राज्यमंत्री की जगह कैबिनेट मंत्री की प्रमोशन
राव इंद्रजीत सिंह ने भाजपा में रहते हुए गुरुग्राम सीट से लगातार तीसरी लोकसभा चुनाव जीता। दोनों बार वह मोदी सरकार में राज्यमंत्री रहे। इस बार जीत के बाद उनके कैबिनेट मंत्री बनने की संभावनाएं थी। लेकिन उन्हें राज्यमंत्री का पद मिला। जिसका दर्द राव इंद्रजीत सिंह खुद बयां कर चुके हैं। वह कह चुके है कि उनसे छोटे नेता को कैबिनेट मंत्री बना दिया और वह आज तक राज्यमंत्री ही रहे, जिससे अहीरवाल इलाके में भी मायूसी हुई। अब विधानसभा चुनाव में इस इलाके से मिली बड़ी जीत के बाद राव इंद्रजीत सिंह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की प्रमोशन चाहते हैं। दो सीटों पर प्रचार करने नहीं गए राव इंद्रजीत
भाजपा ने इस बार गुरुग्राम से मुकेश शर्मा, बावल से डॉ. कृष्ण कुमार, पटौदी से बिमला चौधरी, सोहना से तेजपाल तंवर, रेवाड़ी से लक्ष्मण सिंह यादव, अटेली से आरती राव, नारनौल से ओमप्रकाश यादव और महेंद्रगढ़ से कंवर सिंह को राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से टिकट दी। जबकि नांगल चौधरी में डॉ. अभय सिंह और बादशाहपुर में राव नरबीर को उनके विरोध के बीच चुनावी मैदान में उतारा। राव नरबीर तो चुनाव जीत गए लेकिन अभय सिंह चुनाव हार गए। इलाके में मजबूत पकड़ होने के कारण राव इंद्रजीत सिंह ने प्रचार की जिम्मेदारी खुद संभाली। हालांकि वह बादशाहपुर और नांगल चौधरी में चुनाव प्रचार करने नहीं गए। अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के परिवार की पकड़
अहीरवाल इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के परिवार रामपुरा हाउस की पकड़ दशकों से रही है। पहले उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह का इलाके में दबदबा रहा। इसके बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पिता के रुतबे को इस इलाके में बनाए रखा। हालांकि राव इंद्रजीत सिंह एक तरह से अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपनी बेटी आरती राव को पूरी तरह एडजस्ट कर चुके है। राव इंद्रजीत सिंह 6 बार सांसद और 4 बाद विधायक बने है। अब उनकी उत्तराधिकारी के रूप में आरती राव इस पूरे इलाके में एक्टिव है।
फरीदाबाद में पुलिस ने 2 चोर पकड़े:बाइक और मोबाइल बरामद, कोर्ट पेश कर जेल भेजा
फरीदाबाद में पुलिस ने 2 चोर पकड़े:बाइक और मोबाइल बरामद, कोर्ट पेश कर जेल भेजा हरियाणा के फरीदाबाद में अपराध शाखा सेक्टर-48 की टीम ने 2 चोरों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक चोरी बाइक और मोबाइल बरामद किया है। पुलिस ने थाना कोतवाली में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। बड़खल झील के पास से पकड़ा अपराध शाखा सेक्टर-48 की टीम को मुखबिर से सूचना मिली कि दो चोर बड़खल झील के पास खड़े हुए है। पुलिस टीम ने दोनों को मौके से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों में योगेश और बिटटू शामिल है। योगेश यूपी के गांव गिरवा का रहने वाला है,जो एसजीएम नगर में किराए पर रह रहा है। दूसरा आरोपी बिटटू यूपी के गांव बाइबना का निवासी है, वह डबुआ कॉलोनी में किराए पर रहता है। चोरी की बाइक और मोबाइल बरामद पुलिस को जांच के दौरान आरोपियों के पास से चोरी की गई बाइक और मोबाइल बरामद हुआ है। दोनों पर चोरी का एक मामला पहले भी दर्ज है। दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।
हरियाणा में सैनी सरकार के मंत्रिमंडल का एनालिसिस:गैर जाट पॉलिटिक्स पर ही चलेगी BJP; जीटी रोड-बागड़ बेल्ट को तरजीह, अहीरवाल में पावर बैलेंस
हरियाणा में सैनी सरकार के मंत्रिमंडल का एनालिसिस:गैर जाट पॉलिटिक्स पर ही चलेगी BJP; जीटी रोड-बागड़ बेल्ट को तरजीह, अहीरवाल में पावर बैलेंस हरियाणा में CM नायब सैनी की अगुआई वाली भाजपा सरकार ने गुरुवार (17 अक्टूबर) को शपथ ले ली। मुख्यमंत्री के अलावा मंत्रिमंडल में 13 चेहरे शामिल किए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा 5 मंत्री ओबीसी बिरादरी से हैं जो BJP का कोर वोटबैंक रहा है। दूसरे नंबर पर SC, ब्राह्मण और जाट कम्युनिटी है जिनसे 2-2 मंत्री बनाए गए हैं। कैबिनेट में शामिल चेहरों को अगर जातीय समीकरणों के लिहाज से देखें तो यह बात एकदम स्पष्ट है कि BJP हरियाणा में अपनी गैर जाट पॉलिटिक्स पर ही आगे बढ़ेगी। सैनी की नई कैबिनेट अनुभव और युवा जोश का बढ़िया कंबीनेशन है। इसमें जहां अनिल विज और श्याम सिंह राणा जैसे अनुभवी चेहरों को जगह दी गई है वहीं गौरव गौतम, आरती राव और श्रुति चौधरी जैसे यंग फेस भी रखे गए हैं। इसके लिए भाजपा ने परिवारवाद के टैग की भी परवाह नहीं की। BJP ने मंत्रिमंडल बनाते समय क्षेत्रीय समीकरणों और पावर बैलेंस का भी पूरा ध्यान रखा। अहीरवाल बेल्ट से राव इंद्रजीत की बेटी को लिया तो उनके विरोधी राव नरबीर को भी कैबिनेट मिनिस्टर बना दिया। शपथग्रहण की सबसे रोचक बात यह रही कि CM नायब सैनी समेत 13 मंत्रियों ने हिंदी में शपथ ली। अकेले विधायक श्रुति चौधरी ऐसी मंत्री रहीं, जिन्होंने अंग्रेजी में शपथ ली। नायब सैनी के मंत्रिमंडल में क्या खास, 5 सवाल-जवाब से जानिए पूरे 1. सवाल: कौन किसके कोटे से और क्यों मंत्री बना?
जवाब: मुख्यमंत्री नायब सैनी, सीधे केंद्रीय नेतृत्व की पसंद है। पार्टी ने उन्हें सीएम चेहरा बनाकर पूरा चुनाव लड़ा। सैनी के बाद दूसरे नंबर पर अनिल विज ने शपथ ली जो पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में हैं। विज 7वीं बार विधायक बने हैं। पार्टी उन्हें साइडलाइन करके पुराने साथियों को छोड़ने जैसा कोई मैसेज नहीं देना चाहती थी। कृष्णलाल पंवार 6 बार के विधायक और दलित बिरादरी का बड़ा चेहरा हैं। इस चुनाव में कांग्रेस की जगह भाजपा को ज्यादा दलित वोटर मिलने से पंवार की दावेदारी मजबूत हुई। राव नरबीर सीधे हाईकमान की पसंद हैं। वह सीधे अमित शाह से टिकट लेकर आए थे और अब मंत्री भी केंद्रीय कोटे से बने हैं। कुछ ऐसा ही मामला विपुल गोयल का भी है। टिकट मिलने से लेकर मंत्री बनने तक, उनके केस में सीधे शाह की पसंद चली है। महिपाल ढांडा बड़ा जाट चेहरा है। वह CM सैनी की पिछली सरकार में राज्यमंत्री थे। इसबार उन्हें प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। ढांडा जाट बिरादरी के उन चुनिंदा नेताओं में से है जिनकी पूरी पॉलिटिक्स भाजपा से रही है। डॉ. अरविंद शर्मा ब्राह्मण बिरादरी का बड़ा चेहरा हैं। वह 2019 से 2024 तक रोहतक का सांसद रहते हुए खासे एक्टिव रहे। भाजपा के केंद्रीय नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं। श्याम सिंह राणा 2019 में टिकट कटने पर भाजपा छोड़ गए थे। इस बार चुनाव से पहले पार्टी में उनकी वापसी करवाने से लेकर टिकट दिलाने और फिर मंत्री बनाने तक में नायब सैनी की अहम भूमिका रही। रणबीर गंगवा 2019 से 2024 तक डिप्टी स्पीकर रहे। संसदीय मामलों की जानकार के चलते उनका दावा मजबूत रहा। भाजपा में आने से पहले रणबीर गंगवा इनेलो में थे। कृष्ण बेदी 20 साल से भाजपा में हैं। 2014 में मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार में वह मंत्री भी रहे। वह खट्टर के करीबियों में है। 2019 में मिनिस्टर रहते चुनाव हार जाने पर खट्टर ने अपने दूसरे टर्म में बेदी को अपना पॉलिटिकल सेक्रेटरी बनाया था। पहली बार विधायक बनते ही कैबिनेट में शामिल की गई श्रुति चौधरी को यूं तो जाट कोटे से माना जा सकता है लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण उनका बंसीलाल परिवार से होना है। श्रुति और उनकी मां किरण चौधरी चुनाव से कुछ अर्सा पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई थी। पार्टी किरण चौधरी को पहले ही राज्यसभा भेज चुकी है। आरती राव को केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी होने का फायदा मिला। गौरव गौतम को पार्टी ने संगठन में काम करने का इनाम दिया है। 2. सवाल: मंत्रिमंडल में किसकी चली, किसको झटका लगा
जवाब: मोटे तौर पर देखें तो कुलदीप बिश्नोई खाली हाथ रहे। उनके बेटे भव्य बिश्नोई चुनाव हार गए। उसके बाद कुलदीप अपने करीबी रणधीर पनिहार को भी मंत्री नहीं बनवा सके। दूसरा नाम केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत का है। राव ने अहीरवाल की 11 में से 10 सीटों पर अपनी पसंद से टिकट दिलवाए और उन्हें जितवा भी लिया लेकिन मंत्री सिर्फ बेटी आरती को ही बनवा सके। BJP ने राव के विरोधी नरबीर को भी मंत्री बनाकर साफ कर दिया कि अहीरवाल में वह अकेले इंद्रजीत के भरोसे नहीं रहने वाली। मंत्रिमंडल में केंद्रीय नेतृत्व और मनोहर लाल की पसंद सबसे ज्यादा चली। ढांडा, बेदी, श्रुति और रणबीर गंगवा खट्टर के करीबी हैं। विपुल गोयल, राव नरबीर, अनिल विज और गौरव गौतम केंद्रीय नेतृत्व की पसंद है। किरण चौधरी के कांग्रेस से BJP में आने के बाद दोनों हाथ में लड्डू हैं। खुद राज्यसभा सांसद और बेटी मंत्री बन गईं। केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर भी अपने करीबी राजेश नागर को मंत्री बनवाने में कामयाब रहे। 3. सवाल: BJP ने जातीय समीकरण कैसे साधा?
जवाब: भाजपा ने टिकट वितरण के बाद कैबिनेट गठन में भी अपनी गैर जाट पॉलिटिक्स को कंटीन्यू किया। सबसे ज्यादा 5 मिनिस्टर ओबीसी बिरादरी से बनाए गए। 30% आबादी वाली ओबीसी बिरादरी के भाजपा और कांग्रेस ने 21-21 कैंडिडेट उतारे थे। इस बिरादरी के जो 17 विधायक बने, उनमें से 14 भाजपा के हैं। मंत्रिमंडल में भी इसका असर दिखा। भाजपा के कुल 6 जाट विधायक चुनकर आए, इनमें से 2 को मंत्रिपद मिला। राज्य की कुल 17 रिजर्व सीटों में से 8 पर भाजपा के विधायक जीते जिनमें से 2 मंत्री बनाए गए। अगर ब्राह्मण बिरादरी की बात करें तो भाजपा ने इस कम्युनिटी के कुल 11 कैंडिडेट उतारे थे जिनमें से 7 विजयी रहे। अब इनमें से 2 को झंडी वाली कार दे दी गई। विधानसभा में इस बार वैश्य बिरादरी के जो विधायक पहुंचे हैं और यह दोनों ही भाजपा के हैं। कुल 12 पंजाबी विधायकों में से 9 भाजपा के हैं। राजपूत बिरादरी के दो विधायक बने हैं और यह दोनों ही BJP के हैं। पार्टी ने इन तीनों बिरादरियों से एक-एक मिनिस्टर बनाया है। 4. सवाल: क्षेत्रीय समीकरण क्या रहे?, सबसे ज्यादा मंत्री किस बेल्ट से
जवाब: BJP ने अपने परंपरागत गढ़ जीटी रोड बेल्ट को ज्यादा तरजीह दी। यहां से CM नायब सैनी के अलावा अनिल विज, श्याम सिंह राणा, महिपाल ढांडा और कृष्णलाल पंवार को मंत्री बनाया। पार्टी ने जीटी रोड बेल्ट की 23 में से 14 सीटें जीती थीं। बागड़ बेल्ट पर भी भाजपा मेहरबान दिखी। सियासी दिग्गजों वाली इस बेल्ट की 21 सीटों में से 8 सीटें भाजपा ने जीती। यहां से गंगवा और श्रुति को मिनिस्टर बनाया। बांगर बेल्ट में जींद-कैथल की 9 सीटें आती हैं। पार्टी ने यहां की नरवाना सीट से जीते बेदी को मंत्री बनाया। इन सबके मुकाबले अहीरवाल को कम तरजीह मिली। भाजपा ने यहां की 11 में से 10 सीटें जीतीं। इनमें से सिर्फ आरती और नरबीर को ही मंत्री बनाया गया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले जाटलैंड या देशवाल बेल्ट में भाजपा की नॉन जाट पॉलिटिक्स इस बार सफल रही। उसने सोनीपत की 6 में से 4 सीटें जीती जबकि एक सीट पर उसका बागी विजयी रही। पार्टी ने यहां से विधायक बने ब्राह्मण चेहरे अरविंद शर्मा को मंत्री बनाया। इसके अलावा दिल्ली-यूपी से लगते साउथ हरियाणा से विपुल गोयल, राजेश नागर और गौरव गौतम को कैबिनेट में जगह मिली। यहां फरीदाबाद-पलवल की 9 सीटों में से भाजपा ने 7 पर जीत हासिल की। 5. सवाल: परिवारवाद, नए या रिपीट चेहरे कितने
जवाब: परिवारवाद के लिहाज से 2 चेहरे कैबिनेट में लिए गए हैं। पहला केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव और दूसरा किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी। नए चेहरों की बात करें तो पहली बार विधायक बने राजेश नागर और गौरव गौतम मंत्री बने हैं। मिनिस्टर बनी श्रुति और आरती राव का भी यह पहला ही चुनाव रहा। सैनी ने पिछली बार के 3 चेहरे रिपीट किए हैं। इनमें अनिल विज, महिपाल ढांडा और रणबीर सिंह गंगवा का नाम है। गंगवा भाजपा की अगुवाई वाली पिछली सरकार में डिप्टी स्पीकर थे। पिछली सरकार के मुकाबले आरती राव, श्रुति चौधरी, राजेश नागर, गौरव गौतम, अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, राव नरबीर, विपुल गोयल, कृष्ण कुमार बेदी नए चेहरे हैं। हालांकि विपुल गोयल, राव नरबीर और कृष्ण बेदी 2014 से 2019 के दौरान मनोहर लाल खट्टर की कैबिनेट में शामिल रह चुके हैं। श्याम सिंह राणा तब संसदीय सचिव थे। बेदी 2019 में हार गए थे और राणा ने टिकट कट जाने पर चुनाव नहीं लड़ा। हरियाणा की नई सरकार से जुड़ी 3 अहम बातें 1. हरियाणा में डिप्टी CM के फॉर्मूले से परहेज
भाजपा ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम बनाए थे। हरियाणा में भी इसकी चर्चा थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके पीछे भाजपा को मिले बहुमत को वजह माना जा रहा है। भाजपा को 90 सीटों वाली विधानसभा में 46 के बहुमत से 2 ज्यादा 48 सीटें मिलीं हैं। 2019 में जब भाजपा बहुमत से चूक गई और 40 सीटों पर रह गई तो जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन के चलते दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम पद दिया था। 2. तीनों सीटों पर जीतने वाले नायब सैनी तीसरे सीएम
नायब सैनी प्रदेश के ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने 3 अलग-अलग विधानसभा सीटों से चुनाव जीता है। नायब ने पहले अंबाला की नारायणगढ़, फिर करनाल और इस चुनाव में लाडवा से जीत हासिल की। सैनी से पहले सिर्फ ओपी चौटाला ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 5 अलग-अलग सीटों से चुनाव जीता था। 3. निर्दलीयों को मंत्रिपद नहीं
प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिला था। इसके बावजूद 3 निर्दलीय विधायकों हिसार से सावित्री जिंदल, गन्नौर से देवेंद्र कादियान और बहादुरगढ़ से राजेश जून ने भाजपा को समर्थन दे दिया। इसके बाद उम्मीद थी कि सावित्री जिंदल को मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। ये खबर भी पढ़ें… नायब सैनी दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने:13 मंत्री बनाए, इनमें 6 पहले भी मंत्री रहे; सबसे ज्यादा 5 OBC चेहरे, 2 महिलाएं हरियाणा में नायब सैनी ने दूसरी बार CM पद की शपथ ले ली है। सैनी राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बने। हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले वे 11वें नेता हैं। शपथ ग्रहण समारोह पंचकूला के दशहरा ग्राउंड में हुआ (पूरी खबर पढ़ें)