हरियाणा में लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार का सफाया हो गया। इस चुनाव में परिवार की दूसरी पीढ़ी से लेकर तीसरी पीढ़ी के सदस्य उतरे थे, लेकिन कोई भी चुनाव नहीं जीत पाया। हिसार सीट पर भाजपा की तरफ से देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला ने चुनाव लड़ा। इसी सीट पर इनोल से सुनैना चौटाला और JJP की तरफ से नैना चौटाला मैदान में थीं। वहीं कुरुक्षेत्र सीट से देवीलाल के पोते अभय सिंह चौटाला चुनाव लड़ रहे थे। नैना-सुनैना और अभय की तो जमानत भी जब्त हो गई। अभय चौटाला को 6.53 फीसदी वोट मिले। जबकि नैना चौटाला को 1.88 तो सुनैना चौटाला को 1.9 फीसदी ही वोट मिले। सिर्फ रणजीत चौटाला की कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश को टक्कर दे पाए। रणजीत चौटाला को 43.19 फीसदी वोट मिले। कुनबे के अधिकतर सदस्य राजनीति में सक्रिय
ताऊ देवीलाल के 4 बेटे हैं। इसमें ओमप्रकाश चौटाला, प्रताप चौटाला, रणजीत चौटाला और जगदीश चौटाला है। चारों की ही राजनीतिक राहें अलग-अलग हैं। ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जबकि रणजीत चौटाला विधायक रह चुके हैं। रणजीत चौटाला ने रानियां से निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। सांसद बनने की चाह में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। अब न उनके पास न विधायकी बची और न सांसद बन पाए। इसी तरह, ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़े और हार गए। ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला की पत्नी व हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला ने जजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी हार गईं। नैना चौटाला बाढ़डा सीट से जजपा विधायक भी हैं। इसके अलावा, प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला हिसार से इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़कर हार गईं। इनेलो में फूट के बाद से बैकफुट पर परिवार
ताऊ देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और लोकदल को मजबूत किया। वहीं रणजीत चौटाला शुरू में तो पिता के साथ रहे, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद हरियाणा की राजनीति में बदलाव हुए। स्व. देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला के पुत्र आदित्य चौटाला भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद 2019 विधानसभा चुनाव से पहले ओपी चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने बगावत कर दी और पार्टी के नेताओं को तोड़कर अलग से जननायक जनता पार्टी (JJP) बना ली। इनेलो टूटने के बाद ही देवीलाल परिवार हरियाणा की राजनीति में हाशिये पर चला गया है। मौजूदा समय में सिर्फ अभय सिंह चौटाला इनेलो के एकमात्र विधायक हैं। भजनलाल और बंसीलाल परिवार भी चुनाव से रहा दूर
देवीलाल परिवार के अलावा, भजनलाल और बंसीलाल परिवार भी इस चुनाव में राजनीति से दूर रहा। पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई हिसार से टिकट मांग रहे थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके अलावा, भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से बंसीलाल परिवार से श्रुति चौधरी का टिकट काट दिया गया। भाजपा हिसार सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई। वहीं कांग्रेस भी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट हार गई। दोनों पार्टियों को इन सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा। हरियाणा में लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार का सफाया हो गया। इस चुनाव में परिवार की दूसरी पीढ़ी से लेकर तीसरी पीढ़ी के सदस्य उतरे थे, लेकिन कोई भी चुनाव नहीं जीत पाया। हिसार सीट पर भाजपा की तरफ से देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला ने चुनाव लड़ा। इसी सीट पर इनोल से सुनैना चौटाला और JJP की तरफ से नैना चौटाला मैदान में थीं। वहीं कुरुक्षेत्र सीट से देवीलाल के पोते अभय सिंह चौटाला चुनाव लड़ रहे थे। नैना-सुनैना और अभय की तो जमानत भी जब्त हो गई। अभय चौटाला को 6.53 फीसदी वोट मिले। जबकि नैना चौटाला को 1.88 तो सुनैना चौटाला को 1.9 फीसदी ही वोट मिले। सिर्फ रणजीत चौटाला की कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश को टक्कर दे पाए। रणजीत चौटाला को 43.19 फीसदी वोट मिले। कुनबे के अधिकतर सदस्य राजनीति में सक्रिय
ताऊ देवीलाल के 4 बेटे हैं। इसमें ओमप्रकाश चौटाला, प्रताप चौटाला, रणजीत चौटाला और जगदीश चौटाला है। चारों की ही राजनीतिक राहें अलग-अलग हैं। ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जबकि रणजीत चौटाला विधायक रह चुके हैं। रणजीत चौटाला ने रानियां से निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। सांसद बनने की चाह में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। अब न उनके पास न विधायकी बची और न सांसद बन पाए। इसी तरह, ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़े और हार गए। ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला की पत्नी व हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला ने जजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी हार गईं। नैना चौटाला बाढ़डा सीट से जजपा विधायक भी हैं। इसके अलावा, प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला हिसार से इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़कर हार गईं। इनेलो में फूट के बाद से बैकफुट पर परिवार
ताऊ देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और लोकदल को मजबूत किया। वहीं रणजीत चौटाला शुरू में तो पिता के साथ रहे, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद हरियाणा की राजनीति में बदलाव हुए। स्व. देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला के पुत्र आदित्य चौटाला भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद 2019 विधानसभा चुनाव से पहले ओपी चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने बगावत कर दी और पार्टी के नेताओं को तोड़कर अलग से जननायक जनता पार्टी (JJP) बना ली। इनेलो टूटने के बाद ही देवीलाल परिवार हरियाणा की राजनीति में हाशिये पर चला गया है। मौजूदा समय में सिर्फ अभय सिंह चौटाला इनेलो के एकमात्र विधायक हैं। भजनलाल और बंसीलाल परिवार भी चुनाव से रहा दूर
देवीलाल परिवार के अलावा, भजनलाल और बंसीलाल परिवार भी इस चुनाव में राजनीति से दूर रहा। पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई हिसार से टिकट मांग रहे थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके अलावा, भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से बंसीलाल परिवार से श्रुति चौधरी का टिकट काट दिया गया। भाजपा हिसार सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई। वहीं कांग्रेस भी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट हार गई। दोनों पार्टियों को इन सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा। हरियाणा | दैनिक भास्कर