हरियाणा के करनाल निवासी 35 साल के युवक की अमेरिका में कैंसर से मौत हो गई। आर्थिक तंगी के चलते उसका शव भारत नहीं लाया जा सका। मजबूरी में परिवार ने अमेरिका में ही हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया। इस दौरान मृतक के परिवार ने ऑनलाइन ही पंकज का पूरा संस्कार देखा। परिवार को 26 अप्रैल को ही पता चल गया था कि पंकज की मौत हो चुकी है लेकिन पैसों की कमी के कारण वो उसके शव को भारत वापस नहीं ला पा रहे थे। अब जब अमेरिका में ही उसका अंतिम संस्कार हो गया है तो परिवार अब उसकी अस्थियां भारत लाने की तैयारी कर रहा है ताकि उन्हें गंगा में प्रवाहित किया जा सके। 2 प्वॉइंट्स में पढ़ें पंकज की पूरी कहानी शव लाने का प्रयास किया, पर मदद नहीं मिली
परिजनों ने भारत सरकार से शव को भारत लाने के लिए मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सहायता नहीं मिल पाई। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि वे अपने खर्चे पर शव नहीं मंगवा सके। मजबूरी में अमेरिका में ही अंतिम संस्कार करना पड़ा। मां, पत्नी और तीन बच्चों पर टूटा दुखों का पहाड़
पंकज अपने परिवार में अकेला कमाने वाला था। उसके पिता राजबीर की 15 साल पहले ही मौत हो चुकी थी। घर में मां विमला, पत्नी ऋतु, छोटा भाई रंकज और तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं। छोटा भाई खेती करता है और अभी अविवाहित है। पंकज की बड़ी बेटी तन्नू 7वीं कक्षा में, छोटी बेटी मनवी चौथी कक्षा में और बेटा अयान दूसरी कक्षा में पढ़ता है। पंकज की मौत के बाद अब उसकी मां और पत्नी गहरे सदमे में हैं। दो साल पहले पंकज बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर अमेरिका गया था। उसने जमीन भी बेच दी थी, लाखों रुपए खर्च कर डंकी रूट पकड़ा, लेकिन न पैसा बचा, न जान। घर का चिराग बुझ गया और पीछे केवल सूनापन, कर्ज और सवाल छोड़ गया। हरियाणा के करनाल निवासी 35 साल के युवक की अमेरिका में कैंसर से मौत हो गई। आर्थिक तंगी के चलते उसका शव भारत नहीं लाया जा सका। मजबूरी में परिवार ने अमेरिका में ही हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया। इस दौरान मृतक के परिवार ने ऑनलाइन ही पंकज का पूरा संस्कार देखा। परिवार को 26 अप्रैल को ही पता चल गया था कि पंकज की मौत हो चुकी है लेकिन पैसों की कमी के कारण वो उसके शव को भारत वापस नहीं ला पा रहे थे। अब जब अमेरिका में ही उसका अंतिम संस्कार हो गया है तो परिवार अब उसकी अस्थियां भारत लाने की तैयारी कर रहा है ताकि उन्हें गंगा में प्रवाहित किया जा सके। 2 प्वॉइंट्स में पढ़ें पंकज की पूरी कहानी शव लाने का प्रयास किया, पर मदद नहीं मिली
परिजनों ने भारत सरकार से शव को भारत लाने के लिए मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सहायता नहीं मिल पाई। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि वे अपने खर्चे पर शव नहीं मंगवा सके। मजबूरी में अमेरिका में ही अंतिम संस्कार करना पड़ा। मां, पत्नी और तीन बच्चों पर टूटा दुखों का पहाड़
पंकज अपने परिवार में अकेला कमाने वाला था। उसके पिता राजबीर की 15 साल पहले ही मौत हो चुकी थी। घर में मां विमला, पत्नी ऋतु, छोटा भाई रंकज और तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं। छोटा भाई खेती करता है और अभी अविवाहित है। पंकज की बड़ी बेटी तन्नू 7वीं कक्षा में, छोटी बेटी मनवी चौथी कक्षा में और बेटा अयान दूसरी कक्षा में पढ़ता है। पंकज की मौत के बाद अब उसकी मां और पत्नी गहरे सदमे में हैं। दो साल पहले पंकज बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर अमेरिका गया था। उसने जमीन भी बेच दी थी, लाखों रुपए खर्च कर डंकी रूट पकड़ा, लेकिन न पैसा बचा, न जान। घर का चिराग बुझ गया और पीछे केवल सूनापन, कर्ज और सवाल छोड़ गया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
