<p style=”text-align: justify;”><strong>Haryana Election Result 2024:</strong> हरियाणा विधानसभा के कुरुक्षेत्र में सियासी जमीन तलाशने निकले चंद्रशेखर सियासी पिच पर जीरो पर आउट हो गए. उनका वहां खाता तक भी नहीं खुला. गठबंधन की जिस नाव पर सवार होकर वो हरियाणा को पार करने निकले थे वो नाव बीच में ही डूब गई. क्या है इसके पीछे की वजह और कहां रह गई कमी इसी का हम खुलासा कर रहें हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आजाद समाज पार्टी के मुखिया और नगीना लोकसभा से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने दुष्यंत चौटाला से गठबंधन कर 20 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन आखिर में केवल और केवल 13 सीट पर ही प्रत्याशी मैदान में उतार सके. यूं तो पूरी ताकत झोंकी लेकिन वहां माहौल कुछ और ही था, जिसे भांप नहीं पाए. चूंकि दुष्यंत चौटाला हरियाणा की सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं, जबकि चंद्रशेखर आजाद हरियाणा में नए खिलाड़ी थे, लेकिन दोनों ही माहौल नहीं भाप पाए, और नतीजा जीरो पर आउट हो गए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’हरियाणा का परिणाम यूपी उपचुनाव में डाल सकता है असर'</strong><br />हरियाणा में चंद्रशेखर आजाद 13 सीटों पर पूरी ताकत झोंक रहे थे, रैलियों में भीड़ बहत कुछ कहानी बयां कर रही थी. इस भीड़ को देखकर चंद्रशेखर भी बेहद उत्साहित थे और दुष्यंत चौटाला भी, लेकिन मतदान के वक्त जनता ने मन बीजेपी के पक्ष में रखा और तीसरी बार बीजेपी फिर सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी. दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही, लेकिन चंद्रशेखर आजाद इतना पीछे रह जाएंगे सोचा नहीं था. दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर वहां सियासी माहौल भांप नहीं पाए या ये कहें कि जानकारी तो थी, लेकिन स्थिति करो मरो की थी. सियासत में हार और जीत के बड़े मायने जाते हैं और हरियाणा चुनाव में चंद्रशेखर आजाद का एक भी सीट ना जीतना यूपी उपचुनाव पर भी असर डाल सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’जाट और नॉन जाट में हुआ चुनाव'</strong><br />हरियाणा चुनाव के नतीजे चौकाने वाले आए हैं. इस पर जब हमने वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि हरियाणा में चुनाव जाट और नॉन जाट के बीच हुआ. जेजेपी के दुष्यंत चौटाला की वहां स्वीकार्यता नजर नहीं आई और ये शुरू से ही साफ था, लेकिन आजाद समाज पार्टी के मुखिया और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने दुष्यंत चौटाला के साथ गठबंधन कर लिया, जबकि उन्हें ये गठबंधन करना ही नहीं था. ये सियासत में चंद्रशेखर आजाद की बड़ी गलती है. कांग्रेस से गठबंधन करते तो अच्छी सफलता मिल सकती थी. अभी हरियाणा में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, क्योंकि हरियाणा की सियासत बड़ी मुश्किल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’चंद्रशेखर आजाद ने डेड गठबंधन किया'</strong><br />हरियाणा में चंद्रशेखर आजाद की हार पर वरिष्ठ पत्रकार हरी शंकर जोशी का कहना है कि जेजेपी और आसपा के बीच डेड गठबंधन साबित हुआ. जेजेपी का जादू हरियाणा में नहीं है और चंद्रशेखर आजाद पश्चिमी यूपी के प्रभाव रखते हैं, लेकिन हरियाणा के दलितों में अभी उनका कोई प्रभाव नहीं है. गठबंधन मजबूत से किया जाता है कमजोर से नहीं और सियासत में हर कदम के बड़े मायने होते हैं, जेजेपी से गठबंधन चंद्रशेखर आजाद का गलत फैसला था.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Haryana Election Result 2024:</strong> हरियाणा विधानसभा के कुरुक्षेत्र में सियासी जमीन तलाशने निकले चंद्रशेखर सियासी पिच पर जीरो पर आउट हो गए. उनका वहां खाता तक भी नहीं खुला. गठबंधन की जिस नाव पर सवार होकर वो हरियाणा को पार करने निकले थे वो नाव बीच में ही डूब गई. क्या है इसके पीछे की वजह और कहां रह गई कमी इसी का हम खुलासा कर रहें हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आजाद समाज पार्टी के मुखिया और नगीना लोकसभा से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने दुष्यंत चौटाला से गठबंधन कर 20 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन आखिर में केवल और केवल 13 सीट पर ही प्रत्याशी मैदान में उतार सके. यूं तो पूरी ताकत झोंकी लेकिन वहां माहौल कुछ और ही था, जिसे भांप नहीं पाए. चूंकि दुष्यंत चौटाला हरियाणा की सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं, जबकि चंद्रशेखर आजाद हरियाणा में नए खिलाड़ी थे, लेकिन दोनों ही माहौल नहीं भाप पाए, और नतीजा जीरो पर आउट हो गए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’हरियाणा का परिणाम यूपी उपचुनाव में डाल सकता है असर'</strong><br />हरियाणा में चंद्रशेखर आजाद 13 सीटों पर पूरी ताकत झोंक रहे थे, रैलियों में भीड़ बहत कुछ कहानी बयां कर रही थी. इस भीड़ को देखकर चंद्रशेखर भी बेहद उत्साहित थे और दुष्यंत चौटाला भी, लेकिन मतदान के वक्त जनता ने मन बीजेपी के पक्ष में रखा और तीसरी बार बीजेपी फिर सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी. दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही, लेकिन चंद्रशेखर आजाद इतना पीछे रह जाएंगे सोचा नहीं था. दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर वहां सियासी माहौल भांप नहीं पाए या ये कहें कि जानकारी तो थी, लेकिन स्थिति करो मरो की थी. सियासत में हार और जीत के बड़े मायने जाते हैं और हरियाणा चुनाव में चंद्रशेखर आजाद का एक भी सीट ना जीतना यूपी उपचुनाव पर भी असर डाल सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’जाट और नॉन जाट में हुआ चुनाव'</strong><br />हरियाणा चुनाव के नतीजे चौकाने वाले आए हैं. इस पर जब हमने वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि हरियाणा में चुनाव जाट और नॉन जाट के बीच हुआ. जेजेपी के दुष्यंत चौटाला की वहां स्वीकार्यता नजर नहीं आई और ये शुरू से ही साफ था, लेकिन आजाद समाज पार्टी के मुखिया और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने दुष्यंत चौटाला के साथ गठबंधन कर लिया, जबकि उन्हें ये गठबंधन करना ही नहीं था. ये सियासत में चंद्रशेखर आजाद की बड़ी गलती है. कांग्रेस से गठबंधन करते तो अच्छी सफलता मिल सकती थी. अभी हरियाणा में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, क्योंकि हरियाणा की सियासत बड़ी मुश्किल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’चंद्रशेखर आजाद ने डेड गठबंधन किया'</strong><br />हरियाणा में चंद्रशेखर आजाद की हार पर वरिष्ठ पत्रकार हरी शंकर जोशी का कहना है कि जेजेपी और आसपा के बीच डेड गठबंधन साबित हुआ. जेजेपी का जादू हरियाणा में नहीं है और चंद्रशेखर आजाद पश्चिमी यूपी के प्रभाव रखते हैं, लेकिन हरियाणा के दलितों में अभी उनका कोई प्रभाव नहीं है. गठबंधन मजबूत से किया जाता है कमजोर से नहीं और सियासत में हर कदम के बड़े मायने होते हैं, जेजेपी से गठबंधन चंद्रशेखर आजाद का गलत फैसला था.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड मंत्री कैलाश गहलोत ने आंगनवाड़ी केंद्रों का किया दौरा, लाभार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं पर क्या कहा?