हरियाणा के पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पर भड़के सेतिया:बोले- चुनाव में मुझे हराने का प्रयास किया, राहुल नाव में छेद करने वाले को स्टेज पर बैठा रहे

हरियाणा के पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पर भड़के सेतिया:बोले- चुनाव में मुझे हराने का प्रयास किया, राहुल नाव में छेद करने वाले को स्टेज पर बैठा रहे

हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया ने पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में तंवर ने कांग्रेस प्रत्याशी के बजाय गोपाल कांडा का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने एक ऑडियो क्लिप भी चलाया, जिसमें दावा किया कि तंवर गोपाल कांडा के समर्थन में किसी कार्यकर्ता से बात कर रहे हैं। हालांकि दैनिक भास्कर इस ऑडियो क्लिप की पुष्टि नहीं करता। मीडिया से बात करते हुए सेतिया ने कहा – पार्टी अभी भी कुछ नेताओं की पहचान नहीं कर पाई है, इन्होंने पार्टी की गोबी खोदने का काम किया लेकिन राहुल गांधी इन्हें ही स्पेशल बुलाते हैं और स्टेज पर बैठाते हैं जब तंवर से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- नो कमेंट्स। उधर, गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा ने कहा- ऐसा कुछ नहीं है। यह झूठ है। उस समय अशोक तंवर बीजेपी में थे इसलिए उन्होंने गोपाल कांडा के लिए वोट मांगे। अब जानिए ऑडियो क्लिप में क्या बात हुई…. वर्कर- नमस्कार एमपी साहब अशोक तंवर- नमस्कार। ठीक-ठाक है जी। वर्कर- हांजी। ठीक है। अशोक तंवर- क्या बना रहे हो। वर्कर- कुछ नहीं। आप बताइए क्या आदेश है। अशोक तंवर- आदेश स्पष्ट है, गोपाल कांडा जी की मदद करो बढ़िया से। वर्कर- प्रोग्राम करवा दिया था एक तो। अशोक तंवर- अच्छा। वर्कर- गोपाल जी का खुद का मेरे पास भी फोन आया था। अशोक तंवर- अच्छा, प्रोग्राम होने वाला था। वर्कर- प्रोग्राम करवा दिया था, हमने बोल भी दिया था। अशोक तंवर- और प्रोग्राम कहां करवा सकते हैं, कोई रिश्तेदारी में। एक बार और देख लो। दो से तीन और बचे हैं बस। वर्कर- एक-दो प्रोग्राम के लिए और करवा दूंगा, यह बोल दिया था। अशोक तंवर – ठीक। वर्कर- मेरे वाला करवा दिया था तो कह रहे थे कि हमारे परिवार के 200-250 वोट हैं। अशोक तंवर- कोई नी चलो। दूसरी पार्टी से जो भी है, उनको भी लेकर आओ। आप भी हमारा परिवार हैं। कोई कसर नहीं छोड़नी है। इन्होंने पूरी मदद की है लोकसभा चुनाव में। वर्कर- हांजी बिल्कुल जी। कल भी हमारी मीटिंग थी। अशोक तंवर- पूरा जोर लगा दो जी। वर्कर- हांजी। आपके जैसे आदेश होंगे वैसे तैयार है। अशोक तंवर- चलो ठीक है, मैं आऊंगा एक-दो दिन में चाय पीने। सेतिया ने कहीं 3 अहम बातें… 1. अध्यक्ष बनाएंगे तो हमारा काम हो लिया
विधायक सेतिया ने कहा कि जब तंवर को पता था कि कांग्रेस में आना है, तो क्यों खुद फोन किया। अगर, रातोंरात डैमेज कर दिया और कांग्रेस जॉइन करने का मूड बन गया था तो। अगले दिन डैमेज कंट्रोल कर लेते। मेरे से क्या लड़ाई या दुश्मनी थी। अगर राहुल गांधी इनको स्टेज पर लाकर बैठाते हैं। रात को लिस्ट में इनका नाम डालते हैं तो मैं समझता हूं कि पार्टी को फिर से मंथन करना चाहिए। 2. अच्छा व्यवहार नहीं किया
सेतिया ने कहा कि जब अशोक तंवर सिरसा से लोकसभा का चुनाव लड़े। तब भी हमने डटकर इनकी मदद की। इसके बाद उन्होंने जितने पुराने कांग्रेसी थे, उनके साथ इन्होंने अच्छा व्यवहार नहीं किया। चाहे वो मेरी फैमिली के हों या बेशक केवी सिंह की फैमिली या भरत सिंह की फैमिली हो। बेशक वो चौधरी रणजीत सिंह की फैमिली हो। 3. बेइज्जती कोई नहीं सहेगा, मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी
उन्होंने कहा कि सबके साथ इन्होंने (अशोक तंवर) ये प्रयास किया कि इनको जो लोग काटने वाले हैं, उनको पहले लेफ्ट करें। इनको खत्म करें। बेइज्जती कोई नहीं सहेगा। खासकर जब बात अपने बुजुर्गों की हो। उस समय मैं राहुल गांधी से मिलने के लिए दिल्ली भी गया था, लेकिन उस समय मेरी सुनवाई नहीं हो पाई। मजबूरन वो फिर पार्टी छोड़नी पड़ी। राहुल ने रातों रात जुड़वाया था तंवर का नाम
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी 4 जून को हरियाणा दौरे पर आए थे। चंडीगढ़ में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत उन्होंने राज्यों के नेताओं और पर्यवेक्षकों की मीटिंग ली थी। उस मीटिंग में शामिल होने वाले नेताओं की लिस्ट में अशोक तंवर का नाम शामिल नहीं था। लेकिन मीटिंग से पहले रातोंरात अशोक तंवर का नाम लिस्ट में शामिल हुआ। जब राहुल गांधी ने नेताओं और पर्यवेक्षकों की मीटिंग ली थी उस दौरान उनके साथ अशोक तंवर भी मौजूद रहे। सेतिया का परिवार पुराना कांग्रेसी
गोकुल सेतिया का परिवार पुराना कांग्रेसी परिवार है। इनके नाना लक्ष्मण दास अरोड़ा कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री रहे हैं और पांच बार अलग-अलग समय में विधायक रहे। 2019 में बीजेपी से टिकट न मिलने पर गोकुल सेतिया ने भाजपा को छोड़ दिया था। इसके बाद 2024 के विधानसभा चुनाव में नामांकन से कुछ दिन पहले ही दोबारा कांग्रेस में आ गए और कांग्रेस की टिकट विधानसभा चुनाव जीत लिया। 2024 में भाजपा से लड़ा एमपी का चुनाव, मिली हार
अशोक तंवर ने कांग्रेस पार्टी में ही राजनीति की शुरुआत की है। वह राहुल गांधी के चहेते और करीबी रहे हैं। इसके चलते वह हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी रहे हैं। अशोक तंवर ने 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा जॉइन कर ली थी। भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में सिरसा से टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस की उम्मीदवार कुमारी सैलजा ने उन्हें हरा दिया। इसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर ली। मगर चुनाव नहीं लड़ा। संगठन बनाने की जिम्मेदारी मिली लेकिन सफल नहीं हुए
2014 में अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। उनकी दिल्ली दरबार में पहुंच थी। पत्नी अवंतिका तंवर कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन की बहन और राष्ट्रपति रहे शंकर दयाल शर्मा की नातिन हैं। राहुल गांधी के कोटे से तंवर को मौका मिला। दो साल की मेहनत के बाद साल 2016 में उन्होंने हाईकमान को हरियाणा में संगठन की लिस्ट सौंपी। लेकिन ये सूची कभी जारी ही नहीं हुई। उसी साल दिल्ली में एक रैली में हुड्‌डा समर्थकों की तंवर से झड़प हो गई। खटास बढ़ती गई। 2019 विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में नहीं चली तो तंवर ने पद और पार्टी छोड़ दी। हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया ने पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में तंवर ने कांग्रेस प्रत्याशी के बजाय गोपाल कांडा का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने एक ऑडियो क्लिप भी चलाया, जिसमें दावा किया कि तंवर गोपाल कांडा के समर्थन में किसी कार्यकर्ता से बात कर रहे हैं। हालांकि दैनिक भास्कर इस ऑडियो क्लिप की पुष्टि नहीं करता। मीडिया से बात करते हुए सेतिया ने कहा – पार्टी अभी भी कुछ नेताओं की पहचान नहीं कर पाई है, इन्होंने पार्टी की गोबी खोदने का काम किया लेकिन राहुल गांधी इन्हें ही स्पेशल बुलाते हैं और स्टेज पर बैठाते हैं जब तंवर से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- नो कमेंट्स। उधर, गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा ने कहा- ऐसा कुछ नहीं है। यह झूठ है। उस समय अशोक तंवर बीजेपी में थे इसलिए उन्होंने गोपाल कांडा के लिए वोट मांगे। अब जानिए ऑडियो क्लिप में क्या बात हुई…. वर्कर- नमस्कार एमपी साहब अशोक तंवर- नमस्कार। ठीक-ठाक है जी। वर्कर- हांजी। ठीक है। अशोक तंवर- क्या बना रहे हो। वर्कर- कुछ नहीं। आप बताइए क्या आदेश है। अशोक तंवर- आदेश स्पष्ट है, गोपाल कांडा जी की मदद करो बढ़िया से। वर्कर- प्रोग्राम करवा दिया था एक तो। अशोक तंवर- अच्छा। वर्कर- गोपाल जी का खुद का मेरे पास भी फोन आया था। अशोक तंवर- अच्छा, प्रोग्राम होने वाला था। वर्कर- प्रोग्राम करवा दिया था, हमने बोल भी दिया था। अशोक तंवर- और प्रोग्राम कहां करवा सकते हैं, कोई रिश्तेदारी में। एक बार और देख लो। दो से तीन और बचे हैं बस। वर्कर- एक-दो प्रोग्राम के लिए और करवा दूंगा, यह बोल दिया था। अशोक तंवर – ठीक। वर्कर- मेरे वाला करवा दिया था तो कह रहे थे कि हमारे परिवार के 200-250 वोट हैं। अशोक तंवर- कोई नी चलो। दूसरी पार्टी से जो भी है, उनको भी लेकर आओ। आप भी हमारा परिवार हैं। कोई कसर नहीं छोड़नी है। इन्होंने पूरी मदद की है लोकसभा चुनाव में। वर्कर- हांजी बिल्कुल जी। कल भी हमारी मीटिंग थी। अशोक तंवर- पूरा जोर लगा दो जी। वर्कर- हांजी। आपके जैसे आदेश होंगे वैसे तैयार है। अशोक तंवर- चलो ठीक है, मैं आऊंगा एक-दो दिन में चाय पीने। सेतिया ने कहीं 3 अहम बातें… 1. अध्यक्ष बनाएंगे तो हमारा काम हो लिया
विधायक सेतिया ने कहा कि जब तंवर को पता था कि कांग्रेस में आना है, तो क्यों खुद फोन किया। अगर, रातोंरात डैमेज कर दिया और कांग्रेस जॉइन करने का मूड बन गया था तो। अगले दिन डैमेज कंट्रोल कर लेते। मेरे से क्या लड़ाई या दुश्मनी थी। अगर राहुल गांधी इनको स्टेज पर लाकर बैठाते हैं। रात को लिस्ट में इनका नाम डालते हैं तो मैं समझता हूं कि पार्टी को फिर से मंथन करना चाहिए। 2. अच्छा व्यवहार नहीं किया
सेतिया ने कहा कि जब अशोक तंवर सिरसा से लोकसभा का चुनाव लड़े। तब भी हमने डटकर इनकी मदद की। इसके बाद उन्होंने जितने पुराने कांग्रेसी थे, उनके साथ इन्होंने अच्छा व्यवहार नहीं किया। चाहे वो मेरी फैमिली के हों या बेशक केवी सिंह की फैमिली या भरत सिंह की फैमिली हो। बेशक वो चौधरी रणजीत सिंह की फैमिली हो। 3. बेइज्जती कोई नहीं सहेगा, मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी
उन्होंने कहा कि सबके साथ इन्होंने (अशोक तंवर) ये प्रयास किया कि इनको जो लोग काटने वाले हैं, उनको पहले लेफ्ट करें। इनको खत्म करें। बेइज्जती कोई नहीं सहेगा। खासकर जब बात अपने बुजुर्गों की हो। उस समय मैं राहुल गांधी से मिलने के लिए दिल्ली भी गया था, लेकिन उस समय मेरी सुनवाई नहीं हो पाई। मजबूरन वो फिर पार्टी छोड़नी पड़ी। राहुल ने रातों रात जुड़वाया था तंवर का नाम
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी 4 जून को हरियाणा दौरे पर आए थे। चंडीगढ़ में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत उन्होंने राज्यों के नेताओं और पर्यवेक्षकों की मीटिंग ली थी। उस मीटिंग में शामिल होने वाले नेताओं की लिस्ट में अशोक तंवर का नाम शामिल नहीं था। लेकिन मीटिंग से पहले रातोंरात अशोक तंवर का नाम लिस्ट में शामिल हुआ। जब राहुल गांधी ने नेताओं और पर्यवेक्षकों की मीटिंग ली थी उस दौरान उनके साथ अशोक तंवर भी मौजूद रहे। सेतिया का परिवार पुराना कांग्रेसी
गोकुल सेतिया का परिवार पुराना कांग्रेसी परिवार है। इनके नाना लक्ष्मण दास अरोड़ा कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री रहे हैं और पांच बार अलग-अलग समय में विधायक रहे। 2019 में बीजेपी से टिकट न मिलने पर गोकुल सेतिया ने भाजपा को छोड़ दिया था। इसके बाद 2024 के विधानसभा चुनाव में नामांकन से कुछ दिन पहले ही दोबारा कांग्रेस में आ गए और कांग्रेस की टिकट विधानसभा चुनाव जीत लिया। 2024 में भाजपा से लड़ा एमपी का चुनाव, मिली हार
अशोक तंवर ने कांग्रेस पार्टी में ही राजनीति की शुरुआत की है। वह राहुल गांधी के चहेते और करीबी रहे हैं। इसके चलते वह हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी रहे हैं। अशोक तंवर ने 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा जॉइन कर ली थी। भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में सिरसा से टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस की उम्मीदवार कुमारी सैलजा ने उन्हें हरा दिया। इसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर ली। मगर चुनाव नहीं लड़ा। संगठन बनाने की जिम्मेदारी मिली लेकिन सफल नहीं हुए
2014 में अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। उनकी दिल्ली दरबार में पहुंच थी। पत्नी अवंतिका तंवर कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन की बहन और राष्ट्रपति रहे शंकर दयाल शर्मा की नातिन हैं। राहुल गांधी के कोटे से तंवर को मौका मिला। दो साल की मेहनत के बाद साल 2016 में उन्होंने हाईकमान को हरियाणा में संगठन की लिस्ट सौंपी। लेकिन ये सूची कभी जारी ही नहीं हुई। उसी साल दिल्ली में एक रैली में हुड्‌डा समर्थकों की तंवर से झड़प हो गई। खटास बढ़ती गई। 2019 विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में नहीं चली तो तंवर ने पद और पार्टी छोड़ दी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर