हरियाणा के पूर्व मंत्री का निधन, अंतिम संस्कार आज:राव वीरेंद्र, बंसीलाल और चौटाला सरकार में मंत्री रहे, निजीकरण के विरोध में मंत्रीपद छोड़ा

हरियाणा के पूर्व मंत्री का निधन, अंतिम संस्कार आज:राव वीरेंद्र, बंसीलाल और चौटाला सरकार में मंत्री रहे, निजीकरण के विरोध में मंत्रीपद छोड़ा

हरियाणा के पूर्व मंत्री चौधरी जसवंत सिंह का आज हिसार के सेक्टर 16-17 अंतिम संस्कार होगा। उनका कल शुक्रवार को 92 साल उम्र में निधन हुआ था। चौधरी जसवंत सिंह राव वीरेंद्र सिंह, बंसीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में 3 बार हरियाणा में मंत्री बने। वह संयुक्त पंजाब से हरियाणा बनने के बाद हुए पहले चुनाव में निर्दलीय विधायक बने थे। बिजली निगम के निजीकरण के विरोध में उन्होंने मंत्रीपद तक छोड़ दिया था। वह हिसार की नारनौंद विधानसभा के गांव खांडा खेड़ी के रहने वाले थे। इस गांव की संयुक्त पंजाब (पाकिस्तान समेत) में राजनीतिक तौर पर सक्रिय भूमिका रही। पूर्व मंत्री के बेटे डॉ. जसपाल सिंह ने बताया कि उनके पिता को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके दादा सूरजमल संयुक्त पंजाब में 1937 में हुए चुनाव में हांसी ग्रामीण से पहली बार विधायक बने थे। उनके पिता का जन्म 17 सितंबर 1932 को हुआ था। जसपाल सिंह ने बताया कि उनके पिता करीब एक महीने से लीवर की दिक्कत से जूझ रहे थे। जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई। शुक्रवार शाम 6 बजे उन्होंने हिसार के लाजपत नगर स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। 3 सरकारों में मंत्री बने जसवंत सिंह
पूर्व मंत्री जसवंत सिंह के चचेरे भाई सतीश कुमार ने बताया कि हरियाणा प्रदेश अलग होने के बाद चौधरी जसवंत सिंह 1967 में मुंढाल विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीतकर पहली बार विधायक चुने गए थे। उसके बाद राव वीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी की सरकार की कैबिनेट में स्वास्थ्य, कृषि एवं कानून मंत्री बने थे। उसके बाद दूसरी बार नारनौंद विधानसभा क्षेत्र से 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से चुनाव जीतकर विधायक चुने गए और बंसीलाल सरकार की कैबिनेट में बिजली, पब्लिक हेल्थ और पशुपालन मंत्री बन गए। इस दौरान बिजली निगम के निजीकरण के विरोध में उन्होंने 25 जनवरी 1997 को बंसीलाल सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद 1999 में बंसीलाल की सरकार टूट गई और जोड़तोड़ कर ओमप्रकाश चौटाला ने सरकार बनाई। उसमें चौधरी जसवंत सिंह को चौटाला सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री बन गए। पिता भी मंत्री रहे, उन्होंने जिन्ना को हराया था
सतीश कुमार ने बताया कि जसवंत सिंह के पिता स्वर्गीय चौधरी सूरजमल ने 1936 चौधरी छोटू राम के साथ मिलकर यूनियनिस्ट पार्टी (जमीदारा पार्टी) की स्थापना की थी। चौधरी सूरजमल 1937 में हांसी ग्रामीण से पहली बार संयुक्त पंजाब से विधायक चुने गए और छोटूराम के साथ स्वास्थ्य, लोक निर्माण एवं भवन निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। वे 1927 से लेकर 1947 तक हरियाणा जिला बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। उसके बाद वो लियाकत अली खां की सरकार में छोटू राम के साथ 1941 से 1946 संसदीय सचिव रहे। 1952 से 1957 तक विपक्ष के नेता बने। चौधरी सूरजमल जिन्ना को हराकर 20 जुलाई 1946 को विधानसभा के सदस्य भी चुने गए थे। हरियाणा के पूर्व मंत्री चौधरी जसवंत सिंह का आज हिसार के सेक्टर 16-17 अंतिम संस्कार होगा। उनका कल शुक्रवार को 92 साल उम्र में निधन हुआ था। चौधरी जसवंत सिंह राव वीरेंद्र सिंह, बंसीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में 3 बार हरियाणा में मंत्री बने। वह संयुक्त पंजाब से हरियाणा बनने के बाद हुए पहले चुनाव में निर्दलीय विधायक बने थे। बिजली निगम के निजीकरण के विरोध में उन्होंने मंत्रीपद तक छोड़ दिया था। वह हिसार की नारनौंद विधानसभा के गांव खांडा खेड़ी के रहने वाले थे। इस गांव की संयुक्त पंजाब (पाकिस्तान समेत) में राजनीतिक तौर पर सक्रिय भूमिका रही। पूर्व मंत्री के बेटे डॉ. जसपाल सिंह ने बताया कि उनके पिता को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके दादा सूरजमल संयुक्त पंजाब में 1937 में हुए चुनाव में हांसी ग्रामीण से पहली बार विधायक बने थे। उनके पिता का जन्म 17 सितंबर 1932 को हुआ था। जसपाल सिंह ने बताया कि उनके पिता करीब एक महीने से लीवर की दिक्कत से जूझ रहे थे। जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई। शुक्रवार शाम 6 बजे उन्होंने हिसार के लाजपत नगर स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। 3 सरकारों में मंत्री बने जसवंत सिंह
पूर्व मंत्री जसवंत सिंह के चचेरे भाई सतीश कुमार ने बताया कि हरियाणा प्रदेश अलग होने के बाद चौधरी जसवंत सिंह 1967 में मुंढाल विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीतकर पहली बार विधायक चुने गए थे। उसके बाद राव वीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी की सरकार की कैबिनेट में स्वास्थ्य, कृषि एवं कानून मंत्री बने थे। उसके बाद दूसरी बार नारनौंद विधानसभा क्षेत्र से 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से चुनाव जीतकर विधायक चुने गए और बंसीलाल सरकार की कैबिनेट में बिजली, पब्लिक हेल्थ और पशुपालन मंत्री बन गए। इस दौरान बिजली निगम के निजीकरण के विरोध में उन्होंने 25 जनवरी 1997 को बंसीलाल सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद 1999 में बंसीलाल की सरकार टूट गई और जोड़तोड़ कर ओमप्रकाश चौटाला ने सरकार बनाई। उसमें चौधरी जसवंत सिंह को चौटाला सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री बन गए। पिता भी मंत्री रहे, उन्होंने जिन्ना को हराया था
सतीश कुमार ने बताया कि जसवंत सिंह के पिता स्वर्गीय चौधरी सूरजमल ने 1936 चौधरी छोटू राम के साथ मिलकर यूनियनिस्ट पार्टी (जमीदारा पार्टी) की स्थापना की थी। चौधरी सूरजमल 1937 में हांसी ग्रामीण से पहली बार संयुक्त पंजाब से विधायक चुने गए और छोटूराम के साथ स्वास्थ्य, लोक निर्माण एवं भवन निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। वे 1927 से लेकर 1947 तक हरियाणा जिला बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। उसके बाद वो लियाकत अली खां की सरकार में छोटू राम के साथ 1941 से 1946 संसदीय सचिव रहे। 1952 से 1957 तक विपक्ष के नेता बने। चौधरी सूरजमल जिन्ना को हराकर 20 जुलाई 1946 को विधानसभा के सदस्य भी चुने गए थे।   हरियाणा | दैनिक भास्कर