हरियाणा के 4 जिलों में तेज बारिश की चेतावनी:पंचकूला के लिए 3 घंटे भारी; 24 घंटे में गुरुग्राम में सबसे ज्यादा बरसात हुई

हरियाणा के 4 जिलों में तेज बारिश की चेतावनी:पंचकूला के लिए 3 घंटे भारी; 24 घंटे में गुरुग्राम में सबसे ज्यादा बरसात हुई

हरियाणा में इन दिनों मानसून पूरी तरह से एक्टिव है। यही वजह है कि मौसम विभाग ने लगातार चौथे दिन भी हैवी रेन का अलर्ट जारी किया है। महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी और चरखी दादरी में आज तेज बारिश आ सकती है। वहीं पंचकूला में 3 घंटे के लिए हैवी रेन का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश गुरुग्राम में हुई। यहां बारिश 17 MM रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा, महेंद्रगढ़ में 5 MM, करनाल में 4 में MM बारिश रिकॉर्ड की गई। इनके अलावा 8 जिले ऐसे रहे जहां, हल्की बूंदाबांदी हुई। अन्य जिलों में बारिश नहीं हुई, हालांकि बादल छाए रहे। नदियों के बहाव में हुई बढ़ोतरी पहाड़ों और मैदानों में बारिश होने के कारण प्रदेश में नदियों के बहाव में बढ़ोतरी हुई है। मारकंडा नदी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुकी है। इस कारण से कुरुक्षेत्र के आसपास बसे कई गांवों में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया हुआ है। दो दिन पहले यमुना का पानी यमुनानगर में 50 से अधिक गांवों में घुस गया था। वहीं सोम नदी में पानी का बहाव कम हुआ है, लेकिन खेतों में रेत आ गई है, जिससे फसल तबाह हो गई है। 16 अगस्त तक खराब रहेगा मौसम हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ मदन खीचड़ ने बताया कि मानसूनी हवाओं के चलते 16 अगस्त तक मानसून की सक्रियता अधिक रहेगी। 15 से 16 अगस्त तक राज्य में तेज वर्षा हो सकती है। अभी तक एक जून से लेकर अगस्त तक बेशक 24 प्रतिशत तक वर्षा कम हुई है, लेकिन आने वाले दिनों में यह आंकड़ा सामान्य से ऊपर जा सकता है। अगस्त में मेहरबान मानसून अगर आंकड़ों को देखें तो हरियाणा के 22 जिलों में अगस्त में अभी तक सामान्य से 42% अधिक बारिश हुई है। अभी तक सभी जगह 53.9 एमएम बारिश होनी थी, लेकिन इन 10 दिनों में 76.7 एमएम बारिश हो चुकी है। इनमें फतेहाबाद, हिसार, कैथल, करनाल, पलवल, पंचकूला, पानीपत में सामान्य से कम बारिश हुई है। जुलाई में कम हुई बरसात हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। हरियाणा में इन दिनों मानसून पूरी तरह से एक्टिव है। यही वजह है कि मौसम विभाग ने लगातार चौथे दिन भी हैवी रेन का अलर्ट जारी किया है। महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी और चरखी दादरी में आज तेज बारिश आ सकती है। वहीं पंचकूला में 3 घंटे के लिए हैवी रेन का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश गुरुग्राम में हुई। यहां बारिश 17 MM रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा, महेंद्रगढ़ में 5 MM, करनाल में 4 में MM बारिश रिकॉर्ड की गई। इनके अलावा 8 जिले ऐसे रहे जहां, हल्की बूंदाबांदी हुई। अन्य जिलों में बारिश नहीं हुई, हालांकि बादल छाए रहे। नदियों के बहाव में हुई बढ़ोतरी पहाड़ों और मैदानों में बारिश होने के कारण प्रदेश में नदियों के बहाव में बढ़ोतरी हुई है। मारकंडा नदी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुकी है। इस कारण से कुरुक्षेत्र के आसपास बसे कई गांवों में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया हुआ है। दो दिन पहले यमुना का पानी यमुनानगर में 50 से अधिक गांवों में घुस गया था। वहीं सोम नदी में पानी का बहाव कम हुआ है, लेकिन खेतों में रेत आ गई है, जिससे फसल तबाह हो गई है। 16 अगस्त तक खराब रहेगा मौसम हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ मदन खीचड़ ने बताया कि मानसूनी हवाओं के चलते 16 अगस्त तक मानसून की सक्रियता अधिक रहेगी। 15 से 16 अगस्त तक राज्य में तेज वर्षा हो सकती है। अभी तक एक जून से लेकर अगस्त तक बेशक 24 प्रतिशत तक वर्षा कम हुई है, लेकिन आने वाले दिनों में यह आंकड़ा सामान्य से ऊपर जा सकता है। अगस्त में मेहरबान मानसून अगर आंकड़ों को देखें तो हरियाणा के 22 जिलों में अगस्त में अभी तक सामान्य से 42% अधिक बारिश हुई है। अभी तक सभी जगह 53.9 एमएम बारिश होनी थी, लेकिन इन 10 दिनों में 76.7 एमएम बारिश हो चुकी है। इनमें फतेहाबाद, हिसार, कैथल, करनाल, पलवल, पंचकूला, पानीपत में सामान्य से कम बारिश हुई है। जुलाई में कम हुई बरसात हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर