हरियाणा के IIT बाबा पर कोचिंग फ्रेंड के खुलासे:बोला–बिना पैन-कॉपी के सवाल हल कर देता था; अध्यात्म में भी गहराई तक जाएगा

हरियाणा के IIT बाबा पर कोचिंग फ्रेंड के खुलासे:बोला–बिना पैन-कॉपी के सवाल हल कर देता था; अध्यात्म में भी गहराई तक जाएगा

हरियाणा के झज्जर में जन्मे अभय सिंह महाकुंभ से IIT बाबा के नाम से चर्चा में आए। जिसने अपने जीवन को वैराग्य के लिए समर्पित कर दिया। अभय सिंह के साथ दिल्ली में कोचिंग करने वाले दोस्त ने उसकी खूबियों पर चर्चा की। वह कोचिंग में एक बैच में पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि अभय दिन में 18 घंटे सिर्फ पढ़ाई करता था। अध्यात्म में जाना उसका अपना फैसला है, अगर उसने यह रास्ता चुना है, तो उसकी गहराई तक जाकर ही दम लेगा। बिना पैन कॉपी के कर देता था सवाल हल IIT बाबा के दोस्त जौनी ने बताया कि अभय के आगे वो जीरो थे। वह हमेशा पढ़ाई में ही लगा रहता था। कोई भी सवाल हो, तो उसे लिखने के लिए कॉपी की जरूरत नहीं होती थी और ना ही पैन उठाता था। जब तक कोचिंग के दूसरे क्लासमेट कॉपी पर सवाल उतारते थे, उससे पहले अभय उसका उत्तर बता देता था। काम को करके ही लेता था दम अभय के दोस्त ने बताया कि हमारी सोच सिर्फ एक स्टेप पर जा पाती थी। लेकिन वह 5 गुणा तेज दिमाग से हमेशा आगे रहता था। उसने जो सोच लिया उसे पूरा करने के बाद ही रुकता था। अब वैराग्य में गया है, तो उसमें भी गहराई तक जाए बिना अभय सिंह पीछे हटने वालों में नहीं है। उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, हमेशा अगले पड़ाव पर जाने का प्रयास करता था। साइंटिस्ट न्यूटन से की अभय की तुलना अभय सिंह के कोचिंग के मित्र जौनी ने उसकी तुलना साइंटिस्ट न्यूटन से की है। उसने बताया कि अभय सिंह हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान रखता था। उसकी सोच बिल्कुल न्यूटन की तरह थी, जैसे पेड़ से सेब नीचे गिरा है, तो क्यों गिरा है, इसके पीछे कोई तो रीजन है। इसी तरह वह हर बात के पीछे के कारण को जानने का प्रयास करता था। एक ही बिल्डिंग में रहते थे दोनों IIT बाबा के बेकरी वाले मित्र जौनी ने बताया कि वह और उसका दोस्त एक ही बिल्डिंग में रहते थे। उसने यह भी बताया कि बिल्डिंग एक ही थी, लेकिन वह अपने रूम में हमेशा अकेला रहा, उसने कभी किसी के साथ रूम शेयर नहीं किया। वह पढाई को लेकर किसी के साथ रूम शेयर नहीं करता था। AIEEE में आई थी AIR 150 जौनी ने बताया कि अभय पढ़ाई में इतना तेज था कि उसकी गिनती कोचिंग सेंटर के टॉप स्टूडेंट्स में होती थी। अभय की AIEEE में AIR 150 रही थी और IIT में उसकी AIR 631 आई थी। पढ़ाई में हमेशा आगे रहने का कारण यही था कि वह हर काम को सीरियस होकर पूरी दिलचस्पी के साथ करता है। हरियाणा के झज्जर में जन्मे अभय सिंह महाकुंभ से IIT बाबा के नाम से चर्चा में आए। जिसने अपने जीवन को वैराग्य के लिए समर्पित कर दिया। अभय सिंह के साथ दिल्ली में कोचिंग करने वाले दोस्त ने उसकी खूबियों पर चर्चा की। वह कोचिंग में एक बैच में पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि अभय दिन में 18 घंटे सिर्फ पढ़ाई करता था। अध्यात्म में जाना उसका अपना फैसला है, अगर उसने यह रास्ता चुना है, तो उसकी गहराई तक जाकर ही दम लेगा। बिना पैन कॉपी के कर देता था सवाल हल IIT बाबा के दोस्त जौनी ने बताया कि अभय के आगे वो जीरो थे। वह हमेशा पढ़ाई में ही लगा रहता था। कोई भी सवाल हो, तो उसे लिखने के लिए कॉपी की जरूरत नहीं होती थी और ना ही पैन उठाता था। जब तक कोचिंग के दूसरे क्लासमेट कॉपी पर सवाल उतारते थे, उससे पहले अभय उसका उत्तर बता देता था। काम को करके ही लेता था दम अभय के दोस्त ने बताया कि हमारी सोच सिर्फ एक स्टेप पर जा पाती थी। लेकिन वह 5 गुणा तेज दिमाग से हमेशा आगे रहता था। उसने जो सोच लिया उसे पूरा करने के बाद ही रुकता था। अब वैराग्य में गया है, तो उसमें भी गहराई तक जाए बिना अभय सिंह पीछे हटने वालों में नहीं है। उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, हमेशा अगले पड़ाव पर जाने का प्रयास करता था। साइंटिस्ट न्यूटन से की अभय की तुलना अभय सिंह के कोचिंग के मित्र जौनी ने उसकी तुलना साइंटिस्ट न्यूटन से की है। उसने बताया कि अभय सिंह हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान रखता था। उसकी सोच बिल्कुल न्यूटन की तरह थी, जैसे पेड़ से सेब नीचे गिरा है, तो क्यों गिरा है, इसके पीछे कोई तो रीजन है। इसी तरह वह हर बात के पीछे के कारण को जानने का प्रयास करता था। एक ही बिल्डिंग में रहते थे दोनों IIT बाबा के बेकरी वाले मित्र जौनी ने बताया कि वह और उसका दोस्त एक ही बिल्डिंग में रहते थे। उसने यह भी बताया कि बिल्डिंग एक ही थी, लेकिन वह अपने रूम में हमेशा अकेला रहा, उसने कभी किसी के साथ रूम शेयर नहीं किया। वह पढाई को लेकर किसी के साथ रूम शेयर नहीं करता था। AIEEE में आई थी AIR 150 जौनी ने बताया कि अभय पढ़ाई में इतना तेज था कि उसकी गिनती कोचिंग सेंटर के टॉप स्टूडेंट्स में होती थी। अभय की AIEEE में AIR 150 रही थी और IIT में उसकी AIR 631 आई थी। पढ़ाई में हमेशा आगे रहने का कारण यही था कि वह हर काम को सीरियस होकर पूरी दिलचस्पी के साथ करता है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर