बिना पर्ची के बिकने वाली दवाईयों को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को निर्देश दिया है कि इसके खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया जाए, इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई की भी रिपोर्ट मांगी है। यह निर्देश तब दिए गए हैं, जब हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा दी गई अंतरिम स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन से पाया कि प्रतिबंधित दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही थीं और खुदरा विक्रेता तथा केमिस्ट इसे छिपाने के लिए फर्जी पर्चे बना रहे थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल और हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने कहा, “हम सीबीआई, एनसीबी को प्रभावी कदम उठाने छापेमारी करने का निर्देश देते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी दवा, जिसे कानून के तहत खुदरा विक्रेताओं, केमिस्टों द्वारा विधिवत योग्य चिकित्सक के वैध पर्चे के बिना काउंटर पर नहीं बेचा जा सकता है और न ही बेची जाए।” नकली पर्चों पर दी जा रही प्रतिबंधित दवाईयां यह निर्देश तब आया जब हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत अंतरिम स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन से पाया कि प्रतिबंधित दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही थीं और खुदरा विक्रेता तथा केमिस्ट इसे छिपाने के लिए फर्जी पर्चे बना रहे थे। पीठ ने निर्देश जारी करते हुए कहा, “सीबीआई द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला है कि फुटकर विक्रेताओं, केमिस्टों द्वारा, चिकित्सक के पर्चे के बिना, प्रतिबंधित दवाएं काउंटर पर बेची जा रही हैं और इस बात को छिपाने के लिए, खुदरा विक्रेताओं, केमिस्टों द्वारा डुप्लीकेट, नकली पर्चे बनाए जा रहे हैं।” CBI-NCB ने नहीं की कोई कार्रवाई यह कार्रवाई हरियाणा में मादक दवाओं के अवैध निर्माण और बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई न्यायिक हस्तक्षेपों से उपजी है। मामले की सुनवाई करते हुए, 4 सितंबर, 2024 को एक खंडपीठ ने पाया कि पिछले आदेशों के बावजूद, सीबीआई या एनसीबी ने दवा कंपनियों द्वारा प्रतिबंधित दवाओं के निर्माण और गुप्त वितरण को विनियमित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। इसके बाद अदालत ने दोनों एजेंसियों को पंजाब और हरियाणा में अवैध नशीली दवाओं के व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए अपनाए गए उपायों के बारे में सूचित करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए। पुलिस जांच अपने हाथ लेने में कह चुका हाईकोर्ट आदेश से पहले, अदालत ने 2 अगस्त, 2021 को संबंधित मामले में सीबीआई को पंजाब पुलिस द्वारा की जा रही जांच को अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने पाया था कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत एक मादक दवा ट्रामाडोल हाइड्रोक्लोराइड का पूरा हिसाब नहीं रखा जा रहा था और बरामद स्टॉक के एक हिस्से का कथित तौर पर निर्दोष व्यक्तियों को गलत तरीके से फंसाने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा था। तीन राज्यों को सहयोग के लिए कह चुका कोर्ट इसके बाद, 21 नवंबर, 2024 को हाईकोर्ट ने बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की बरामदगी से जुड़े मामलों की बढ़ती संख्या का संज्ञान लेने से पहले सीबीआई और एनसीबी द्वारा दायर हलफनामों की समीक्षा की। इसने सीबीआई को एनसीबी और राज्य पुलिस अधिकारियों के अधिकारियों को शामिल करते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का भी निर्देश दिया। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी को भी केंद्रीय एजेंसियों को पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया गया। बिना पर्ची के बिकने वाली दवाईयों को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को निर्देश दिया है कि इसके खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया जाए, इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई की भी रिपोर्ट मांगी है। यह निर्देश तब दिए गए हैं, जब हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा दी गई अंतरिम स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन से पाया कि प्रतिबंधित दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही थीं और खुदरा विक्रेता तथा केमिस्ट इसे छिपाने के लिए फर्जी पर्चे बना रहे थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल और हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने कहा, “हम सीबीआई, एनसीबी को प्रभावी कदम उठाने छापेमारी करने का निर्देश देते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी दवा, जिसे कानून के तहत खुदरा विक्रेताओं, केमिस्टों द्वारा विधिवत योग्य चिकित्सक के वैध पर्चे के बिना काउंटर पर नहीं बेचा जा सकता है और न ही बेची जाए।” नकली पर्चों पर दी जा रही प्रतिबंधित दवाईयां यह निर्देश तब आया जब हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत अंतरिम स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन से पाया कि प्रतिबंधित दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही थीं और खुदरा विक्रेता तथा केमिस्ट इसे छिपाने के लिए फर्जी पर्चे बना रहे थे। पीठ ने निर्देश जारी करते हुए कहा, “सीबीआई द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला है कि फुटकर विक्रेताओं, केमिस्टों द्वारा, चिकित्सक के पर्चे के बिना, प्रतिबंधित दवाएं काउंटर पर बेची जा रही हैं और इस बात को छिपाने के लिए, खुदरा विक्रेताओं, केमिस्टों द्वारा डुप्लीकेट, नकली पर्चे बनाए जा रहे हैं।” CBI-NCB ने नहीं की कोई कार्रवाई यह कार्रवाई हरियाणा में मादक दवाओं के अवैध निर्माण और बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई न्यायिक हस्तक्षेपों से उपजी है। मामले की सुनवाई करते हुए, 4 सितंबर, 2024 को एक खंडपीठ ने पाया कि पिछले आदेशों के बावजूद, सीबीआई या एनसीबी ने दवा कंपनियों द्वारा प्रतिबंधित दवाओं के निर्माण और गुप्त वितरण को विनियमित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। इसके बाद अदालत ने दोनों एजेंसियों को पंजाब और हरियाणा में अवैध नशीली दवाओं के व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए अपनाए गए उपायों के बारे में सूचित करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए। पुलिस जांच अपने हाथ लेने में कह चुका हाईकोर्ट आदेश से पहले, अदालत ने 2 अगस्त, 2021 को संबंधित मामले में सीबीआई को पंजाब पुलिस द्वारा की जा रही जांच को अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने पाया था कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत एक मादक दवा ट्रामाडोल हाइड्रोक्लोराइड का पूरा हिसाब नहीं रखा जा रहा था और बरामद स्टॉक के एक हिस्से का कथित तौर पर निर्दोष व्यक्तियों को गलत तरीके से फंसाने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा था। तीन राज्यों को सहयोग के लिए कह चुका कोर्ट इसके बाद, 21 नवंबर, 2024 को हाईकोर्ट ने बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की बरामदगी से जुड़े मामलों की बढ़ती संख्या का संज्ञान लेने से पहले सीबीआई और एनसीबी द्वारा दायर हलफनामों की समीक्षा की। इसने सीबीआई को एनसीबी और राज्य पुलिस अधिकारियों के अधिकारियों को शामिल करते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का भी निर्देश दिया। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी को भी केंद्रीय एजेंसियों को पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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