हरियाणा लोकायुक्त ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग (ULB) के चीफ विजिलेंस अधिकारी (CVO) को तलब कर लिया है। यह कार्रवाई लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने प्रॉपर्टी आईडी सर्वे मामले में 12 IAS अधिकारियों और सर्व करने वाले याशी कंपनी को जांच में क्लीन चिट देने के मामले में की है। उन्होंने इस मामले के शिकायतकर्ता RTI एक्टिविस्ट पीपी कपूर को भी मौजूद रहने के लिए कहा है। उन्हें 11 सितंबर को कोर्ट बुलाया है। लोकायुक्त कोर्ट में पिछले साल 19 जुलाई 2023 को RTI दस्तावेजों सहित लिखित शिकायत देकर 12 अधिकारियों और याशी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। शिकायत में 63 करोड़ रुपए जारी करने का मामला
शिकायत में आरोप लगाया था कि याशी कंपनी के सर्वे में बड़ा घोटाला हुआ है। सर्वे की फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना अधिकारियों ने साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी कर याशी कंपनी को करीब 63 करोड़ रुपए की पेमेंट जारी करवा दी। जबकि सर्वे में कई गलतियां थी। लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) से प्राथमिक जांच रिपोर्ट लेने के बाद शहरी निकाय विभाग के प्रधान सचिव से रिपोर्ट मांगी थी। 2017 में शुरू हुआ था सर्वे का काम
हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का काम मनोहर लाल खट्टर की सरकार के फर्स्ट टर्म में हुई शुरू हो गया था। 2017 में सर्वे का काम याशी कंपनी को दिया गया था। इस कंपनी को 200 रुपए के करीब एक प्रॉपर्टी का दिया जाना था। टेंडर एग्रीमेंट की शर्त के अनुसार इस काम को 3 महीने में पूरा करना था, लेकिन यह काम 3 साल में भी पूरा नहीं हो पाया। सरकार एक्सटेंशन देकर कार्य अवधि बढ़ाती रही। 2021 में सर्वे का काम पूरा होने का दावा किया गया, लेकिन सरकार के पास सर्वे पूरा नहीं होने और सही नहीं होने की शिकायतें मिली रहीं। इसी साल दे दी गई क्लीन चिट
इस बीच 6 मई 2024 को अपनी जांच रिपोर्ट में निकाय विभाग के चीफ विजिलेंस ऑफिसर जेएस बोपाराय ने याशी कंपनी समेत 12 अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी। शिकायतकर्ता ने सीवीओ की इस जांच रिपोर्ट को गलत बताया और लिखित तौर पर चुनौती देते हुए इसे रद्द करके घोटाले की एंटी करप्शन ब्यूरो से विस्तृत जांच कराने की मांग की। इस पर लोकायुक्त ने निकाय विभाग के सीवीओ को तलब किया है। अब पढ़िए पूरा मामला… 88 शहरों में 42,70,449 प्रॉपर्टियों का सर्वे
पीपी कपूर ने बताया कि सीवीओ की जांच रिपोर्ट अनुसार 88 शहरों में कुल 42,70,449 प्रॉपर्टियों का सर्वे किया गया था। इनमें से करीब आधी यानी 21.35 लाख प्रॉपर्टियां तो खाली प्लॉट, निर्माणाधीन अथवा बंद पड़े भवन थे। फिर भी अधिकारियों ने याशी कंपनी को इन सबका भुगतान कर दिया। सर्वे कंपनी को भुगतान करने से पहले सभी प्रॉपर्टियां के 10वें हिस्से की फिजिकल वेरिफिकेशन की जानी थी। प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का डेटा 16 नवंबर 2022 को एनडीसी पोर्टल पर ऑनलाइन करने से 21 मार्च 2023 तक 15 माह में कुल 8,02,480 प्रॉपर्टी मालिकों ने कुल 18,74,676 आपत्तियां दर्ज कराई। यानी हर महीने औसतन 52,523 प्रॉपर्टी मालिकों ने कुल करीब 1,25,000 आपत्तियां दर्ज करवाई। प्रॉपर्टी आईडी ठीक कराने के लिए लोग धक्के खा रहे
कपूर ने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार की यह फ्लैगशिप योजना बड़े भ्रष्टाचार के चलते प्रदेशवासियों के लिए जी का जंजाल बन कर रह गई। आज तक रोजाना हजारों लोग अपनी प्रॉपर्टी आईडी दुरुस्त कराने के लिए धक्के खा रहे हैं। सरकार ने इस घोटाले में संलिप्त 12 अधिकारियों को बचाने के लिए उनके दबाव में याशी कंपनी को क्लीन चिट दी है। इन अफसरों के हैं नाम शामिल
प्रॉपर्टी आईडी में जिन अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उनमें तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर, रोहतक धीरेन्द्र खटकड़ा, तत्कालीन नगर निगम हिसार कमिश्नर प्रदीप दहिया, तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर सोनीपत कु. मोनिका गुप्ता के अलावा पार्थ गुप्ता, नरेश नरवाल, जीतेन्द्र दहिया, मुकेश आहूजा, आयुष सिंहा, धर्मबीर (सभी IAS ) के नाम शामिल हैं। हरियाणा लोकायुक्त ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग (ULB) के चीफ विजिलेंस अधिकारी (CVO) को तलब कर लिया है। यह कार्रवाई लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने प्रॉपर्टी आईडी सर्वे मामले में 12 IAS अधिकारियों और सर्व करने वाले याशी कंपनी को जांच में क्लीन चिट देने के मामले में की है। उन्होंने इस मामले के शिकायतकर्ता RTI एक्टिविस्ट पीपी कपूर को भी मौजूद रहने के लिए कहा है। उन्हें 11 सितंबर को कोर्ट बुलाया है। लोकायुक्त कोर्ट में पिछले साल 19 जुलाई 2023 को RTI दस्तावेजों सहित लिखित शिकायत देकर 12 अधिकारियों और याशी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। शिकायत में 63 करोड़ रुपए जारी करने का मामला
शिकायत में आरोप लगाया था कि याशी कंपनी के सर्वे में बड़ा घोटाला हुआ है। सर्वे की फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना अधिकारियों ने साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी कर याशी कंपनी को करीब 63 करोड़ रुपए की पेमेंट जारी करवा दी। जबकि सर्वे में कई गलतियां थी। लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) से प्राथमिक जांच रिपोर्ट लेने के बाद शहरी निकाय विभाग के प्रधान सचिव से रिपोर्ट मांगी थी। 2017 में शुरू हुआ था सर्वे का काम
हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का काम मनोहर लाल खट्टर की सरकार के फर्स्ट टर्म में हुई शुरू हो गया था। 2017 में सर्वे का काम याशी कंपनी को दिया गया था। इस कंपनी को 200 रुपए के करीब एक प्रॉपर्टी का दिया जाना था। टेंडर एग्रीमेंट की शर्त के अनुसार इस काम को 3 महीने में पूरा करना था, लेकिन यह काम 3 साल में भी पूरा नहीं हो पाया। सरकार एक्सटेंशन देकर कार्य अवधि बढ़ाती रही। 2021 में सर्वे का काम पूरा होने का दावा किया गया, लेकिन सरकार के पास सर्वे पूरा नहीं होने और सही नहीं होने की शिकायतें मिली रहीं। इसी साल दे दी गई क्लीन चिट
इस बीच 6 मई 2024 को अपनी जांच रिपोर्ट में निकाय विभाग के चीफ विजिलेंस ऑफिसर जेएस बोपाराय ने याशी कंपनी समेत 12 अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी। शिकायतकर्ता ने सीवीओ की इस जांच रिपोर्ट को गलत बताया और लिखित तौर पर चुनौती देते हुए इसे रद्द करके घोटाले की एंटी करप्शन ब्यूरो से विस्तृत जांच कराने की मांग की। इस पर लोकायुक्त ने निकाय विभाग के सीवीओ को तलब किया है। अब पढ़िए पूरा मामला… 88 शहरों में 42,70,449 प्रॉपर्टियों का सर्वे
पीपी कपूर ने बताया कि सीवीओ की जांच रिपोर्ट अनुसार 88 शहरों में कुल 42,70,449 प्रॉपर्टियों का सर्वे किया गया था। इनमें से करीब आधी यानी 21.35 लाख प्रॉपर्टियां तो खाली प्लॉट, निर्माणाधीन अथवा बंद पड़े भवन थे। फिर भी अधिकारियों ने याशी कंपनी को इन सबका भुगतान कर दिया। सर्वे कंपनी को भुगतान करने से पहले सभी प्रॉपर्टियां के 10वें हिस्से की फिजिकल वेरिफिकेशन की जानी थी। प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का डेटा 16 नवंबर 2022 को एनडीसी पोर्टल पर ऑनलाइन करने से 21 मार्च 2023 तक 15 माह में कुल 8,02,480 प्रॉपर्टी मालिकों ने कुल 18,74,676 आपत्तियां दर्ज कराई। यानी हर महीने औसतन 52,523 प्रॉपर्टी मालिकों ने कुल करीब 1,25,000 आपत्तियां दर्ज करवाई। प्रॉपर्टी आईडी ठीक कराने के लिए लोग धक्के खा रहे
कपूर ने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार की यह फ्लैगशिप योजना बड़े भ्रष्टाचार के चलते प्रदेशवासियों के लिए जी का जंजाल बन कर रह गई। आज तक रोजाना हजारों लोग अपनी प्रॉपर्टी आईडी दुरुस्त कराने के लिए धक्के खा रहे हैं। सरकार ने इस घोटाले में संलिप्त 12 अधिकारियों को बचाने के लिए उनके दबाव में याशी कंपनी को क्लीन चिट दी है। इन अफसरों के हैं नाम शामिल
प्रॉपर्टी आईडी में जिन अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उनमें तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर, रोहतक धीरेन्द्र खटकड़ा, तत्कालीन नगर निगम हिसार कमिश्नर प्रदीप दहिया, तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर सोनीपत कु. मोनिका गुप्ता के अलावा पार्थ गुप्ता, नरेश नरवाल, जीतेन्द्र दहिया, मुकेश आहूजा, आयुष सिंहा, धर्मबीर (सभी IAS ) के नाम शामिल हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर