हरियाणा में दलितों को लुभाने के लिए कांग्रेस और भाजपा ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस इन दिनों संविधान यात्रा कर रही है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ कार्यक्रम शुरू किया है। पूर्व सीएम खट्टर ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपने मुख्य मीडिया सलाहकार सुदेश कटारिया को मैदान में उतारा है। दरअसल, सुदेश कटारिया का नाम हरियाणा भाजपा के बड़े दलित चेहरों में शुमार है। इस बार के विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें प्रदेश भर में होने वाले दलित सम्मेलनों की जिम्मेदारी सौंपी थी। सुदेश कटारिया कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। कटारिया 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। तब से वे लगातार भाजपा में सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं। यहां पढ़िए अब तक किन जिलों में पूरी हो चुकी मुहिम.. पिछले पांच महीने में रोहतक, कुरुक्षेत्र, नीलोखेड़ी के बड़े आयोजनों में खुद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने शिरकत की जबकि अन्य जिलों में लगातार चल रहे छोटे बड़े आयोजनों की कमान खुद सुदेश कटारिया ने संभाल रखी है। 23 और 24 मई को यमुनानगर के दर्जनों स्थानों पर भी संविधान सम्मान, स्वाभिमान समारोह का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें सुदेश कटारिया बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। इसमें हरियाणा अनुसूचित जाति अयोग के वाइस चेयरमैन वीरेंद्र बड़गूर्जर को भी आमंत्रित किया गया है। विधानसभा चुनाव में सफल रहा प्रयोग लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए हरियाणा में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव में दलित सम्मेलन का प्रयोग किया। इन सम्मेलनों के जरिए दलितों मनाने का जिम्मा खट्टर को केंद्रीय नेतृत्व ने दिया। इसकी वजह यह रही कि खट्टर साढ़े 9 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। लगातार 2 टर्म में भाजपा की सरकार ने उनकी अगुआई में कामकाज किया। यही वजह रही कि सरकार की हैट्रिक में खट्टर को भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पार्टी का ये प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा और हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बन पाई। दलितों को साधने की ये 3 बड़ी वजहें… पहली.. प्रदेश में 21% दलित वोटर है। राज्य में 17 सीटें दलित वर्ग के लिए रिजर्व हैं। कांग्रेस भी इनको साधने के लिए संविधान यात्रा कर रही है। दलित पार्टी से कट न जाए ऐसे में भाजपा ने इस यात्रा के पैरलर ही हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान मुहिम शुरू की है। प्रदेश में 35 सीटें ऐसी हैं, जहां दलित वोटरों का प्रभाव है। अगर वे किसी एक पार्टी के हक में हो जाएं तो फिर उनकी सीट जीतनी तय है। भाजपा इसी को देखते हुए अब दलितों पर फोकस कर रही है। दूसरी.. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आरक्षण छीनने और संविधान बदलने का प्रचार किया। जिसका हरियाणा के दलित वोटरों पर बड़ा असर पड़ा। यही वजह है कि वे भाजपा से दूर हो गए। विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में संविधान दिखाकर दलितों के आरक्षण खत्म करने को लेकर प्रचार किया था, लेकिन सम्मेलनों के जरिए भाजपा ने कांग्रेस की बातों को झूठा साबित करने का प्रयास किया। तीसरी.. लोकसभा चुनाव में 10 में से 5 सीटें हारने के बाद भाजपा की समीक्षा बैठक में सामने आया कि जाट और दलित वोटर उनके खिलाफ एकजुट हो गए थे। जिस वजह से वह रोहतक और सिरसा जैसी सीटों ढ़ाई से साढ़े 3 लाख वोटों से एकतरफा हार मिली।सोनीपत सीट महज 22 हजार से हार गए। कुरूक्षेत्र, गुरुग्राम और भिवानी-महेंद्रगढ़ हारते-हारते बचे। भाजपा इस एकजुटता को तोड़ने में कामयाब रही। हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में पहुंची भाजपा हरियाणा में भाजपा लगातार 2 टर्म से सरकार चला रही है। 2014 में भाजपा ने विधानसभा की 90 में से 47 सीटें जीतकर अकेले बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई, लेकिन JJP के 10 विधायकों का साथ लेकर फिर सरकार बना ली। इस चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटों पर प्रचंड जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। हरियाणा में दलितों को लुभाने के लिए कांग्रेस और भाजपा ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस इन दिनों संविधान यात्रा कर रही है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ कार्यक्रम शुरू किया है। पूर्व सीएम खट्टर ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपने मुख्य मीडिया सलाहकार सुदेश कटारिया को मैदान में उतारा है। दरअसल, सुदेश कटारिया का नाम हरियाणा भाजपा के बड़े दलित चेहरों में शुमार है। इस बार के विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें प्रदेश भर में होने वाले दलित सम्मेलनों की जिम्मेदारी सौंपी थी। सुदेश कटारिया कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। कटारिया 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। तब से वे लगातार भाजपा में सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं। यहां पढ़िए अब तक किन जिलों में पूरी हो चुकी मुहिम.. पिछले पांच महीने में रोहतक, कुरुक्षेत्र, नीलोखेड़ी के बड़े आयोजनों में खुद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने शिरकत की जबकि अन्य जिलों में लगातार चल रहे छोटे बड़े आयोजनों की कमान खुद सुदेश कटारिया ने संभाल रखी है। 23 और 24 मई को यमुनानगर के दर्जनों स्थानों पर भी संविधान सम्मान, स्वाभिमान समारोह का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें सुदेश कटारिया बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। इसमें हरियाणा अनुसूचित जाति अयोग के वाइस चेयरमैन वीरेंद्र बड़गूर्जर को भी आमंत्रित किया गया है। विधानसभा चुनाव में सफल रहा प्रयोग लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए हरियाणा में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव में दलित सम्मेलन का प्रयोग किया। इन सम्मेलनों के जरिए दलितों मनाने का जिम्मा खट्टर को केंद्रीय नेतृत्व ने दिया। इसकी वजह यह रही कि खट्टर साढ़े 9 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। लगातार 2 टर्म में भाजपा की सरकार ने उनकी अगुआई में कामकाज किया। यही वजह रही कि सरकार की हैट्रिक में खट्टर को भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पार्टी का ये प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा और हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बन पाई। दलितों को साधने की ये 3 बड़ी वजहें… पहली.. प्रदेश में 21% दलित वोटर है। राज्य में 17 सीटें दलित वर्ग के लिए रिजर्व हैं। कांग्रेस भी इनको साधने के लिए संविधान यात्रा कर रही है। दलित पार्टी से कट न जाए ऐसे में भाजपा ने इस यात्रा के पैरलर ही हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान मुहिम शुरू की है। प्रदेश में 35 सीटें ऐसी हैं, जहां दलित वोटरों का प्रभाव है। अगर वे किसी एक पार्टी के हक में हो जाएं तो फिर उनकी सीट जीतनी तय है। भाजपा इसी को देखते हुए अब दलितों पर फोकस कर रही है। दूसरी.. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आरक्षण छीनने और संविधान बदलने का प्रचार किया। जिसका हरियाणा के दलित वोटरों पर बड़ा असर पड़ा। यही वजह है कि वे भाजपा से दूर हो गए। विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में संविधान दिखाकर दलितों के आरक्षण खत्म करने को लेकर प्रचार किया था, लेकिन सम्मेलनों के जरिए भाजपा ने कांग्रेस की बातों को झूठा साबित करने का प्रयास किया। तीसरी.. लोकसभा चुनाव में 10 में से 5 सीटें हारने के बाद भाजपा की समीक्षा बैठक में सामने आया कि जाट और दलित वोटर उनके खिलाफ एकजुट हो गए थे। जिस वजह से वह रोहतक और सिरसा जैसी सीटों ढ़ाई से साढ़े 3 लाख वोटों से एकतरफा हार मिली।सोनीपत सीट महज 22 हजार से हार गए। कुरूक्षेत्र, गुरुग्राम और भिवानी-महेंद्रगढ़ हारते-हारते बचे। भाजपा इस एकजुटता को तोड़ने में कामयाब रही। हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में पहुंची भाजपा हरियाणा में भाजपा लगातार 2 टर्म से सरकार चला रही है। 2014 में भाजपा ने विधानसभा की 90 में से 47 सीटें जीतकर अकेले बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई, लेकिन JJP के 10 विधायकों का साथ लेकर फिर सरकार बना ली। इस चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटों पर प्रचंड जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
