हरियाणा के करनाल में दिवाली के दिन महिला की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। घटना ऊंचा समाना गांव की है। मृतका की पहचान सीनो (50) के रूप में हुई है। महिला के मायके पक्ष का आरोप है कि महिला की बहू ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर गला दबाकर उसकी हत्या की है। इसके बाद बहू प्रेमी संग फरार हो गई। उनका यह भी आरोप है कि महिला के देवर की भी 8 साल पहले मौत हुई थी, उसका शक भी परिजनों ने बहू पर ही जताया है। महिला की मौत की सूचना के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव कब्जे में ले लिया। गुरुवार को पोस्टमॉर्टम कराने के बाद पुलिस ने शव परिजनों के हवाले कर दिया। बच्चों के साथ गायब हुई बहू सीनो के भतीजे असमत ने बताया है कि गुरुवार सुबह साढ़े 4 बजे उसकी बुआ नमाज पढ़ रही थी। बुआ की बहू अलीशा ने अपने प्रेमी को घर बुलाकर उसकी हत्या करवा दी। अलीशा का पति प्राइवेट नौकरी करता है और उसकी रात की डयूटी होती है। सुबह जब वह काम खत्म कर घर आया तो उसकी मां घर में मृत पड़ी हुई थी। जबकि अलीशा अपने दोनों बच्चों के साथ घर से गायब थी। तबीयत खराब होने की जानकारी दी असमत ने बताया कि हमें सुबह बताया गया कि बुआ की तबीयत खराब हो गई है। जब हम मौके पर पहुंचे तो मेरी बुआ का शरीर पूरी तरह से नीला पड़ गया। उनके गले पर निशान थे और चेहरे पर मारपीट के निशान थे। हमें पूरा शक है कि उसकी बहू अलीशा ने ही उसके साथ यह किया है। बहू का पड़ोस के किसी युवक के साथ अफेयर है और वह युवक भी घटना के बाद से ही गायब है। पहले भी कई बार कर चुकी मारपीट असमत ने आगे बताया कि अलीशा ने पहले भी सास के साथ मारपीट की थी। एक बार बहू ने अपनी सास के हाथ पर डंडा मारकर उसका हाथ तोड़ दिया था। जिसके बाद पुलिस को शिकायत भी दी गई थी। फिर बहू को बेदखल भी कर दिया गया था, लेकिन उसके बावजूद भी बहू की हरकतें कम नहीं हुई। 8 साल पहले अलीशा के देवर की मौत हो गई थी। तब उसका शरीर भी नीला मिला था। हमें पूरा पूरा शक है कि उसे भी अलीशा ने दूध में जहर दिया था। अब अलीशा ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपनी सास को मौत के घाट उतार दिया और अपने दोनों बच्चों का लेकर भी फरार हो चुकी है। पुलिस बोली- नमाज पढ़ते हुए गिरी मधुबन थाना प्रभारी गौरव पूनिया ने बताया कि सीनो की मौत की सूचना मिली थी। मृतका के पति ने बताया था कि नमाज पढ़ते पढ़ते ही सीनो बेहोश होकर गिर गई थी। मायका पक्ष ने हत्या का आरोप लगाया है। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो पाएगा। शिकायत के अनुरूप ही आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हरियाणा के करनाल में दिवाली के दिन महिला की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। घटना ऊंचा समाना गांव की है। मृतका की पहचान सीनो (50) के रूप में हुई है। महिला के मायके पक्ष का आरोप है कि महिला की बहू ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर गला दबाकर उसकी हत्या की है। इसके बाद बहू प्रेमी संग फरार हो गई। उनका यह भी आरोप है कि महिला के देवर की भी 8 साल पहले मौत हुई थी, उसका शक भी परिजनों ने बहू पर ही जताया है। महिला की मौत की सूचना के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव कब्जे में ले लिया। गुरुवार को पोस्टमॉर्टम कराने के बाद पुलिस ने शव परिजनों के हवाले कर दिया। बच्चों के साथ गायब हुई बहू सीनो के भतीजे असमत ने बताया है कि गुरुवार सुबह साढ़े 4 बजे उसकी बुआ नमाज पढ़ रही थी। बुआ की बहू अलीशा ने अपने प्रेमी को घर बुलाकर उसकी हत्या करवा दी। अलीशा का पति प्राइवेट नौकरी करता है और उसकी रात की डयूटी होती है। सुबह जब वह काम खत्म कर घर आया तो उसकी मां घर में मृत पड़ी हुई थी। जबकि अलीशा अपने दोनों बच्चों के साथ घर से गायब थी। तबीयत खराब होने की जानकारी दी असमत ने बताया कि हमें सुबह बताया गया कि बुआ की तबीयत खराब हो गई है। जब हम मौके पर पहुंचे तो मेरी बुआ का शरीर पूरी तरह से नीला पड़ गया। उनके गले पर निशान थे और चेहरे पर मारपीट के निशान थे। हमें पूरा शक है कि उसकी बहू अलीशा ने ही उसके साथ यह किया है। बहू का पड़ोस के किसी युवक के साथ अफेयर है और वह युवक भी घटना के बाद से ही गायब है। पहले भी कई बार कर चुकी मारपीट असमत ने आगे बताया कि अलीशा ने पहले भी सास के साथ मारपीट की थी। एक बार बहू ने अपनी सास के हाथ पर डंडा मारकर उसका हाथ तोड़ दिया था। जिसके बाद पुलिस को शिकायत भी दी गई थी। फिर बहू को बेदखल भी कर दिया गया था, लेकिन उसके बावजूद भी बहू की हरकतें कम नहीं हुई। 8 साल पहले अलीशा के देवर की मौत हो गई थी। तब उसका शरीर भी नीला मिला था। हमें पूरा पूरा शक है कि उसे भी अलीशा ने दूध में जहर दिया था। अब अलीशा ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपनी सास को मौत के घाट उतार दिया और अपने दोनों बच्चों का लेकर भी फरार हो चुकी है। पुलिस बोली- नमाज पढ़ते हुए गिरी मधुबन थाना प्रभारी गौरव पूनिया ने बताया कि सीनो की मौत की सूचना मिली थी। मृतका के पति ने बताया था कि नमाज पढ़ते पढ़ते ही सीनो बेहोश होकर गिर गई थी। मायका पक्ष ने हत्या का आरोप लगाया है। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो पाएगा। शिकायत के अनुरूप ही आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बनारसी दास को भाषण के दौरान गोली लगी:ट्रेन में छिपकर पत्नी के साथ लाहौर से भारत पहुंचे; कठपुतली मुख्यमंत्री कहा गया साल 1989, चौधरी देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बने और बेटे ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनवा दिया। तब ओम प्रकाश चौटाला विधायक नहीं थे। उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना था। ओमप्रकाश चौटाला, रोहतक जिले की महम सीट से उपचुनाव में उतरे। ये वो सीट थी जहां से लगातार तीन बार देवीलाल जीत चुके थे। जब चुनाव हुआ तो महम सीट हिंसा की भेंट चढ़ गई। 10 लोगों की जान चली गई। चुनाव रद्द हो गया। महम कांड की आंच चौटाला परिवार तक पहुंची। इधर, अप्रैल 1990, जनता दल में नए अध्यक्ष को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी थी। रेस में दो नाम सबसे आगे थे। पहला- एसआर बोम्मई का, जिन्हें समाजवादी नेता चंद्रशेखर का समर्थन था। दूसरा- एस जयपाल रेड्डी का, जिनके खेमे में रामकृष्ण हेगड़े और अजीत सिंह जैसे नेता थे। देवीलाल, बोम्मई का समर्थन कर रहे थे। उन्हें लगता था कि बोम्मई अध्यक्ष बनते हैं, तो ओमप्रकाश चौटाला की कुर्सी बच जाएगी। उधर, रेड्डी को आशंका थी कि प्रधानमंत्री वीपी सिंह उनका साथ नहीं देंगे। इसी असमंजस में उन्होंने दावेदारी छोड़ दी। 19 मई को बोम्मई जनता दल के निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए। इस बीच महम कांड का शोर संसद तक पहुंच गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी चौटाला के इस्तीफे की मांग कर डाली। वीपी सिंह को आनन-फानन में मंत्रिमंडल की बैठक बुलानी पड़ी। देवीलाल की हाजिरी में बोम्मई ने चौटाला से इस्तीफा मांग लिया। 22 मई को ओमप्रकाश चौटाला ने इस्तीफा दे दिया। अब देवीलाल को ऐसे नेता की जरूरत थी, जो हरियाणा का मुख्यमंत्री तो बने, लेकिन सरकार की बागडोर उनके पास ही रहे। देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत चौटाला भी सीएम की रेस में थे, लेकिन ओमप्रकाश को डर था कि रणजीत मुख्यमंत्री बन गए, तो बाद में वे इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसे में डिप्टी सीएम बनारसी दास गुप्ता का नाम तय किया गया। वे देवीलाल और ओमप्रकाश दोनों के करीबी थे। 22 मई 1990 को बनारसी दास गुप्ता दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। ‘मैं हरियाणा का सीएम’ सीरीज के चौथे एपिसोड में बनारसी दास गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने की कहानी और उनसे जुड़े किस्से… बनारसी दास गुप्ता का जन्म 5 नवंबर 1917 को पंजाब की जींद रियासत के एक छोटे से गांव में हुआ। पिता रामस्वरूप गुप्ता गांव में दुकान चलाते थे और खेती भी करते थे। उनकी मौसी की कोई संतान नहीं थी। इसलिए वे कुछ सालों तक अपनी मौसी के पास रहे, लेकिन जब उनको बेटा हुआ तो बनारसी दास माता-पिता के पास लौट आए। बनारसी दास की तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई गांव में ही हुई। उन दिनों स्कूल में दलित बच्चों को अन्य बच्चों से अलग बिठाया जाता था। वे इसका विरोध करते और उनके साथ ही बैठते। आठवीं के बाद वे पिलानी के बिड़ला कॉलेज में एडमिशन लेने पहुंचे। जब फीस जमा करने की बारी आई तो बनारसी दास ने 100 रुपए का नोट दिया। नोट किनारे से फटा था, मुनीम ने नोट लेने से मना कर दिया। बनारसी दास के पास सिर्फ उतने ही रुपए थे। पूरा दिन उन्होंने सड़क पर बिताया। शाम को कॉलेज के मालिक घनश्यामदास बिड़ला ने उन्हें देखा और कारण पूछा। तब बनारसी दास ने उन्हें पूरा किस्सा बताया। इसके बाद उन्हें एडमिशन मिल गया। बिड़ला कॉलेज से 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद वे पढ़ाई छोड़कर आजादी की लड़ाई में उतर गए। उन्होंने कई आंदोलनों में भाग लिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कुछ साल जेल में भी रहे। बंटवारे के दौरान पत्नी को लेने लाहौर पहुंचे, सीट के नीचे छिपकर लौटे 28 फरवरी 1941, बनारसी दास की शादी भिवानी जिले के तिगराणा गांव की द्रौपदी गुप्ता से हुई। उन्होंने अपनी शादी में भी आजादी के नारे लगाए। बनारसी दास के मित्र और उन पर तीन-तीन किताबें लिखने वाले डॉ. निरजंन रोहिल्ला उनकी शादी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं- ‘बंटवारे के समय बनारसी दास की पत्नी लाहौर के कॉलेज में पढ़ रही थीं। उस वक्त दोनों तरफ कत्लेआम मचा हुआ था। बनारसी दास के पिता ने उनसे कहा कि वे लाहौर जाकर द्रौपदी को लेकर आएं। बनारसी दास लाहौर के लिए निकल पड़े। वे पहले भटिंडा पहुंचे, लेकिन लाहौर जाने वाली ट्रेन में कत्लेआम देखकर उन्होंने ट्रेन से जाने का प्लान कैंसिल कर दिया। वे ट्रक से लाहौर के लिए निकल गए। रात के अंधेरे में जैसे-तैसे वे द्रौपदी को ढूंढने में कामयाब रहे। उन्होंने पूरी रात स्टेशन के पास जंगल में बिताई। सुबह भटिंडा के लिए ट्रेन पकड़ी और सीट के नीचे छिपकर पत्नी के साथ भारत पहुंचे।’ जींद रियासत को देश में मिलाने के लिए जेल गए जींद रियासत को भारत में मिलाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 1946 में राजनीतिक हालात बदले तो वे जेल से बाहर आए। इस दौरान जींद के महाराजा ने सीमित मताधिकार से चुने गए 65 सदस्यों की विधानसभा का गठन किया। बनारसी दास जींद से निर्विरोध सदस्य चुने गए। आजादी के बाद बनारसीदास और उनके साथियों ने जींद रियासत का पंजाब में विलय करने के लिए संघर्ष किया। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल के हस्तक्षेप के बाद पंजाब की सभी रियासतों को मिलाकर पेप्सू यूनियन बनाया गया। आगे चलकर पंजाब में इसका विलय कर दिया गया। रियासती प्रजामंडलों का कांग्रेस में विलय कर दिया। बनारसी दास भी कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में शामिल होने के बाद बनारसी दास गुप्ता ने भिवानी को कार्यक्षेत्र बनाया। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के बैनर तले मजदूरों को संगठित किया। इस दौरान उन्होंने 17 दिन तक अनशन भी किया। वे 1953 से 1960 तक जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1953 में ही भिवानी नगरपालिका के पहले गैर सरकारी अध्यक्ष चुने गए। 1968 में बनारसीदास भिवानी से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने। 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 81 में से 52 सीटें जीतीं। बनारसी दास फिर विधायक बने। बंसीलाल दोबारा मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद बंसीलाल ने बनारसी दास को स्पीकर बनाया। बंसीलाल को इंदिरा का बुलावा और बनारसी दास सीएम बन गए स्पीकर बनने के बाद बनारसी दास गुप्ता ने विधानसभा का सारा काम हिंदी में करने का आदेश दिया। इससे वे चर्चा में आ गए। यह पहला मौका था जब किसी विधानसभा में सारा काम हिंदी में करने का आदेश जारी हुआ था। 1973 में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और बंसीलाल मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। उन्हें बिजली, सिंचाई, कृषि, सहकारिता, स्वास्थ्य और नागरिक प्रशासन मंत्रालय मिला। इसी बीच इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी ने बंसीलाल को दिल्ली बुला लिया। बंसीलाल हरियाणा की कमान अपने किसी करीबी को सौंपना चाहते थे। उन्होंने बनारसी दास को मुफीद माना। इस तरह 1 दिसंबर 1975 को बनारसी दास गुप्ता पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। हालांकि इस दौरान उन पर डमी सीएम होने का आरोप भी लगा। कहा जाता है कि भले ही बंसीलाल दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की कमान संभाल रहे थे, लेकिन हरियाणा में हर फैसले में उनकी और उनके बेटे सुरेंद्र की दखल रहती थी। 1977 में कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं, बनारसी दास ने पाला बदल लिया 1977 में इमरजेंसी हटने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 3 सीटों पर सिमट गई। बनारसी दास भी चुनाव हार गए। जनता पार्टी 75 सीटों के साथ सत्ता में आई। चौधरी देवीलाल मुख्यमंत्री बने। हालांकि दो साल बाद ही उनकी जगह भजनलाल को सीएम बना दिया गया। 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोगोंवाल के बीच पंजाब में समझौता हुआ। इसमें चंड़ीगढ़ और रावी-व्यास के जल बंटवारे से जुड़ा मामला शामिल था। इसे लेकर हरियाणा में काफी आक्रोश था। देवीलाल ने 18 विधायकों के साथ विधानसभा से इस्तीफा देकर ‘न्याय युद्ध’ छेड़ दिया। बनारसी दास ने कांग्रेस को आंदोलन में शामिल होने की सलाह दी, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। इसके बाद बनारसी दास कांग्रेस छोड़कर चौधरी देवीलाल के साथ आ गए। 1987 में विधानसभा चुनाव हुए तो चौधरी देवीलाल को 60 सीटें मिलीं। देवीलाल मुख्यमंत्री बने और बनारसी दास गुप्ता को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा, बनारसी दास पर कठपुतली सीएम का ठप्पा लगा दो साल बाद केन्द्र में वीपी सिंह की सरकार बनी, तो देवीलाल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया। देवीलाल राज्य की सत्ता बेटे ओमप्रकाश चौटाला को सौंप कर दिल्ली की तरफ बढ़ गए। चौटाला सीएम बने तो वे विधायक नहीं थे। उन्होंने महम सीट पर उपचुनाव में पर्चा भर दिया। खाप पंचायतों ने इसका विरोध किया और देवीलाल के करीबी रहे आनंद सिंह दांगी को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर समर्थन दे दिया। 27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई। आनंद सिंह दांगी ने चुनाव आयोग से आठ वोटिंग सेंटर्स पर बूथ कैप्चरिंग की शिकायत की। अगले दिन यानी 28 फरवरी को उन आठ बूथों पर फिर से वोटिंग हुई। उस दौरान भी भारी हिंसा हुई। भीड़ ने बचाव में जुटी CRPF के एक जवान की हत्या कर दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भीड़ पर गोलियां चला दीं जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सतीश त्यागी अपनी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में लिखते हैं- महम हिंसा के बाद जनता दल में अजीत सिंह, अरुण नेहरू, जॉर्ज फर्नांडिस और रामकृष्ण हेगड़े जैसे नेताओं ने वीपी सिंह पर चौटाला को हटाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। 3 मार्च को एक बैठक में देवीलाल और अजीत सिंह में जमकर गाली-गलौज हुई। इसी रात एक और बैठक हुई इसमें जनता दल शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। बैठक में उत्तर प्रदेश के सीएम मुलायम सिंह यादव, बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव और ओडिशा के सीएम बीजू पटनायक ने चौटाला को हटाने की वकालत की। देवीलाल के खास शरद यादव भी चौटाला को हटाने के पक्ष में थे। हालांकि बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। अब इसका फैसला करने का जिम्मा एक कमेटी को सौंप गया। कमेटी में अजीत सिंह, जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, अरुण नेहरू और यशवंत सिन्हा शामिल थे। 4 मार्च को कमेटी ने तय किया कि पार्टी चुनाव आयोग से महम सीट पर फिर से वोटिंग कराने को कहे। साथ ही चौटाला इस्तीफा दें। आखिरकार 22 मई 1990 को चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उसी दिन देवीलाल ने अपने करीबी और तब डिप्टी सीएम रहे बनारसी दास गुप्ता को सीएम बनाया। हालांकि दो महीने के भीतर ही ओमप्रकाश चौटाला दरबान कलां सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए। उन्होंने बनारसी दास गुप्ता से इस्तीफा ले लिया और खुद मुख्यमंत्री बन गए। बनारसी दास गुप्ता 51 दिन ही सीएम रह सके। बनारसी दास गुप्ता को गोली लगी, बाल-बाल बचे इसके बाद बनारसी दास गुप्ता के देवीलाल से वैचारिक मतभेद बढ़ गए। वे सक्रिय राजनीति से अलग-थलग रहने लगे थे। 23 सितंबर 1990 की बात है। बनारसी दास भिवानी में महाराजा अग्रसेन जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इसी दौरान अचानक उन पर फायरिंग हो गई। गोली उनके सीने को चीरती हुई पार निकल गई। हालांकि लंबे इलाज के बाद वे ठीक हो गए। इस घटना ने बनारसी दास को फिर से राजनीति में एक्टिव होने की ऊर्जा दे दी। राजीव गांधी के कहने पर बनारसी दास कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 में भजनलाल सरकार के दौरान उन्हें राज्यसभा भेजा गया। कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्होंने राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया और समाजसेवा की तरफ बढ़ गए। 29 अगस्त 2007 को बनारसी दास का निधन हो गया।
हरियाणा में ट्रंप की जीत के पोस्टर लगे:भाजपा नेता ने बधाई दी; राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में अमेरिका को मुद्दा बनाया था
हरियाणा में ट्रंप की जीत के पोस्टर लगे:भाजपा नेता ने बधाई दी; राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में अमेरिका को मुद्दा बनाया था हरियाणा में भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप की जीत की खुशी मनाई जा रही है। हरियाणा के शहर कैथल में ट्रंप की जीत के पोस्टर इन दिनों देखे जा सकते हैं। यह पोस्टर कैथल के गुरप्रीत सैनी ने लगाए हैं। गुरप्रीत युवा भाजपा नेता हैं।
कैथल शहर में लगाए यह पोस्टर सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं। गुरप्रीत सैनी से जब पोस्टर लगाने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गहरी दोस्ती है। इस कारण ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की उनको खुशी है और जीत की बधाई उन्होंने दी है, ताकि भारत और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत हो। भाजपा नेता गुरप्रीत सैनी ने कैथल शहर में कई जगहों पर यह बैनर लगवाए हैं। बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी अमेरिका का मुद्दा बना था। करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल और जींद से काफी युवा विदेश में नौकरी के लिए जाते हैं। इसलिए अमेरिका में चुनावी माहौल की तरह ही इन जिलों में भी चुनावी माहौल था। हरियाणा चुनाव में राहुल गांधी ने उठाया था मुद्दा हरियाणा चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि हरियाणा के युवा अमेरिका जाकर बड़ी तकलीफ में रहते हैं। वह अमेरिका जाने के लिए बड़ा खतरा उठाते हैं। वह तुर्की जाते हैं, यहां से कजाकिस्तान और कोलंबिया गए यहां कई देश होते हुए नदी के रास्ते से होते हुए खतरा लेकर अमेरिका जाते हैं। राहुल गांधी ने कहा था कि हर साल हरियाणा के युवा नौकरी की तलाश में खेत बेचकर या साहुकार से 2 प्रतिशत ब्याज पर 50 लाख का लोन लेकर डोंकी के जरिए अमेरिका जाते हैं। क्योंकि हरियाणा में रोजगार नहीं मिलता। कैथल में रेलवे फाटक के ऊपर लगाए गए पोस्टर… हरियाणा के युवाओं में बढ़ रहा विदेश जाने का क्रेज हरियाणा जो कभी कृषि और अपने युवाओं को सेना में भेजने के लिए विख्यात था, अब भूमि बंट जाने और सेना की नौकरियों में कमी के कारण पंजाब के युवकों की भांति यहां के युवाओं में भी विदेश जाकर नौकरी करने का रुझान बढ़ा है। विदेशों में पलायन के चलते कई गांवों में केवल बूढ़े मां-बाप ही रह गए हैं। कुछ ने अपने घरों को प्रवासी लोगों को रहने के लिए दे दिया है। पहले ज्यादातर जमींदार या व्यापारी वर्ग ही अपने बच्चों को पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश भेजते थे। परंतु अब नौकरीपेशा लोग भी अपने बच्चों को विदेश भेजने लगे हैं। हरियाणा के युवक अमेरिका, कनाडा के अलावा फिजी, अफ्रीकी देश, अरब देश के साथ-साथ जर्मनी और इटली जैसे यूरोपियन देशों के अतिरिक्त आस्ट्रेलिया की ओर भी रुख करने लगे हैं।
हरियाणा शिक्षा मंत्री ने अफसरों को सुशासन का पाठ पढ़ाया:ढांडा बोले- है कोई माई का लाल जो संकल्प ले, मैं भारत को विश्व गुरु बनाऊंगा
हरियाणा शिक्षा मंत्री ने अफसरों को सुशासन का पाठ पढ़ाया:ढांडा बोले- है कोई माई का लाल जो संकल्प ले, मैं भारत को विश्व गुरु बनाऊंगा हरियाणा के शिक्षा मंत्री ने हिसार के अफसरों को सुशासन का पाठ पढ़ाया। शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा ने अफसरों से कहा, “है कोई माई का लाल जो सुशासन दिवस पर संकल्प ले और उसे जीवन में उतारे।” शिक्षा मंत्री ने अफसरों से कहा कि सुबह-शाम उठते बैठते जब भी भगवान का नाम लें तो एक लाइन जरूर बोले कि मैं अपने भारत को विश्व गुरु बनाउंगा। शिक्षा मंत्री ने अफसरों से यह पूछा कि वह क्या संकल्प ले रहे हैं। इस पर एक अधिकारी ने कहा कि मैं संकल्प लेता हूं कि ईमानदारी से अपना काम करेंगे। मंत्री ने कहा- और है कोई माई का लाल। इस पर एक महिला टीचर खड़ी हुई बोली जब तक जिएंगे बच्चों के लिए अच्छा करेंगे, उनका भविष्य सुधरे, ताकि कोई बच्चा हमें याद करे कोई अध्यापक आया था, अच्छी शिक्षा देकर गया है। एक अफसर ने कहा जो समस्या लेकर आएगा उसका निदान करने का भरपूर प्रयास करूंगा। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने कहा कि मैं भी संकल्प लेता कि भारत को विश्व गुरु बनाउंगा। हम सब मिलकर बनाएंगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह मेरा निजी विचार है किसी और का नहीं है। मंत्री बोले-मनोहर के सुशासन से 800 करोड़ बच रहे मंत्री महीपाल ढांडा ने अफसरों को बताया कि कैसे सुशासन से तरक्की हो सकती है। ढांडा ने बताया कि आज एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां से नेशनल हाईवे ना गुजरता हो। अफसरों की बदौलत 800 करोड़ रुपए ऑनलाइन सिस्टम हर साल बच रहे हैं। इसी पैसे के दम पर हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनने शुरू हो गए हैं। अलग-अलग योजनाओं में पैसा जाना शुरू हो गया है। यह मजबूत राजनीति सोच के अटल इरादे हैं। हरियाणा में हाईटेक बनेंगे सरकारी विभाग शिक्षा मंत्री ने सुशासन दिवस पर कहा कि व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए मजबूत राजनीतिक सोच की आवश्यकता है। तभी हम 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प से सिद्धि तक ले जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हरियाणा में सरकारी विभागों को हाईटेक बनाने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। युवाओं को नैतिक मूल्यों को समझने की आवश्यकता है। बच्चों को संस्कार युक्त शिक्षा देने के लिए हरियाणा सरकार प्रतिबद्ध है। हरियाणा सरकार ने लड़कियों के लिए स्नातक तक की शिक्षा को निशुल्क किया हुआ है। सरकार का लक्ष्य है कि कम खर्च में विद्यार्थियों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाए। पाठ्यक्रम में महापुरुषों की जीवनी पढ़ाएंगे शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश के महापुरुषों की जीवनी को विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। विद्यार्थियों को वास्तविक इतिहास की घटनाओं से रुबरू करवाया जाएगा। हरियाणा सरकार नई शिक्षा नीति पर अनेक सुझावों पर विचार कर रहे हैं, जो सुझाव विद्यार्थियों के पक्ष में होंगे उनको लागू किया जाएगा। ढांडा ने नई जिले बनाने के सवाल पर कहा कि गठित कमेटी की मंत्रणा जारी है, अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कमेटी में आए सुझावों पर जनता के हित को देखते हुए निर्णय किया जाए। हरियाणा सरकार ने 20 किलोमीटर की दूरी पर बच्चों की पढ़ाई के लिए कॉलेज खोलने का निर्णय लिया हुआ है। इसके अलावा खाली पदों को जल्द भरा जाएगा।