<p style=”text-align: justify;”><strong>Happy Diwali 2024:</strong> मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 30 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम लसूड़िया परिहार में दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर एक अनूठी अदालत का आयोजन होगा. दरअसल, यह अदालत इंसानों की नहीं, बल्कि सांपों के लिए लगाई जाएगी. इस अदालत में पेशी पर भी सांप आएंगे और काटने का कारण बताएंगे. यह परंपरा एक-दो साल से नहीं, बल्कि 100 सालों से जारी है. इस अनूठी अदालत में भोपाल-सीहोर नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों से सांप पीड़ित पहुंचते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दीपावली पर्व की अलग-अलग परंपराए हैं. इन्हीं परंपराए के बीच भोपाल से 30 किलोमीटर दूर इंदौर-भोपाल हाईवे पर एक गांव है, जिसका नाम है लसूड़िया परिहार. इस गांव में हनुमान जी का मंदिर है. ग्राम के वयोवृद्धों के अनुसार इस मंदिर पर बीते 100 सालों से दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर सांपों की अदालत लगाई जाती है. इस अदालत में ऐसे लोग पहुंचते हैं, जिन्हें कभी सांप ने काट लिया. इस पेशी पर सीहोर-भोपाल के नहीं, बल्कि संपूर्ण प्रदेश के जिलों से ग्रामीण पहुंचते हैं. साथ ही इस कोतुहल को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कांडी की धुन पर लहराते हैं लोग</strong><br />ग्राम लसूड़िया परिहार के भोलाराम त्यागी बताते हैं कि 100 से भी अधिक समय से गांव में यह सांपों की अदालत का आयोजन हो रहा है. इस दौरान साल भर में जिन लोगों को सांप ने काट लिया है, वह लोग आते हैं. यहां जैसे ही कांडी की धुन बजना शुरू होती है, वैसे ही लोग लहराने लगते हैं. इस दौरान पंडा जी की ओर से उनसे काटने का कारण पूछा जाता है, जिस पर सांप ने जिस कारण डंसा हो वह पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आकर कारण बताता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोबारा न काटने का वचन</strong><br />सांपों की अदालत में जब पंडा जी पीड़ित व्यक्ति पर आए सांप से कारण पूछते हैं तो वह बताता है कि मैं खेत पर सुकून से रहता था, मेरा घर तोड़ दिया, इसलिए मैंने काटा तो कोई अन्य कारण काटने के बताते हैं. इसके बाद पंडा जी संबंधित सांप से वचन लेते हैं कि दोबारा इसे मत काटना और पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आया सांप वचन देता है. इस माजरे को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Happy Diwali 2024:</strong> मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 30 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम लसूड़िया परिहार में दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर एक अनूठी अदालत का आयोजन होगा. दरअसल, यह अदालत इंसानों की नहीं, बल्कि सांपों के लिए लगाई जाएगी. इस अदालत में पेशी पर भी सांप आएंगे और काटने का कारण बताएंगे. यह परंपरा एक-दो साल से नहीं, बल्कि 100 सालों से जारी है. इस अनूठी अदालत में भोपाल-सीहोर नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों से सांप पीड़ित पहुंचते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दीपावली पर्व की अलग-अलग परंपराए हैं. इन्हीं परंपराए के बीच भोपाल से 30 किलोमीटर दूर इंदौर-भोपाल हाईवे पर एक गांव है, जिसका नाम है लसूड़िया परिहार. इस गांव में हनुमान जी का मंदिर है. ग्राम के वयोवृद्धों के अनुसार इस मंदिर पर बीते 100 सालों से दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर सांपों की अदालत लगाई जाती है. इस अदालत में ऐसे लोग पहुंचते हैं, जिन्हें कभी सांप ने काट लिया. इस पेशी पर सीहोर-भोपाल के नहीं, बल्कि संपूर्ण प्रदेश के जिलों से ग्रामीण पहुंचते हैं. साथ ही इस कोतुहल को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कांडी की धुन पर लहराते हैं लोग</strong><br />ग्राम लसूड़िया परिहार के भोलाराम त्यागी बताते हैं कि 100 से भी अधिक समय से गांव में यह सांपों की अदालत का आयोजन हो रहा है. इस दौरान साल भर में जिन लोगों को सांप ने काट लिया है, वह लोग आते हैं. यहां जैसे ही कांडी की धुन बजना शुरू होती है, वैसे ही लोग लहराने लगते हैं. इस दौरान पंडा जी की ओर से उनसे काटने का कारण पूछा जाता है, जिस पर सांप ने जिस कारण डंसा हो वह पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आकर कारण बताता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोबारा न काटने का वचन</strong><br />सांपों की अदालत में जब पंडा जी पीड़ित व्यक्ति पर आए सांप से कारण पूछते हैं तो वह बताता है कि मैं खेत पर सुकून से रहता था, मेरा घर तोड़ दिया, इसलिए मैंने काटा तो कोई अन्य कारण काटने के बताते हैं. इसके बाद पंडा जी संबंधित सांप से वचन लेते हैं कि दोबारा इसे मत काटना और पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आया सांप वचन देता है. इस माजरे को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.</p> मध्य प्रदेश दिल्ली में BJP को झटका, पार्टी की स्थापना के समय से जड़े नेता AAP में शामिल, अरविंद केजरीवाल बोले- ’50 साल से…’