हरियाणा में धर्मशाला की बिल्डिंग बनाने में 14 लाख का घोटाला उजागर हुआ है। इसमें पूर्व सरपंच ने BDPO और 3 अन्य अधिकारियों से मिलकर धर्मशाला बनाने के लिए ग्रांट ली। इसके बाद धर्मशाला की नई बिल्डिंग बनाने के बदले पुरानी की ही मरम्मत कर खानापूर्ति कर दी। यही नहीं, जब इसकी शिकायत CM विंडो तक पहुंची और आरोपियों को इसका पता चला तो इन्होंने पूरी बिल्डिंग को गिराकर नए सिरे से बना दी। हालांकि, उसमें भी इन्होंने पुरानी ईंटें लगाकर नई ईंटों के फर्जी बिल बना दिए। CM ने इसकी विजिलेंस जांच कराई, जिसमें आरोप सही पाए जाने पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। अब जानिए क्या है पूरा घोटाला… 2020 में मिली 14 लाख की ग्रांट
काछवा गांव में करीब 40 साल पहले कश्यप धर्मशाला बनाई गई थी, जिसकी हालात काफी जर्जर थी। इसकी दीवारें गारे-मिट्टी की बनी हुई थी, दीवारें भले ही कच्ची थी, लेकिन इस पर लेंटर डला हुआ था। इसके नवनिर्माण के लिए सरकार ने 14 लाख रुपए ग्रांट किए। उस समय सरपंच अजय कुमार थे। बिना परमिशन पैसा निकाला, छत ऊपर उठाई
अजय कुमार ने पंचायत सचिव मुकेश धीमान, पूर्व ग्राम सचिव महेंद्र सिंह, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (BDPO) और समाज शिक्षा एवं पंचायत अधिकारी(SEPO) ने साथ मिलीभगत कर कमजोर दीवारों वाली चौपाल की दीवारें नई बनवा छत को ऊपर उठा दिया, जबकि फंड तो नवनिर्माण के लिए आया था। 14 लाख में से 5 से 10 लाख तो जर्जर हालत वाली चौपाल की छत को ऊपर उठाने में ही खर्च कर दिए गए। 2021 में हुई सीएम विंडो से शिकायत
2021 में काछवा गांव के ही हवा सिंह कांगर ने सीएम विंडो के माध्यम से इस पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में बताया गया कि कमजोर दीवार वाली चौपाल का लेंटर पांच फुट ऊंचा उठाया गया और इसे करने के लिए किसी प्रशासनिक अधिकारी की अनुमति भी नहीं ली गई। पंचायती फंड को खराब कर दिया गया, जबकि फंड चौपाल के नवनिर्माण के लिए आया हुआ था। जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला आया तो इसको तत्कालीन सरपंच अजय कुमार ने पंचायत के अधिकारियों के साथ मिलकर आनन-फानन में बिना किसी अथॉरिटी की अनुमति के बगैर गिरा दिया। फर्जी बिल दिखाए गए
सरपंच ने फिर नए सिरे से चौपाल का निर्माण करवाया, लेकिन इसमें भी उन्हीं पुरानी ईंटों को लगाया गया जो पहले से ही लगी हुई थीं। जबकि बिल में उन्होंने दिखाया कि हमने नई ईंटे लगाई हैं। साथ ही बिल में मैटीरियल की भी झूठी खरीद दिखाई गई। विजिलेंस जांच में पुष्टि, FIR दर्ज हवा सिंह ने बताया कि शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी। विजिलेंस ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में शिकायत को सही ठहराया। रिपोर्ट आने के बाद करनाल के डीसी ने मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इसके आधार पर करनाल के जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी संजय टांक की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। शिकायतकर्ता ने बताया कि यह पहला मौका नहीं है जब काछवा गांव के पूर्व सरपंच अजय कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी गांववासियों ने उन पर स्ट्रीट लाइट के खंभों के लिए आए सरकारी फंड में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उस मामले की जांच भी विजिलेंस को सौंपी गई थी। उन्होंने कहा कि सरकारी फंड का सही उपयोग नहीं हो रहा और विकास कार्यों में अनियमितताएं बरती गईं हैं। आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हरियाणा में धर्मशाला की बिल्डिंग बनाने में 14 लाख का घोटाला उजागर हुआ है। इसमें पूर्व सरपंच ने BDPO और 3 अन्य अधिकारियों से मिलकर धर्मशाला बनाने के लिए ग्रांट ली। इसके बाद धर्मशाला की नई बिल्डिंग बनाने के बदले पुरानी की ही मरम्मत कर खानापूर्ति कर दी। यही नहीं, जब इसकी शिकायत CM विंडो तक पहुंची और आरोपियों को इसका पता चला तो इन्होंने पूरी बिल्डिंग को गिराकर नए सिरे से बना दी। हालांकि, उसमें भी इन्होंने पुरानी ईंटें लगाकर नई ईंटों के फर्जी बिल बना दिए। CM ने इसकी विजिलेंस जांच कराई, जिसमें आरोप सही पाए जाने पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। अब जानिए क्या है पूरा घोटाला… 2020 में मिली 14 लाख की ग्रांट
काछवा गांव में करीब 40 साल पहले कश्यप धर्मशाला बनाई गई थी, जिसकी हालात काफी जर्जर थी। इसकी दीवारें गारे-मिट्टी की बनी हुई थी, दीवारें भले ही कच्ची थी, लेकिन इस पर लेंटर डला हुआ था। इसके नवनिर्माण के लिए सरकार ने 14 लाख रुपए ग्रांट किए। उस समय सरपंच अजय कुमार थे। बिना परमिशन पैसा निकाला, छत ऊपर उठाई
अजय कुमार ने पंचायत सचिव मुकेश धीमान, पूर्व ग्राम सचिव महेंद्र सिंह, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (BDPO) और समाज शिक्षा एवं पंचायत अधिकारी(SEPO) ने साथ मिलीभगत कर कमजोर दीवारों वाली चौपाल की दीवारें नई बनवा छत को ऊपर उठा दिया, जबकि फंड तो नवनिर्माण के लिए आया था। 14 लाख में से 5 से 10 लाख तो जर्जर हालत वाली चौपाल की छत को ऊपर उठाने में ही खर्च कर दिए गए। 2021 में हुई सीएम विंडो से शिकायत
2021 में काछवा गांव के ही हवा सिंह कांगर ने सीएम विंडो के माध्यम से इस पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में बताया गया कि कमजोर दीवार वाली चौपाल का लेंटर पांच फुट ऊंचा उठाया गया और इसे करने के लिए किसी प्रशासनिक अधिकारी की अनुमति भी नहीं ली गई। पंचायती फंड को खराब कर दिया गया, जबकि फंड चौपाल के नवनिर्माण के लिए आया हुआ था। जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला आया तो इसको तत्कालीन सरपंच अजय कुमार ने पंचायत के अधिकारियों के साथ मिलकर आनन-फानन में बिना किसी अथॉरिटी की अनुमति के बगैर गिरा दिया। फर्जी बिल दिखाए गए
सरपंच ने फिर नए सिरे से चौपाल का निर्माण करवाया, लेकिन इसमें भी उन्हीं पुरानी ईंटों को लगाया गया जो पहले से ही लगी हुई थीं। जबकि बिल में उन्होंने दिखाया कि हमने नई ईंटे लगाई हैं। साथ ही बिल में मैटीरियल की भी झूठी खरीद दिखाई गई। विजिलेंस जांच में पुष्टि, FIR दर्ज हवा सिंह ने बताया कि शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी। विजिलेंस ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में शिकायत को सही ठहराया। रिपोर्ट आने के बाद करनाल के डीसी ने मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इसके आधार पर करनाल के जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी संजय टांक की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। शिकायतकर्ता ने बताया कि यह पहला मौका नहीं है जब काछवा गांव के पूर्व सरपंच अजय कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी गांववासियों ने उन पर स्ट्रीट लाइट के खंभों के लिए आए सरकारी फंड में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उस मामले की जांच भी विजिलेंस को सौंपी गई थी। उन्होंने कहा कि सरकारी फंड का सही उपयोग नहीं हो रहा और विकास कार्यों में अनियमितताएं बरती गईं हैं। आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर