हरियाणा के रोहतक में रविवार (15 दिसंबर) को सिविल अस्पताल में एक नवजात शिशु को PGI रेफर करने को लेकर हंगामा हो गया। परिजनों का आरोप है कि उनके नवजात की सही से देखभाल नहीं की गई। 3 दिन तक उसे बिना इलाज के रखा। कल रात 12 बजे बच्चा दर्द से कराह रहा था और स्टाफ सो रहा था। अब उन्हें बिना बताए बच्चे को रेफर किया जा रहा है। हमें बच्चे से मिलने भी नहीं दिया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की हालत में सुधार न होने पर उसे मदद के लिए बड़े अस्पताल में रेफर किया है। हंगामे के बाद पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा। इसके बाद मामला शांत कराया गया। अभी बच्चे का PGI में इलाज चल रहा है। अब सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए पूरा मामला… साइन करने का दबाव बनाया
जींद के पोली गांव निवासी राहुल ने बताया कि रविवार सुबह हम आए और स्टाफ से पूछा कि बच्चे का अल्ट्रासाउंड और एक्सरे हुआ या नहीं? इस पर स्टाफ ने कहा कि उन्होंने ध्यान नहीं दिया। अब डॉक्टर खुद आरोप लगा रहे हैं कि ICU के अंदर 20 लोग जाते हैं। बिना कोई सूचना दिए डॉक्टरों ने एम्बुलेंस बुला ली और बच्चे को जबरन PGI रेफर करने लगे। मुझ पर भी साइन करने का दबाव बना रहे हैं। तीन दिन तक बच्चे की देखभाल नहीं की गई और अब उसकी हालत खराब हो गई है, इसलिए फाइल पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रहे हैं। 4 दिन तक बच्चे से नहीं मिलने दिया
प्रदीप ने बताया कि उन्हें 4 दिन तक अपने बच्चे (पोते) से नहीं मिलने दिया। डॉक्टर ने इलाज नहीं किया। पहले कहा गया कि उसे जुकाम है और अब कह रहे हैं कि उसे इन्फेक्शन है। अब डॉक्टर जबरन कह रहे हैं कि बच्चे को ले जाओ। ऐसी लापरवाही किसी बच्चे के साथ नहीं होनी चाहिए। स्टाफ रात को सो रहा है और बच्चे बेचैन हो रहे हैं, वे बच्चों का ख्याल भी नहीं रख रहे। ऊपर से डॉक्टर दबाव बना रहे हैं। प्रशासन को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। हंगामा होने पर क्या बोले डॉक्टर- हालत में सुधार न होने पर रेफर करना पड़ा
जिला अस्पताल के डॉ. रोहित कपूर ने बताया कि उन्हें बच्चे को रेफर करने के बाद भीड़ जुटने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर वह अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने देखा कि डॉक्टरों ने बेहतरीन उपचार दिया है, लेकिन कुछ बच्चों में उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं होता। ऐसे में हमें बड़े अस्पताल की मदद लेनी पड़ती है। 20 लोगों को अंदर जाने की इजाजत नहीं
हम भी अपने तरीके से बच्चे को स्थिर करते हैं और फिर रेफर करते हैं। नवजात बच्चों के लिए विशेष एम्बुलेंस है, जिसमें रेफर करते हैं। फॉलोअप भी किया जाता है। फिलहाल 15 बच्चे भर्ती हैं। 20 लोगों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। भीड़ होने पर महिला स्टाफ कैसे काम करेगी
लोगों की भीड़ होने पर महिला स्टाफ कैसे काम करेगी। अंदर ब्रेस्ट फीडिंग रूम भी है, ऐसे में पुरुषों को अंदर कैसे जाने दिया जा सकता है। महिलाओं को कभी नहीं रोका जाता। सुरक्षा और गोपनीयता के लिए पुरुषों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जाती। ————————— हरियाणा में अस्पताल से जुड़ी ये खबर पढ़ेंः- हरियाणा में जबरदस्ती डिलीवरी से जच्चा-बच्चा की मौत, ब्लीडिंग होने पर पंजाब रेफर किया; परिजन बोले- 4 घंटे झूठा आश्वासन देते रहे डॉक्टर हरियाणा के कैथल में चीका के प्राइवेट अस्पताल में जबरदस्ती डिलीवरी की कोशिश की गई, जिसमें जच्चे (मां) और बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर 3 से 4 घंटे तक ठीक होने का झूठा आश्वासन देते रहे। ज्यादा खून निकलने पर उसे पटियाला रेफर कर दिया, लेकिन अस्पताल में पहुंचने से पहले ही महिला ने दम तोड़ दिया। पढ़ें पूरी खबर हरियाणा के रोहतक में रविवार (15 दिसंबर) को सिविल अस्पताल में एक नवजात शिशु को PGI रेफर करने को लेकर हंगामा हो गया। परिजनों का आरोप है कि उनके नवजात की सही से देखभाल नहीं की गई। 3 दिन तक उसे बिना इलाज के रखा। कल रात 12 बजे बच्चा दर्द से कराह रहा था और स्टाफ सो रहा था। अब उन्हें बिना बताए बच्चे को रेफर किया जा रहा है। हमें बच्चे से मिलने भी नहीं दिया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की हालत में सुधार न होने पर उसे मदद के लिए बड़े अस्पताल में रेफर किया है। हंगामे के बाद पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा। इसके बाद मामला शांत कराया गया। अभी बच्चे का PGI में इलाज चल रहा है। अब सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए पूरा मामला… साइन करने का दबाव बनाया
जींद के पोली गांव निवासी राहुल ने बताया कि रविवार सुबह हम आए और स्टाफ से पूछा कि बच्चे का अल्ट्रासाउंड और एक्सरे हुआ या नहीं? इस पर स्टाफ ने कहा कि उन्होंने ध्यान नहीं दिया। अब डॉक्टर खुद आरोप लगा रहे हैं कि ICU के अंदर 20 लोग जाते हैं। बिना कोई सूचना दिए डॉक्टरों ने एम्बुलेंस बुला ली और बच्चे को जबरन PGI रेफर करने लगे। मुझ पर भी साइन करने का दबाव बना रहे हैं। तीन दिन तक बच्चे की देखभाल नहीं की गई और अब उसकी हालत खराब हो गई है, इसलिए फाइल पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रहे हैं। 4 दिन तक बच्चे से नहीं मिलने दिया
प्रदीप ने बताया कि उन्हें 4 दिन तक अपने बच्चे (पोते) से नहीं मिलने दिया। डॉक्टर ने इलाज नहीं किया। पहले कहा गया कि उसे जुकाम है और अब कह रहे हैं कि उसे इन्फेक्शन है। अब डॉक्टर जबरन कह रहे हैं कि बच्चे को ले जाओ। ऐसी लापरवाही किसी बच्चे के साथ नहीं होनी चाहिए। स्टाफ रात को सो रहा है और बच्चे बेचैन हो रहे हैं, वे बच्चों का ख्याल भी नहीं रख रहे। ऊपर से डॉक्टर दबाव बना रहे हैं। प्रशासन को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। हंगामा होने पर क्या बोले डॉक्टर- हालत में सुधार न होने पर रेफर करना पड़ा
जिला अस्पताल के डॉ. रोहित कपूर ने बताया कि उन्हें बच्चे को रेफर करने के बाद भीड़ जुटने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर वह अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने देखा कि डॉक्टरों ने बेहतरीन उपचार दिया है, लेकिन कुछ बच्चों में उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं होता। ऐसे में हमें बड़े अस्पताल की मदद लेनी पड़ती है। 20 लोगों को अंदर जाने की इजाजत नहीं
हम भी अपने तरीके से बच्चे को स्थिर करते हैं और फिर रेफर करते हैं। नवजात बच्चों के लिए विशेष एम्बुलेंस है, जिसमें रेफर करते हैं। फॉलोअप भी किया जाता है। फिलहाल 15 बच्चे भर्ती हैं। 20 लोगों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। भीड़ होने पर महिला स्टाफ कैसे काम करेगी
लोगों की भीड़ होने पर महिला स्टाफ कैसे काम करेगी। अंदर ब्रेस्ट फीडिंग रूम भी है, ऐसे में पुरुषों को अंदर कैसे जाने दिया जा सकता है। महिलाओं को कभी नहीं रोका जाता। सुरक्षा और गोपनीयता के लिए पुरुषों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जाती। ————————— हरियाणा में अस्पताल से जुड़ी ये खबर पढ़ेंः- हरियाणा में जबरदस्ती डिलीवरी से जच्चा-बच्चा की मौत, ब्लीडिंग होने पर पंजाब रेफर किया; परिजन बोले- 4 घंटे झूठा आश्वासन देते रहे डॉक्टर हरियाणा के कैथल में चीका के प्राइवेट अस्पताल में जबरदस्ती डिलीवरी की कोशिश की गई, जिसमें जच्चे (मां) और बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर 3 से 4 घंटे तक ठीक होने का झूठा आश्वासन देते रहे। ज्यादा खून निकलने पर उसे पटियाला रेफर कर दिया, लेकिन अस्पताल में पहुंचने से पहले ही महिला ने दम तोड़ दिया। पढ़ें पूरी खबर हरियाणा | दैनिक भास्कर