हरियाणा में मेंबरशिप ड्राइव से टेंशन में BJP:50 लाख टारगेट, मेंबर 39 लाख ही बने; चुनाव में 55 लाख से ज्यादा वोट मिले थे

हरियाणा में मेंबरशिप ड्राइव से टेंशन में BJP:50 लाख टारगेट, मेंबर 39 लाख ही बने; चुनाव में 55 लाख से ज्यादा वोट मिले थे

हरियाणा में 50 लाख मेंबर बनाने में BJP नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। करीब पौने 2 महीने बीतने पर भी भाजपा 39 लाख मेंबर ही बना सकी है। यही हालत एक्टिव मेंबरों को लेकर भी है। भाजपा ने इसके लिए 50 हजार का टारगेट फिक्स किया था लेकिन अब तक सिर्फ 28 हजार ही बन पाए हैं। ऐसी सूरत में एक तरफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली खुद जिलों में घूमने लगे हैं तो दूसरी तरफ सीनियर नेताओं को भी अब टारगेट देकर फील्ड में उतारने की प्लानिंग की जा रही है। हालत ये है कि पार्टी ने 8 नवंबर को मेंबरशिप ड्राइव शुरू की थी। इसकी लास्ट डेट 5 दिसंबर थी। जब टारगेट पूरा नहीं हुआ तो इसे बढ़ाकर 10 दिसंबर कर दिया। अब भी टारगेट पूरा नहीं हो सका तो डेडलाइन बढ़ाने की सार्वजनिक घोषणा से तक भाजपा नेताओं ने किनारा कर लिया। चुनाव में 55 लाख से ज्यादा वोट मिले, इसलिए 50 लाख टारगेट रखा
प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 39.94% यानी कुल 55 लाख 48 हजार 800 वोट मिले थे। इसके मुकाबले कांग्रेस को 39.9% यानी कुल 54 लाख 30 हजार 602 वोट मिले थे। पार्टी को मिले 55 लाख से ज्यादा वोट देखकर ही केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं को 50 लाख का टारगेट दिया था। पिछड़ने की बड़ी वजह, कार्यकर्ताओं को सौंपी जिम्मेदारी
भाजपा की तरफ से टारगेट से पिछड़ने की बड़ी वजह ये मानी जा रही है कि मेंबरशिप ड्राइव का जिम्मा कार्यकर्ताओं को दे दिया गया। उन्हें टारगेट अचीव करने पर पद वगैरह का भी भरोसा दिया गया। हालांकि 22 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं, जहां 50% भी टारगेट पूरा नहीं हो सका। इसके बाद सीनियर नेताओं के कान खड़े हुए हैं। अब क्या रणनीति अपनाई जा रही
BJP सूत्रों के मुताबिक अब कार्यकर्ताओं की जगह सत्ता का सुख भोग रहे सीनियर नेता फील्ड में भेजे जाएंगे। इनमें प्रदेश अध्यक्ष बड़ौली के अलावा संगठन के प्रभारी, महामंत्री और दूसरे सीनियर नेता शामिल होंगे। इनके जिम्मे मेंबरशिप ड्राइव में पिछड़ने की वजह जानने से लेकर प्लानिंग की चूक तक पता करने का काम रहेगा। कमेटियां भी बनाएगी पार्टी
प्रदेश में सरकार की हैट्रिक के बावजूद मेंबरशिप ड्राइव में पिछड़ने से केंद्रीय नेतृत्व के आगे किरकिरी न हो, इसके लिए कमेटियां बनाई जा रही हैं। यह कमेटियां चुनाव प्रबंधन से लेकर अपील सुनने तक का काम करेंगी। यह कमेटियां संगठन के चुनावों को लेकर आने वाली शिकायतों को भी सुनेंगी। बूथ से लेकर जिला स्तर तक की शिकायत अपील कमेटी के पास जाएगी। हरियाणा में 50 लाख मेंबर बनाने में BJP नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। करीब पौने 2 महीने बीतने पर भी भाजपा 39 लाख मेंबर ही बना सकी है। यही हालत एक्टिव मेंबरों को लेकर भी है। भाजपा ने इसके लिए 50 हजार का टारगेट फिक्स किया था लेकिन अब तक सिर्फ 28 हजार ही बन पाए हैं। ऐसी सूरत में एक तरफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली खुद जिलों में घूमने लगे हैं तो दूसरी तरफ सीनियर नेताओं को भी अब टारगेट देकर फील्ड में उतारने की प्लानिंग की जा रही है। हालत ये है कि पार्टी ने 8 नवंबर को मेंबरशिप ड्राइव शुरू की थी। इसकी लास्ट डेट 5 दिसंबर थी। जब टारगेट पूरा नहीं हुआ तो इसे बढ़ाकर 10 दिसंबर कर दिया। अब भी टारगेट पूरा नहीं हो सका तो डेडलाइन बढ़ाने की सार्वजनिक घोषणा से तक भाजपा नेताओं ने किनारा कर लिया। चुनाव में 55 लाख से ज्यादा वोट मिले, इसलिए 50 लाख टारगेट रखा
प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 39.94% यानी कुल 55 लाख 48 हजार 800 वोट मिले थे। इसके मुकाबले कांग्रेस को 39.9% यानी कुल 54 लाख 30 हजार 602 वोट मिले थे। पार्टी को मिले 55 लाख से ज्यादा वोट देखकर ही केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं को 50 लाख का टारगेट दिया था। पिछड़ने की बड़ी वजह, कार्यकर्ताओं को सौंपी जिम्मेदारी
भाजपा की तरफ से टारगेट से पिछड़ने की बड़ी वजह ये मानी जा रही है कि मेंबरशिप ड्राइव का जिम्मा कार्यकर्ताओं को दे दिया गया। उन्हें टारगेट अचीव करने पर पद वगैरह का भी भरोसा दिया गया। हालांकि 22 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं, जहां 50% भी टारगेट पूरा नहीं हो सका। इसके बाद सीनियर नेताओं के कान खड़े हुए हैं। अब क्या रणनीति अपनाई जा रही
BJP सूत्रों के मुताबिक अब कार्यकर्ताओं की जगह सत्ता का सुख भोग रहे सीनियर नेता फील्ड में भेजे जाएंगे। इनमें प्रदेश अध्यक्ष बड़ौली के अलावा संगठन के प्रभारी, महामंत्री और दूसरे सीनियर नेता शामिल होंगे। इनके जिम्मे मेंबरशिप ड्राइव में पिछड़ने की वजह जानने से लेकर प्लानिंग की चूक तक पता करने का काम रहेगा। कमेटियां भी बनाएगी पार्टी
प्रदेश में सरकार की हैट्रिक के बावजूद मेंबरशिप ड्राइव में पिछड़ने से केंद्रीय नेतृत्व के आगे किरकिरी न हो, इसके लिए कमेटियां बनाई जा रही हैं। यह कमेटियां चुनाव प्रबंधन से लेकर अपील सुनने तक का काम करेंगी। यह कमेटियां संगठन के चुनावों को लेकर आने वाली शिकायतों को भी सुनेंगी। बूथ से लेकर जिला स्तर तक की शिकायत अपील कमेटी के पास जाएगी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर