हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आज सिरसा के दौरे पर हैं। वे सबसे पहले सिरसा में हलोपा सुप्रीमो एवं विधायक गोपाल कांडा के आवास पर पहुंचे। यहां नायब सैनी ने श्री तारा बाबा की कुटिया पर पूजा-अर्चना की। दौरे के दौरान नायब सैनी ने मीडिया को यह कहकर चौंका दिया कि हरियाणा में भाजपा गोपाल कांडा की हलोपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। गोपाल कांडा की हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का हिस्सा है। गौरतलब है कि सिरसा विधायक एवं हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा ने पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं भाजपा के हरियाणा प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात की थी और एनडीए के हिस्से के तौर पर 15 सीटें मांगी थीं। मगर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हलोपा को सिरसा और फतेहाबाद की 9 विधानसभा में से 5 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अभी गठबंधन और मुद्दों को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन आज मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सिरसा में हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा से मुलाकात कर साथ मिलकर चुनाव लड़ने का बयान दिया है। खट्टर भी करना चाहते थे गठबंधन लेकिन शीर्ष नेतृत्व राजी नहीं हुआ आपको बता दें कि इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले हलोपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे। पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने इसके लिए प्रयास किए थे। लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा नहीं होने दिया। तब उमा भारती ने ट्वीट कर ‘स्वच्छ’ छवि वाले नेताओं से समर्थन लेने की सलाह दी थी। 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग को दिए गए गोपाल कांडा के हलफनामे के मुताबिक, उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश, जालसाजी, धोखाधड़ी और चेक बाउंस समेत 9 आपराधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित थे। हालांकि, चुनाव के बाद भी गोपाल कांडा ने बेशर्मी से हरियाणा की मनोहर सरकार का समर्थन किया था जो बहुमत से कम रही थी। भाजपा कांडा की वफादारी का इनाम उनके साथ गठबंधन करके दे रही है। कांडा को छोड़नी पड़ी थी कुर्सी जब गोपाल कांडा का नाम गीतिका आत्महत्या मामले में आया था, तब वे हरियाणा की हुड्डा सरकार में गृह राज्य मंत्री थे। गोपाल कांडा ने निर्दलीयों के साथ मिलकर हुड्डा सरकार को समर्थन दिया था। बदले में उन्हें हुड्डा सरकार में गृह राज्य मंत्री का पद मिला था। गीतिका आत्महत्या मामले में नाम आने के बाद गोपाल को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था और उन्हें तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था। हालांकि, पिछले साल 2023 में गोपाल कांडा को इस मामले से बरी कर दिया गया है। स्थानीय भाजपा नेताओं को लगेगा झटका गोपाल कांडा के हलोपा के साथ गठबंधन से हरियाणा भाजपा के सिरसा जिले के स्थानीय नेताओं को झटका लग सकता है। सिरसा की शहरी सीट से गोपाल कांडा की दावेदारी तय मानी जा रही है। ऐसे में सिरसा विधानसभा से भाजपा टिकट के दावेदार अमन चोपड़ा, भूपेश मेहता, प्रदीप रतुसरिया को झटका लग सकता है। वहीं गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा सिरसा की रानिया विधानसभा और फतेहाबाद सीट से दावा ठोक रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आज सिरसा के दौरे पर हैं। वे सबसे पहले सिरसा में हलोपा सुप्रीमो एवं विधायक गोपाल कांडा के आवास पर पहुंचे। यहां नायब सैनी ने श्री तारा बाबा की कुटिया पर पूजा-अर्चना की। दौरे के दौरान नायब सैनी ने मीडिया को यह कहकर चौंका दिया कि हरियाणा में भाजपा गोपाल कांडा की हलोपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। गोपाल कांडा की हलोपा (हरियाणा लोकहित पार्टी) एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का हिस्सा है। गौरतलब है कि सिरसा विधायक एवं हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा ने पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं भाजपा के हरियाणा प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात की थी और एनडीए के हिस्से के तौर पर 15 सीटें मांगी थीं। मगर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हलोपा को सिरसा और फतेहाबाद की 9 विधानसभा में से 5 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अभी गठबंधन और मुद्दों को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन आज मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सिरसा में हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा से मुलाकात कर साथ मिलकर चुनाव लड़ने का बयान दिया है। खट्टर भी करना चाहते थे गठबंधन लेकिन शीर्ष नेतृत्व राजी नहीं हुआ आपको बता दें कि इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले हलोपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे। पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने इसके लिए प्रयास किए थे। लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा नहीं होने दिया। तब उमा भारती ने ट्वीट कर ‘स्वच्छ’ छवि वाले नेताओं से समर्थन लेने की सलाह दी थी। 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग को दिए गए गोपाल कांडा के हलफनामे के मुताबिक, उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश, जालसाजी, धोखाधड़ी और चेक बाउंस समेत 9 आपराधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित थे। हालांकि, चुनाव के बाद भी गोपाल कांडा ने बेशर्मी से हरियाणा की मनोहर सरकार का समर्थन किया था जो बहुमत से कम रही थी। भाजपा कांडा की वफादारी का इनाम उनके साथ गठबंधन करके दे रही है। कांडा को छोड़नी पड़ी थी कुर्सी जब गोपाल कांडा का नाम गीतिका आत्महत्या मामले में आया था, तब वे हरियाणा की हुड्डा सरकार में गृह राज्य मंत्री थे। गोपाल कांडा ने निर्दलीयों के साथ मिलकर हुड्डा सरकार को समर्थन दिया था। बदले में उन्हें हुड्डा सरकार में गृह राज्य मंत्री का पद मिला था। गीतिका आत्महत्या मामले में नाम आने के बाद गोपाल को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था और उन्हें तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था। हालांकि, पिछले साल 2023 में गोपाल कांडा को इस मामले से बरी कर दिया गया है। स्थानीय भाजपा नेताओं को लगेगा झटका गोपाल कांडा के हलोपा के साथ गठबंधन से हरियाणा भाजपा के सिरसा जिले के स्थानीय नेताओं को झटका लग सकता है। सिरसा की शहरी सीट से गोपाल कांडा की दावेदारी तय मानी जा रही है। ऐसे में सिरसा विधानसभा से भाजपा टिकट के दावेदार अमन चोपड़ा, भूपेश मेहता, प्रदीप रतुसरिया को झटका लग सकता है। वहीं गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा सिरसा की रानिया विधानसभा और फतेहाबाद सीट से दावा ठोक रहे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हिसार जिला अध्यक्ष बने अशोक सैनी:RSS ट्रेनिंग पूरी होते ही मिली जिम्मेदारी, आशा खेदड़ को 7 महीने में हटाया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक अशोक सैनी को भाजपा ने हिसार का जिला अध्यक्ष बनाया है। अशोक सैनी एक महीने पहले ही आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए थे। यह शिविर 20 दिनों का था। अशोक सैनी पेशे से व्यवसायी हैं। वे भाजपा में जिले के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। इसके अलावा वे पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश सचिव भी रह चुके हैं। अशोक सैनी की मां रोशनी देवी हांसी के सैनीपुरा गांव की सरपंच रह चुकी हैं और उनके पिता पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। वहीं, भाजपा ने पूर्व जिला अध्यक्ष आशा खेदड़ को महज 7 महीने में ही विदाई दे दी है। आशा खेदड़ को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी की जिले की कमान सौंपी गई थी। लेकिन वे पार्टी में खुद को बेहतर नहीं दिखा पाईं। आशा खेदड़ ने आज तक हिसार के सभी 22 मंडलों का दौरा नहीं किया है। लोकसभा चुनाव में भी वे अपने निर्वाचन क्षेत्र उकलाना में निष्क्रिय रहीं। यहां से भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला बुरी तरह पिछड़ गए। आशा खेदड़ ने रणजीत चौटाला का एक भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। यही कारण था कि रणजीत चौटाला ने भी अपनी रिपोर्ट में हार के लिए जिला अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया था। आशा खेदड़ की आंतरिक रिपोर्ट खराब भाजपा सूत्रों के अनुसार पूर्व जिला अध्यक्ष सिर्फ फोटो सेशन तक ही सीमित थीं। पार्टी कार्यकर्ताओं पर उनकी कोई पकड़ नहीं थी। वह अपने पति से सलाह मशविरा करने के बाद ही राजनीतिक फैसले ले रही थीं। भाजपा हाईकमान को यह रिपोर्ट लगातार मिल रही थी। आशा खेदड़ लंबे समय से पार्टी संगठन के लिए काम कर रही हैं और विभिन्न पदों पर रह चुकी हैं। वह दो बार जिला महासचिव रह चुकी हैं। जिला अध्यक्ष बनने से पहले उनके पास प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी थी। वह हिसार के उकलाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं। आशा खेदड़ को सुभाष बराला की टीम का सदस्य माना जाता है। अशोक सैनी के जरिए 20.09% आबादी को साधने की कोशिश अशोक सैनी की नियुक्ति हिसार बीजेपी के लिए अहम मानी जा रही है। बीजेपी हिसार में ओबीसी वोटरों पर पूरी पकड़ बनाना चाहती है। हिसार में ओबीसी आबादी 20.09% है। अकेले सैनी समुदाय के 58 हजार वोटर हैं। जो हिसार और हांसी विधानसभा में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हिसार में ओबीसी आबादी वोटरों के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। हिसार में जाट वोटर सबसे ज्यादा हैं। ये कुल का 32 फीसदी हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति के वोटर करीब 23 फीसदी आबादी के साथ दूसरे नंबर पर हैं। इनमें 1 लाख 20 हजार ब्राह्मण, 96 हजार पंजाबी, 84 हजार कुम्हार, 62 हजार वैश्य, 58 हजार सैनी, 51 हजार बिश्नोई, 52 हजार जांगड़ा, 35 हजार ओड, 32 हजार अहीर, 28 हजार सैन, 21 हजार गुर्जर, 17 हजार नायक, 17 हजार लोहार, 14 हजार सुनार तथा करीब साढ़े 10 हजार सिंधी मतदाता हैं। सुरेंद्र पूनिया के नेतृत्व में बढ़ा जनाधार जिला अध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश महासचिव रहे सुरेंद्र पूनिया के नेतृत्व में 2019 में भाजपा ने हिसार में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उनके नेतृत्व में पार्टी का जनाधार हिसार में बढ़ा और विधानसभा से लेकर हिसार शहर में मेयर चुनाव तक में जीत हासिल की। इसके अलावा हांसी और नलवा में जीत हासिल की। इसके बाद 2020 में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद कैप्टन भूपेंद्र को कमान सौंपी गई लेकिन वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। वे पार्टी को पूरी तरह संगठित नहीं कर पाए। इसके बाद 2024 में आशा खेदड़ को पार्टी की कमान सौंपी गई।
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हरियाणा BJP की विधानसभा चुनाव के लिए प्लानिंग:इस बार 75 पार की जगह नया नारा दिया, एंटी इनकंबेंसी समेत 3 बड़ी चुनौतियां हरियाणा में अबकी बार भाजपा 75 पार नहीं बल्कि तीसरी बार भाजपा सरकार के नारे को लेकर आगे बढ़ेगा। भाजपा कुरूक्षेत्र की थानेसर विधानसभा रण से चुनावी शंखनाद फूंकेगी। यहां भाजपा बड़ी रैली करेगी। इस रैली में प्रदेश भाजपा प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मौजूद रहेंगे। इसके साथ सह प्रभारी बिप्लव कुमार देव और मुख्यमंत्री नायब सैनी समेत प्रदेश भाजपा की पूरी टीम मौजूद रहेगी। भाजपा हरियाणा में 90 की 90 विधानसभा सीटों में इसी प्रकार से रैली करेगी। भाजपा के सह मीडिया प्रभारी संदीप आजाद ने बताया कि “भाजपा 2 अगस्त को चंडीगढ़ में पार्टी के आगामी कार्यक्रमों का पूरा शेड्यूल जारी करेगी। इस शेड्यूल में जिक्र होगा कि किस दिन कौन से विधानसभा में कार्यक्रम होगा। मंथन का दौर जारी
भाजपा संगठन की ओर से 90 विधानसभा में रैली का शेड्यूल लगभग तैयार कर लिया गया है। किस विधानसभा की रैली में कौन आएगा इसके लिए मंथन का दौर जारी है। भाजपा की राज्य कार्यकारिणी दिल्ली में डेरा डाले हुए है और केंद्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर पूरी योजना तैयार की जा रही है। मनोहर लाल खट्टर भी इस कैंपेन को बारीकी से देख रहे हैं। मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में स्टार प्रचारक की तरह रैलियों में भाग लेते नजर आएंगे। हरियाणा में 2014 से सत्ता में भाजपा
हरियाणा में 2014 से ही भाजपा सत्ता में है। केंद्र में 2014 में मोदी सरकार के समानांतर ही हरियाणा में खट्टर सरकार बनी थी। 2019 में भी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और भाजपा जजपा के सहयोग से सत्ता तक पहुंची। मगर अबकी बार खट्टर सांसद का चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बन गए हैं। अब नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं है। खट्टर के जाने के बाद भाजपा के पास प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। भाजपा की राह आसान नहीं
2019 में जहां भाजपा ने लोकसभा में हरियाणा की 10 में से 10 सीटें जीती थीं वहीं इस बार लोकसभा के चुनाव में भाजपा 5 सीटों पर ही सिमट गई। कांग्रेस लोकसभा चुनावों में मजबूत बनकर उभरी है। 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने गठबंधन में रहते हुए 46 सीटों पर बढ़त बनाई। वहीं भाजपा 42 विधानसभा सीटों पर आगे रही। ऐसे में भाजपा के सामने इस बार मुकाबला टफ है। भाजपा के सामने ये 3 बड़ी चुनौतियां 1. सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला, मगर इसका फायदा नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले, मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है। 2. जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों वर्गों को साधने की है। 3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए तीन कृषि कानून को लेकर लंबा आंदोलन हुआ था। इसमें हरियाणा के किसानों ने भूमिका निभाई। कई बार हरियाणा पुलिस और किसानों के बीच टकराव हुआ। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवक नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं। अब पढ़िए लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन 11.06% वोट शेयर घटा
हरियाणा में इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06 प्रतिशत वोट मिले हैं। जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 58 प्रतिशत था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है। वहीं, इस बार कांग्रेस का वोट शेयर 43.73 प्रतिशत रहा। 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 28.42 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। 5 साल में कांग्रेस के वोट शेयर में 15.31 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। इन मंत्रियों और विधायकों के गढ़ में पिछड़ी पार्टी
अंबाला शहर से असीम गोयल (परिवहन मंत्री), जगाधरी से कंवरपाल गुर्जर (कृषि मंत्री), पिहोवा से संदीप सिंह (पूर्व खेल मंत्री), कलायत से कमलेश ढांडा (पूर्व मंत्री), आदमपुर से भव्य बिश्नोई, नलवा से रणबीर सिंह गंगवा, बवानीखेड़ा से बिशंबर वाल्मीकि (राज्य मंत्री), फतेहाबाद से दुड़ाराम, रतिया से लक्ष्मण नापा, लोहारू से जेपी दलाल (कृषि मंत्री), कोसली से लक्ष्मण यादव, हथीन से प्रवीण डागर, होडल से जगदीश नागर के विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवार की हार हुई। संगठन के बावजूद हरियाणा में BJP 49% बूथ हारी
हरियाणा में BJP का बूथ स्तर पर संगठन है, लेकिन लोकसभा चुनाव में 49% बूथों पर पार्टी हार गई। लोकसभा चुनाव में 19812 बूथ थे। इन बूथों में से BJP 9740 बूथ जीत पाई है। बाकी बचे 10,072 बूथ पर कांग्रेस सहित अन्य दल जीते, मगर भाजपा से अधिक बूथ बिना संगठन वाली कांग्रेस ने जीते। वहीं भाजपा के लिए यह राहत है कि भाजपा ने 2019 के विधानसभा की तुलना में इस बार लोकसभा में ज्यादा बूथ जीते हैं। पिछली बार भाजपा ने 19481 बूथ में से 8528 बूथ जीते थे तो वहीं कांग्रेस 5934 बूथ ही जीत पाई थी। इस बार भाजपा ने 9740 बूथ जीते हैं।
करनाल में युवक ने किया सुसाइड:जूते उतारकर पेड़ पर चढ़ा, मोटी टहनी पर कपड़ा बांधकर फंदे पर लटक गया
करनाल में युवक ने किया सुसाइड:जूते उतारकर पेड़ पर चढ़ा, मोटी टहनी पर कपड़ा बांधकर फंदे पर लटक गया करनाल में नगला मेगा-अमृतपुर रोड पर एक युवक ने संदिग्ध हालात में पेड़ पर फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। युवक ने पेड़ के ऊपर चढ़कर सुसाइड किया है। मृतक की पहचान 22 वर्षीय मनीष पुत्र केहर सिंह के रूप में हुई है। मृतक मोहदीनपुर गांव का रहने वाला था। सुसाइड के कारणों का अभी खुलासा नहीं हो पाया है। सुसाइड की सूचना के बाद मंगलौरा पुलिस मौके पर पहुंच गई। एफएसएल टीम की मौजूदगी में शव को पेड़ से नीचे उतारा गया और पोस्टमॉर्टम के लिए करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में भेज दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पेड़ के नीचे निकाले जूते पुलिस के मुताबिक आज सुबह करीब साढ़े 8 बजे युवक का शव पेड़ पर लटका होने की जानकारी मिली। मौके पर पहुंचे तो युवक ने पेड़ पर चढ़कर फंदा लगाया हुआ था। युवक के जूते पेड़ के नीचे निकले हुए पाए गए है। जिस तरीके से जूते निकले हुए है, उससे यह तो स्पष्ट है कि युवक ने सुसाइड किया है और पेड़ पर चढ़ने के लिए उसने जूते नीचे निकाले और पेड़ पर चढ़ गया। जिसके बाद उसने किसी कपड़े को पेड़ की मोटी टहनी से बांधा और फंदा लगा लिया। इलाके में फैली सनसनी पेड़ पर युवक का शव मिलने से आसपास के इलाके में सनसनी फैल गई। जिसके बाद आसपास के ग्रामीण मौके पर एकत्रित हो गए। जिसके बाद मनीष के परिजन भी मौके पर पहुंचे और उसकी शिनाख्त की। मंगलौरा चौकी प्रभारी रोहतास ने बताया कि युवक ने पेड़ पर चढ़कर सुसाइड किया है। शव के पास मृतक के जूते पेड़ के नीचे रखे मिले हैं। नहीं मिला सुसाइड नोट हालांकि घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। मनीष के आत्महत्या के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है। परिजनों के बयानों के आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। फिलहाल शव को पोस्टमॉर्टम के लिए करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज भेज दिया है। मामले की जांच जारी है।