हरियाणा में आज से मानसून कमजोर पड़ जाएगा। प्रदेश में ऐसे हालात 10 सितंबर तक रहने वाले हैं। यही वजह है कि मौसम विभाग ने किसी भी जिले के लिए अलर्ट जारी नहीं किया है। हालांकि सुबह-शाम चलने वाली हवाओं से मौसम में ठंडक रहेगी। मानसून की सक्रियता के कारण पिछले 24 घंटे मैं प्रदेश में 7.7 MM रिकॉर्ड की गई है। सीजन में अब सामान्य से 10 फीसदी कम बरसात रह गई है। पंचकूला में सबसे अधिक 43.6 मिलीमीटर और सोनीपत में 31.2 मिलीमीटर बरसात हुई। यमुनानगर में 20 और कुरुक्षेत्र में 18.9 मिलीमीटर बरसात हुई है। करनाल में 12.3 , रोहतक में 9.9 के अलावा कई अन्य जिलों में भी बरसात दर्ज की गई। बारिश होने से 1.5 डिग्री पारा लगातार बरसात की वजह से सूबे में पारा भी 1.5 डिग्री तक कम हो गया है। अब दिन का तापमान सामान्य से 3.4 डिग्री तक कम हो चुका है। सबसे अधिक 34.3 डिग्री तापमान सिरसा में रहा, जबकि सबसे कम 28.7 अंबाला में दर्ज किया गया। नारनौल और रोहतक में अधिकतम तापमान सामान्य से 5.4 डिग्री तक कम है। मानसून अब कमजोर होगा । 10 प्रतिशत कम हुई बारिश भारत मौसम विज्ञान विभाग के दर्ज आंकड़ों के अनुसार 1 जून से लेकर 5 सितंबर के दौरान हरियाणा राज्य में 332.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। जो सामान्य से 374.3 मिली मीटर से अब तक 10% कम हुई है। अब तक के आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि राज्य के 14 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। आगे कैसा रहेगा मौसम मानसून ट्रफ की अक्षय रेखा सामान्य स्थिति उत्तर की तरफ बने रहने से मानसून में सक्रियता अगले 3 से 4 दिन कम रहेगी। 8 सितंबर से 12 सितंबर के दौरान राज्य के उत्तरी और दक्षिणी जिलों में मौसम परिवर्तनशील तथा कहीं कहीं हल्की बारिश की ही संभावना है। पश्चिमी हरियाणा में आंशिक बादलवाई और कुछ स्थानों पर छिटपुट बूंदाबांदी की संभावना है। जिससे दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी होने तथा वातावरण में नमी कम हो जाने की संभावना है। जुलाई में कम हुई बरसात हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। हरियाणा में आज से मानसून कमजोर पड़ जाएगा। प्रदेश में ऐसे हालात 10 सितंबर तक रहने वाले हैं। यही वजह है कि मौसम विभाग ने किसी भी जिले के लिए अलर्ट जारी नहीं किया है। हालांकि सुबह-शाम चलने वाली हवाओं से मौसम में ठंडक रहेगी। मानसून की सक्रियता के कारण पिछले 24 घंटे मैं प्रदेश में 7.7 MM रिकॉर्ड की गई है। सीजन में अब सामान्य से 10 फीसदी कम बरसात रह गई है। पंचकूला में सबसे अधिक 43.6 मिलीमीटर और सोनीपत में 31.2 मिलीमीटर बरसात हुई। यमुनानगर में 20 और कुरुक्षेत्र में 18.9 मिलीमीटर बरसात हुई है। करनाल में 12.3 , रोहतक में 9.9 के अलावा कई अन्य जिलों में भी बरसात दर्ज की गई। बारिश होने से 1.5 डिग्री पारा लगातार बरसात की वजह से सूबे में पारा भी 1.5 डिग्री तक कम हो गया है। अब दिन का तापमान सामान्य से 3.4 डिग्री तक कम हो चुका है। सबसे अधिक 34.3 डिग्री तापमान सिरसा में रहा, जबकि सबसे कम 28.7 अंबाला में दर्ज किया गया। नारनौल और रोहतक में अधिकतम तापमान सामान्य से 5.4 डिग्री तक कम है। मानसून अब कमजोर होगा । 10 प्रतिशत कम हुई बारिश भारत मौसम विज्ञान विभाग के दर्ज आंकड़ों के अनुसार 1 जून से लेकर 5 सितंबर के दौरान हरियाणा राज्य में 332.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। जो सामान्य से 374.3 मिली मीटर से अब तक 10% कम हुई है। अब तक के आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि राज्य के 14 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। आगे कैसा रहेगा मौसम मानसून ट्रफ की अक्षय रेखा सामान्य स्थिति उत्तर की तरफ बने रहने से मानसून में सक्रियता अगले 3 से 4 दिन कम रहेगी। 8 सितंबर से 12 सितंबर के दौरान राज्य के उत्तरी और दक्षिणी जिलों में मौसम परिवर्तनशील तथा कहीं कहीं हल्की बारिश की ही संभावना है। पश्चिमी हरियाणा में आंशिक बादलवाई और कुछ स्थानों पर छिटपुट बूंदाबांदी की संभावना है। जिससे दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी होने तथा वातावरण में नमी कम हो जाने की संभावना है। जुलाई में कम हुई बरसात हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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दरअसल, पुराने सेक्टरों में बहुमंजिला इमारत बनाने का ज्यादा विरोध हो रहा है। सेक्टर वासी चाहते हैं कि पुराने सेक्टरों में सरकार को यह नियम लागू नहीं करना चाहिए। इन सेक्टरों का बुनियादी ढांचा उस समय की जनसंख्या के अनुसार बनाया गया था। आज की परिस्थिति में जब आबादी कई गुना बढ़ चुकी है तो पुराना बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है। यहां सीवर लाइनें करीब 30 से 35 साल पुरानी हो चुकी हैं। उस समय एक घर में तीन-चार लोग रहते थे। अब मल्टी स्टोरी बनने लगी हैं और एक-एक घर में कई-कई परिवार रह रहे हैं। इसका बोझ सीवर और पेयजल आपूर्ति प्रणाली पर पड़ रहा है। सीवर लाइनें छोटी होने के कारण ओवरफ्लो हो जाती हैं। इससे पुराने सेक्टरों में गंभीर समस्या पैदा हो गई है। पुरानी सीवर लाइनों को बदलना भी इतना आसान नहीं है। काफी बजट लगेगा और समय भी। इस दौरान सड़कें भी टूटेंगी और आमजन परेशान हो जाएंगे। चार मंजिल मकान बनाने से पड़ोसी के आगे कई परेशानी खड़ी हो रही हैं। इन मकानों में दरार आ रही हैं। अब बिल्डर भी पुराने सेक्टरों में मकान व प्लाट खरीदने में लगे हुए हैं। यदि जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो हालात खराब हो जाएंगे। बिल्डरों को फायदा पहुंचा रही सरकार : मलिक
हरियाणा स्टेट सेक्टर कन्फेडरेशन के संयोजक यशवीर मलिक ने बताया कि सरकार ने पुराने सेक्टरों में 4 मंजिला मकान और 1 बेसमैंट यानी 5 मंजिला मकान बनाने की मंजूरी दी है। सरकार ने बिल्डरों पर दबाव में नहीं, बिल्डरों से ले देकर यह स्कीम दोबारा थोंप दी। सेक्टरवासियों ने इसका पहले भी विरोध किया था। राज्यपाल को 2 लाख सेक्टरवासियों के हस्ताक्षर सौंपे थे। विधानसभा में इस मुद्दे पर बहस हुई थी। जांच कमेटी बनाई थी और स्कीम को बंद कर दिया गया था मगर अब उसी स्कीम को फिर से लागू कर दिया। यह साफ है कि बिल्डरों को फायदा पहुंचाने का काम सरकार कर रही है। हमारा जीना दूभर हो गया है। तीन साल एन्हासमेंट का मुद्दा उठाया। सरकार ने तय किया था कि सेटलमेंट पर सेटलमेंट स्कीम ले आएंगे। एक एन्हासमेंट कोष बनाएंगे, मगर अब फिर सरकार एन्हासमेंट के नोटिस दे रही है। सेक्टरों में पानी के बिल चार गुना दिए जा रहे हैं, जबकि पानी वहीं पब्लिक हेल्थ के जरिये आता है। पब्लिक हेल्थ के बिलों से चार गुना एचएसवीपी बिल वसूल रहा है। जो सरासर गलत है। स्टेट कार्यकारिणी के सदस्यों ने दैनिक भास्कर से साझा की समस्या…
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