हरियाणा विधानसभा चुनाव में बमुश्किल ढाई महीने का समय बचा है। ऐसे में चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले तमाम नेता पूरी शिद्दत से अपने-अपने इलाकों में एक्टिव हैं। गुरुग्राम और बादशाहपुर विधानसभा सीट पर BJP में राव नरबीर सिंह और मुकेश शर्मा पार्टी टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। अगर किसी वजह से इनके टिकटों पर कैंची चली तो दोनों बागी तेवर दिखा सकते हैं। उस सूरत में दोनों के निर्दलीय या फिर किसी दूसरी पार्टी में शामिल होकर चुनावी रण में कूदने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसा हुआ तो इसका सीधा नुकसान BJP को होगा। राव नरबीर सिंह 2014 के विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। वह मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री रहे मगर 2019 के चुनाव में पार्टी ने उनका काट दिया। राव नरबीर 2019 में बादशाहपुर से टिकट के दावेदार थे मगर पार्टी ने उनकी जगह नए चेहरे के तौर पर मनीष यादव पर भरोसा जताया। हालांकि मनीष यादव 10 हजार से ज्यादा वोटों से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले राकेश दौलताबाद से हार गए। राव नरबीर इलाके में लगातार एक्टिव राव नरबीर टिकट कटने के बावजूद 2019 से 2024 तक लगातार बादशाहपुर विधानसभा हलके में सक्रिय रहे। इलाके के तमाम गांवों और कस्बों में वह लगातार प्रोग्राम करते रहे हैं। लोगों के सुख-दुख में भी वह पहुंचते रहे हैं। भाजपा में राव नरबीर के अलावा मनीष यादव भी एक बार फिर बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ने के दावेदार हैं। पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर के ओएसडी रह चुके जवाहर यादव भी इसी सीट से ताल ठोंक रहे हैं। इन तीनों के अलावा केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव और पूर्व मेयर विमल यादव भी टिकट की रेस में शामिल हैं। दावेदारों की लंबी-चौड़ी लिस्ट होने के बावजूद राव नरबीर सिंह जिस तरह यहां सक्रिय हैं, उससे यह साफ है कि वह चुनावी रण में कूदने का फैसला ले चुके हैं। अगर BJP टिकट नहीं देती तो उनके कांग्रेस में जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस नेता और महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह उनके समधी हैं। मुकेश शर्मा की नजर भी गुरुग्राम पर भाजपा में ही मुकेश शर्मा की नजर भी गुरुग्राम सीट पर है। मुकेश शर्मा ने 2019 में BJP के टिकट पर बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ा और चौथे स्थान पर रहे। 2014 में पार्टी के टिकट न देने पर मुकेश शर्मा ने बगावत करते हुए बादशाहपुर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन महज 16.22% वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। इस बार वह गुरुग्राम सीट से चुनाव लड़ने की मंशा पाले हुए हैं और इलाके में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। उमेश अग्रवाल की वजह से भाजपा चिंता में गुरुग्राम विधानसभा सीट पर वैश्य और पंजाबी बिरादरी के वोटरों का दबदबा है। भाजपा यहां वैश्य बिरादरी के नेता को टिकट देती रही है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) के मौजूदा नेता और BJP के पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल यहां से चुनावी शंखनाद कर चुके हैं। इसकी वजह से भाजपा की मुसीबत बढ़ गई है और वह किसी पंजाबी चेहरे पर दांव लगा सकती है। ब्राह्मण समाज की बात करें तो इसके कई नेता भी टिकट पर दावा जता रहे हैं। ऐसे में मुकेश शर्मा भी BJP का टिकट न मिलने पर रण में निर्दलीय कूद सकते हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बमुश्किल ढाई महीने का समय बचा है। ऐसे में चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले तमाम नेता पूरी शिद्दत से अपने-अपने इलाकों में एक्टिव हैं। गुरुग्राम और बादशाहपुर विधानसभा सीट पर BJP में राव नरबीर सिंह और मुकेश शर्मा पार्टी टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। अगर किसी वजह से इनके टिकटों पर कैंची चली तो दोनों बागी तेवर दिखा सकते हैं। उस सूरत में दोनों के निर्दलीय या फिर किसी दूसरी पार्टी में शामिल होकर चुनावी रण में कूदने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसा हुआ तो इसका सीधा नुकसान BJP को होगा। राव नरबीर सिंह 2014 के विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। वह मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री रहे मगर 2019 के चुनाव में पार्टी ने उनका काट दिया। राव नरबीर 2019 में बादशाहपुर से टिकट के दावेदार थे मगर पार्टी ने उनकी जगह नए चेहरे के तौर पर मनीष यादव पर भरोसा जताया। हालांकि मनीष यादव 10 हजार से ज्यादा वोटों से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले राकेश दौलताबाद से हार गए। राव नरबीर इलाके में लगातार एक्टिव राव नरबीर टिकट कटने के बावजूद 2019 से 2024 तक लगातार बादशाहपुर विधानसभा हलके में सक्रिय रहे। इलाके के तमाम गांवों और कस्बों में वह लगातार प्रोग्राम करते रहे हैं। लोगों के सुख-दुख में भी वह पहुंचते रहे हैं। भाजपा में राव नरबीर के अलावा मनीष यादव भी एक बार फिर बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ने के दावेदार हैं। पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर के ओएसडी रह चुके जवाहर यादव भी इसी सीट से ताल ठोंक रहे हैं। इन तीनों के अलावा केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव और पूर्व मेयर विमल यादव भी टिकट की रेस में शामिल हैं। दावेदारों की लंबी-चौड़ी लिस्ट होने के बावजूद राव नरबीर सिंह जिस तरह यहां सक्रिय हैं, उससे यह साफ है कि वह चुनावी रण में कूदने का फैसला ले चुके हैं। अगर BJP टिकट नहीं देती तो उनके कांग्रेस में जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस नेता और महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह उनके समधी हैं। मुकेश शर्मा की नजर भी गुरुग्राम पर भाजपा में ही मुकेश शर्मा की नजर भी गुरुग्राम सीट पर है। मुकेश शर्मा ने 2019 में BJP के टिकट पर बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ा और चौथे स्थान पर रहे। 2014 में पार्टी के टिकट न देने पर मुकेश शर्मा ने बगावत करते हुए बादशाहपुर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन महज 16.22% वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। इस बार वह गुरुग्राम सीट से चुनाव लड़ने की मंशा पाले हुए हैं और इलाके में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। उमेश अग्रवाल की वजह से भाजपा चिंता में गुरुग्राम विधानसभा सीट पर वैश्य और पंजाबी बिरादरी के वोटरों का दबदबा है। भाजपा यहां वैश्य बिरादरी के नेता को टिकट देती रही है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) के मौजूदा नेता और BJP के पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल यहां से चुनावी शंखनाद कर चुके हैं। इसकी वजह से भाजपा की मुसीबत बढ़ गई है और वह किसी पंजाबी चेहरे पर दांव लगा सकती है। ब्राह्मण समाज की बात करें तो इसके कई नेता भी टिकट पर दावा जता रहे हैं। ऐसे में मुकेश शर्मा भी BJP का टिकट न मिलने पर रण में निर्दलीय कूद सकते हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में इनेलो के ‘चश्मे’ पर JJP की नजर:दुष्यंत चौटाला बोले- इस बार भी 6% वोट नहीं मिले तो सिंबल फ्रीज होगा, हम दावा करेंगे
हरियाणा में इनेलो के ‘चश्मे’ पर JJP की नजर:दुष्यंत चौटाला बोले- इस बार भी 6% वोट नहीं मिले तो सिंबल फ्रीज होगा, हम दावा करेंगे हरियाणा में राजनीतिक दिग्गज चौटाला परिवार में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) यानी इनेलो पर अधिकार की लड़ाई शुरू होने वाली है। इसके संकेत इनेलो से निकाले गए पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने दिए हैं। जो अभी जननायक जनता पार्टी (JJP) के वरिष्ठ नेता हैं। दुष्यंत ने कहा-” चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार 2 लोकसभा इलेक्शन में 6% से ज्यादा वोट शेयर की जरूरत होती है। मगर, इनेलो के 2019 लोकसभा चुनाव में 2 प्रतिशत के लगभग वोट आए थे। दुष्यंत ने कहा कि इस चुनाव में भी इनेलो के वोट शेयर 2 प्रतिशत तक ही रह सकते हैं। ऐसे में इनेलो का सिंबल छिन सकता है।” अगर अगर इनेलो का सिंबल चश्मा चुनाव आयोग छीनता है तो जजपा इस पर दावा ठोक सकती है। ऐसे समझें इनेलो से सिंबल छिनने के खतरे का गणित…
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार किसी भी पार्टी को लगातार 2 चुनाव (लोकसभा व विधानसभा) में निर्धारित वोट नहीं मिलते हैं तो स्टेट पार्टी का दर्जा छिन जाता है। लोकसभा चुनाव में 6% वोट और एक सीट या 8% वोट की जरूरत होती है। विधानसभा में 6% वोट और 2 सीटें होनी चाहिए। नियम के अनुसार, अगर लगातार 2 चुनाव (2 लोस व 2 विस) में ये सब नहीं होता है तो पार्टी का चुनाव चिह्न भी छिन सकता है। इनेलो ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89% और विधानसभा चुनाव में 2.44% ही वोट हासिल किए थे। इसके अलावा 2019 के चुनाव भाजपा की लहर ने हरियाणा में सभी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया। 10 की 10 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए। इस चुनाव में इनेलो को एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुआ। इस चुनाव में इनेलो के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन यहां भी निराशा हाथ लगी। अभय चौटाला के अलावा सभी प्रत्याशी हार गए। इस बार भी कम से कम 6% वोट और एक सीट या 8% वोट नहीं मिले तो स्टेट पार्टी का दर्जा व चश्मे का चुनाव निशान तक छिन सकता है। हरियाणा में मुश्किल में चौटाला परिवार की दोनों पार्टियां…. इनेलो के आगे अस्तित्व बचाने की लड़ाई कभी हरियाणा की राजनीति की दशा-दिशा तय करने वाली इनेलो के लिए अब अस्तित्व बचाने की चुनौती है। इनेलो के लिए चश्मा चुनाव चिन्ह बचाना ही मुश्किल हो रहा है। जिसके लिए उन्हें इस बार 6% मत हासिल करना इसलिए जरूरी है। 4 महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में सिंबल छिन गया तो इनेलो के लिए मुश्किल हो सकती है। इसी वजह से अभय चौटाला खुद कुरूक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे जबकि परिवार की दूसरी सदस्य सुनैना चौटाला को हिसार से चुनाव लड़ाया गया है। इनेलो ने 5 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें अंबाला, कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार की सीटें शामिल हैं, जबकि करनाल में एनसीपी के वीरेंद्र मराठा को इनेलो ने अपना समर्थन दे रखा है सरकार से साथ टूटने पर बगावत से जूझती जजपा
वहीं दूसरी तरफ जजपा साढ़े 4 साल सत्ता का सुख लेने के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अलग हो गई। इसके बाद जजपा में ही बगावत शुरू हो गई। जजपा के 10 में से 5 विधायक बागी हो गए।इनमें से विधायक जोगीराम सिहाग ने खुलकर भाजपा की समर्थन किया। रामकुमार गौतम ने देशहित के बहाने भाजपा के समर्थन की बात की। देवेंद्र बबली ने इशारों में कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया। बाकी बचे रामनिवास सुरजाखेड़ा और ईश्वर सिंह ने सीधे किसी का समर्थन नहीं किया लेकिन पार्टी के प्रति बागी तेवर बरकरार हैं। इनमें से विधायक सुरजाखेड़ा और सिहाग की तो विधानसभा सदस्यता भंग करने के लिए भी जजपा ने स्पीकर को चिट्ठी लिख दी है। जजपा नेतृत्व के साथ 5 विधायक, जिनमें खुद दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, अनूप धानक, रामकरण काला और अमरजीत ढांडा हैं। इस बार जजपा प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दुष्यंत की मां नैना चौटाला हिसार से उम्मीदवार है। कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
दरअसल इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग के नियम 1968 का पालन किया जाता है। जिसके मुताबिक किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए 4 या उससे ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है। इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम 6 प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं। परिवार में आपसी कलह से टूटी थी इनेलो
2018 में पारिवार में आपसी कलह के चलते इनेलो में बड़ी टूट हुई थी। अभय चौटाला के भाई अजय चौटाला ने अपने बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के अलावा कई अन्य नेताओं के साथ पार्टी को अलविदा कह दिया। इसके बाद हरियाणा में जन नायक जनता पार्टी यानि जजपा का गठन हुआ। अब स्थिति ये है कि हरियाणा में न इनेलो का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है और न ही जजपा का। जजपा और इनेलो में फूट का सबसे ज्यादा फायदा राष्ट्रीय पार्टी भाजपा और कांग्रेस को हुआ है। 2019 विधानसभा चुनाव में जजपा ने जीती थी 10 सीटें
इनेलो टूटने के बाद बनी जजपा ने पहली बार 2019 में विधानसभा लड़ा था। जजपा ने प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जजपा ने 10 सीटें जीते थी। हिसार के सांसद रहे दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा गया था। इस चुनाव में उचाना, बाढड़ा, टोहाना, बरवाला, नारनौंद, जुलाना, गुहला, उकलाना, नरवाना और शाहबाद विधानसभा सीटें जीते थीं। 10 विधायक चुने जाने के बाद जजपा ने भाजपा को समर्थन देकर हरियाणा में 2019 में नई सरकार का गठन किया था। नई सरकार में दुष्यंत चौटाला को भाजपा ने डिप्टी सीएम बनाया था।
हरियाणा में पाकिस्तान की हवाओं से बढ़ेगी ठंड:24 से चलेंगी उत्तर-पश्चिमी हवाएं; रात-दिन के तापमान में आएगी गिरावट, 7 से 8 डिग्री तक गिरेगा पारा
हरियाणा में पाकिस्तान की हवाओं से बढ़ेगी ठंड:24 से चलेंगी उत्तर-पश्चिमी हवाएं; रात-दिन के तापमान में आएगी गिरावट, 7 से 8 डिग्री तक गिरेगा पारा हरियाणा में जल्द ही मौसम बदलने वाला है। इस बार मौसम पाकिस्तान की ओर से 24 अक्टूबर को चलने वाली उत्तर पश्चिमी हवाओं से बदलेगा। इससे पहाड़ों में बर्फवारी और हरियाणा के मैदानी इलाकों में पाला पड़ेगा। इससे रात और दिन के तापमान में जबरदस्त गिरावट आएगी। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो दिन के तापमान में 7 से 8 डिग्री की गिरावट देखने को मिलेगी। हालांकि अभी छह दिन तक मौसम साफ रहने के आसार हैं। दिन में कड़ाके की धूप से लोगों को जून जैसी गर्मी का एहसास हो रहा है। 24 घंटे के आंकड़ों के अनुसार हिसार सबसे गर्म रिकॉर्ड किया गया। यहां का अधिकतम तापमान 38.7 दर्ज किया गया। जबकि हिसार की रातें सबसे ठंडी रहीं। जिले का न्यूनतम तापमान 16.9 डिग्री तक पहुंच गया। छह दिन तक साफ रहेगा मौसम मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाणा में अगले छह दिनों तक मौसम साफ रहेगा। बारिश होने के कोई आसार नहीं हैं। हालांकि मौसम में जो बदलाव हो रहे हैं, उससे रात के समय पाला गिरेगा, जिससे सुबह और शाम हल्की ठंड महसूस होगी। मौसम विशेषज्ञ ने बताया कि आने वाले दिनों में दिन के साथ रात के तापमान में भी गिरावट आएगी। खराब होने लगी शहरों की हवा वहीं पराली जलाने से हरियाणा की आबोहवा काफी खराब हो रही है। दिल्ली से लगते सूबे के अधिकांश जिलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) काफी खराब श्रेणी में पहुंच गया है। 24 घंटे के दौरान कैथल जिले की हवा सबसे खराब रही। यहां का एक्यूआई 320 तक पहुंच गया। वहीं पानीपत, यमुनानगर, बहादुरगढ़, फरीदाबाद, गुरुग्राम जिलों में भी एक्यूआई 200 से अधिक दर्ज किया गया। मानसून ने नहीं किया निराश राज्य में मानसून का प्रदर्शन अब तक संतोषजनक रहा है। कुल मिलाकर अब तक 424.6 मिमी बारिश के मुकाबले 406.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है। जो सामान्य से महज 4% कम है। यानी बारिश का कोटा लगभग पूरा हो चुका है।दूसरी ओर, अगर जिले के हिसाब से बारिश की स्थिति देखें तो 10 जिले ऐसे हैं, जिनमें 10 से 38% कम बारिश दर्ज की गई है। 12 जिलों में सामान्य से 10 से 71% अधिक बारिश हुई है। तीन जिलों में सबसे ज्यादा बारिश इस बार मानसून सीजन नूंह, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ पर ज्यादा मेहरबान रहा। नूंह में सामान्य से 71 फीसदी, गुरुग्राम में 53 फीसदी और महेंद्रगढ़ में सामान्य से 43 फीसदी अधिक बारिश हुई है। इन 3 जिलों में अत्यधिक बारिश हुई है। हालांकि झज्जर, चरखी दादरी, रेवाड़ी, पलवल, सिरसा और कुरुक्षेत्र में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई है। 3 जिले सबसे सूखे रहे हालांकि मानसून अब तक 10 जिलों में बारिश का कोटा पूरा नहीं कर पाया है, लेकिन सबसे अधिक बेरुखी करनाल, यमुनानगर और पंचकूला की रही। करनाल में सामान्य से 38 फीसदी, यमुनानगर में 33 फीसदी और पंचकूला में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई है। मानसून कभी भी विदा हो सकता है, इसलिए इन जिलों के लिए बारिश का कोटा पूरा करना संभव नहीं लगता।
भाखड़ा नहर से अज्ञात का शव बरामद, जांच में जुटी पुलिस
भाखड़ा नहर से अज्ञात का शव बरामद, जांच में जुटी पुलिस जाखल| जाखल पुलिस थाना के अंतर्गत गांव कूदनी के पास भाखड़ा नहर से एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद किया गया है। पुलिस शव की पहचान करवाने के लिए प्रयास कर रही है। वहीं शव को कब्जे में लेकर इसे नागरिक अस्पताल टोहाना के डेड हाउस में पहुंचाया गया है। जाखल पुलिस थाना प्रभारी कुलदीप सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि गांव कूदनी के पास भाखड़ा नहर में एक शव तैर रहा है। सूचना मिलते ही एएसआई राजकुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने मौके पर पहुंच कर जांच की तो करीब 40 वर्षीय एक व्यक्ति का शव नग्न अवस्था में भाखड़ा नहर में तैरता हुआ पाया।