हरियाणा में ITI की 18548 सीटें हुईं कम:5 साल से नहीं हुआ एक भी एडमिशन, एडिशनल डायरेक्टर बोले-इंडस्ट्री की डिमांड पर फोकस

हरियाणा में ITI की 18548 सीटें हुईं कम:5 साल से नहीं हुआ एक भी एडमिशन, एडिशनल डायरेक्टर बोले-इंडस्ट्री की डिमांड पर फोकस

हरियाणा में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) कॉलेजों में करीब 8 साल पहले इंस्ट्रक्टर, टूल, उपकरण व मशीनरी के बिना सीटों की संख्या तो बढ़ा दी गई थी। लेकिन लगातार 5 साल तक जीरो दाखिले होने की वजह से सरकारी ITI की 18 हजार 548 सीटें खत्म करनी पड़ी हैं। करीब 2 साल पहले खत्म की गई इन सीटों को लेकर विभाग द्वारा ITI प्रिंसिपलों से ऑब्जेक्शन मांगे जा रहे हैं, लेकिन किसी प्रिंसिपल ने अब तक ऑब्जेक्शन नहीं दिया है। जिसकी मुख्य वजह 2018 से इंस्ट्रक्टर, टूल, उपकरण और मशीनरी को आज तक पूरा न कर पाना है। नई टेक्नॉलॉजी अपग्रेड न करने की वजह से विद्यार्थी ITI की कई ट्रेडों में एडमिशन लेने से पीछे हट रहे हैं। 25 साल पुराने ट्रैक्टरों से दिया जा रहा प्रशिक्षण टेक्नॉलॉजी में पिछड़ने का आकलन यहीं से किया जा सकता है कि कृषि प्रधान प्रदेश होने के बावजूद ITI में ट्रैक्टर मैकेनिक ट्रेड के विद्यार्थियों को 25 साल पुराने एचएमटी के ट्रैक्टरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिनकी कंपनी भी बंद हो चुकी है। छात्रों के मुताबिक, कलायत जैसी ग्रामीण आंचल की ITI में तो बिना ट्रैक्टर के ही ट्रैक्टर मैकेनिक की ट्रेनिंग दी जा रहा है। एफिलिएशन के 8 साल बाद भी ट्रैक्टर उपलब्ध न करवाना विभाग की कमी को उजागर करता है। प्रिंसिपलों को करना था दूसरी ITI का निरीक्षण साल 2012 तक ITI में ट्रेड एफिलिएशन व ट्रेड यूनिट बढ़ाने की शक्तियां आरडीएटी (रीजनल डायरेक्टर अप्रेंटिस ट्रेनिंग) के पास होती थी। जिसमें तीन अधिकारी शामिल होते थे। लेकिन साल 2013 से एफिलिएशन के लिए निरीक्षण क्यूसीआई (क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया) के पास चला गया। इसके बाद साल 2018 में ITI के ही प्रिंसिपलों को ट्रेड व यूनिट एफिलिएशन के लिए निरीक्षण करने की ड्यूटी लगाई गई। जिसके तहत प्रिंसिपलों को खुद की ITI की बजाय दूसरी ITI में जाकर एफिलिएशन के लिए निरीक्षण करना था। उसका परिणाम यह निकला कि प्रिंसिपलों ने बिना इंस्ट्रक्टर, टूल, उपकरण व मशीनरी के ही एफिलिएशन की निरीक्षण फाइलों पर हस्ताक्षर कर दिए। उनकी भेजी गई फाइलों पर डीजीटी भारत सरकार ने एफिलिएशन प्रदान कर दी। सहमति देने से पहले अधिकारियों ने यह तक नहीं देखा कि एफिलिएशन के लिए ITI में इंस्ट्रक्टर, टूल किट व उपकरण है या नहीं। 18 हजार 548 सीटों पर दाखिला नहीं हुए 2018 में एफिलिएशन में की गई गड़बड़ी का नतीजा रहा कि ITI में नई यूनिटें व सीटें तो बढ़ गई। लेकिन 18 हजार 548 सीटों पर एक भी दाखिला नहीं हो पाया। लगातार 5 साल तक दाखिले नहीं हुए तो विभाग ने इन सीटों को खत्म कर दिया। कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण निदेशालय की ओर से इसी साल 6 मार्च को प्रदेश की सभी ITI के प्रिंसिपल के नाम पत्र जारी किया गया था। जिसमें डी-एफिलिएट हुई ट्रेड व यूनिटों को लेकर पोर्टल पर ऑब्जेक्शन मांगे गए थे, लेकिन किसी ने ऑब्जेक्शन नहीं जताया। इंडस्ट्री की डिमांड पर फोकस- एडिशनल डायरेक्टर कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग हरियाणा के एडिशनल डायरेक्टर राजकुमार ने बताया कि पिछले 3 साल से ITI में 90 प्रतिशत से ज्यादा दाखिले हो रहे हैं। प्रदेश में ट्रेड ज्यादा होने की वजह से जिन सीटों पर दाखिले नहीं हो रहे थे, उन्हें डी-एफिलिएट कर दिया गया। जिस कारण सीटों की संख्या कम करनी पड़ी। इंडस्ट्री की डिमांड के अनुसार ही ट्रेड पर फोकस किया जा रहा है। हरियाणा में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) कॉलेजों में करीब 8 साल पहले इंस्ट्रक्टर, टूल, उपकरण व मशीनरी के बिना सीटों की संख्या तो बढ़ा दी गई थी। लेकिन लगातार 5 साल तक जीरो दाखिले होने की वजह से सरकारी ITI की 18 हजार 548 सीटें खत्म करनी पड़ी हैं। करीब 2 साल पहले खत्म की गई इन सीटों को लेकर विभाग द्वारा ITI प्रिंसिपलों से ऑब्जेक्शन मांगे जा रहे हैं, लेकिन किसी प्रिंसिपल ने अब तक ऑब्जेक्शन नहीं दिया है। जिसकी मुख्य वजह 2018 से इंस्ट्रक्टर, टूल, उपकरण और मशीनरी को आज तक पूरा न कर पाना है। नई टेक्नॉलॉजी अपग्रेड न करने की वजह से विद्यार्थी ITI की कई ट्रेडों में एडमिशन लेने से पीछे हट रहे हैं। 25 साल पुराने ट्रैक्टरों से दिया जा रहा प्रशिक्षण टेक्नॉलॉजी में पिछड़ने का आकलन यहीं से किया जा सकता है कि कृषि प्रधान प्रदेश होने के बावजूद ITI में ट्रैक्टर मैकेनिक ट्रेड के विद्यार्थियों को 25 साल पुराने एचएमटी के ट्रैक्टरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिनकी कंपनी भी बंद हो चुकी है। छात्रों के मुताबिक, कलायत जैसी ग्रामीण आंचल की ITI में तो बिना ट्रैक्टर के ही ट्रैक्टर मैकेनिक की ट्रेनिंग दी जा रहा है। एफिलिएशन के 8 साल बाद भी ट्रैक्टर उपलब्ध न करवाना विभाग की कमी को उजागर करता है। प्रिंसिपलों को करना था दूसरी ITI का निरीक्षण साल 2012 तक ITI में ट्रेड एफिलिएशन व ट्रेड यूनिट बढ़ाने की शक्तियां आरडीएटी (रीजनल डायरेक्टर अप्रेंटिस ट्रेनिंग) के पास होती थी। जिसमें तीन अधिकारी शामिल होते थे। लेकिन साल 2013 से एफिलिएशन के लिए निरीक्षण क्यूसीआई (क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया) के पास चला गया। इसके बाद साल 2018 में ITI के ही प्रिंसिपलों को ट्रेड व यूनिट एफिलिएशन के लिए निरीक्षण करने की ड्यूटी लगाई गई। जिसके तहत प्रिंसिपलों को खुद की ITI की बजाय दूसरी ITI में जाकर एफिलिएशन के लिए निरीक्षण करना था। उसका परिणाम यह निकला कि प्रिंसिपलों ने बिना इंस्ट्रक्टर, टूल, उपकरण व मशीनरी के ही एफिलिएशन की निरीक्षण फाइलों पर हस्ताक्षर कर दिए। उनकी भेजी गई फाइलों पर डीजीटी भारत सरकार ने एफिलिएशन प्रदान कर दी। सहमति देने से पहले अधिकारियों ने यह तक नहीं देखा कि एफिलिएशन के लिए ITI में इंस्ट्रक्टर, टूल किट व उपकरण है या नहीं। 18 हजार 548 सीटों पर दाखिला नहीं हुए 2018 में एफिलिएशन में की गई गड़बड़ी का नतीजा रहा कि ITI में नई यूनिटें व सीटें तो बढ़ गई। लेकिन 18 हजार 548 सीटों पर एक भी दाखिला नहीं हो पाया। लगातार 5 साल तक दाखिले नहीं हुए तो विभाग ने इन सीटों को खत्म कर दिया। कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण निदेशालय की ओर से इसी साल 6 मार्च को प्रदेश की सभी ITI के प्रिंसिपल के नाम पत्र जारी किया गया था। जिसमें डी-एफिलिएट हुई ट्रेड व यूनिटों को लेकर पोर्टल पर ऑब्जेक्शन मांगे गए थे, लेकिन किसी ने ऑब्जेक्शन नहीं जताया। इंडस्ट्री की डिमांड पर फोकस- एडिशनल डायरेक्टर कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग हरियाणा के एडिशनल डायरेक्टर राजकुमार ने बताया कि पिछले 3 साल से ITI में 90 प्रतिशत से ज्यादा दाखिले हो रहे हैं। प्रदेश में ट्रेड ज्यादा होने की वजह से जिन सीटों पर दाखिले नहीं हो रहे थे, उन्हें डी-एफिलिएट कर दिया गया। जिस कारण सीटों की संख्या कम करनी पड़ी। इंडस्ट्री की डिमांड के अनुसार ही ट्रेड पर फोकस किया जा रहा है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर