पानीपत से घरौंडा जा रही हरियाणा रोडवेज बस में महिला के बैग से जेवर चोरी हो गए। आरोपियों ने मदद के बहाने महिला का बैग ऊपर रखने का ऑफर दिया। जब उसने अपना बैग वापस मांगा, तो आरोपियों ने उसे बैग नहीं लौटाया। आरोपियों ने कोहंड के पास जबरन बस रुकवाई और मौके से फरार हो गए। महिला ने बैग चेक किया तो उसके अंदर जेवर गायब मिले। पीड़िता ने शोर मचाया और चोरी की बात बस कंडक्टर काे बताई। जिसके बाद बस को घरौंडा थाने लाकर रोका गया और पीड़िता ने पुलिस को शिकायत दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पानीपत टोल से बस में चढ़े थे आरोपी घरौंडा के गुढा गांव की महिला रूबी पत्नी अंकुश 11 दिसंबर को पानीपत से घरौंडा आ रही थी। पीड़िता के अनुसार, वह पानीपत टोल से बस पर चढ़ी थी। बस रोहतक से चंडीगढ़ जा रही थी। इसी दौरान 10-12 अज्ञात लोग भी बस में चढ़े। उन्होंने मदद के बहाने उसका बैग ऊपर रखने की पेशकश की। जब उसने अपना बैग वापस मांगा, तो आरोपियों ने उसे नहीं लौटाया। बस कोहंड के पास पहुंची, तो अज्ञात व्यक्तियों ने बस रुकवाने की कोशिश की। इस बीच, पीड़िता ने बैग चेक किया, तो उसमें रखी ज्वैलरी गायब मिली। ज्वैलरी में एक सोने की गलसरी, एक मंगलसूत्र और एक अंगूठी शामिल थी। पीड़िता ने शोर मचाया, लेकिन आरोपी बस रुकवाकर फरार हो गए। महिला ने शोर मचाने पर रोकी बस बस यात्री मान सिंह, गंगा देवी व अन्य ने बताया कि टोल से करीब दो किलोमीटर ही बस चली होगी। इतने में ही शोर मच गया कि गाडी रोको गाडी रोको, जैसे ही गाड़ी रूकी तो बस में सवार 10-12 लाेग उतरकर भाग गए। इसके बाद महिला ने शोर मचाया कि उसके बैग से गहने चोरी हो गए। फिर सवारियां आरोपियों के पीछे दौड़ी। आरोपी ईधर उधर ईख में घुस गए। बस कंडक्टर युद्धवीर सिंह ने बताया कि महिला का बैग खुला हुआ था। महिला का आरोप है कि आरोपी उसके गहने लेकर भाग गए है। पानीपत से घरौंडा जा रही हरियाणा रोडवेज बस में महिला के बैग से जेवर चोरी हो गए। आरोपियों ने मदद के बहाने महिला का बैग ऊपर रखने का ऑफर दिया। जब उसने अपना बैग वापस मांगा, तो आरोपियों ने उसे बैग नहीं लौटाया। आरोपियों ने कोहंड के पास जबरन बस रुकवाई और मौके से फरार हो गए। महिला ने बैग चेक किया तो उसके अंदर जेवर गायब मिले। पीड़िता ने शोर मचाया और चोरी की बात बस कंडक्टर काे बताई। जिसके बाद बस को घरौंडा थाने लाकर रोका गया और पीड़िता ने पुलिस को शिकायत दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पानीपत टोल से बस में चढ़े थे आरोपी घरौंडा के गुढा गांव की महिला रूबी पत्नी अंकुश 11 दिसंबर को पानीपत से घरौंडा आ रही थी। पीड़िता के अनुसार, वह पानीपत टोल से बस पर चढ़ी थी। बस रोहतक से चंडीगढ़ जा रही थी। इसी दौरान 10-12 अज्ञात लोग भी बस में चढ़े। उन्होंने मदद के बहाने उसका बैग ऊपर रखने की पेशकश की। जब उसने अपना बैग वापस मांगा, तो आरोपियों ने उसे नहीं लौटाया। बस कोहंड के पास पहुंची, तो अज्ञात व्यक्तियों ने बस रुकवाने की कोशिश की। इस बीच, पीड़िता ने बैग चेक किया, तो उसमें रखी ज्वैलरी गायब मिली। ज्वैलरी में एक सोने की गलसरी, एक मंगलसूत्र और एक अंगूठी शामिल थी। पीड़िता ने शोर मचाया, लेकिन आरोपी बस रुकवाकर फरार हो गए। महिला ने शोर मचाने पर रोकी बस बस यात्री मान सिंह, गंगा देवी व अन्य ने बताया कि टोल से करीब दो किलोमीटर ही बस चली होगी। इतने में ही शोर मच गया कि गाडी रोको गाडी रोको, जैसे ही गाड़ी रूकी तो बस में सवार 10-12 लाेग उतरकर भाग गए। इसके बाद महिला ने शोर मचाया कि उसके बैग से गहने चोरी हो गए। फिर सवारियां आरोपियों के पीछे दौड़ी। आरोपी ईधर उधर ईख में घुस गए। बस कंडक्टर युद्धवीर सिंह ने बताया कि महिला का बैग खुला हुआ था। महिला का आरोप है कि आरोपी उसके गहने लेकर भाग गए है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में प्रशासन ने नहीं दी पटाखे बेचने की परमिशन:फिर भी शहर के पॉस इलाकों में स्टॉल लगाकर बिक रहे पटाखे, पहले फैक्ट्री धमाके जा चुकी 3 लोगों की जान हरियाणा में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कृषि विभाग किसानों पर धड़ाधड़ मुकद्मे करवा रहा है, दूसरी ओर बिना किसी लाइसेंस करनाल में गोगड़ीपुर रोड पर स्थित फैक्ट्री, दशहरा ग्राउंड सेक्टर 4, सेक्टर 12, सेक्टर 16 सहित शहर के मुख्य बाजारों में पटाखे बेचे जा रहे है, हालांकि अबकी बार प्रशासन की तरफ से स्टॉल लगाने के लिए भी कोई लाइसेंस इशू नहीं किया गया है और न ही कोई आधिकारिक अनुमति दी गई है। बता दें कि इससे पहले यानी 2021 में घोघड़ीपुर फाटक के पास स्थित इस पटाखा फैक्ट्री हादसा हो चुका है। जिसमें तीन कर्मचारियों की मौके पर मौत हो गई थी और कई कर्मचारी आग में झुलस गए थे। उसके बाद भी प्रशासन आंखे मूंद करके बैठा है। आज भी इस फैक्ट्री संचालक द्वारा यहीं पर पटाखे बेचे जा रहे है। दोनों तरह से पटाखों से फैलता है प्रदूषण पटाखे चाहे रेड हो या फिर ग्रीन, उनके जलाने से प्रदूषण फिर भी होता है। करनाल जिले की अगर हम बात करे तो शहर में सभी जगह पर पटाखों के स्टॉल लगे हुए है और जहां पर स्टॉल लगे हुए है वहां पर किसी तरह के सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि अगर अब प्रशासन की प्रशासन की इस लापरवाही के कारण कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा? प्रशासन ने चलाया था चेकिंग अभियान आश फाउंडेशन के अध्यक्ष अनुज सैनी ने कहा कि प्रशासन की तरफ से पिछले सप्ताह कुछ गोदामों और दुकानों पर चेकिंग अभियान चलाया गया था। जहां पर चेकिंग की गई थी कि क्या कोई दुकानदार रेड पटाखे रख रहा है या फिर ग्रीन पटाखे रख रहा है। हालांकि इस दौरान किसी तरह के पटाखे तो पकड़ में नहीं आए, लेकिन एक सवाल यहां पर खड़ा जरूर हो गया कि दीवाली से तीन-चार दिन पहले ही प्रशासन को पटाखों के गोदामों की चेकिंग की याद आती है। लोग बोले-पटाखे ग्रीन हो या फिर रेड, प्रदूषण तो करते ही है सेक्टर 12, सेक्टर 4, सेक्टर 16 व घोघड़ीपुर रोड पर स्थित पटाखा फैक्ट्री में पटाखे खरीदने के लिए आए लोगों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बैगर ना तो ग्रीन पटाखे बिक सकते है और न ही दूसरे पटाखे। अधिकारियों की शह के कारण ही शहर में धड़ले से ये पटाखे बिक रहे है। उन्होंने कहा कि पटाखे चाहे ग्रीन हो या फिर रेड, इनके चलाने से प्रदूषण होता ही है। आंखों में जलन होती है, सांस लेने में दिक्कत होती है, ध्वनि प्रदूषण होता है, लेकिन दूसरी बात यह भी है कि पटाखों के बिना दीवाली अधूरी होती है। ऐसा नहीं है कि सभी पटाखे फोड़कर ही दीवाली मनाते हो, समाज में ऐसे भी लोग है जो किसी तरह का शोर किए बिना दीवाली मनाते है। प्रशासन भी कहता है कि ग्रीन पटाखे जलाने चाहिए, लेकिन ग्रीन पटाखे मिलते ही कहां है? यह तो सिर्फ बोलने में आता है कि ग्रीन पटाखे है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। सुरक्षा के लिए रखे है रेत और पानी से भरे टब स्टॉल लगाने वाले दुकानदारों की माने तो उन्होंने यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है। यहां पर रेत और पानी के टब रखे हुए है, अगर कोई आगजनी होती है तो उस पर काबू पाया जा सके। पानी और रेत के टब तो नजर आ रहे है लेकिन फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर नजर नहीं आ रही। ऐसे में आगजनी की घटना होती है तो कितनी देर में गाड़ियां पहुंचेगी, उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ये कहा SDM ने इस बारे में जब करनाल के SDM अनुभव महता से दैनिक भास्कर द्वारा बात की गई तो उनका जवाब था कि प्रशासन की तरफ से किसी को भी पटाखे बेचने की न तो लाइसेंस दिया गया है और न ही स्टॉल लगाने के लिए कोई प्रमीशन दी गई। अगर स्टॉल लगाए गए है तो संबधित थाना के SHO को जानकारी देकर कार्रवाई की जाएगी। फैक्ट्री मालिक के खिलाफ आज तक नहीं तीन लोगों की जा चुकी जान बात दें कि इससे पहले साल 2021 में घोघड़ीपुर फाटक के पास स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में जबरदस्त धमाके के बाद आग लग गई थी। जिसके बाद पूरी फैक्ट्री में तीन कर्मचारियों की मौत हो गई थी और कई कर्मचारी आग में झुलस गए थे। उसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा, आज इसी फैक्ट्री में फिर से बिना सुरक्षा के इंतजाम के धडले से पटाखे बेचे जा रहे है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर जरूर सवाल उठ रहे है।
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