हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा सोमवार को रोहतक पहुंचे। यहां पर सिंचाई विश्राम गृह में पत्रकार वार्ता के दौरान उनकी जुबान फिसल गई। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस ने 4 लोकसभा सीट व एक आम आदमी पार्टी ने जीती है। वे लोकसभा चुनाव पर कांग्रेस को घेरने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा को ज्यादा वोट प्रतिशत मिला है। रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होना है। इसे लेकर भाजपा पूरी तरह से काम कर रही है। वहीं, लोकसभा चुनाव में सीटें कम आने पर कहा कि कांग्रेस ने एक भ्रम फैलाने का काम किया। संविधान की पत्रिका हाथ में लेकर राहुल गांधी ने कहा कि अगर भाजपा की 400 से अधिक सीटें आई तो वे संविधान बदलने का काम करेगी। लोगों को भ्रम में डालने का काम किया। उन लोगों ने इस बात को उठाया, जिन्होंने अपनी सरकार में संविधान की धज्जियां उड़ाई। पूर्व डिप्टी सीएम के बयान पर ली चुटकी
पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बयान दिया था कि भाजपा के साथ जाना उनकी भूल थी। इस पर हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा ने चुटकी लेते हुए कहा कि अब सुधार लें अपनी भूल। लोकसभा में तो बीजेपी के साथ नहीं थे। लोकसभा चुनाव में क्या हाल हुआ, सबके सामने हैं। जेजेपी व इनेलो के भविष्य पर कहा कि ये जनता का विश्वास खो चुके हैं। प्रजातंत्र में जो जनता का विश्वास खो देते हैं, तो उनका भविष्य कोई अच्छा नहीं होता। कांग्रेस पिता-पुत्र की पार्टी
हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि अब कांग्रेस पिता-पुत्र की पार्टी बनकर रह गई है। कांग्रेस में जमकर गुटबाजी हो रही है। जिसके कारण कई बड़े कांग्रेसी नेता कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं जयहिंद सेना प्रमुख नवीन जयहिंद द्वारा राज्यसभा चुनाव लड़ने के बयान पर कहा कि यह लोकतंत्र है। कोई भी चुनाव लड़ सकता है। हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा सोमवार को रोहतक पहुंचे। यहां पर सिंचाई विश्राम गृह में पत्रकार वार्ता के दौरान उनकी जुबान फिसल गई। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस ने 4 लोकसभा सीट व एक आम आदमी पार्टी ने जीती है। वे लोकसभा चुनाव पर कांग्रेस को घेरने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा को ज्यादा वोट प्रतिशत मिला है। रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होना है। इसे लेकर भाजपा पूरी तरह से काम कर रही है। वहीं, लोकसभा चुनाव में सीटें कम आने पर कहा कि कांग्रेस ने एक भ्रम फैलाने का काम किया। संविधान की पत्रिका हाथ में लेकर राहुल गांधी ने कहा कि अगर भाजपा की 400 से अधिक सीटें आई तो वे संविधान बदलने का काम करेगी। लोगों को भ्रम में डालने का काम किया। उन लोगों ने इस बात को उठाया, जिन्होंने अपनी सरकार में संविधान की धज्जियां उड़ाई। पूर्व डिप्टी सीएम के बयान पर ली चुटकी
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हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि अब कांग्रेस पिता-पुत्र की पार्टी बनकर रह गई है। कांग्रेस में जमकर गुटबाजी हो रही है। जिसके कारण कई बड़े कांग्रेसी नेता कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं जयहिंद सेना प्रमुख नवीन जयहिंद द्वारा राज्यसभा चुनाव लड़ने के बयान पर कहा कि यह लोकतंत्र है। कोई भी चुनाव लड़ सकता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बंसीलाल पर 164 अविवाहितों की नसबंदी का आरोप लगा:4 बार CM बने; बड़ा बेटा BCCI अध्यक्ष बना, छोटा बेटा सांसद रहा 1 नवंबर 1966, पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बना। चार महीने बाद यानी, फरवरी 1967 में विधानसभा चुनाव हुए। कांग्रेस को 81 में से 48 सीटें मिलीं और भगवत दयाल शर्मा मुख्यमंत्री बने, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता और अहीरवाल राज परिवार से आने वाले राव बीरेंद्र सिंह ने बगावत कर दी। 10 मार्च 1967 को विधानसभा में सभी विधायक इकट्ठा हुए। CM भगवत दयाल शर्मा ने स्पीकर पद के लिए जींद के विधायक लाला दयाकिशन के नाम का प्रस्ताव रखा। उसी समय उन्हीं की पार्टी के एक विधायक ने राव बीरेंद्र सिंह का नाम भी प्रपोज कर दिया। मुख्यमंत्री दंग रह गए। वोटिंग हुई, तो राव बीरेंद्र सिंह को लाला दयाकिशन से 3 वोट ज्यादा मिले। इसका सीधा मतलब था कि मुख्यमंत्री भगवत दयाल बहुमत खो चुके थे। आखिर बहुमत परीक्षण का दिन आया। सबकी निगाहें पहली बार विधायक बने बंसीलाल पर थीं। बागी विधायक जानते थे कि बंसीलाल उनके पक्ष में वोट नहीं करेंगे। प्लान बना कि बंसीलाल को वोटिंग के दिन सदन में आने ही ना दिया जाए। पूर्व विधायक और लेखक भीम सिंह दहिया अपनी किताब ‘पावर पॉलिटिक्स ऑफ हरियाणा’ में लिखते हैं- ‘बंसीलाल को विधानसभा जाने से रोकने का काम एक अफसर को सौंपा गया। उसने विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले बंसीलाल को अपने घर बुलाया। कुछ देर बाद बंसीलाल बाथरूम में गए, तो उस अफसर ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। बंसीलाल काफी देर तक अंदर से आवाज लगाते रहे, लेकिन तब तक दरवाजा नहीं खुला, जब तक भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिरा नहीं दी गई।’ 25 मार्च 1967 को राव बीरेंद्र सिंह नए मुख्यमंत्री बने, लेकिन 9 महीने बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी। राज्यपाल का दावा था कि विधायक पाला बदल रहे हैं और सरकार के पास बहुमत नहीं है। मई, 1968 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। कांग्रेस को बहुमत मिला और 22 मई को नई सरकार ने शपथ ली। मुख्यमंत्री ने पहले आदेश में उस अफसर को सस्पेंड किया जिसने बंसीलाल को बाथरूम में बंद किया था। ये मुख्यमंत्री कोई और नहीं चौधरी बंसीलाल ही थे। वे चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। दो बार केंद्र में मंत्री बने। बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी, BCCI के अध्यक्ष रहे और छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह सांसद रहे। आज उनकी तीसरी पीढ़ी राजनीति में है। हरियाणा के ताकतवर राजनीतिक परिवारों की सीरीज ‘परिवार राज’ के दूसरे एपिसोड में पढ़िए चौधरी बंसीलाल के कुनबे की कहानी… 26 अगस्त 1927, दिल्ली से 135 किलोमीटर दूर, संयुक्त पंजाब के हिसार जिले का गोलागढ़ गांव के रहने वाले चौधरी मोहर सिंह और विद्या देवी के घर एक बेटे का जन्म हुआ। ये गांव अब भिवानी जिले में पड़ता है। बच्चे का नाम रखा गया बंसीलाल। परिवार का पहला बच्चा था, इसलिए धूमधाम से जश्न मना। इसके बाद बंसीलाल के सात भाई-बहन और हुए। शुरुआती पढ़ाई के बाद बंसीलाल जालंधर चले गए। पढ़ाई के दौरान ही वे आंदोलनों में भाग लेने लगे। इसी दौरान वे सिख नेता सरदार दरबारा सिंह के संपर्क में आए। बंसीलाल को राजनीति में लाने का श्रेय इन्हीं को जाता है। आगे चलकर दरबारा सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री बने। दिन बीतते गए, घर पर मां विद्या देवी की तबीयत खराब रहने लगी। महज 15 साल की उम्र में बंसीलाल की शादी कर दी गई। हालांकि बंसीलाल ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भिवानी के लोहारू रियासत के दरबार में वकालत करने लगे। 1957 में उन्होंने हिसार डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष बन गए। यहां से बंसीलाल के राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। वे जिला कांग्रेस से होते हुए पंजाब कांग्रेस कमेटी का हिस्सा रहे। 1960 का दशक आते-आते बंसीलाल को राजनीति में पहचान मिलनी शुरू हो गई। मुख्यमंत्री भगवत दयाल कहते थे- ‘कुछ भी करो, लेकिन बंसीलाल को हराओ’
बंसीलाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे एसके मिश्रा अपनी किताब ‘फ्लाइंग इन हाई विंड्स’ में लिखते हैं- ‘हरियाणा बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे थे। मुख्यमंत्री भगवत दयाल मुझे पसंद करते थे। उन्होंने कहा कि आप साफ-सुथरा चुनाव कराइए, लेकिन दो लोगों को किसी भी तरह हराना होगा। पहला देवीलाल और दूसरा बंसीलाल। मैंने कहा- किसी को हराना या जिताना मेरे हाथ में नहीं है। मैं इसमें आपकी मदद नहीं कर सकता। इसके एक-दो दिन बाद ही बंसीलाल ने मुझसे पूछ लिया कि क्या भगवत दयाल शर्मा से मेरी ऐसी कोई बातचीत हुई है? मुझे उनका सवाल सुनकर बहुत हैरानी हुई, क्योंकि उस समय वहां कोई नहीं था। बाद में मुझे पता चला कि वहां एक वेटर था और उसी ने यह बात बंसीलाल को बताई थी। इसी बीच मेरा तबादला दिल्ली हो गया। वहां एक दिन मेरे घर में पार्टी चल रही थी। अचानक आधी रात को बंसीलाल का फोन आया कि वो मुझसे मिलना चाहते हैं। मैंने पूछा कि अचानक क्या हुआ? उन्होंने कहा- मैं हरियाणा का मुख्यमंत्री चुन लिया गया हूं और तुम्हें अपना प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाना चाहता हूं।’ मौत की सजा पाया क्रिमिनल जेल से भागा, शक बंसीलाल पर
एसके मिश्रा अपनी किताब में एक और किस्से का जिक्र करते हैं- ‘एक बार मुख्यमंत्री बंसीलाल कहीं जा रहे थे। उनका काफिला अंबाला के पास पहुंचा, तो एक बूढ़ी औरत ने उनकी गाड़ी रुकवा ली। वह रो रही थी। वजह पूछने पर पता चला कि उसके बेटे को मौत की सजा हुई है और उसकी दया याचिका भी खारिज हो चुकी है। दो दिन बाद उसे फांसी दी जानी थी। इस मामले में अब कुछ नहीं किया जा सकता था। बंसीलाल ने गाड़ी आगे बढ़ाने का आदेश दे दिया। उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने मुझसे कहा- चाहे उस लड़के ने कितना भी जघन्य अपराध किया हो, लेकिन मां के लिए वह उसका बेटा है। अगले दिन अखबारों में छपा कि वह लड़का जेल से भाग गया। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह महज संयोग नहीं था, लेकिन मैंने कभी बंसीलाल से इस बारे में नहीं पूछा और न ही उन्होंने कभी मुझसे कुछ जिक्र किया।’ अभिनेता राजकपूर को बिजनेसमैन समझ बैठे थे बंसीलाल
एसके मिश्रा लिखते हैं- ‘एक कार्यक्रम में पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा ने बंसीलाल को अभिनेता राजकपूर से मिलवाया, तो उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे। जब मिश्रा ने यह देखा तो जोर देकर बोले, ये राजकपूर हैं, राजकपूर। इस पर बंसीलाल बोले- तो फरीदाबाद में आपका बिजनेस है? राजकपूर ने जवाब दिया- नहीं। बंसीलाल ने पूछा- आप करते क्या हैं? राजकपूर ने जवाब दिया- मैं एक्टर हूं। बंसीलाल ने बिना पलक झपकाए अगला सवाल दागा- किस नाटक में काम करते हैं आप? ये सुनकर राजकपूर सकपका गए। ललित नारायण मिश्रा हंसते हुए बोले- कमाल है, आप राजकपूर को नहीं पहचानते? वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार वैद्य बताते हैं कि सीएम बनने के बाद भी बंसीलाल कई बार बिना प्रेस किए कपड़े पहन लेते थे। एक बार जब उनसे पूछा गया कि वे बिना प्रेस किए कपड़े क्यों पहनते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया- अगर मैं बिना प्रेस किए कपड़े पहनूंगा, तो क्या आप मुझे मुख्यमंत्री नहीं मानेंगे? नारा उछाला गया- ‘नसबंदी के तीन दलाल: इंदिरा, संजय, बंसीलाल’
30 नवंबर 1975, देश में इमरजेंसी लगे छह महीने बीत चुके थे। हरियाणा के CM बंसीलाल को अचानक इस्तीफा देकर दिल्ली जाना पड़ा। इंदिरा गांधी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। 20 दिन तक बंसीलाल बगैर किसी मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रहे। इसके बाद उन्हें रक्षा मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। इस दौरान वे संजय के बेहद करीब आ गए। इमरजेंसी का जिक्र छिड़ते ही लोगों को जेहन में सबसे पहला ख्याल नसबंदी का आता है। बंसीलाल पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने पुलिस को नसबंदी करने का टारगेट दिया था। पुलिस गांव में घुसकर पुरुषों-नौजवानों को पकड़ती और उनकी जबरन नसबंदी करवा देती। उस दौरान नारा चलता था- ‘नसबंदी के तीन दलाल: इंदिरा, संजय, बंसीलाल’। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त हरियाणा में 164 अविवाहित लोगों की नसबंदी की गई थी। खुद केंद्र में गए, तो छोटे बेटे को अपनी सीट से विधायक बनवाया
केंद्र की राजनीति में जाने से पहले ही बंसीलाल अपने छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह को राजनीति में उतार चुके थे। 1973 में सुरेंद्र युवा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बन चुके थे। पिता की गैर-मौजूदगी में उनके विधानसभा क्षेत्र तोशाम में लोगों के बीच रहते थे। इमरजेंसी के बाद 1977 में विधानसभा चुनाव हुए, तो सुरेंद्र सिंह पहली बार विधायक बने। पांच साल बाद यानी, 1982 में सुरेंद्र को हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1986 से 1992 तक सुरेंद्र सिंह राज्यसभा सांसद रहे। बंसीलाल छोटे बेटे को आगे बढ़ा रहे थे, बड़े बेटे से होने लगी अनबन
1991 में कांग्रेस से अलग होकर बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी बनाई, लेकिन उनके छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह कांग्रेस में ही रहे। 1992 में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद वे पिता की पार्टी में आ गए। पार्टी का पूरा काम सुरेंद्र सिंह ही देखने लगे। कहा जाता है कि सुरेंद्र सिंह के कहने पर ही बंसीलाल ने अलग पार्टी बनाई थी। रणबीर महेंद्रा उस वक्त हरियाणा से बाहर रहते थे और BCCI में एक्टिव थे। उन्हें राजनीति में खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन जब रणबीर महेंद्रा को पिता के कुछ पुराने साथियों ने बताया कि सुरेंद्र एक तरफा फैसले ले रहे हैं, तो उन्होंने इसके बारे में अपने पिता से बात की। बंसीलाल ने उस वक्त रणबीर की बातों को दरकिनार कर दिया। कहा जाता है कि बंसीलाल के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी बड़े बेटे रणबीर का कांग्रेस के प्रति लगाव था। 1998 लोकसभा चुनाव में बंसीलाल के दोनों बेटे आमने-सामने
साल 1998, बंसीलाल ने अपनी हरियाणा विकास पार्टी से सुरेंद्र सिंह को भिवानी सीट पर उतारा। इसी सीट पर कांग्रेस ने रणबीर महेंद्रा को टिकट दे दिया। यह पहली बार था, जब दोनों भाइयों के बीच अनबन की खबरें जगजाहिर हुईं। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों भाइयों ने एक-दूसरे पर सीधा हमला नहीं बोला, लेकिन इशारों में तीर कई बार चले। चुनाव उस समय और दिलचस्प हो गया जब बंसीलाल के धुर राजनीतिक विरोधी चौधरी देवीलाल के पोते अजय चौटाला ने भी इसी सीट से पर्चा भर दिया। सुरेंद्र सिंह सिर्फ 9711 वोटों से जीत पाए। उनके भाई रणबीर तीसरे नंबर पर रहे। वहीं, अजय चौटाला दूसरे नंबर पर रहे। 2001 में रणबीर महेंद्रा BCCI में उपाध्यक्ष बने। इसके बाद उनका कद बढ़ता गया और 2004 में BCCI अध्यक्ष बन गए। कहा जाता है कि रणबीर के कांग्रेस में रहने के बाद भी बंसीलाल अंदर ही अंदर उनका सपोर्ट करते थे। बंसीलाल के रसूख के चलते ही वे BCCI अध्यक्ष बने। पार्टी का कांग्रेस में विलय और छोटे बेटे की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत
1999 में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार गिरने के बाद से ही बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी कमजोर होती जा रही थी। 2004 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। 2005 में रणबीर महेंद्रा और सुरेंद्र सिंह दोनों ने फिर भिवानी जिले से चुनाव लड़ा। अब की बार चुनाव विधानसभा का था, दोनों की पार्टियां एक थीं और सीटें अलग-अलग। सुरेंद्र ने बंसीलाल की सीट तोशाम और रणबीर ने मुंढाल खुर्द सीट से चुनाव लड़ा। दोनों जीते भी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहली बार मुख्यमंत्री बने। हुड्डा ने अपनी कैबिनेट में सुरेंद्र सिंह को कृषि मंत्री बनाया, लेकिन एक महीने बाद ही 31 मार्च 2005 को हेलिकॉप्टर दुर्घटना में सुरेंद्र सिंह की मौत हो गई। उस हादसे में मशहूर बिजनेसमैन ओपी जिंदल का भी निधन हो गया था। बेटे की मौत के बाद बंसीलाल टूट गए। 2006 में उनका निधन हो गया। सुरेंद्र की मौत के बाद पत्नी किरण ने संभाली परिवार की विरासत
सुरेंद्र सिंह के निधन से पहले उनकी पत्नी किरण चौधरी दिल्ली की राजनीति में एक्टिव थीं। उन्होंने 1993 में पहला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली कैंट विधानसभा सीट से लड़ा, लेकिन हार गईं। 1998 में दोबारा इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा की डिप्टी स्पीकर बनीं। 2004 में पार्टी ने उन्हें हरियाणा से राज्यसभा का टिकट दिया, लेकिन इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार से हार गईं। सुरेंद्र सिंह के अचानक निधन के बाद किरण उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए हरियाणा की राजनीति में पूरी तरह एक्टिव हो गईं। उपचुनाव में किरण ने भिवानी तोशाम सीट पर जीत दर्ज की और हुड्डा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं। 2009 और 2014 के चुनाव में भी किरण तोशाम सीट पर चुनाव जीत गईं, लेकिन उनके जेठ रणबीर महेंद्रा और बहनोई सोमबीर सिंह दोनों चुनाव हार गए। 2014 में कांग्रेस ने किरण को विधानसभा में पार्टी का नेता भी बनाया था। बेटी को टिकट नहीं मिला, तो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में चली गईं किरण चौधरी
2009 में किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट मिला। श्रुति ने दिग्गज नेता अजय चौटाला को करीब 55 हजार वोटों से हराया। 2014 और 2019 में भी कांग्रेस ने श्रुति को टिकट दिया, लेकिन वह दोनों चुनाव हार गईं। इस दौरान किरण चौधरी और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रिश्तों में भी खटास पड़ने लगी। हुड्डा ने किरण से मतभेदों के बाद रणबीर महेंद्रा और सोमबीर सिंह का साथ दिया। 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने श्रुति का टिकट काट दिया। नाराज किरण चौधरी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के चौधरी धर्मबीर सिंह का साथ दिया। धर्मबीर, उसी सीट से चुनाव लड़ रहे थे, जहां से किरण बेटी श्रुति के लिए कांग्रेस से टिकट मांग रही थीं। लोकसभा चुनाव के बाद किरण और उनकी बेटी श्रुति भाजपा में शामिल हो गईं। अब बीजेपी ने किरण को राज्यसभा भेजा है। वहीं, उनकी बेटी श्रुति तोशाम सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। 2024 विधानसभा चुनाव में भाई-बहन होंगे आमने सामने
रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी ने भी राजनीति की बजाय शुरुआत में BCCI में जगह बनाई। वे हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन के ऑनरेरी सेक्रेटरी रहे। 2013 में अनिरुद्ध BCCI के कोषाध्यक्ष बने। 2014 में अनिरुद्ध ने पिता की राजनीतिक विरासत संभाल ली। 2019 में उन्होंने बाढ़ड़ा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जननायक जनता पार्टी की नैना चौटाला से हार गए। अब वे फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार उनकी विरोधी उनकी चचेरी बहन श्रुति चौधरी होंगी। कुछ दिन पहले अनिरुद्ध ने कहा था कि मेरी चाची किरण चौधरी नहीं चाहतीं कि मैं चुनाव लड़ूं, लेकिन मैं तोशाम सीट से चुनाव लड़ूंगा और जीतूंगा, भले ही बहन श्रुति ही सामने क्यों न हो। परिवार राज सीरीज के अगले एपिसोड में पढ़िए हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भजनलाल परिवार की कहानी…
हरियाणा में अभी 2 दिन और रहेगा स्मॉग:13 जिलों में धुंध का अलर्ट जारी; 3.7 डिग्री गिरा तापमान, 3 जिले सबसे प्रदूषित
हरियाणा में अभी 2 दिन और रहेगा स्मॉग:13 जिलों में धुंध का अलर्ट जारी; 3.7 डिग्री गिरा तापमान, 3 जिले सबसे प्रदूषित हरियाणा में धुंध के साथ धुआं जमा होने से स्मॉग की स्थिति लगातार तीसरी दिन भी बनी हुई है। इसकी वजह से विजिबिलिटी 20 मीटर तक रह गई है। सड़कों पर स्मॉग की वजह से 24 घंटे में 5 जगह सड़क हादसों में 9 वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। एक सड़क हादसे में कैथल में पंजाब के संगरूर निवासी ट्रक चालक धर्मेंद्र (33) की भी मौत हो गई। कई ट्रेनें लेट हो रही हैं। हवाई उड़ानों पर भी फर्क पड़ रहा है। पंजाब के अमृतसर हवाई अड्डे पर धुंध और स्मॉग के कारण 4 इंटरनेशनल और 10 घरेलू उड़ानें लेट हुईं। दो घरेलू उड़ानें रद्द की गई। धुंध छाए रहने के कारण 24 घंटे में दिन का पारा 3.7 डिग्री कम हुआ। यह सामान्य से 2 डिग्री कम हो गया है। रात का पारा भी 0.2 डिग्री कम हुआ। महेंद्रगढ़ में यह सीजन का सबसे कम 13.3 डिग्री रहा। आगे कैसा रहेगा मौसम? ताजा हालातों को देखते हुए मौसम विभाग ने धुंध का यलो अलर्ट जारी किया है। सूबे में अभी दो दिन यानी 15 नवंबर तक धुंध छाने के आसार बने हुए हैं। प्रदेश के 13 जिलों में घनी धुंध का अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी, कैथल जिले शामिल हैं। अधिकतम 500 तक पहुंचा एक्यूआई हरियाणा में तीन शहर ऐसे रहे, जहां का अधिकतम एक्यूआई दादरी, फरीदाबाद और सोनीपत में 500 तक पहुंचा। एक समय गुरुग्राम में 490, कुरुक्षेत्र में 488, भिवानी में 469, हिसार में 447, करनाल में 443, बहादुरगढ़ में 439, रोहतक में 431, पानीपत में 405, सिरसा में 402 तक भी गया। मौसम विशेषज्ञ बोले- 17 तक दिखेंगे बदलाव हरियाणा में 17 नवंबर तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील लेकिन खुश्क रहने की संभावना है। आज (13 नवंबर) और कल (14 नवंबर) को राज्य में हल्की उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलने की संभावना के चलते कुछ स्थानों पर स्मॉग की स्थिति में मामूली कमी आने की संभावना है। लेकिन 14 नवंबर की रात से एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों की ओर बढ़ेगा और 15-16 नवंबर को पूर्वी हवाएं चलने से आंशिक बादल छाने और बीच-बीच में हल्की स्मॉग रहने की संभावना है। इसके बाद 17 नवंबर से फिर से मध्यम गति से उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलने के चलते दिन का तापमान सामान्य के आसपास रहने और रात के तापमान में मामूली गिरावट आने की संभावना है।
हरियाणा में कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट का एनालिसिस:युवा-अनुभवी चेहरों का गुडमिक्स; हाईकमान ने सर छोटूराम और बंसीलाल की विरासत नहीं छोड़ी
हरियाणा में कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट का एनालिसिस:युवा-अनुभवी चेहरों का गुडमिक्स; हाईकमान ने सर छोटूराम और बंसीलाल की विरासत नहीं छोड़ी हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 9 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इसके जरिए कांग्रेस हाईकमान ने युवा और अनुभवी चेहरों का गुडमिक्स किया है। इनमें 2019 का चुनाव हारने के बावजूद 3 चेहरों अशोक अरोड़ा, कुलदीप शर्मा और परमवीर सिंह पर अनुभव के तौर पर दांव खेला। वहीं वर्धन यादव, मोहित ग्रोवर, बलराम दांगी और अनिरुद्ध चौधरी युवा चेहरे हैं। हाईकमान ने प्रदेश के पूर्व दिग्गज नेताओं की विरासत को भी पार्टी से जोड़े रखने का पूरा ध्यान रखा। इसी वजह से पूर्व CM बंसीलाल के पोते और सर छोटूराम के पूर्व मंत्री नाती बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह को भी टिकट दी है। कांग्रेस हाईकमान ने BJP में बगावत से दूसरी लिस्ट में भी सबक लिया। भाजपा के पहली ही लिस्ट में 67 उम्मीदवारों को मुकाबले कांग्रेस ने पहली लिस्ट में 32 और अब सिर्फ 9 उम्मीदवारों की घोषणा की। जातीय समीकरण: जाट चेहरे ज्यादा, SC चेहरा न होने से चौंकाया क्षेत्रीय समीकरण: बागड़-अहीरवाल बेल्ट पर हाईकमान का ज्यादा मंथन 2019 में जिन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस, वहां 26 सीटें रोकीं
कांग्रेस 2019 के विधानसभा चुनाव में कुल 30 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। 2024 के चुनाव के लिए पार्टी ने इन 30 सीटों में से सिर्फ 4 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इनमें थानेसर, गन्नौर, महम और होडल (SC) शामिल है। इन चार में से तीन सीटों पर पार्टी ने उन्हीं चेहरों को मौका दिया है जो 2019 का चुनाव लड़े थे। इनमें थानेसर से अशोक अरोड़ा, गन्नौर से कुलदीप शर्मा और होडल (SC) से चौधरी उदयभान शामिल है। महम सीट पर पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे आनंद सिंह दांगी की जगह पार्टी ने इस बार उनके बेटे बलराम दांगी को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की दूसरी लिस्ट से जुड़े सवाल-जवाब 1. दूसरी लिस्ट में सिर्फ 9 ही उम्मीदवार क्यों?
कांग्रेस हरियाणा में BJP जैसी गलती नहीं करना चाहती। इसीलिए कम सीटों की घोषणा की। इनमें वैसे तो कहीं बगावत की गुंजाइश नहीं है। अगर कहीं ऐसी स्थिति हुई थी तो कम सीटों की वजह से दिग्गज नेताओं को वहां जाकर बागियों को संभालना आसान हो जाएगा। 2. कांग्रेस कितनी लिस्टें जारी करेगी
कांग्रेस के पहली लिस्ट में 32 और दूसरी में 9 उम्मीदवार देखकर ऐसा लगता है कि अभी 2 और लिस्टें आ सकती हैं। तीसरी लिस्ट आज या कल में आ सकती है। चौथी लिस्ट सबसे विवादों वाली होगी, जिसे नामांकन के अंतिम दिन 12 सितंबर से एक दिन पहले जारी किया जा सकता है ताकि बागियों को दूसरी पार्टी में जाने या निर्दलीय लड़ने का मौका न मिल सके। 3. कांग्रेस-AAP से गठबंधन का क्या होगा?
गठबंधन को लेकर वैसे तो आज ही ऐलान हो सकता है। मगर, दोनों लिस्टों में कांग्रेस ने उन सीटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं किया, जिन्हें AAP को देने की प्लानिंग हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस AAP को 5 सीटें दे सकती है। जिनमें जींद, कलायत, पानीपत ग्रामीण, पिहोवा और ओल्ड फरीदाबाद की सीट हो सकती है। ऐसे में अभी गठबंधन की उम्मीद बरकरार है। 4. तोशाम से बंसीलाल के पोते को टिकट क्यों?
बंसीलाल प्रदेश के पूर्व सीएम रह चुके हैं। आज भी उनके नाम का वोट बैंक है। उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रही बहू किरण चौधरी कुछ महीने पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चली गई। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। वहीं किरण की बेटी श्रुति चौधरी को तोशाम से विधानसभा टिकट दे दी। ऐसे में यह वोट बैंक भाजपा में शिफ्ट न हो जाए, इसलिए कांग्रेस ने बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को टिकट देकर श्रुति के मुकाबले खड़ा कर दिया। 5. कांग्रेस के टिकट बंटवारे में किसकी चली
अभी तक के लिहाज से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की। 41 सीटों में सबसे ज्यादा 35 टिकटें हुड्डा खेमे को ही मिली हैं। कांग्रेस में उनके विरोधियों की बात करें तो विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला पर कोई फैसला नहीं हुआ। सुरजेवाला कैथल सीट से अपने या बेटे आदित्य सुरजेवाला के लिए दावेदारी जता रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने वहां टिकट की ही घोषणा नहीं की है। राहुल गांधी की मुंहबोली बहन के ससुर को टिकट नहीं
कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में बादशाहपुर सीट से वर्धन यादव का नाम चौंकाने वाला रहा। यहां से राव कमलबीर सिंह कांग्रेस टिकट के दावेदार थे। राव कमलबीर सिंह जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष रहे स्व. शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव के ससुर हैं। सुभाषिनी की शादी राव कमलबीर सिंह के बेटे राजकमल राव से हुई है। राव कमलबीर सिंह किसी समय हरियाणा में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष थे। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। राहुल गांधी सुभाषिनी यादव को मुंहबोली बहन मानते हैं। सुभाषिनी यादव भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में राहुल गांधी के साथ नजर आई थीं। वह प्रियंका गांधी के भी करीब है। ये खबरें भी पढ़ें… हरियाणा चुनाव, कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में 9 उम्मीदवार घोषित:पार्टी ने अब तक 28 विधायकों समेत 41 कैंडिडेट्स के नामों का ऐलान किया हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने रविवार (8 सितंबर) की देर रात अपने कैंडिडेट्स की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में 9 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया। पार्टी ने तोशाम सीट से पूर्व सीएम बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी और उचाना कलां सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे व BJP के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया है। (पूरी खबर पढ़ें) कांग्रेस की दूसरी लिस्ट के 9 प्रत्याशियों की डिटेल प्रोफाइल:तोशाम में भाई-बहन का मुकाबला; 3 हारे चेहरों पर दांव, कुलदीप सबसे उम्रदराज हरियाणा में कांग्रेस ने उम्मीदवारों की जो दूसरी लिस्ट जारी की है, उसमें 3 नए चेहरे हैं। इस लिस्ट में 3 टिकट उन नेताओं को मिले हैं, जो पिछली बार हारे थे। 9 सीटों में 4 टिकटें जाट और 2-2 OBC और पंजाबी उम्मीदवारों को मिली हैं। दूसरी लिस्ट में केवल 1 महिला है। 2 दलबदलुओं को टिकट दी है। (पूरी खबर पढ़ें) हरियाणा में कांग्रेस की 2 लिस्ट जारी, 32 नाम:ED केस में फंसे-नूंह हिंसा आरोपी समेत 28 विधायकों को दोबारा टिकट; BJP बोली- क्राइम चैंपियनशिप हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 6 सितंबर की देर रात दो लिस्ट में 32 उम्मीदवारों का ऐलान किया। पहली लिस्ट में 31 उम्मीदवारों का ऐलान किया गया। डेढ़ घंटे बाद दूसरी लिस्ट में एक कैंडिडेट का नाम घोषित किया (पूरी खबर पढ़ें) कांग्रेस की पहली लिस्ट के 32 उम्मीदवारों की डिटेल प्रोफाइल:1 हारे-1 दलबदलू को टिकट, 80 साल के कादियान सबसे बुजुर्ग, विनेश सबसे यंग हरियाणा में कांग्रेस ने 32 नामों की जो पहली लिस्ट जारी की है, उसमें सिर्फ 3 नए चेहरे हैं। इस लिस्ट में पिछला चुनाव हारे हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान को टिकट मिली है। 32 सीटों में 9-9 टिकटें जाट और SC उम्मीदवारों को मिली हैं। SC के लिए 17 सीटें रिजर्व हैं। पहली लिस्ट में केवल 5 महिलाएं हैं। इस लिस्ट में 1 दलबदलू को टिकट दी है। (पूरी खबर पढ़ें) कांग्रेस के 32 उम्मीदवारों का एनालिसिस:हरियाणा में BJP जैसी बगावत-भगदड़ से बचने की कोशिश; सांसदों को दोटूक मैसेज- हाईकमान सबसे ऊपर कांग्रेस हाईकमान सेफ गेम खेलते हुए हरियाणा चुनाव के लिए जारी 32 उम्मीदवारों की दो लिस्टों में BJP में मची भगदड़-बगावत जैसे हालात से बचने की कोशिश करता नजर आया। कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की 4 मीटिंग हुईं। उसके बाद 3 मीटिंग केंद्रीय चुनाव समिति की हुईं। आखिरी बैठक में राहुल गांधी की जगह खुद सोनिया गांधी पहुंचीं। इसके बावजूद पार्टी बड़ी लिस्ट जारी करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई। (पूरी खबर पढ़ें)