हरियाणा में रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी मेगा प्लानिंग कर रही है। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कांग्रेस के 4 बड़े चेहरों को भाजपा में शामिल कराकर एक को कैंडिडेट बनाने की तैयारी कर रहा है। इन चार चेहरों में 2 पूर्व सांसदों के नाम शामिल हैं। वहीं भाजपा कांग्रेस के 2 पूर्व विधायकों पर भी नजर गड़ाए हुए है। हालांकि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाला राज्यसभा की एक सीट का ये चुनाव भाजपा के साथ ही कांग्रेस के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। भाजपा के लिए राज्यसभा चुनाव जीतने की ये 3 बड़ी वजहें…. खराब प्रदर्शन से उबरना जरूरी
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 5 सीटों का नुकसान हुआ है। 2019 में बीजेपी के सभी 10 सीटों पर सांसद थे, लेकिन इस बार 5 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। अब इस नुकसान की भरपाई करना पार्टी के नेतृत्व के लिए बेहद जरूरी है। लोकसभा के इस खराब प्रदर्शन से यदि पार्टी उभरती है तो ये आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए संजीवनी की तरह काम करेगा। 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव
इसकी दूसरी बड़ी वजह 3 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा हरियाणा में 2014 से सत्ता में काबिज है, पार्टी इसको बरकार रखना चाहती है। 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार में बदलाव तक कर चुकी है। अब प्रदेश के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व इस राज्यसभा सीट को जीतकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश करना चाहता है। मोदी कैबिनेट में 3 मंत्रियों को जगह
हरियाणा भले ही क्षेत्रफल के हिसाब से छोटा राज्य हो, लेकिन इसको लेकर हमेशा ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सजग रहता है। यही वजह है कि 5 लोकसभा सीट हारने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां से मनोहर लाल खट्टर को कैबिनेट मंत्री बनाया है। साथ ही राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर को राज्यमंत्री बनाया है। अब इन तीन बड़े चेहरों के साथ ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए राज्यसभा सीट जीतना बड़ी चुनौती होगी। अब पढ़िए कौन हैं कांग्रेस वह 4 चेहरे, जिन पर BJP रख रही नजर बृजेंद्र सिंह: इनका नाम इस लिस्ट में पहले नंबर पर है। इसकी वजह यह है कि ये हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। हालांकि कांग्रेस ने इन्हें इस लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दी है, साथ ही पार्टी लाइन से भी साइड चल रहे हैं। जिसको लेकर ये नाराज बताए जा रहे हैं। इनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी लोकसभा चुनाव के बाद राज्यसभा सीट को लेकर एक्टिव हो गए हैं। वह लगातार विपक्ष को राज्यसभा सीट के लिए एकजुट होने की सलाह भी दे रहे हैं। ये यह भी कह चुके हैं कि अब भाजपा में उनकी जॉइनिंग नहीं होगी, लेकिन राजनीतिक जानकारों का ये मानना है कि वह बेटे के भविष्य को लेकर कोई भी फैसला ले सकते हैं। श्रुति चौधरी: भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से इस बार ये कांग्रेस पार्टी की टिकट की प्रबल दावेदार थीं, लेकिन इनके विरोधी खेमे ने इनकी टिकट कटवा दी। जिसके चलते वह अब घर बैठी हैं, हालांकि इनकी मां कांग्रेस विधायक किरण चौधरी अपनी नाराजगी सार्वजनिक मंच पर राहुल गांधी से जाहिर कर चुकी हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा में टिकट कटने के बाद ये कोई बड़ा फैसला कर सकती हैं। कैप्टन अजय यादव: ये भी गुरुग्राम से लोकसभा सीट पर टिकट कटने से नाराज चल रहे हैं। लोकसभा में इनके स्थान पर पार्टी ने राज बब्बर को उम्मीदवार बनाया था। यही कारण रहा कि ये लोकसभा चुनाव से पहले ही घर ही बैठ गए थे। हालांकि यादव कांग्रेस ओबीसी सेल के राष्ट्रीय चेयरमैन और सीनियर नेता हैं। चूंकि ये यादव हैं और हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में यादवों का अच्छा दबदबा है। इस कारण से भाजपा का एक धड़ा इन्हें भाजपा में शामिल कराने का प्रयास कर रहा है। अवतार भड़ाना: अवतार भड़ाना को राजनीतिक दल बदलने का माहिर माना जाता है। पिछले दिनों उनके भाई करतार सिंह भड़ाना ने बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा की थी। अवतार सिंह भड़ाना भी हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2016 में अवतार INLD छोड़ भाजपा में शामिल हुए और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बने। 2017 में अवतार भड़ाना उत्तर प्रदेश के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर विधायक बने। विधानसभा चुनाव की जीत की हवा को परखते हुए राष्ट्रीय लोकदल (RLD) में शामिल हो गए। 2022 में आरएलडी व सपा गठबंधन के टिकट से उत्तर प्रदेश के जेवर विधानसभा से विधायक का चुनाव हार गए। अभी ये कांग्रेस में हैं, लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि इनकी बीजेपी में आने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। हरियाणा में रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी मेगा प्लानिंग कर रही है। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कांग्रेस के 4 बड़े चेहरों को भाजपा में शामिल कराकर एक को कैंडिडेट बनाने की तैयारी कर रहा है। इन चार चेहरों में 2 पूर्व सांसदों के नाम शामिल हैं। वहीं भाजपा कांग्रेस के 2 पूर्व विधायकों पर भी नजर गड़ाए हुए है। हालांकि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाला राज्यसभा की एक सीट का ये चुनाव भाजपा के साथ ही कांग्रेस के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। भाजपा के लिए राज्यसभा चुनाव जीतने की ये 3 बड़ी वजहें…. खराब प्रदर्शन से उबरना जरूरी
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 5 सीटों का नुकसान हुआ है। 2019 में बीजेपी के सभी 10 सीटों पर सांसद थे, लेकिन इस बार 5 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। अब इस नुकसान की भरपाई करना पार्टी के नेतृत्व के लिए बेहद जरूरी है। लोकसभा के इस खराब प्रदर्शन से यदि पार्टी उभरती है तो ये आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए संजीवनी की तरह काम करेगा। 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव
इसकी दूसरी बड़ी वजह 3 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा हरियाणा में 2014 से सत्ता में काबिज है, पार्टी इसको बरकार रखना चाहती है। 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार में बदलाव तक कर चुकी है। अब प्रदेश के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व इस राज्यसभा सीट को जीतकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश करना चाहता है। मोदी कैबिनेट में 3 मंत्रियों को जगह
हरियाणा भले ही क्षेत्रफल के हिसाब से छोटा राज्य हो, लेकिन इसको लेकर हमेशा ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सजग रहता है। यही वजह है कि 5 लोकसभा सीट हारने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां से मनोहर लाल खट्टर को कैबिनेट मंत्री बनाया है। साथ ही राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर को राज्यमंत्री बनाया है। अब इन तीन बड़े चेहरों के साथ ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए राज्यसभा सीट जीतना बड़ी चुनौती होगी। अब पढ़िए कौन हैं कांग्रेस वह 4 चेहरे, जिन पर BJP रख रही नजर बृजेंद्र सिंह: इनका नाम इस लिस्ट में पहले नंबर पर है। इसकी वजह यह है कि ये हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। हालांकि कांग्रेस ने इन्हें इस लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दी है, साथ ही पार्टी लाइन से भी साइड चल रहे हैं। जिसको लेकर ये नाराज बताए जा रहे हैं। इनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी लोकसभा चुनाव के बाद राज्यसभा सीट को लेकर एक्टिव हो गए हैं। वह लगातार विपक्ष को राज्यसभा सीट के लिए एकजुट होने की सलाह भी दे रहे हैं। ये यह भी कह चुके हैं कि अब भाजपा में उनकी जॉइनिंग नहीं होगी, लेकिन राजनीतिक जानकारों का ये मानना है कि वह बेटे के भविष्य को लेकर कोई भी फैसला ले सकते हैं। श्रुति चौधरी: भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से इस बार ये कांग्रेस पार्टी की टिकट की प्रबल दावेदार थीं, लेकिन इनके विरोधी खेमे ने इनकी टिकट कटवा दी। जिसके चलते वह अब घर बैठी हैं, हालांकि इनकी मां कांग्रेस विधायक किरण चौधरी अपनी नाराजगी सार्वजनिक मंच पर राहुल गांधी से जाहिर कर चुकी हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा में टिकट कटने के बाद ये कोई बड़ा फैसला कर सकती हैं। कैप्टन अजय यादव: ये भी गुरुग्राम से लोकसभा सीट पर टिकट कटने से नाराज चल रहे हैं। लोकसभा में इनके स्थान पर पार्टी ने राज बब्बर को उम्मीदवार बनाया था। यही कारण रहा कि ये लोकसभा चुनाव से पहले ही घर ही बैठ गए थे। हालांकि यादव कांग्रेस ओबीसी सेल के राष्ट्रीय चेयरमैन और सीनियर नेता हैं। चूंकि ये यादव हैं और हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में यादवों का अच्छा दबदबा है। इस कारण से भाजपा का एक धड़ा इन्हें भाजपा में शामिल कराने का प्रयास कर रहा है। अवतार भड़ाना: अवतार भड़ाना को राजनीतिक दल बदलने का माहिर माना जाता है। पिछले दिनों उनके भाई करतार सिंह भड़ाना ने बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा की थी। अवतार सिंह भड़ाना भी हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2016 में अवतार INLD छोड़ भाजपा में शामिल हुए और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बने। 2017 में अवतार भड़ाना उत्तर प्रदेश के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर विधायक बने। विधानसभा चुनाव की जीत की हवा को परखते हुए राष्ट्रीय लोकदल (RLD) में शामिल हो गए। 2022 में आरएलडी व सपा गठबंधन के टिकट से उत्तर प्रदेश के जेवर विधानसभा से विधायक का चुनाव हार गए। अभी ये कांग्रेस में हैं, लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि इनकी बीजेपी में आने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। हरियाणा | दैनिक भास्कर