<p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025 Prayagraj:</strong> महाकुंभ में आईं हर्षा रिछारिया के पहले अमृत स्नान में शामिल होने और महामंडलेश्वर के शाही रथ पर सवार होने पर विवाद होता दिख रहा है. साधु-संतों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी उन्हें लेकर सवाल उठाए थे. जिसका श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति ने भी समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि हर्षा को इस तरह सामने आने से बचना चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति ने कहा कि हर्षा रिछारिया ग्लैमर की दुनिया से हैं अगर उन्हें ये सब करना है तो कम से कम 12 साल गुमनाम तरीके से तप करना चाहिए था. सब का पिछला जीवन होता है इसमें कोई बात नहीं है लेकिन उन्हें शाही रथ पर नहीं चढ़ना चाहिए था. बाकी और भी और सन्यासियां हैं जो चुपचाप भीड़ में चलती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जताई थी आपत्ति</strong><br />दरअसल शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हर्षा रिछारिया को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा कि जो अभी तक ये तय नहीं कर पाया है कि उसे शादी करनी है या संन्यास की दीक्षा लेनी है, उसे संत महात्माओं के शाही रथ पर जगह दिया जाना सहीं नहीं है. वो जिस तरह से भगवा कपड़े पहनकर शाही रथ पर बैठी वो पूरी तरह से गलत था. उन्हें आम श्रद्धालुओं के तौर पर शामिल होना चाहिए था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हर्षा रिछारियां के रथ पर सवार होने पर विवाद</strong><br />स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस तरह की परंपरा शुरू करना गलत है. महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता देखनी चाहिए. उन्होंने विकृत मानसिकता का परिणाम बताया. बता दें कि हर्षा रिछारिया पहले अमृत स्नान में निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान एक रथ पर संतों के साथ रथ पर बैठी दिखाई दीं थी. जिसके बाद से कई साधु संतों ने इस पर आपत्ति जताई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि इस पूरे विवाद पर हर्षा रिछारिया ने भी अपनी सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मैंने कभी ये नहीं कि मैं साध्वी हूं. इसके लिए जो तपस्या और दीक्षा लेनी होती है वो मैंने नहीं ली है. मैं सिर्फ अपने धर्म का प्रचार करना चाहती हूं. ताकि युवाओं को अपने धर्म के प्रति आकर्षित किया जाए और मैं सनातन धर्म के लिए काम करना चाहती हूं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumabh-2025-prayagraj-harsha-richariya-reaction-on-question-of-ideal-politician-2863776″>कौन से राजनेता का पसंद करती हैं हर्षा रिछारियां? आदर्श पॉलिटिशियन के सवाल पर दिया ये जवाब</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025 Prayagraj:</strong> महाकुंभ में आईं हर्षा रिछारिया के पहले अमृत स्नान में शामिल होने और महामंडलेश्वर के शाही रथ पर सवार होने पर विवाद होता दिख रहा है. साधु-संतों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी उन्हें लेकर सवाल उठाए थे. जिसका श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति ने भी समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि हर्षा को इस तरह सामने आने से बचना चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति ने कहा कि हर्षा रिछारिया ग्लैमर की दुनिया से हैं अगर उन्हें ये सब करना है तो कम से कम 12 साल गुमनाम तरीके से तप करना चाहिए था. सब का पिछला जीवन होता है इसमें कोई बात नहीं है लेकिन उन्हें शाही रथ पर नहीं चढ़ना चाहिए था. बाकी और भी और सन्यासियां हैं जो चुपचाप भीड़ में चलती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जताई थी आपत्ति</strong><br />दरअसल शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हर्षा रिछारिया को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा कि जो अभी तक ये तय नहीं कर पाया है कि उसे शादी करनी है या संन्यास की दीक्षा लेनी है, उसे संत महात्माओं के शाही रथ पर जगह दिया जाना सहीं नहीं है. वो जिस तरह से भगवा कपड़े पहनकर शाही रथ पर बैठी वो पूरी तरह से गलत था. उन्हें आम श्रद्धालुओं के तौर पर शामिल होना चाहिए था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हर्षा रिछारियां के रथ पर सवार होने पर विवाद</strong><br />स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस तरह की परंपरा शुरू करना गलत है. महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता देखनी चाहिए. उन्होंने विकृत मानसिकता का परिणाम बताया. बता दें कि हर्षा रिछारिया पहले अमृत स्नान में निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान एक रथ पर संतों के साथ रथ पर बैठी दिखाई दीं थी. जिसके बाद से कई साधु संतों ने इस पर आपत्ति जताई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि इस पूरे विवाद पर हर्षा रिछारिया ने भी अपनी सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मैंने कभी ये नहीं कि मैं साध्वी हूं. इसके लिए जो तपस्या और दीक्षा लेनी होती है वो मैंने नहीं ली है. मैं सिर्फ अपने धर्म का प्रचार करना चाहती हूं. ताकि युवाओं को अपने धर्म के प्रति आकर्षित किया जाए और मैं सनातन धर्म के लिए काम करना चाहती हूं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumabh-2025-prayagraj-harsha-richariya-reaction-on-question-of-ideal-politician-2863776″>कौन से राजनेता का पसंद करती हैं हर्षा रिछारियां? आदर्श पॉलिटिशियन के सवाल पर दिया ये जवाब</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राहुल गांधी पर आचार्य प्रमोद कृष्णम की विवादित टिप्पणी! कहा- विदेशी DNA वाले…