गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू मामले में मोहाली की अदालत में पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने कैंसिलेशन रिपोर्ट फाइल की है। इस चीज को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए मामले की जांच कर रही SIT को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि जब कल इस मामले की सुनवाई चल रही थी तो कैंसिलेशन रिपोर्ट के बारे में क्यों नहीं बताया गया। इसके बाद अदालत ने ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे लगा दिया है। वहीं, अब मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर तय की है। कल ऐसे चली थी केस की सुनवाई लारेंस बिश्नोई के पुलिस कस्टडी से इंटरव्यू मामले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी कर रही है। एसआईटी की जांच में सामने आया है कि एक इंटरव्यू खरड़ साईआईए व दूसरा राजस्थान में हुआ है। एसआईटी खरड़ में हुए इंटरव्यू की जांच कर रही है। एसआईटी की तरफ से कल अदालत में सुनवाई के दौरान बताया था कि इसके लिए चार अधिकारी जिम्मेदार है। चारों की भूमिका बारे भी बताया था। साथ ही कहा था कि इस मामले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। पहले शोकॉज नोटिस जारी किए गए थे। वहीं, अब दस दिनों के भीतर उन पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अदालत ने एसआईटी की भूमिका की तारीफ की थी। हालांकि अदालत ने कहा कि एसआईटी कोर्ट ने बनाई है तो कैंसिलेशन रिपोर्ट उन्हें बताए बिना कैसे दाखिल कर दी गई। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू मामले में मोहाली की अदालत में पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने कैंसिलेशन रिपोर्ट फाइल की है। इस चीज को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए मामले की जांच कर रही SIT को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि जब कल इस मामले की सुनवाई चल रही थी तो कैंसिलेशन रिपोर्ट के बारे में क्यों नहीं बताया गया। इसके बाद अदालत ने ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे लगा दिया है। वहीं, अब मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर तय की है। कल ऐसे चली थी केस की सुनवाई लारेंस बिश्नोई के पुलिस कस्टडी से इंटरव्यू मामले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी कर रही है। एसआईटी की जांच में सामने आया है कि एक इंटरव्यू खरड़ साईआईए व दूसरा राजस्थान में हुआ है। एसआईटी खरड़ में हुए इंटरव्यू की जांच कर रही है। एसआईटी की तरफ से कल अदालत में सुनवाई के दौरान बताया था कि इसके लिए चार अधिकारी जिम्मेदार है। चारों की भूमिका बारे भी बताया था। साथ ही कहा था कि इस मामले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। पहले शोकॉज नोटिस जारी किए गए थे। वहीं, अब दस दिनों के भीतर उन पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अदालत ने एसआईटी की भूमिका की तारीफ की थी। हालांकि अदालत ने कहा कि एसआईटी कोर्ट ने बनाई है तो कैंसिलेशन रिपोर्ट उन्हें बताए बिना कैसे दाखिल कर दी गई। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
स्नेचिंग के आरोपी को पांच साल कैद की सुनाई सजा
स्नेचिंग के आरोपी को पांच साल कैद की सुनाई सजा स्नेचिंग के मामले में एडिशनल सेशन कोर्ट के जज शिव मोहन गर्ग की तरफ से आरोपी कुलविंदर सिंह उर्फ किंदा को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है। मामला साल 2016 में थाना साहनेवाल में दर्ज किया गया था। जिसमें शिकायतकर्ता सर्वोत्तम सिंह ने कहा कि वह थाने के सामने ही होटल चलाता है। घटना वाले दिन वो रामगढ़ एक रैली के सम्बन्ध में गया था। तभी सनराइज पैलेस के बाहर खड़े होकर उसने अपने पर्स में से पैसे निकाल अपने भाई को देने लगा तो दो लड़के मोटरसाइकिल पर आए। जो उससे पर्स छीन कर भाग गए। उस समय पर्स में 17 हज़ार रुपये और पैन कार्ड था। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच के दौरान दो लड़कों सोबित कुमार और कुलविंदर सिंह किन्दा को गिरफ्तार कर उनसे 17 हज़ार रिकवर किए। फिर अदालत में चालान पेश करने पर सोबित को अक्टूबर 2017 मे पांच साल की सजा हुई, जबकि किन्दा कोर्ट से गैर हाजिर होने पर भगोड़ा करार कर दिया गया। बाद में पुलिस ने उसे पकड़ दोबारा से चालान पेश किया। फिर उसे सजा सुनाई गई।
बिट्टू के बहाने पंजाब की 60% सिख आबादी पर नजर:बेअंत के पोते पगड़ीधारी सिख, 38% हिंदुओं की भी पसंद, सवाल-राज्यसभा में कहां से जाएंगे
बिट्टू के बहाने पंजाब की 60% सिख आबादी पर नजर:बेअंत के पोते पगड़ीधारी सिख, 38% हिंदुओं की भी पसंद, सवाल-राज्यसभा में कहां से जाएंगे पंजाब में BJP एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रवनीत सिंह बिट्टू को अपनी कैबिनेट में शामिल कर एक बार फिर सिखों को साधने की कोशिश की है। बिट्टू लोकसभा चुनाव में लुधियाना सीट पर कांग्रेसी उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के सामने हार गए थे। पंजाब से आतंकवाद खत्म करने का श्रेय बिट्टू के दादा सरदार बेअंत सिंह को ही जाता है। बेअंत सिंह ने पंजाब का CM रहते हुए सुपर कॉप केपीएस गिल को आतंकियों के खात्मे के लिए फ्री हैंड दिया था। उनसे नाराज खालिस्तान समर्थकों ने 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सेक्रेटेरिएट के बाहर बम विस्फोट करके बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी। उस धमाके में बेअंत सिंह के साथ 3 कमांडो समेत 17 लोगों की जान चली गई थी। राज्य में अमन-शांति स्थापित करने के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देने वाले बेअंत संह और उनके परिवार को पंजाब के कुल 38.5% हिंदू पसंद करते रहे हैं। रवनीत बिट्टू को मंत्री बनाने का फायदा BJP को पंजाब में जल्दी होने वाले नगर निगम, पंचायत और पांच विधानसभा सीटों के उपचुनाव में मिल सकता है। रवनीत बिट्टू इस समय न तो लोकसभा सांसद हैं और न ही राज्यसभा के मेंबर। पंजाब विधानसभा में महज 2 विधायक होने के चलते BJP यहां से उन्हें राज्यसभा भेजने की पोजिशन में भी नहीं है। ऐसे में पार्टी उन्हें हरियाणा या किसी दूसरे स्टेट से राज्यसभा में भेज सकती है। हरियाणा में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा रोहतक सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में उन्हें 15 दिन के अंदर अपनी राज्यसभा सीट खाली करनी होगी। हरियाणा में भाजपा की सरकार भी है। रवनीत बिट्टू को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करके भाजपा की पंजाब में जिन 4 चीजों पर नजर है, आइए उन्हें वन-बाई-वन समझते समझते हैं। 1. पोते के बहाने दादा की लीगेसी को भुनाने की अप्रोच
रवनीत सिंह बिट्टू के परिवार का पंजाब में अलग सियासी रसूख है। उनके दादा स्व. बेअंत सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे। पंजाब में आतंकवाद खत्म करने की कीमत अपनी जान देकर चुकाने वाले बेअंत सिंह को पंजाबी, खासकर हिंदू बिरादरी आज भी याद करती है।भाजपा की कोशिश बिट्टू के बहाने उनके दादा की लीगेसी को भुनाने की है। इस बार भी लोकसभा चुनाव में रवनीत बिट्टू ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने दादा बेअंत सिंह के फोटो होर्डंग्स और बैनर में लगाए थे। 2. 60% सिख आबादी पर नजर
पंजाब में 60% आबादी सिखों की है। बिट्टू पगड़ीधारी सिख हैं। उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी इस आबादी के करीब जाने की कोशिश कर रही है। बिट्टू को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करके BJP ने उन लोगों को जवाब देने की कोशिश की है जो उसे पंजाब विरोधी बताते हैं।पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि बिट्टू के मंत्री बनने से पंजाबियों में उसे लेकर सकारात्मक संदेश जाएगा। पार्टी की रणनीति सिख चेहरों को आगे रखते हुए ग्रामीण एरिया में पैठ बनाने की है। 3. सिख चेहरे की कमी पूरी, अकाली दल से आगे निकली पार्टी
पंजाब के अंदर BJP का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसी लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए भाजपा वोट शेयर के मामले में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 9% के आसपास था जो 2014 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 18.56% पर पहुंच गया। दूसरी तरफ 2019 के लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल का वोट शेयर 27.45% था, जो 2024 में गिरकर 13.42% रह गया। वोट शेयर के मामले में BJP से आगे सिर्फ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी रही। प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने के मामले में भी भाजपा का प्रदर्शन अकाली दल के मुकाबले बेहतर रहा। अकाली दल के 13 में से 10 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल, फिरोजपुर से नरदेव सिंह बॉबी मान और अमृतसर से अनिल जोशी ही अपनी जमानत बचा पाए। इसके मुकाबले भाजपा के 13 में से सिर्फ 4 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। इनमें खडूर साहिब के मंजीत सिंह मन्ना मियाविंड, बठिंडा से परमपाल कौर सिद्धू, संगरूर से अरविंद खन्ना और फतेहगढ़ साहिब से गेजाराम शामिल रहे। भाजपा पंजाब की 13 सीटों में से 3 सीटों पर तो दूसरे स्थान पर रही। इनमें लुधियाना, जालंधर और गुरदासपुर सीट शामिली है। पार्टी 6 सीटों-अमृतसर, आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, होशियारपुर व पटियाला में तीसरे स्थान पर रही। इसके अलावा, नवजोत सिद्धू के पार्टी छोड़ जाने के बाद भाजपा के पास पंजाब में कोई सिख चेहरा नहीं बचा। BJP ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को साथ जोड़कर इस कमी को पूरा करना चाहा लेकिन बढ़ती उम्र के कारण कैप्टन सक्रिय राजनीति से लगभग किनारा कर चुके हैं। ऐसे में रवनीत बिट्टू के आने से पार्टी की सिख चेहरे की तलाश खत्म होती नजर आ रही है। 4. 2027 पर नजर, बिट्टू में देख रही फ्यूचर लीडरशिप
भाजपा बेशक इस लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन उसका टारगेट 2027 में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव है। इसकी शुरुआत पार्टी ने एक तरह से 2022 के विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू कर दी थी। अपना जनाधार बढ़ाने और रूरल एरिया में पैठ बनाने के लिए सिलसिलेवार ढंग से कांग्रेस और अकाली दल के बड़े चेहरों को पार्टी जॉइन करवाई गई। इनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़, परनीत कौर, रवनीत सिंह बिट्टू, केवल सिंह ढिल्लों, सुशील रिंकू, अरविंद खन्ना, पूर्व कांग्रेसी सांसद संतोख चौधरी की पत्नी कर्मजीत कौर चौधरी, अकाली दल के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका की बहू परमपाल कौर शामिल हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव में तकरीबन ढाई साल पड़े हैं। रवनीत बिट्टू अभी जवान हैं। आनंदपुर साहिब और लुधियाना लोकसभा सीट से 3 बार कांग्रेस का सांसद रहने के अलावा वह पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान भी रहे हैं। भाजपा नेतृत्व को लगता है कि यदि उन्हें पार्टी की रीति-नीति के हिसाब से ढाल लिया जाए तो वह आने वाले कई बरसों तक पंजाब में पार्टी के लिए काम कर सकते हैं। पार्टी के बड़े चेहरे चुनाव हारे
भाजपा ने पहली बार पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। इनमें कुछ बड़े चेहरे भी थे। पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई। होशियारपुर लोकसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश की पत्नी अनीता सोमप्रकाश तीसरे स्थान पर खिसक गईं। अमृतसर सीट पर पार्टी उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू और पटियाला सीट पर पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर भी तीसरे स्थान पर रहीं। ये खबरें भी पढ़ें… हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग शूटर रहे राव तीसरी बार मोदी कैबिनेट में:मोदी के PM फेस बनने के 10 दिन बाद छोड़ी कांग्रेस, पिता से मिलने चप्पल में पहुंची थीं इंदिरा हरियाणा के कृष्णपाल लगातार तीसरी बार मंत्री बने:सियासत की शुरुआत कॉलेज से, मोदी का करीबी होने पर मिला 2014 में टिकट; बेटा भी पॉलिटिक्स में हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी
पंजाब को बढ़ानी पड़ेगी सुखना इको जोन की सीमा:SC केस में सख्त, बनाई जा रही है स्ट्रेटजी, सितंबर में है सुनवाई
पंजाब को बढ़ानी पड़ेगी सुखना इको जोन की सीमा:SC केस में सख्त, बनाई जा रही है स्ट्रेटजी, सितंबर में है सुनवाई पंजाब सरकार अपने एरिया में सुखना इको सेंसिटिव जोन की सीमा को बढ़ाने के लिए नए सिरे से विचार कर रही है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को आदेश दिया है कि सितंबर माह तक इसकी सीमा तय की जाए। मामले की 18 सितंबर को सुनवाई है। वहीं, इसके बाद संबंधित विभाग स्ट्रेटजी तैयारी करने में जुट गया है। माना जा रहा है इस संबंधी प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट मीटिंग में लाया जाएगा। अगर यह एरिया बढ़ता है तो कई रसूखदार लोग मुश्किल में आ सकते हैं। क्योंकि उस एरिया में कई लोगों ने अपने फार्म हाउस तक बनाए हुए हैं। जबकि कुछ तो उनका काॅमर्शियल प्रयोग तक कर रहे हैं। इसके चलते कुछ मालिकों को नोटिस तक जारी हुआ था। एरिया बढ़ा तो यह लोग हो सकते हैं प्रभावित इस मामले में पंजाब चाहता है कि यह एरिया केवल 100 मीटर का हो। क्योंकि इस एरिया में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। लेकिन चंडीगढ़ को भी इस पर आपत्ति था। जिसके बाद अब कई चीजों पर मंथन हो रहा है। सूत्रों की माने तो इस एरिया में को अगर 10 किलोमीटर तक बढ़ाया जाता है, तो करीब 46 फार्म हाउस प्रभावित होंगे। वहीं, एक किलोमीटर तक सीमा बढ़ाई जाती है तो 17 फार्म हाउस प्रभावित होंगे। अगर एरिया ढाई से पांच किलोमीटर तक बढ़ाया जाता है तो 9 फार्म हाउस प्रभावित होंगे। जो कि स्यूंक, पडछ और माजरी में स्थित है। जबकि एरिया पांच से 10 किलोमीटर तक होने पर पड़ौल, छोटी बौर बड़ी नंगल के करीब नौ फार्म इस एरिया में आएंगे। वहीं, आने वाले समय में गमाडा को अपने प्रोजेक्ट लांच करने से पहले नए सिरे से रणनीति बनानी होगी चंडीगढ़ अपना एरिया पहले घोषित कर चुका है सूत्रों की माने तो इको सेंसिटिव जोन की सीमा बढ़ाने में यदि प्रशासन ने काेई ढील वरती तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा खुद इसका घेरा बढ़ाया जाएगा। सुखना का कुल 26 वर्ग किमी है। चंडीगढ़ प्रशासन ने 2 किमी से 2.75 किमी तक के क्षेत्र को इको जोन घोषित किया हुआ है। उसने इसी तर्ज पर पंजाब व हरियाणा से भी इको जोन घोषित करने की मांग रखी थी। क्येांकि 90 फीसद एरिया पंजाब व हरियाणा में पड़ता है। हरियाणा ने भी अपना एरिया घोषित किया जा चुका है।