हिमाचल उपचुनाव में भारी मतदान के मायने:कांग्रेस-भाजपा अपने-अपने पक्ष में बता रहे; भीतरघात से टेंशन में बीजेपी, नालागढ़ में निर्दलीय निर्णायक

हिमाचल उपचुनाव में भारी मतदान के मायने:कांग्रेस-भाजपा अपने-अपने पक्ष में बता रहे; भीतरघात से टेंशन में बीजेपी, नालागढ़ में निर्दलीय निर्णायक

हिमाचल में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान खत्म होते ही जीत-हार को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है। तीनों सीटों पर हुए भारी मतदान को कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने पक्ष में मान रही है। असल में कौन किस पर भारी पड़ता है, यह तो 13 जुलाई को पता चलेगा। अगर कांग्रेस उपचुनाव जीत जाती है तो यह सुक्खू सरकार के 19 महीने के कार्यकाल पर मुहर लगेगी। वहीं, अगर सत्तारूढ़ कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो यह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा, क्योंकि मौजूदा सरकार का अभी करीब 41 महीने का कार्यकाल बाकी है। नालागढ़ में हरप्रीत होंगे निर्णायक फैक्टर सोलन जिले के नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 79% मतदान हुआ है। इस सीट पर चुनाव परिणाम काफी हद तक भाजपा के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार हरप्रीत सिंह पर निर्भर है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर हरप्रीत सिंह को 8 से 10 हजार वोट मिले तो भाजपा उम्मीदवार केएल ठाकुर को परेशानी हो सकती है। अगर हरप्रीत को इससे कम वोट मिले तो कांग्रेस के बाबा हरदीप मुश्किल में पड़ सकते हैं। यानी इस सीट पर निर्णायक फैक्टर निर्दलीय उम्मीदवार का वोट होगा। देहरा में धवाला के कारण भाजपा टेंशन में देहरा सीट की बात करें तो यहां भी भाजपा को भितरघात का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि 2022 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमेश धवाला ने कल वोट डालने के बाद पार्टी नेताओं के खिलाफ खुलकर अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने कहा कि भेड़ की आड़ में भेड़िये को सबक सिखाएंगे। साफ है कि देहरा सीट पर धवाला के बागी तेवरों के कारण भाजपा टेंशन में है। इसका फायदा कांग्रेस की कमलेश ठाकुर को मिलने की उम्मीद है। अग्निहोत्री ने हमीरपुर में मुकाबला रोचक बनाया हमीरपुर सीट पर मुकाबला कांटे का माना जा रहा है। यहां भी भाजपा ने निर्दलीय और पूर्व विधायक आशीष शर्मा को टिकट दिया है। इससे पार्टी नेता और टिकट के दावेदार गुपचुप तरीके से नाराज हैं। हार-जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि भाजपा नेताओं की नाराजगी पार्टी प्रत्याशी आशीष शर्मा को कितना नुकसान पहुंचाती है। हालांकि, एक सप्ताह पहले तक आशीष शर्मा काफी मजबूत माने जा रहे थे। लेकिन पिछले दो-तीन दिनों में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने चुनाव में जान फूंक दी है। मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण नेता हैं और हमीरपुर सीट पर ब्राह्मण वोट 22 फीसदी से ज्यादा हैं। ऐसे में मुकेश अग्निहोत्री के प्रचार के बाद यहां मुकाबला रोचक हो गया है। हमीरपुर सीट पर 67.72 फीसदी लोगों ने मतदान किया है। सरकार को कोई खतरा नहीं 68 विधायकों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 38 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 27 विधायक हैं। तीन सीटों के नतीजे 13 जुलाई को घोषित होने हैं। इस लिहाज से कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत है। अगर कांग्रेस तीनों सीटें हार भी जाती है, तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। अगर कांग्रेस जीतती है, तो यह सुक्खू सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर होगी। सीएम सुक्खू की प्रतिष्ठा दांव पर उपचुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें कांग्रेस की जीत या हार सरकार की दशा और दिशा तय करेगी। खासकर देहरा सीट के नतीजे मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए कई मायनों में अहम होंगे, क्योंकि कांग्रेस हाईकमान ने इस सीट से सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतारा है। हिमाचल में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान खत्म होते ही जीत-हार को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है। तीनों सीटों पर हुए भारी मतदान को कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने पक्ष में मान रही है। असल में कौन किस पर भारी पड़ता है, यह तो 13 जुलाई को पता चलेगा। अगर कांग्रेस उपचुनाव जीत जाती है तो यह सुक्खू सरकार के 19 महीने के कार्यकाल पर मुहर लगेगी। वहीं, अगर सत्तारूढ़ कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो यह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा, क्योंकि मौजूदा सरकार का अभी करीब 41 महीने का कार्यकाल बाकी है। नालागढ़ में हरप्रीत होंगे निर्णायक फैक्टर सोलन जिले के नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 79% मतदान हुआ है। इस सीट पर चुनाव परिणाम काफी हद तक भाजपा के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार हरप्रीत सिंह पर निर्भर है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर हरप्रीत सिंह को 8 से 10 हजार वोट मिले तो भाजपा उम्मीदवार केएल ठाकुर को परेशानी हो सकती है। अगर हरप्रीत को इससे कम वोट मिले तो कांग्रेस के बाबा हरदीप मुश्किल में पड़ सकते हैं। यानी इस सीट पर निर्णायक फैक्टर निर्दलीय उम्मीदवार का वोट होगा। देहरा में धवाला के कारण भाजपा टेंशन में देहरा सीट की बात करें तो यहां भी भाजपा को भितरघात का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि 2022 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमेश धवाला ने कल वोट डालने के बाद पार्टी नेताओं के खिलाफ खुलकर अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने कहा कि भेड़ की आड़ में भेड़िये को सबक सिखाएंगे। साफ है कि देहरा सीट पर धवाला के बागी तेवरों के कारण भाजपा टेंशन में है। इसका फायदा कांग्रेस की कमलेश ठाकुर को मिलने की उम्मीद है। अग्निहोत्री ने हमीरपुर में मुकाबला रोचक बनाया हमीरपुर सीट पर मुकाबला कांटे का माना जा रहा है। यहां भी भाजपा ने निर्दलीय और पूर्व विधायक आशीष शर्मा को टिकट दिया है। इससे पार्टी नेता और टिकट के दावेदार गुपचुप तरीके से नाराज हैं। हार-जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि भाजपा नेताओं की नाराजगी पार्टी प्रत्याशी आशीष शर्मा को कितना नुकसान पहुंचाती है। हालांकि, एक सप्ताह पहले तक आशीष शर्मा काफी मजबूत माने जा रहे थे। लेकिन पिछले दो-तीन दिनों में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने चुनाव में जान फूंक दी है। मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण नेता हैं और हमीरपुर सीट पर ब्राह्मण वोट 22 फीसदी से ज्यादा हैं। ऐसे में मुकेश अग्निहोत्री के प्रचार के बाद यहां मुकाबला रोचक हो गया है। हमीरपुर सीट पर 67.72 फीसदी लोगों ने मतदान किया है। सरकार को कोई खतरा नहीं 68 विधायकों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 38 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 27 विधायक हैं। तीन सीटों के नतीजे 13 जुलाई को घोषित होने हैं। इस लिहाज से कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत है। अगर कांग्रेस तीनों सीटें हार भी जाती है, तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। अगर कांग्रेस जीतती है, तो यह सुक्खू सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर होगी। सीएम सुक्खू की प्रतिष्ठा दांव पर उपचुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें कांग्रेस की जीत या हार सरकार की दशा और दिशा तय करेगी। खासकर देहरा सीट के नतीजे मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए कई मायनों में अहम होंगे, क्योंकि कांग्रेस हाईकमान ने इस सीट से सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतारा है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर