केंद्रीय लॉ एंड जस्टिस मिनिस्टरी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया को हिमाचल हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया है। इसे लेकर मंत्रालय ने आदेश जारी कर दिए है। जस्टिस गुरमीत संधावालिया जल्द शपथ ग्रहण के बाद पदभार संभाल सकते हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर के रिटायर होने के बाद से न्यायाधीश त्रिलोक चौहान एक्टिंग चीफ जस्टिस की भूमिका निभा रहे हैं। चंडीगढ़ से बीए की पढ़ाई की जस्टिस गुरमीत संधावालिया ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से बीए (ऑनर्स) और 1989 में चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। उसी वर्ष अगस्त में बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा, चंडीगढ़ में एडवोकेट के रूप में नामांकित किया गया था। वह कानूनी परिवार से संबंध रखते हैं। पिता भी चीफ जस्टिस रहे इनके पिता 1978 से 1983 तक पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस गुरमीत को 30 सितंबर 2011 को एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में खंडपीठ में पदोन्नत किया गया और 24 जनवरी 2014 को स्थायी न्यायाधीश बन गया। केंद्रीय लॉ एंड जस्टिस मिनिस्टरी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया को हिमाचल हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया है। इसे लेकर मंत्रालय ने आदेश जारी कर दिए है। जस्टिस गुरमीत संधावालिया जल्द शपथ ग्रहण के बाद पदभार संभाल सकते हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर के रिटायर होने के बाद से न्यायाधीश त्रिलोक चौहान एक्टिंग चीफ जस्टिस की भूमिका निभा रहे हैं। चंडीगढ़ से बीए की पढ़ाई की जस्टिस गुरमीत संधावालिया ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से बीए (ऑनर्स) और 1989 में चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। उसी वर्ष अगस्त में बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा, चंडीगढ़ में एडवोकेट के रूप में नामांकित किया गया था। वह कानूनी परिवार से संबंध रखते हैं। पिता भी चीफ जस्टिस रहे इनके पिता 1978 से 1983 तक पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस गुरमीत को 30 सितंबर 2011 को एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में खंडपीठ में पदोन्नत किया गया और 24 जनवरी 2014 को स्थायी न्यायाधीश बन गया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मंडी में बंदरों व सुअरों से किसान परेशान:फसलों को कर रहे तबाह; रखवाली के लिए मनरेगा के तहत दिहाड़ी की मांग मंडी जिले में किसान जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं। यहां दिन को बंदर सेना और रात को जंगली सुअरों ने किसानों को परेशान कर दिया है। जंगली जानवर मक्की सहित अन्य नगदी फसलों से भरे खेतों को तबाह कर रहे हैं। आलम इस क़द्र है कि कई खेतों में मक्की का नामोनिशान तक नहीं रहा है। ऐसे में दिन रात की मेहनत पर पानी फिरता देख किसान आंसू बहाने को मजबूर हुए हैं। द्रंग क्षेत्र की कटिंडी, तरयांबली, गरलोग, पाली, कुन्नू, डलाह, सियून, गवाली, उरला, चुक्कू, कुफरी, बड़ीधार, भड़वाहण, बह, शीलग, नौहली, बयूंह, भराड़ू और कस आदि पंचायतों में इन दिनों जंगली जानवरों ने खूब तबाही मचाई हुई है। दिन-रात खेतों की रखवाली कर रहे किसान किसानों की माने तो दिन में बंदरों की फौज खेतों में घुसती है, तो रात को जंगली सुअर मक्की की फसल को तबाह कर रहे हैं। किसान दिन-रात की रखवाली के बाद भी अपनी फसल को बचा नहीं पा रहे हैं। खेतों में फसल का नामोनिशान तक नहीं रह रहा है। ऐसे में किसान खेतों से मक्की की कच्ची फसल काट कर पालतू मवेशियों को चारे में देने को मजबूर हो गए हैं। बंदरों की संख्या कम करने के लिए प्रदेश सरकार की बंदर पकड़ने व नसबंदी करने की योजना भी फेल हो गई है। वन विभाग भी इस दिशा में अब कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। जिस वजह से किसान खेतीबाड़ी के धंधे से हाथ पीछे खींचने को मजबूर हो गए हैं। खेती की रखवाली के लिए मनरेगा के तहत दिहाड़ी की मांग द्रंग के रुंझ गांव की निर्जला ठाकुर ने बताया कि बीते रोज जंगली सुअर आधा दर्जन खेतों से मक्की की खड़ी फसल पूरी तरह तबाह कर गए। जिससे खेत पूरी तरह खाली हो गए हैं। पंचायत समिति द्रंग की अध्यक्षा शीला ठाकुर, उपाध्यक्ष कृष्ण भोज, समिति सदस्य लेख राम ठाकुर, घनश्याम ठाकुर, कविता चौहान, कश्मीर सिंह, कृपाल सिंह, वीणा भारद्वाज सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने किसानों को खेती की रखवाली की एवज में मनरेगा के तहत दिहाड़ी उपलब्ध करवाने की मांग उठाई है। वहीं जंगली जानवरों से फसलों को सुरक्षित बचाने के लिए ठोस योजना बनाने की भी मांग की है। इसके साथ हाल ही में किसानों की फसलों के हुए नुकसान का उचित मुआवजा प्रदान करने की मांग सरकार से की है।
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