हिमाचल के बिस्मिल्लाह खां सूरजमणि नहीं रहे:AIIMS बिलासपुर में आखिरी सांस ली; क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस बीमारी से जूझ ​​​​​​​रहे थे मशहूर शहनाई वादक

हिमाचल के बिस्मिल्लाह खां सूरजमणि नहीं रहे:AIIMS बिलासपुर में आखिरी सांस ली; क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस बीमारी से जूझ ​​​​​​​रहे थे मशहूर शहनाई वादक

देश में छोटे विस्मिल्ला खां के नाम से मशहूर शहनाई वादक सूरजमणी का देर रात बिलासपुर के AIIMS अस्पताल में निधन हो गया। 63 साल सूरजमणी ने AIIMS अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस बीमारी से जूझ रहे थे। सूरजमणी मंडी जिले के नाचन क्षेत्र के चच्योट गांव से संबंध रखते थे। सूरजमणि कुछ दिन पहले चंडीगढ़ किसी रिकॉर्डिंग के लिए गए थे, वहां से लौटने के बाद वह बीमारी पड़ गए। इसके बाद उन्हें मंडी के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। एक दिन पहले ही उन्हें मंडी से AIIMS बिलासपुर रेफर किया गया। देर रात उनकी माैत हो गई। सूचना के अनुसार, आज ही उनका अंतिम संस्कार चच्योट में पैतृक गांव में किया जाएगा। सूरजमणि के देहांत की खबर से हिमाचल में शोक की लहर दौड़ गई है। सूरजमणी ने बचपन से ही शहनाई वादन शुरू किया। अपनी लगन और मेहनत से आज उन्होंने पूरे देश मे अपनी पहचान बना ली थी। सूरजमणि की धुन से होती थी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पर्व की शुरुआत प्रदेश में कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेलों की शुरुआत सूरजमणि की धुन होती थी। मंडी के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि पर्व, कुल्लू के दशहरा, चंबा के मिंजर और रामपुर के अंतरराष्ट्रीय लवी मेला समेत प्रदेश के ज्यादातर पारंपरिक मेलों में रात्रि सांस्कृतिक संध्याओं के कार्यक्रम की शुरुआत सूरजमणी की शहनाई के वादन के बाद ही होती थी। ओमान, दुबई व सऊदी अरब समेत कई देशों में किए कार्यक्रम दूरदर्शन और आकाशवाणी पर भी सूरजमणी अपनी शहनाई के स्वरों से लोगों को मंत्रमुग्ध करते रहे हैं। हिमाचली गाने उनकी शहनाई के बगैर अधूरे से लगते हैं। उन्होंने अधिकतर पहाड़ी गानों में अपनी शहनाई के स्वरों को बिखेरा है। अमेरिका, ओमान, दुबई व सऊदी अरब समेत खाड़ी के अनेक देशों में सूरजमणी अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं। शहनाई वादन में हिमाचल के बिस्मिल्लाह खां के नाम से जाने जाते थे शहनाई वादन में सूरजमणी हिमाचल के बिस्मिल्लाह खां के नाम से जाने जाते थे। हिमाचल की लोक संस्कृति को संजोने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। नेता प्रतिपक्ष ने जताया शोक सूरजमणि अपने पीछे पत्नी और दो बेटे छोड़ गए हैं। हिमाचल के सैकड़ों कलाकारों, संगीतकारों और कला संगीत से जुड़े लोगों ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी सूरजमणि के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि प्रदेश ने एक बहुत बड़े कलाकार को खोया है जिनकी भरपाई असंभव है। सूरजमणि के निधन की खबर पिछले कल भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई थी। मगर कल उनका निधन नहीं हुआ। उन्होंने देर AIIMS में अंतिम सांस ली। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी बीते कल निधन का पोस्ट सोशल मीडिया में शेयर किया था। बाद में जिसे डिलिट किया गया। देश में छोटे विस्मिल्ला खां के नाम से मशहूर शहनाई वादक सूरजमणी का देर रात बिलासपुर के AIIMS अस्पताल में निधन हो गया। 63 साल सूरजमणी ने AIIMS अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस बीमारी से जूझ रहे थे। सूरजमणी मंडी जिले के नाचन क्षेत्र के चच्योट गांव से संबंध रखते थे। सूरजमणि कुछ दिन पहले चंडीगढ़ किसी रिकॉर्डिंग के लिए गए थे, वहां से लौटने के बाद वह बीमारी पड़ गए। इसके बाद उन्हें मंडी के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। एक दिन पहले ही उन्हें मंडी से AIIMS बिलासपुर रेफर किया गया। देर रात उनकी माैत हो गई। सूचना के अनुसार, आज ही उनका अंतिम संस्कार चच्योट में पैतृक गांव में किया जाएगा। सूरजमणि के देहांत की खबर से हिमाचल में शोक की लहर दौड़ गई है। सूरजमणी ने बचपन से ही शहनाई वादन शुरू किया। अपनी लगन और मेहनत से आज उन्होंने पूरे देश मे अपनी पहचान बना ली थी। सूरजमणि की धुन से होती थी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पर्व की शुरुआत प्रदेश में कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेलों की शुरुआत सूरजमणि की धुन होती थी। मंडी के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि पर्व, कुल्लू के दशहरा, चंबा के मिंजर और रामपुर के अंतरराष्ट्रीय लवी मेला समेत प्रदेश के ज्यादातर पारंपरिक मेलों में रात्रि सांस्कृतिक संध्याओं के कार्यक्रम की शुरुआत सूरजमणी की शहनाई के वादन के बाद ही होती थी। ओमान, दुबई व सऊदी अरब समेत कई देशों में किए कार्यक्रम दूरदर्शन और आकाशवाणी पर भी सूरजमणी अपनी शहनाई के स्वरों से लोगों को मंत्रमुग्ध करते रहे हैं। हिमाचली गाने उनकी शहनाई के बगैर अधूरे से लगते हैं। उन्होंने अधिकतर पहाड़ी गानों में अपनी शहनाई के स्वरों को बिखेरा है। अमेरिका, ओमान, दुबई व सऊदी अरब समेत खाड़ी के अनेक देशों में सूरजमणी अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं। शहनाई वादन में हिमाचल के बिस्मिल्लाह खां के नाम से जाने जाते थे शहनाई वादन में सूरजमणी हिमाचल के बिस्मिल्लाह खां के नाम से जाने जाते थे। हिमाचल की लोक संस्कृति को संजोने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। नेता प्रतिपक्ष ने जताया शोक सूरजमणि अपने पीछे पत्नी और दो बेटे छोड़ गए हैं। हिमाचल के सैकड़ों कलाकारों, संगीतकारों और कला संगीत से जुड़े लोगों ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी सूरजमणि के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि प्रदेश ने एक बहुत बड़े कलाकार को खोया है जिनकी भरपाई असंभव है। सूरजमणि के निधन की खबर पिछले कल भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई थी। मगर कल उनका निधन नहीं हुआ। उन्होंने देर AIIMS में अंतिम सांस ली। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी बीते कल निधन का पोस्ट सोशल मीडिया में शेयर किया था। बाद में जिसे डिलिट किया गया।   हिमाचल | दैनिक भास्कर