हिमाचल सरकार और सभी जिलों के DC हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं। पंचायतीराज विभाग के सेक्रेटरी के आदेशों के बावजूद पंचायत चुनाव के लिए किसी भी DC ने अब तक आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया, जबकि आरक्षण रोस्टर 25 सितंबर तक हर हाल में लगना जरूरी था। हिमाचल हाईकोर्ट ने मनीष धर्मेक बनाम स्टेट केस में साल 2020 में पंचायत और नगर निकाय चुनाव के लिए आरक्षण रोस्टर कमेंसमेंट ऑफ इलेक्शन प्रोसेस से 90 दिन पहले लगाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा- चुनाव प्रोसेस होने से तीन महीने पहले आरक्षण रोस्टर लगाया जाए, ताकि किसी व्यक्ति को यदि आरक्षण रोस्टर पर आपत्ति है और वह उसे कोर्ट में चुनौती देना चाहता है, इससे व्यक्ति आरक्षण रोस्टर के खिलाफ अदालत में अपील कर सकेगा। कोर्ट को भी आरक्षण रोस्टर पर मिलने वाली अपील के निपटारे के लिए वक्त मिलेगा। यदि आरक्षण रोस्टर देरी से लगेगा और इधर इलेक्शन कमीशन चुनाव की तिथियां घोषित कर दी गई तो अपीलकर्ता से आरक्षण रोस्टर को चुनौती देने का अधिकार छिन जाएगा या फिर इससे इलेक्शन में देरी होगी। 25 सितंबर को लगना जरूरी थी आरक्षण रोस्टर हिमाचल में साल 2020 में पंचायतों की पहली मीटिंग 1 फरवरी 2021 को हुई। लगभग 35 दिन का वक्त चुनावी प्रक्रिया संपन्न करने में लगा। इस लिहाज से तीन महीने पहले यानी 25 सितंबर को हर हाल में आरक्षण रोस्टर लगाना जरूरी था। सेक्रेटरी पंचायतीराज ने भी 15 सितंबर को अपने आदेशों को हाईकोर्ट का जिक्र करते हुए सभी जिलों के DC को पत्र लिखा। इसमें 25 सितंबर तक प्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के लिए आरक्षण रोस्टर लगाने के निर्देश दिए। पंचायत सेक्रेटरी द्वारा तय तिथि से लगभग 28 दिन अधिक हो गए। मगर अब तक रोस्टर नहीं लग पाया। पंचायत में उप प्रधान ऐसा पद होता है जिसके लिए आरक्षण रोस्टर नहीं लगता। BJP बार बार सरकार को घेरती रही आरक्षण रोस्टर में देरी पर भारतीय जनता पार्टी बार बार सत्तारूढ़ कांग्रेस को घेरती रही है। बीजेपी का आरोप है कि चुनाव में हार के डर से कांग्रेस सरकार चुनाव नहीं कराना चाह रही। सीएम-मंत्री के दावे भी अब तक झूठे वहीं सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी कई बार कह चुके हैं कि चुनाव तय समय पर होंगे। मगर अब तक आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया जा सका। इससे चुनाव समय पर होंगे, इस पर संशय बना हुआ है। अपील के निपटारे को वक्त मिलेगा मनीष धर्मेक बनाम स्टेट केस में हाईकोर्ट ने कहा- चुनाव प्रोसेस होने से तीन महीने पहले आरक्षण रोस्टर लगना चाहिए, ताकि यदि किसी व्यक्ति को आरक्षण रोस्टर पर आपत्ति है और वह उसे कोर्ट में चुनौती देना चाहता है, तो 90 दिन का वक्त होने से व्यक्ति ऐसा कर पाएगा। कोर्ट को भी आरक्षण रोस्टर पर मिलने वाली अपील के निपटारे को वक्त मिलेगा। दिसंबर-जनवरी में प्रस्तावित चुनाव हिमाचल में 3577 पंचायतें है। इनमें इसी साल दिसंबर में चुनाव होने हैं। मौजूदा प्रतिनिधियों का कार्यकाल 23 जनवरी 2026 को पूरा हो रहा है। स्टेट इलेक्शन कमीशन को 23 जनवरी से पहले चुनाव कराना संवैधानिक बाध्यता है। इलेक्शन कमीशन दिसंबर में ही वोटिंग करवाना चाह रहा है, क्योंकि जनवरी में शिमला, मंडी, लाहौल स्पीति, किन्नौर, कांगड़ा, कुल्लू और सिरमौर जिला के कई भागों में भारी बर्फबारी होती है। बर्फबारी में चुनाव करा पाना टेडी खीर साबित हो सकता है। हिमाचल सरकार और सभी जिलों के DC हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं। पंचायतीराज विभाग के सेक्रेटरी के आदेशों के बावजूद पंचायत चुनाव के लिए किसी भी DC ने अब तक आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया, जबकि आरक्षण रोस्टर 25 सितंबर तक हर हाल में लगना जरूरी था। हिमाचल हाईकोर्ट ने मनीष धर्मेक बनाम स्टेट केस में साल 2020 में पंचायत और नगर निकाय चुनाव के लिए आरक्षण रोस्टर कमेंसमेंट ऑफ इलेक्शन प्रोसेस से 90 दिन पहले लगाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा- चुनाव प्रोसेस होने से तीन महीने पहले आरक्षण रोस्टर लगाया जाए, ताकि किसी व्यक्ति को यदि आरक्षण रोस्टर पर आपत्ति है और वह उसे कोर्ट में चुनौती देना चाहता है, इससे व्यक्ति आरक्षण रोस्टर के खिलाफ अदालत में अपील कर सकेगा। कोर्ट को भी आरक्षण रोस्टर पर मिलने वाली अपील के निपटारे के लिए वक्त मिलेगा। यदि आरक्षण रोस्टर देरी से लगेगा और इधर इलेक्शन कमीशन चुनाव की तिथियां घोषित कर दी गई तो अपीलकर्ता से आरक्षण रोस्टर को चुनौती देने का अधिकार छिन जाएगा या फिर इससे इलेक्शन में देरी होगी। 25 सितंबर को लगना जरूरी थी आरक्षण रोस्टर हिमाचल में साल 2020 में पंचायतों की पहली मीटिंग 1 फरवरी 2021 को हुई। लगभग 35 दिन का वक्त चुनावी प्रक्रिया संपन्न करने में लगा। इस लिहाज से तीन महीने पहले यानी 25 सितंबर को हर हाल में आरक्षण रोस्टर लगाना जरूरी था। सेक्रेटरी पंचायतीराज ने भी 15 सितंबर को अपने आदेशों को हाईकोर्ट का जिक्र करते हुए सभी जिलों के DC को पत्र लिखा। इसमें 25 सितंबर तक प्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के लिए आरक्षण रोस्टर लगाने के निर्देश दिए। पंचायत सेक्रेटरी द्वारा तय तिथि से लगभग 28 दिन अधिक हो गए। मगर अब तक रोस्टर नहीं लग पाया। पंचायत में उप प्रधान ऐसा पद होता है जिसके लिए आरक्षण रोस्टर नहीं लगता। BJP बार बार सरकार को घेरती रही आरक्षण रोस्टर में देरी पर भारतीय जनता पार्टी बार बार सत्तारूढ़ कांग्रेस को घेरती रही है। बीजेपी का आरोप है कि चुनाव में हार के डर से कांग्रेस सरकार चुनाव नहीं कराना चाह रही। सीएम-मंत्री के दावे भी अब तक झूठे वहीं सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी कई बार कह चुके हैं कि चुनाव तय समय पर होंगे। मगर अब तक आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया जा सका। इससे चुनाव समय पर होंगे, इस पर संशय बना हुआ है। अपील के निपटारे को वक्त मिलेगा मनीष धर्मेक बनाम स्टेट केस में हाईकोर्ट ने कहा- चुनाव प्रोसेस होने से तीन महीने पहले आरक्षण रोस्टर लगना चाहिए, ताकि यदि किसी व्यक्ति को आरक्षण रोस्टर पर आपत्ति है और वह उसे कोर्ट में चुनौती देना चाहता है, तो 90 दिन का वक्त होने से व्यक्ति ऐसा कर पाएगा। कोर्ट को भी आरक्षण रोस्टर पर मिलने वाली अपील के निपटारे को वक्त मिलेगा। दिसंबर-जनवरी में प्रस्तावित चुनाव हिमाचल में 3577 पंचायतें है। इनमें इसी साल दिसंबर में चुनाव होने हैं। मौजूदा प्रतिनिधियों का कार्यकाल 23 जनवरी 2026 को पूरा हो रहा है। स्टेट इलेक्शन कमीशन को 23 जनवरी से पहले चुनाव कराना संवैधानिक बाध्यता है। इलेक्शन कमीशन दिसंबर में ही वोटिंग करवाना चाह रहा है, क्योंकि जनवरी में शिमला, मंडी, लाहौल स्पीति, किन्नौर, कांगड़ा, कुल्लू और सिरमौर जिला के कई भागों में भारी बर्फबारी होती है। बर्फबारी में चुनाव करा पाना टेडी खीर साबित हो सकता है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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रामपुर सेग्रीगेशन पॉइंट पर भीषण आग:लाखों की मशीनें जलकर खाक, किसी चिंगारी से आग लगने की आशंका रामपुर में दिवाली के दिन खोपड़ी गोशाला के पास स्थित नगर परिषद के कूड़ा सेग्रीगेशन पॉइंट पर भीषण आग लग गई। इससे लाखों रुपए की मशीनें और अन्य सामग्री जलकर राख हो गईं। आग लगने के बाद पूरे इलाके में धुआं फैल गया और कुछ ही देर में आग ने विकराल रूप ले लिया। फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां पहुंचीं और आग बुझाने का कार्य शुरू किया। एसडीएम रामपुर हर्ष अमरिंदर सिंह नेगी और ईओ बीआर नेगी भी घटनास्थल पर पहुंचे। यह सेग्रीगेशन पॉइंट नगर परिषद द्वारा कूड़े की छंटाई और रीसाइक्लिंग के लिए उपयोग किया जाता था। आग के कारण यहां रखी कई आधुनिक मशीनें पूरी तरह नष्ट हो गईं। एक शटर मशीन को भी नुकसान पहुंचा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, आग संभवतः दिवाली की आतिशबाजी से निकली चिंगारी या किसी ज्वलनशील पदार्थ के कारण लगी होगी। घटना के दौरान आसपास के लोगों में भगदड़ मच गई और कई घंटों तक धुआं छाया रहा। नगर परिषद के अधिकारी नुकसान का आकलन कर रहे हैं, और ईओ ने आग लगने के सही कारणों की जांच कराने की बात कही है। स्थानीय नागरिकों ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नगर परिषद से ऐसे स्थलों पर अग्निशमन के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की है।
