हिमाचल में आज से ​​​​​​​हीटवेव का येलो अलर्ट:3 जिलों में अगले 72 घंटे परेशान करेगी लू, 8 अप्रैल से बारिश के आसार

हिमाचल में आज से ​​​​​​​हीटवेव का येलो अलर्ट:3 जिलों में अगले 72 घंटे परेशान करेगी लू, 8 अप्रैल से बारिश के आसार

हिमाचल प्रदेश में अगले 72 घंटे तक हीट-वेव का अलर्ट दिया गया है। आज और कल कुल्लू, मंडी व सोलन जिला में येलो अलर्ट है, जबकि परसों कांगड़ा जिला में भी लू चलने की चेतावनी जारी की गई है। इस सीजन में पहली बार लू को लेकर अलर्ट दिया गया है। जाहिर है कि आज से मैदानी इलाकों में गर्मी बढ़ेगी। दिन के वक्त लोगों को घरों से बाहर निकलने में सावधानी बरतनी होगी। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, हीटवेव से 8 से 10 अप्रैल को राहत मिल सकती है। इन तीन दिनों के दौरान प्रदेश में बारिश के आसार बन रहे हैं। खासकर 9 अप्रैल को प्रदेश के ज्यादातर भागों में बारिश होने का अनुमान है। यहां समझे क्या होती है हीटवेव? IMD के अनुसार, तापमान में वृद्धि और मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री, पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री और तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री से अधिक होने पर संबंधित इलाकों को हीटवेव की चपेट में माना जाता है। इसी तरह जब किसी इलाके में तापमान सामान्य से 4.5 से छह डिग्री ऊपर पहुंचता है तो हीटवेव क्षेत्र घोषित किया जाता है। इस दौरान इन इलाकों में तेज गर्मी के साथ गर्म हवाओं के थपेड़े लोगों को बेहाल करते हैं। क्या है हीटवेव बनने के कारण? IMD के अनुसार, यदि उत्तर-पश्चिमी भारत से गर्म और शुष्क हवाएं चलती हैं तो आसमान साफ ​​रहता है। इसी तरह यदि नमी में गिरावट होती है तो तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है। इसके कारण कुछ दिनों के लिए कुछ इलाकों में हीटवेव गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है। इसके अलावा बढ़ता तापमान सौर विकिरण में वृद्धि और मध्य-पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों पर एक उच्च दबाव क्षेत्र का कारण भी रहता है। इससे यहां ज्यादा हीटवेव रहती है। क्या हीटवेव घातक हैं? हीटवेव में अत्यधिक पसीने के कारण निर्जलीकरण (शरीर में पानी की कमी) के चलते किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इसी तरह खून में सोडियम और पोटेशियम सांद्रता में परिवर्तन हृदय और तंत्रिका कोशिकाओं को भ्रमित कर सकता है। इससे सांस लेने और रक्तप्रवाह में परेशानी होती है। हीटवेव की चपेट में आने के लक्षण? चिकित्सकों के अनुसार, हीटवेव की चपेट में आने वाले व्यक्ति को कमजोरी महसूस, सिर दर्द, उल्टी, दस्त, तेज पसीना, झटके महसूस होना, चक्कर आने और मांसपेशियों में ऐंठन की शिकायत हो सकती है। इनमें से कोई सा भी लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। हीटवेव की चपेट में आए व्यक्ति के लापरवाही बरतने पर उसकी जान भी जाने का खतरा रहता है। कैसे करें हीटवेव से बचाव? डाक्टरों के अनुसार, हीटवेव लगने पर ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए और हल्के और ढीले सूती कपड़े पहनने चाहिए। इसी तरह बिना काम धूप में बाहर नहीं निकलना चाहिए। जरूरी हुआ तो सिर पर कपड़ा, टोपी, रुमाल बांधकर ही बाहर निकलें। यात्रा करते समय अपने साथ बोतल में पानी जरूर रखें और ORS का घोल का पियें। नशीले पदार्थों का सेवन बंद करते हुए उच्च प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करें। हिमाचल प्रदेश में अगले 72 घंटे तक हीट-वेव का अलर्ट दिया गया है। आज और कल कुल्लू, मंडी व सोलन जिला में येलो अलर्ट है, जबकि परसों कांगड़ा जिला में भी लू चलने की चेतावनी जारी की गई है। इस सीजन में पहली बार लू को लेकर अलर्ट दिया गया है। जाहिर है कि आज से मैदानी इलाकों में गर्मी बढ़ेगी। दिन के वक्त लोगों को घरों से बाहर निकलने में सावधानी बरतनी होगी। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, हीटवेव से 8 से 10 अप्रैल को राहत मिल सकती है। इन तीन दिनों के दौरान प्रदेश में बारिश के आसार बन रहे हैं। खासकर 9 अप्रैल को प्रदेश के ज्यादातर भागों में बारिश होने का अनुमान है। यहां समझे क्या होती है हीटवेव? IMD के अनुसार, तापमान में वृद्धि और मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री, पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री और तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री से अधिक होने पर संबंधित इलाकों को हीटवेव की चपेट में माना जाता है। इसी तरह जब किसी इलाके में तापमान सामान्य से 4.5 से छह डिग्री ऊपर पहुंचता है तो हीटवेव क्षेत्र घोषित किया जाता है। इस दौरान इन इलाकों में तेज गर्मी के साथ गर्म हवाओं के थपेड़े लोगों को बेहाल करते हैं। क्या है हीटवेव बनने के कारण? IMD के अनुसार, यदि उत्तर-पश्चिमी भारत से गर्म और शुष्क हवाएं चलती हैं तो आसमान साफ ​​रहता है। इसी तरह यदि नमी में गिरावट होती है तो तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है। इसके कारण कुछ दिनों के लिए कुछ इलाकों में हीटवेव गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है। इसके अलावा बढ़ता तापमान सौर विकिरण में वृद्धि और मध्य-पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों पर एक उच्च दबाव क्षेत्र का कारण भी रहता है। इससे यहां ज्यादा हीटवेव रहती है। क्या हीटवेव घातक हैं? हीटवेव में अत्यधिक पसीने के कारण निर्जलीकरण (शरीर में पानी की कमी) के चलते किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इसी तरह खून में सोडियम और पोटेशियम सांद्रता में परिवर्तन हृदय और तंत्रिका कोशिकाओं को भ्रमित कर सकता है। इससे सांस लेने और रक्तप्रवाह में परेशानी होती है। हीटवेव की चपेट में आने के लक्षण? चिकित्सकों के अनुसार, हीटवेव की चपेट में आने वाले व्यक्ति को कमजोरी महसूस, सिर दर्द, उल्टी, दस्त, तेज पसीना, झटके महसूस होना, चक्कर आने और मांसपेशियों में ऐंठन की शिकायत हो सकती है। इनमें से कोई सा भी लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। हीटवेव की चपेट में आए व्यक्ति के लापरवाही बरतने पर उसकी जान भी जाने का खतरा रहता है। कैसे करें हीटवेव से बचाव? डाक्टरों के अनुसार, हीटवेव लगने पर ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए और हल्के और ढीले सूती कपड़े पहनने चाहिए। इसी तरह बिना काम धूप में बाहर नहीं निकलना चाहिए। जरूरी हुआ तो सिर पर कपड़ा, टोपी, रुमाल बांधकर ही बाहर निकलें। यात्रा करते समय अपने साथ बोतल में पानी जरूर रखें और ORS का घोल का पियें। नशीले पदार्थों का सेवन बंद करते हुए उच्च प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करें।   हिमाचल | दैनिक भास्कर