हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच कर्मचारी-पेंशनर की सैलरी व पेंशन पर संकट आ गया है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारियों व पेंशनरों को 1 तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिली। इससे राज्य के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और लगभग 1.50 लाख पेंशनरों की चिंताएं बढ़ गई है। कर्मचारी-पेंशनर बीते कल को दिनभर सैलरी-पेंशन के मैसेज का इंतजार करते रहे। मगर देर रात तक मैसेज नहीं आया। हालांकि बीते कल रविवार था। मगर पहले भी रविवार को कर्मचारी-पेंशनर को सैलरी-पेंशन मिलती रही है। एक तारीख को यदि रविवार आ रहा हो तो उस सूरत में सरकार शनिवार को ही ट्रैज़री में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी-पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। मगर आर्थिक संकट के बीच इस बार ऐसा नहीं हुआ। अगस्त महीने की सैलरी-पेंशन के लिए कर्मचारी-पेंशनर इंतजार में है। यह गंभीर आर्थिक संकट का इशारा है। पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन शिमला शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब उन्हें एक तारीख को सैलरी और पेंशन न मिली हो। उन्होंने बताया कि पेंशनर कल दिनभर पेंशन का इंतजार करते रहे। उन्होंने सरकार से आज पेंशन का जल्द भुगतान करने की मांग की है। आर्थिक संकट के बीच सैलरी डैफर कर चुके CM-मंत्री-CPS आर्थिक संकट के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कैबिनेट मंत्री व मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) ने 2 महीने का वेतन डैफर कर चुके हैं। यानी अगस्त और सितंबर की सैलरी अक्टूबर महीने में लेंगे। CM सुक्खू का दावा है कि इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। सीएम आर्थिक संकट जैसी स्थिति से साफ इनकार कर चुके हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था हिमाचल की अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज और रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) के निरंतर कम होने से डगमगा रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG में हिमाचल को केंद्र से 10249 करोड़ मिले। जो कि अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। GTS प्रतिपूर्ति राशि और NPS मैचिंग ग्रांट भी बंद GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में GST लागू होने के बाद से हर साल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। केंद्र ने हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद ही कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया था। यानी 2022 तक हिमाचल को लगभग 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। 94 हजार करोड़ पहुंचा कर्च छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। इसलिए आय का ज्यादातर हिस्सा पुराना कर्ज चुकाने, ब्याज देने, कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी पर पर खर्च हो रहा है। विकास कार्य के लिए बहुत कम पैसा बच पा रहा है। इससे आमदन्नी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति हो गई। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। चिंता इस बात की है कि कर्मचारियों-पेंशनर का लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का एरियर सरकार के पास बकाया है। प्रदेश की पूर्व सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सुक्खू सरकार ने 75 साल या इससे अधिक आयु के पेंशनर को जरूर एरियर देने की नोटिफिकेशन की है। ऐसे बढ़ रहा कर्ज राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान लाए गए व्हाइट पेपर के अनुसार, पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल तक प्रदेश पर लगभग 47 हजार करोड़ का कर्ज था। जब प्रदेश की सत्ता से पूर्व बीजेपी सरकार बाहर हुई तो राज्य पर लगभग 76 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका था। 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदानी बकाया था। अब यह कर्ज लगभग 94 हजार करोड़ हो गया है। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच कर्मचारी-पेंशनर की सैलरी व पेंशन पर संकट आ गया है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारियों व पेंशनरों को 1 तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिली। इससे राज्य के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और लगभग 1.50 लाख पेंशनरों की चिंताएं बढ़ गई है। कर्मचारी-पेंशनर बीते कल को दिनभर सैलरी-पेंशन के मैसेज का इंतजार करते रहे। मगर देर रात तक मैसेज नहीं आया। हालांकि बीते कल रविवार था। मगर पहले भी रविवार को कर्मचारी-पेंशनर को सैलरी-पेंशन मिलती रही है। एक तारीख को यदि रविवार आ रहा हो तो उस सूरत में सरकार शनिवार को ही ट्रैज़री में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी-पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। मगर आर्थिक संकट के बीच इस बार ऐसा नहीं हुआ। अगस्त महीने की सैलरी-पेंशन के लिए कर्मचारी-पेंशनर इंतजार में है। यह गंभीर आर्थिक संकट का इशारा है। पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन शिमला शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब उन्हें एक तारीख को सैलरी और पेंशन न मिली हो। उन्होंने बताया कि पेंशनर कल दिनभर पेंशन का इंतजार करते रहे। उन्होंने सरकार से आज पेंशन का जल्द भुगतान करने की मांग की है। आर्थिक संकट के बीच सैलरी डैफर कर चुके CM-मंत्री-CPS आर्थिक संकट के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कैबिनेट मंत्री व मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) ने 2 महीने का वेतन डैफर कर चुके हैं। यानी अगस्त और सितंबर की सैलरी अक्टूबर महीने में लेंगे। CM सुक्खू का दावा है कि इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। सीएम आर्थिक संकट जैसी स्थिति से साफ इनकार कर चुके हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था हिमाचल की अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज और रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) के निरंतर कम होने से डगमगा रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG में हिमाचल को केंद्र से 10249 करोड़ मिले। जो कि अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। GTS प्रतिपूर्ति राशि और NPS मैचिंग ग्रांट भी बंद GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में GST लागू होने के बाद से हर साल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। केंद्र ने हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद ही कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया था। यानी 2022 तक हिमाचल को लगभग 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। 94 हजार करोड़ पहुंचा कर्च छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। इसलिए आय का ज्यादातर हिस्सा पुराना कर्ज चुकाने, ब्याज देने, कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी पर पर खर्च हो रहा है। विकास कार्य के लिए बहुत कम पैसा बच पा रहा है। इससे आमदन्नी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति हो गई। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। चिंता इस बात की है कि कर्मचारियों-पेंशनर का लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का एरियर सरकार के पास बकाया है। प्रदेश की पूर्व सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सुक्खू सरकार ने 75 साल या इससे अधिक आयु के पेंशनर को जरूर एरियर देने की नोटिफिकेशन की है। ऐसे बढ़ रहा कर्ज राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान लाए गए व्हाइट पेपर के अनुसार, पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल तक प्रदेश पर लगभग 47 हजार करोड़ का कर्ज था। जब प्रदेश की सत्ता से पूर्व बीजेपी सरकार बाहर हुई तो राज्य पर लगभग 76 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका था। 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदानी बकाया था। अब यह कर्ज लगभग 94 हजार करोड़ हो गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मंडी में हुई भाजपा की सदस्यता एवं संगठनात्मक चुनाव बैठक:प्रदेशाध्यक्ष बिंदल ने सीएम सुक्खू पर बोला हमला, 5 गारंटियों पर उठाए सवाल हिमाचल में मंडी जिले के सुंदरनगर में भाजपा की ओर से संगठन पर्व सक्रिय सदस्यता एवं संगठनात्मक चुनाव बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें हिमाचल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस बैठक में भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा, प्रदेश प्रभारी श्रीकांत शर्मा, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, प्रदेश संगठन चुनाव अधिकारी डॉ. राजीव भारद्वाज, डॉ सिकंदर कुमार व अन्य कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम सुक्खू की सरकार पर जमकर निशाना साधा। बिंदल ने लगाए सुक्खू सरकार पर नौकरियां छीनने और टैक्स बढ़ाने के आरोप
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम सुक्खू ने प्रदेश में 5 गारंटियां तो पूरी नहीं की। लेकिन 5 हिडेन गारंटियां पूरी कर दी है, जिसमें पहला- प्रदेश में 1500 संस्थान बंद करना जैसे पीएचसी, पटवार सर्कल, तहसील, स्कूल, कॉलेज।
दूसरी- प्रदेश में नौकरियों को छीनना, नौकरी देने वाला संस्थान बंद कर देना, 2 लाख नौकरियां देने के बजाय 1.50 लाख नौकरियों को छीन लेना।
तीसरी- टैक्स लगाकर जनता पर बोझ बढ़ाना, डीजल पर 7 रुपए टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी 500% बढ़ाना, सीमेंट 60 रुपए महंगा करना, 300 यूनिट बिजली मुफ्त एवं सस्ता पानी का दाम बढ़ना।
चौथी- अपने मित्रों को कैबिनेट रैंक, चेयरमैन जैसे लाभ देना, अज़ीजों को काम और ठेके आवंटन करना।
और अंतिम पांचवां 25000 करोड़ का ऋण लेकर प्रदेश में विकास कार्य बंद करना एवं वित्तीय कुप्रबंधन फैलाना। भाजपा ने बनाए 1.50 लाख मैनुअल सदस्य
राजीव बिंदल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चलने वाले प्रत्येक विकासात्मक कार्य केंद्र प्रायोजित हैं। जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, फोर लेन, रोप वे, जल जीवन मिशन, हेल्थ मिशन, आयुष्मान भारत, मनरेगा, ग्रामीण कृषि योजना सम्मिलित है। बिंदल ने बैठक में 5 विषय रखते हुए कहा कि भाजपा का संगठन पर्व पूरे देश और प्रदेश में चल रहा है। इस पर्व में तीन चरण है, जिसमें से प्रथम प्राथमिक सदस्यता अभियान है। जिसमें भाजपा ने प्रदेश भर में 14 लाख 41 हजार सदस्य ऑनलाइन और 1.50 लाख सदस्य मैनुअल बनाए गए है। भाजपा ने प्राथमिक सदस्यता में अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ने वाला लक्ष्य हासिल किया है, दूसरे चरण में सक्रिय सदस्यता अभियान 5 नवम्बर को पूर्ण हो जाएगा और अब तीसरे चरण में 11 नवम्बर से 30 नवम्बर तक प्रदेश में सभी 8000 बूथों पर हम नए सिरे से बूथ समितियों का गठन करने जा रहे हैं। इसी प्रकार भाजपा ने प्रदेश में नई ऊर्जा एवं रक्त का संचार किया है, नई ऊर्जा को साथ लेकर हम बूथों पर आदर्श बूथ समिति का गठन करेंगे जिसमें समाज के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा।
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हिमाचल में गरीब बच्चों को पढ़ाने के दावे झूठे:2700 प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ 450 बच्चे एनरोल; मुफ्त शिक्षा का नहीं उठा पा रहे फायदा हिमाचल के प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ाई को आगे नहीं आ रहे। प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रदेश के 2700 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में केवल 450 गरीब बच्चे मुफ्त शिक्षा ले रहे हैं, जबकि अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) में प्रत्येक प्राइवेट स्कूल में 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान है। इस लिहाज से 67 हजार से ज्यादा बच्चे राज्य के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कर सकते हैं। मगर हिमाचल के सरकारी स्कूलों में एक प्रतिशत बच्चे भी RTE में मिले मुफ्त शिक्षा के अधिकार को नहीं भुना पा रहे हैं। यह खुलासा शिक्षा विभाग की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। RTE एक्ट लागू होने के 14 साल बाद विभाग शिक्षा विभाग जागरूकता की कमी का रोना रो रहा है। जागरूकता में कमी के लिए आज तक किसी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई। अब शिक्षा विभाग और शिक्षाविद से जानते हैं कि ‘निर्धन बच्चे प्राइवेट स्कूलों में क्यों दाखिला नहीं ले पा रहे’। डॉ. भुरेटा बोले- जागरूकता को व्यापक स्तर पर कैंपेन की जरूरत राज्य संसाधन केंद्र के डायरेक्टर और नेशनल लेवल की ज्ञान विज्ञान समिति के महासचिव डॉ. ओपी भुरेटा ने बताया कि गरीब बच्चों के प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ पाने की 3 वजह है। प्राइवेट एजुकेशन की देखा-देखी में खाली हो रहे सरकारी स्कूल हैरानी इस बात की है कि प्राइवेट एजुकेशन की होड़ में राज्य के सरकारी स्कूलों से बच्चे तेजी से पलायन कर रहे हैं। इससे सरकारी स्कूलों पर खतरा मंडरा रहा है। यही वजह है कि इस साल कांग्रेस सरकार ने 450 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को बंद या साथ लगते स्कूल में मर्ज कर दिया है और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। मगर प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चे मुफ्त शिक्षा को आवेदन नहीं कर रहे। जबकि RTE एक्ट सभी इच्छुक बच्चों को भी पहली से आठवीं कक्षा तक की प्राइवेट एजुकेशन का अधिकार देता है। क्या बोले प्रारंभिक शिक्षा निदेशक? प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का आंकड़ा हैरान करने वाला है। खासकर ऐसे वक्त में जब बच्चों के परिजन प्राइवेट एजुकेशन को काफी तरजीह दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई प्राइवेट स्कूल प्रबंधन निर्धन बच्चों को एडमिशन देने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए है। उन्होंने बताया कि विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा को लेकर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए है। सभी डिप्टी डायरेक्टर को कहा गया है कि वह प्राइवेट स्कूलों में जाकर पता लगाए कि कैसे गरीब बच्चों की एनरोलमेंट को बढ़ाया जा सकता है। कैसे करें प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई को आवेदन RTE एक्ट की धारा 12(1)सी में किसी प्राइवेट स्कूल के आसपास के बच्चे पढ़ाई को आवेदन कर सकते है। यदि कोई बच्चा प्राइवेट स्कूल में एडमिशन को आवेदन करता है तो प्राइवेट स्कूल प्रबंधन उसे शिक्षा देने से इनकार नहीं कर सकता। इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को डिप्टी डायरेक्टर को देनी होगी। इसके बाद शिक्षा विभाग उस बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाएग। यह प्रावधान RTE एक्ट में निहित है। विभाग ने डिप्टी डायरेक्टर को दिए निर्देश शिक्षा विभाग ने RTE के इस प्रावधान में मुफ्त शिक्षा ले रहे बच्चों का आंकड़ा सामने आने के बाद सभी डिप्टी डायरेक्टर को निर्देश दिए है कि गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई के लिए जागरूक किया जाए। संबंधित क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल की मैनेजमेंट को भी इसे लेकर दिशा-निर्देश दिए जाए। यदि कोई स्कूल गरीब बच्चों को पढ़ाने को इनकार करता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
हिमाचल में रात से जारी है बारिश:आज 10 जिलों में चेतावनी, 200 से ज्यादा सड़कें बंद, अगले पांच दिन एक्टिव रहेगा मानसून
हिमाचल में रात से जारी है बारिश:आज 10 जिलों में चेतावनी, 200 से ज्यादा सड़कें बंद, अगले पांच दिन एक्टिव रहेगा मानसून हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में बीती रात से तेज बारिश हो रही है। इससे जगह जगह लैंडस्लाइड से 200 से ज्यादा सड़कें यातायात के लिए बंद हो गई है। मौसम विभाग (IMD) ने लाहौल स्पीति और किन्नौर को छोड़कर सभी 10 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दे रखी है। IMD के अलर्ट के बाद राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों को सतर्क रहने और नदी नालों के आसपास नहीं जाने की सलाह दी है। बारिश के बाद कई क्षेत्रों में नदी-नालों में जल स्तर बढ़ना शुरू हो गया है। प्रदेश में अगले चार-पांच दिन तक मानसून एक्टिव रहेगा। 8 और 9 अगस्त के लिए येलो अलर्ट दिया गया है, जबकि 10 अगस्त के लिए फिर से भारी बारिश की ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। जाने कब जारी होता ऑरेंज अलर्ट जब 0 से 74 मिलीमीटर बारिश होने का पूर्वानुमान हो, उस सूरत में येलो अलर्ट दिया जाता है। 75 मिलीमीटर से ज्यादा और 125 मिलीमीटर से कम बारिश होने के पूर्वानुमान पर ऑरेंज अलर्ट दिया और 125 मिलीमीटर से अधिक बारिश की स्थिति में रेड अलर्ट दिया जाता है। 200 सड़कें पड़ी हैं बंद प्रदेश में हो रही बारिश से 200 से ज्यादा सड़कें, 215 बिजली के ट्रांसफॉर्मर और 70 पानी की स्कीमें बंद पड़ी है। इससे कई क्षेत्रों में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक बरसात से 748 करोड़ रुपए की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो चुकी है। पूरे मानसून सीजन में 170 सड़कों की सड़क हादसों, गिरने, पानी में डूबने, सांप के काटने इत्यादि से जान चली गई है। 39 मकान पूरी तरह टूटे प्रदेश में 39 मकान पूरी तरह से धवस्त और 177 मकान आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त हो चुकी है। 24 दुकानें, 3 लेबर शेड, 173 गौशालाएं और 3 घ्राट भी बरसात से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।