हिमाचल में इंट​​​​​​​रनेशनल कुल्लू दशहरा:आज निकाली जाएगी दूसरी शोभायात्रा, सराज घाटी के देवी-देवता होंगे शामिल, राष्ट्रीय खेल महोत्सव का होगा आगाज

हिमाचल में इंट​​​​​​​रनेशनल कुल्लू दशहरा:आज निकाली जाएगी दूसरी शोभायात्रा, सराज घाटी के देवी-देवता होंगे शामिल, राष्ट्रीय खेल महोत्सव का होगा आगाज

हिमाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के तीसरे दिन मंगलवार को नरसिंह भगवान की दूसरी जलेब निकाली जाएगी। दोपहर बाद होने वाली जलेब में रूपी रियासत सराज घाटी के दर्जन भर देवी-देवता शामिल होंगे और मेले में पहुंचे लोगों को अपना आशीर्वाद देंगे। इस जलेब में आगे-आगे नरसिंह भगवान की घोड़ी चलेगी। पीछे देवी-देवताओं की झांकियां और बीच में भगवान नरसिंह की पालकी चलेगी। पालकी में रूपी रियासत के राज घराना से संबंध रखने वाले रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह नरसिंह भगवान की निशानी ढाल लेकर सवार रहेंगे। कुल्लू की सांस्कृतिक धरोहर एवं राजा की जलेब का दशहरे में विशेष महत्व है। जलेब यानी राजा की शोभा यात्रा। इसमें हजारों लोग और देवलू (देवता के कारिंदे) पारंपरिक बाध्य यंत्रों की थाप पर नाचते-गाते हुए तय रूट पर आगे बढ़ते है और आखिर में उसी स्थान पर पहुंचते हैं जहां से यात्रा शुरू होती है। आज राष्ट्रीय स्तर की खेलों का आयोजन कुल्लू के रथ मैदान में आज राष्ट्रीय खेल उत्सव का शुभारंभ होगा। 18 तक चलने वाले राष्ट्रीय खेल में वॉलीबाल, कबड्डी, रस्सा कस्सी, बॉक्सिंग के मुकाबले खेले जाएंगे। यह मुकाबले महिला और पुरुष दोनों वर्ग में होंगे। इसके लिए देशभर के खिलाड़ी कुल्लू पहुंच चुके हैं। बीते रविवार को शुरू हो चुका इंटरनेशनल कुल्लू दशहरा 7 दिन तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा भगवान रघुनाथ जी की शोभायात्रा के साथ बीते रविवार को शुरू हो चुका है। इसमें 283 देवी-देवता भाग ले रहे हैं। साल 2017 में इस पर्व को अंतरराष्ट्रीय का दर्जा दिया गया। इस मेले के लिए बाह्य सराज, आनी, निरमंड और सैंज की शांघड़ घाटी के दूरस्थ इलाकों के देवी-देवता पैदल चल कर पहुंचते हैं। हिमाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के तीसरे दिन मंगलवार को नरसिंह भगवान की दूसरी जलेब निकाली जाएगी। दोपहर बाद होने वाली जलेब में रूपी रियासत सराज घाटी के दर्जन भर देवी-देवता शामिल होंगे और मेले में पहुंचे लोगों को अपना आशीर्वाद देंगे। इस जलेब में आगे-आगे नरसिंह भगवान की घोड़ी चलेगी। पीछे देवी-देवताओं की झांकियां और बीच में भगवान नरसिंह की पालकी चलेगी। पालकी में रूपी रियासत के राज घराना से संबंध रखने वाले रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह नरसिंह भगवान की निशानी ढाल लेकर सवार रहेंगे। कुल्लू की सांस्कृतिक धरोहर एवं राजा की जलेब का दशहरे में विशेष महत्व है। जलेब यानी राजा की शोभा यात्रा। इसमें हजारों लोग और देवलू (देवता के कारिंदे) पारंपरिक बाध्य यंत्रों की थाप पर नाचते-गाते हुए तय रूट पर आगे बढ़ते है और आखिर में उसी स्थान पर पहुंचते हैं जहां से यात्रा शुरू होती है। आज राष्ट्रीय स्तर की खेलों का आयोजन कुल्लू के रथ मैदान में आज राष्ट्रीय खेल उत्सव का शुभारंभ होगा। 18 तक चलने वाले राष्ट्रीय खेल में वॉलीबाल, कबड्डी, रस्सा कस्सी, बॉक्सिंग के मुकाबले खेले जाएंगे। यह मुकाबले महिला और पुरुष दोनों वर्ग में होंगे। इसके लिए देशभर के खिलाड़ी कुल्लू पहुंच चुके हैं। बीते रविवार को शुरू हो चुका इंटरनेशनल कुल्लू दशहरा 7 दिन तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा भगवान रघुनाथ जी की शोभायात्रा के साथ बीते रविवार को शुरू हो चुका है। इसमें 283 देवी-देवता भाग ले रहे हैं। साल 2017 में इस पर्व को अंतरराष्ट्रीय का दर्जा दिया गया। इस मेले के लिए बाह्य सराज, आनी, निरमंड और सैंज की शांघड़ घाटी के दूरस्थ इलाकों के देवी-देवता पैदल चल कर पहुंचते हैं।   हिमाचल | दैनिक भास्कर