हिमाचल में एडवेंचर एक्टिविटी तरह रोक:15 जुलाई से 15 सितंबर तक नहीं होगी इजाजत; मानसून के खतरे को देखते हुए निर्णय

हिमाचल में एडवेंचर एक्टिविटी तरह रोक:15 जुलाई से 15 सितंबर तक नहीं होगी इजाजत; मानसून के खतरे को देखते हुए निर्णय

हिमाचल प्रदेश में मानसून के खतरों को देखते हुए साहसिक गतिविधियों (एडवेंचर एक्टिविटी) पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। सरकार के आदेशानुसार, 15 जुलाई से पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, वाटर स्पोर्ट्स और विविध साहसिक गतिविधियों की इजाजत नहीं होगी। इन साहसिक गतिविधियों के न केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग पहाड़ों पर पहुंचते हैं। मगर पहाड़ों पर बरसात में जोखिम कई गुणा बढ़ जाता है। लैंड स्लाइड और धुंध में हर की वजह से हर वक्त रास्ता भटकने का भय रहता है। इसी तरह नदियों में बरसात के दौरान जल स्तर कई गुणा बढ़ जाता है। ऐसे में रिवर राफ्टिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसे देखते हुए सरकार ने अगले दो महीने के लिए यानी 15 सितंबर तक रोक लगा दी है। यह रोक हर साल साहसिक गतिविधियों पर रोक लगाती है। साहसिक गतिविधियों पर रोक के साथ ही पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग ने चोरी-छिपे पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, वाटर स्पोर्ट्स व ट्रेकिंग करने वालों पर नजर रखने के निर्देश दिए है। साहसिक गतिविधियों पर रोक: मनोज डिप्टी डायरेक्टर पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग मंडी मनोज कुमार ने बताया कि पर्यटन विकास और रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत साहसिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। इस अवधि में किसी को भी इन गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जाएगी, क्योंकि ऐसा करना जोखिमभरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति अवैध और अनधिकृत साहसिक गतिविधियों के आयोजन में शामिल पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कानून के प्रावधान के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। कहां क्या गतिविधि होती है? हिमाचल की विभिन्न नदियों में रिवर राफ्टिंग, कांगड़ा, शिमला, मंडी, बिलासपुर और कुल्लू जिला में पैराग्लाइडिंग, किन्नौर, लाहौल स्पीति, कुल्लू, कांगड़ा, चंबा और मंडी जिला में ट्रेकिंग होती है। मगर अब इसके लिए दो महीने का इंतजार करना होगा। हिमाचल प्रदेश में मानसून के खतरों को देखते हुए साहसिक गतिविधियों (एडवेंचर एक्टिविटी) पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। सरकार के आदेशानुसार, 15 जुलाई से पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, वाटर स्पोर्ट्स और विविध साहसिक गतिविधियों की इजाजत नहीं होगी। इन साहसिक गतिविधियों के न केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग पहाड़ों पर पहुंचते हैं। मगर पहाड़ों पर बरसात में जोखिम कई गुणा बढ़ जाता है। लैंड स्लाइड और धुंध में हर की वजह से हर वक्त रास्ता भटकने का भय रहता है। इसी तरह नदियों में बरसात के दौरान जल स्तर कई गुणा बढ़ जाता है। ऐसे में रिवर राफ्टिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसे देखते हुए सरकार ने अगले दो महीने के लिए यानी 15 सितंबर तक रोक लगा दी है। यह रोक हर साल साहसिक गतिविधियों पर रोक लगाती है। साहसिक गतिविधियों पर रोक के साथ ही पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग ने चोरी-छिपे पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, वाटर स्पोर्ट्स व ट्रेकिंग करने वालों पर नजर रखने के निर्देश दिए है। साहसिक गतिविधियों पर रोक: मनोज डिप्टी डायरेक्टर पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग मंडी मनोज कुमार ने बताया कि पर्यटन विकास और रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत साहसिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। इस अवधि में किसी को भी इन गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जाएगी, क्योंकि ऐसा करना जोखिमभरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति अवैध और अनधिकृत साहसिक गतिविधियों के आयोजन में शामिल पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कानून के प्रावधान के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। कहां क्या गतिविधि होती है? हिमाचल की विभिन्न नदियों में रिवर राफ्टिंग, कांगड़ा, शिमला, मंडी, बिलासपुर और कुल्लू जिला में पैराग्लाइडिंग, किन्नौर, लाहौल स्पीति, कुल्लू, कांगड़ा, चंबा और मंडी जिला में ट्रेकिंग होती है। मगर अब इसके लिए दो महीने का इंतजार करना होगा।   हिमाचल | दैनिक भास्कर