हिमाचल में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला:पूर्व मंत्री ने CM सुक्खू पर लगाए आरोप, सौर ऊर्जा प्लांट में करोड़ों का हेरफेर

हिमाचल में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला:पूर्व मंत्री ने CM सुक्खू पर लगाए आरोप, सौर ऊर्जा प्लांट में करोड़ों का हेरफेर

हिमाचल प्रदेश में भाजपा नेता व पूर्व मंत्री विक्रम ठाकुर ने एक घोटाले का खुलासा किया है। हिमाचल प्रदेश में ग्रीन एनर्जी के नाम से बहुत बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसके तार हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन से जुड़े हुए हैं। ठाकुर ने बताया कि इस मुद्दे पर कई लेटर बम पहले भी सामने आए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 20 जून 2024 को ऊना जिले के पेखूबेला में 32 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट का उद्घाटन किया था। जिसकी कुल लागत 220 करोड़ रुपए बताई गई थी। विक्रम ठाकुर ने इसे लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इसी तरह का 35 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट गुजरात के भुज में मात्र 144 करोड़ रुपए में पूरा हो गया, जबकि हिमाचल में 3 मेगावाट कम का प्रोजेक्ट 76 करोड़ रुपए अधिक में लगाया गया। यह भारी अंतर दर्शाता है कि इस प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। ऊना जिले के पेखूबेला में भ्रष्टाचार और खराब साइट चयन ऊना जिले के पेखूबेला प्लांट को गलत साइट पर लगाया गया, जिसके कारण भारी बारिश के बाद से यह प्लांट केवल 50% क्षमता पर ही चल पा रहा है। इतना ही नहीं, प्लांट की ऑपरेशन और मेंटेनेंस की अवधि 8 सालों की रखी गई है, जबकि गुजरात के प्रोजेक्ट में यही सेवा 10 वर्षों के लिए दी जा रही है। यह साफ तौर पर दिखाता है कि प्रोजेक्ट में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हुई हैं। ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ल्ड बैंक से लिया गया लोन विक्रम ठाकुर ने बताया कि सरकार ने ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ल्ड बैंक से 500 करोड़ रुपए का लोन लिया था, जिससे 5 अलग-अलग प्रोजेक्ट्स लगाए जा सकते थे। लेकिन यह पूरी राशि केवल ऊना के एक ही प्रोजेक्ट में लगा दी गई, जो वित्तीय दुरुपयोग का स्पष्ट संकेत है। पेखूबेला प्लांट की प्रति मेगावाट लागत 6.84 करोड़ रुपए आई है, जो अन्य राज्यों की तुलना में बेहद ज्यादा है। हिमाचल को खरीदनी पड़ रही महंगी बिजली विक्रम ठाकुर ने कहा कि जबकि अन्य राज्यों में सौर ऊर्जा का प्रोजेक्ट 4.11 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट में पूरा होता है। हिमाचल प्रदेश में यह प्रोजेक्ट सबसे महंगे प्रोजेक्ट्स में से एक है। चंबा जिले के 5 हाइडल प्रोजेक्ट्स में देरी के कारण वर्ल्ड बैंक ने राज्य पर 5 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई है। एक अधिकारी ने जान बूझकर पावर परचेज एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। इसके अलावा, देवीकोठी, हेल, साईकोठी और साईकोठी-2 जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स अभी तक पूरे नहीं हुए हैं, जिससे राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में भाजपा नेता व पूर्व मंत्री विक्रम ठाकुर ने एक घोटाले का खुलासा किया है। हिमाचल प्रदेश में ग्रीन एनर्जी के नाम से बहुत बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसके तार हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन से जुड़े हुए हैं। ठाकुर ने बताया कि इस मुद्दे पर कई लेटर बम पहले भी सामने आए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 20 जून 2024 को ऊना जिले के पेखूबेला में 32 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट का उद्घाटन किया था। जिसकी कुल लागत 220 करोड़ रुपए बताई गई थी। विक्रम ठाकुर ने इसे लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इसी तरह का 35 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट गुजरात के भुज में मात्र 144 करोड़ रुपए में पूरा हो गया, जबकि हिमाचल में 3 मेगावाट कम का प्रोजेक्ट 76 करोड़ रुपए अधिक में लगाया गया। यह भारी अंतर दर्शाता है कि इस प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। ऊना जिले के पेखूबेला में भ्रष्टाचार और खराब साइट चयन ऊना जिले के पेखूबेला प्लांट को गलत साइट पर लगाया गया, जिसके कारण भारी बारिश के बाद से यह प्लांट केवल 50% क्षमता पर ही चल पा रहा है। इतना ही नहीं, प्लांट की ऑपरेशन और मेंटेनेंस की अवधि 8 सालों की रखी गई है, जबकि गुजरात के प्रोजेक्ट में यही सेवा 10 वर्षों के लिए दी जा रही है। यह साफ तौर पर दिखाता है कि प्रोजेक्ट में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हुई हैं। ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ल्ड बैंक से लिया गया लोन विक्रम ठाकुर ने बताया कि सरकार ने ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ल्ड बैंक से 500 करोड़ रुपए का लोन लिया था, जिससे 5 अलग-अलग प्रोजेक्ट्स लगाए जा सकते थे। लेकिन यह पूरी राशि केवल ऊना के एक ही प्रोजेक्ट में लगा दी गई, जो वित्तीय दुरुपयोग का स्पष्ट संकेत है। पेखूबेला प्लांट की प्रति मेगावाट लागत 6.84 करोड़ रुपए आई है, जो अन्य राज्यों की तुलना में बेहद ज्यादा है। हिमाचल को खरीदनी पड़ रही महंगी बिजली विक्रम ठाकुर ने कहा कि जबकि अन्य राज्यों में सौर ऊर्जा का प्रोजेक्ट 4.11 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट में पूरा होता है। हिमाचल प्रदेश में यह प्रोजेक्ट सबसे महंगे प्रोजेक्ट्स में से एक है। चंबा जिले के 5 हाइडल प्रोजेक्ट्स में देरी के कारण वर्ल्ड बैंक ने राज्य पर 5 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई है। एक अधिकारी ने जान बूझकर पावर परचेज एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। इसके अलावा, देवीकोठी, हेल, साईकोठी और साईकोठी-2 जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स अभी तक पूरे नहीं हुए हैं, जिससे राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर