दिवाली से एक दिन पहले हिमाचल में हवा खराब होने लगी है। इससे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बिगड़ रहा है। प्रदेश के 5 शहरों का AQI 100 माइक्रो ग्राम के स्तर को पार कर गया है। इसकी बड़ी वजह धूल और पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली बताई जा रही है। बद्दी का AQI लेवल 177 माइक्रो ग्राम के साथ सबसे खराब हुआ है। हालांकि बीते 25 अक्टूबर को बद्दी में AQI 233 माइक्रो ग्राम पहुंच गया था। मगर तब राज्य के अन्य सभी शहरों में AQI लेवल 100 माइक्रो ग्राम से नीचे था। बीते 28 अक्टूबर को ऊना, पांवटा साहिब और बद्दी में तीन शहरों का AQI 100 पार पहुंचा था। 2 दिन पहले शानदार थी हिमाचल की हवा वहीं दो दिन पहले शिमला, धर्मशाला, मनाली की हवा बिल्कुल साफ सुथरी और इन तीनों शहरों का AQI लेवल 50 माइक्रो ग्राम से कम था। अब तीनों जगह AQI लेवल 50 माइक्रो ग्राम को पार कर गया है। कार्बन क्रेडिट स्टेट हिमाचल में एक साथ 5 शहरों का AQI लेवल 100 पार करना चिंताजनक है। मनाली का AQI 28 से बढ़कर 89 हुआ 2 दिन पहले शिमला का AQI 32 माइक्रो ग्राम था। बीते 24 घंटे में यह बढ़कर 52 माइक्रो ग्राम हो गया। इसी तरह 28 अक्टूबर को मनाली का AQI 28 माइक्रो ग्राम था जो अब 89 माइक्रो ग्राम, धर्मशाला का AQI दो दिन पहले 45 माइक्रो ग्राम से बढ़कर 67 हो गया है। यह दर्शाता है कि प्रदेश के सभी शहरों में हवा का स्तर बिगड़ने लगा है। राहत की बात यह है कि प्रदेश के किसी भी शहर में अभी 200 पार का लेवल नहीं हुआ, जो कि काफी खराब माना जाता है। ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में एक महीने से बारिश नहीं हुई। इससे चौतरफा धूल के गुबार उड़ रहे हैं। इसी तरह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की वजह से उड़ रहे धुएं से भी प्रदेश की हवा खराब हो रही है। क्या होता है AQI AQI वायुमंडल में घुलने वाली खतरनाक गैस को मापने का जरिया है। यह हवा के जरिए गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इससे अस्थमा व सांस के रोगों की शुरुआत होने का भय रहता है। धूल के कारण चर्म रोग और आंखों में भी जलन होती है। दिल्ली में इस कारण आपात जैसे हालात है। दिवाली से एक दिन पहले हिमाचल में हवा खराब होने लगी है। इससे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बिगड़ रहा है। प्रदेश के 5 शहरों का AQI 100 माइक्रो ग्राम के स्तर को पार कर गया है। इसकी बड़ी वजह धूल और पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली बताई जा रही है। बद्दी का AQI लेवल 177 माइक्रो ग्राम के साथ सबसे खराब हुआ है। हालांकि बीते 25 अक्टूबर को बद्दी में AQI 233 माइक्रो ग्राम पहुंच गया था। मगर तब राज्य के अन्य सभी शहरों में AQI लेवल 100 माइक्रो ग्राम से नीचे था। बीते 28 अक्टूबर को ऊना, पांवटा साहिब और बद्दी में तीन शहरों का AQI 100 पार पहुंचा था। 2 दिन पहले शानदार थी हिमाचल की हवा वहीं दो दिन पहले शिमला, धर्मशाला, मनाली की हवा बिल्कुल साफ सुथरी और इन तीनों शहरों का AQI लेवल 50 माइक्रो ग्राम से कम था। अब तीनों जगह AQI लेवल 50 माइक्रो ग्राम को पार कर गया है। कार्बन क्रेडिट स्टेट हिमाचल में एक साथ 5 शहरों का AQI लेवल 100 पार करना चिंताजनक है। मनाली का AQI 28 से बढ़कर 89 हुआ 2 दिन पहले शिमला का AQI 32 माइक्रो ग्राम था। बीते 24 घंटे में यह बढ़कर 52 माइक्रो ग्राम हो गया। इसी तरह 28 अक्टूबर को मनाली का AQI 28 माइक्रो ग्राम था जो अब 89 माइक्रो ग्राम, धर्मशाला का AQI दो दिन पहले 45 माइक्रो ग्राम से बढ़कर 67 हो गया है। यह दर्शाता है कि प्रदेश के सभी शहरों में हवा का स्तर बिगड़ने लगा है। राहत की बात यह है कि प्रदेश के किसी भी शहर में अभी 200 पार का लेवल नहीं हुआ, जो कि काफी खराब माना जाता है। ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में एक महीने से बारिश नहीं हुई। इससे चौतरफा धूल के गुबार उड़ रहे हैं। इसी तरह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की वजह से उड़ रहे धुएं से भी प्रदेश की हवा खराब हो रही है। क्या होता है AQI AQI वायुमंडल में घुलने वाली खतरनाक गैस को मापने का जरिया है। यह हवा के जरिए गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इससे अस्थमा व सांस के रोगों की शुरुआत होने का भय रहता है। धूल के कारण चर्म रोग और आंखों में भी जलन होती है। दिल्ली में इस कारण आपात जैसे हालात है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मणिमहेश यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी:मैदानी क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को विशेष सलाह, दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य श्री मणिमहेश यात्रा-2024 के तहत पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर चंबा जनपद के उप मंडलीय प्रशासन भरमौर ने स्पेशल एडवाइजरी जारी की है। एडीएम भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने श्री मणिमहेश यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं से एडवाइजरी का पालन कर अपनी यात्रा को सुरक्षित तथा अविस्मरणीय बनाने का आग्रह किया है।विशेषकर मैदानी क्षेत्रों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान इत्यादि से आने वाले श्रद्धालुओं को विशेष सावधानी रखने का भी आह्वान किया है। उन्होंने बताया कि चूंकि श्री मणिमहेश यात्रा उत्तर भारत की अन्य धार्मिक यात्राओं से अधिक दुर्गम है। पवित्र डल झील 13 हजार फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसे में निचले गर्म क्षेत्रों से आकर भरमौर-हड़़सर से सीधे यात्रा शुरू कर देना श्रद्धालुओं के शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है। स्थानीय वातावरण के अनुकूल अपने आप को ढालने के लिए चंबा, भरमौर इत्यादि स्थानों में ठहराव आवश्यक है। श्रद्धालुओं को सलाह देते हुए एसडीएम का कहना था कि पहाड़ी क्षेत्र में वाहन चलाते समय अत्यंत सावधानी रखें। वाहन की गति नियंत्रित रखते हुए बड़े गेयर का प्रयोग किया जाए। रात के समय ना करें यात्रा रात के समय बिल्कुल यात्रा न करें। प्रशासन द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्थापित चेतावनी बोर्ड पर लिखित दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित बनाएं। नदी-नालों में जलस्तर अचानक बढ़ने की भी संभावना रहती है, इसलिए नदी-नालों में बिल्कुल न उतरे। गर्म कपड़े, टॉर्च, छाता-रेनकोट अपने साथ अवश्य रखें। स्वास्थ्य जांच आवश्यक करवाएं। मौसम के पूर्वानुमान को नजर अंदाज न करें। हड़सर गांव से ऊपर चढ़ाई चढ़ते समय सावधानीपूर्वक चले। ऐसे स्थानों पर बिल्कुल ना रुके जहां पर पत्थर गिरने की संभावना हो। प्रशासन द्वारा स्थापित चेतावनी बोर्ड पर लिखे दिशा-निर्देशों का पालन पूरी तरह सुनिश्चित बनाएं। यात्रा के लिए अपना पंजीकरण अवश्य करवाएं। संवेदनशील है यह घाटी कुलबीर सिंह राणा ने बताया कि शैव-शिवा को समर्पित यह संपूर्ण घाटी पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया है कि वे यहां गंदगी फैलाकर पाप के भागीदार न बने तथा प्रतिबंधित पोली पदार्थ का प्रयोग बिल्कुल न करें। अधिक जानकारी के लिए नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नंबर 01895-225027 पर संपर्क किया जा सकता है। बता दें कि, स्थानीय परंपरा के अनुरूप कृष्ण जन्माष्टमी से राधा अष्टमी तक श्री मणिमहेश यात्रा का आयोजन होता है। इस वर्ष 26 अगस्त से 11 सितंबर तक यात्रा का आयोजित होगी।
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शिमला में रुका मस्जिद गिराने का काम:बजट की कमी आ रही आड़े; 10 से 15 लाख रुपए खर्च का अनुमान शिमला के संजौली में बीते कल अवैध मस्जिद को गिराने का काम शुरू कर दिया गया था, मगर अवैध हिस्से को हटाने का काम नहीं किया गया। दोपहर एक बजे तक काम पर कोई मजदूर नहीं देखा गया। संजौली मस्जिद कमेटी का मानना है कि इतने बड़े स्ट्रक्चर को हटाने के लिए 10 से 15 लाख रुपए की जरूरत है। अब पैसों की कमी आड़े आ रही है। मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि वह प्रदेश में भाईचारे को बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में जब माहौल बिगड़ा तो उन्होंने स्वयं मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि हम मस्जिद के अवैध हिस्से को तय समय में तोड़ने की तैयार है। मगर पैसों की कमी आड़े आ रही है। उन्होंने कहा, बनाने के लिए सभी ने पैसा दिया, लेकिन तोड़ने के लिए कोई नहीं दे रहा। लतीफ ने कहा कि मजदूरों को तोड़ने का काम दे दिया गया है, लेकिन वह त्योहारी सीजन की वजह से काम पर नहीं आए। मजदूरों ने दीवाली के बाद काम में तेजी लाने की बात की है। हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह में केस निपटाने के आदेश दिए वहीं, हिमाचल हाईकोर्ट ने स्थानीय निवासियों की याचिका पर 8 सप्ताह के भीतर केस को पूरी तरह डिसाइड करने के आदेश दिए है। वहीं, नगर निगम कमिश्नर कोर्ट में 21 दिसंबर को इस केस की सुनवाई होनी है। संजौली मस्जिद कमेटी ने बीते 11 सितंबर को शिमला में हिंदू संगठनों के उग्र प्रदर्शन के अगले दिन निगम आयुक्त को लिखित में खुद मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने की पेशकश की। इसके बाद विवाद कुछ शांत हुआ। बीते 5 अक्टूबर को निगम आयुक्त ने मस्जिद की तीन मंजिले हटाने के आदेश दिए, जबकि नीचे की 2 मंजिल को लेकर अभी कोर्ट में सुनवाई होनी है। निगम आयुक्त के आदेशानुसार, बीते कल मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने का काम शुरू किया गया। 46 बार हो चुकी सुनवाई निगम कोर्ट में संजौली मस्जिद का केस 2010 से चल रहा है। इस मामले में 46 बार सुनवाई हो चुकी है और नगर निगम शिमला ने 35 बार अवैध निर्माण रोकने व तोड़ने के नोटिस जारी किए। हालांकि कभी कार्रवाई नहीं हो पाई। शिमला शहर के विधायक का किया धन्यवाद मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने स्थानीय विधायक हरीश जनारथा का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि जनारथा ने इस मामले में पहले दिन से राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया है। हिमाचल प्रदेश व शिमला जिस भाईचारे व शांति के माहौल के लिए जाना जाता है। यह आगे भी बना रहेगा।
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