हिमाचल प्रदेश आने वाले पर्यटकों के लिए कूड़े के थैले अनिवार्य करने की तैयारी चल रही है। हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य को प्लास्टिक और कूड़ा मुक्त बनाने के लिए पर्यटन विभाग को इसे लागू करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश पर पर्यटन विभाग जल्द ही एक सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करेगा, जिसमें हर पर्यटक वाहन के लिए कूड़े के थैले अनिवार्य किए जाएंगे। इसके बाद उन पर्यटकों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान होगा, जिनके वाहन में कूड़े के थैले नहीं होंगे। जस्टिस त्रिलोक चौहान और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा कि पर्यटकों के साथ-साथ टूर ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंसी और वाहन चालक की भी जिम्मेदारी होगी कि वे हिमाचल आने वाले पर्यटकों को कूड़े के थैलों के बारे में जानकारी दें। पर्यटन विभाग भी पर्यटकों को इस बारे में जागरूक करेगा। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर हर साल एक से डेढ़ करोड़ पर्यटक आते हैं। इस साल दो करोड़ पर्यटकों के आने की उम्मीद है। इनमें से कुछ पर्यटक पहाड़ों पर गंदगी फैलाते हैं और खाने-पीने की चीजें प्लास्टिक, शराब, बीयर की बोतलें आदि जहां-तहां फेंक देते हैं। कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 1 अगस्त को निर्धारित की गई है। सरकार को टास्क फोर्स बनाने के आदेश कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने के लिए टास्क फोर्स बनाने के भी आदेश दिए हैं। कोर्ट ने नगर परिषदों, नगर निगमों और नगर पंचायतों के सदस्यों, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिवों, पर्यटन विकास निगम, वन विभाग, गैर सरकारी संगठनों और अन्य हितधारक संस्थाओं आदि को शामिल करते हुए इस विशेष टास्क फोर्स के गठन के आदेश दिए हैं। यह टास्क फोर्स पहाड़ियों पर फैले कचरे, खासकर प्लास्टिक कचरे की सफाई पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसे विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) के नाम से जाना जाएगा। राज्य सरकार को एक अगस्त तक टास्क फोर्स का गठन करना होगा। कोर्ट ने इस संबंध में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए प्रत्येक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों को समन्वयक बनाया है। उन्हें आदेश दिया गया है कि वे स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार प्लास्टिक कचरे के हॉटस्पॉट और जलधाराओं की सफाई और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कानूनों के तहत विभिन्न हितधारकों की भूमिका और जिम्मेदारियों के निर्वहन पर एक निगरानी रिपोर्ट तैयार करें और इसे हर तीन महीने में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। इन पर्यटन स्थलों के कचरे का आकलन करने के निर्देश कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि वह ट्रैकिंग मार्गों पर पर्यटकों द्वारा लाए जाने वाले प्लास्टिक कचरे आदि का आकलन करने के लिए चेक प्वाइंट स्थापित करके ट्रैकिंग मार्गों पर स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर विचार करे। कोर्ट ने सुझाव के तौर पर राज्य सरकार से कहा कि वह पहले कुछ प्राथमिकता वाले ट्रैकिंग मार्गों पर विचार करे, जिनमें खीरगंगा, हामटा, बिजली महादेव, साच पास, ब्यास कुंड, श्रीखंड महादेव, मणि महेश यात्रा, चूड़धार, त्रिउंड और चांसल शामिल हैं। सरकार ग्रीन टैक्स वसूले कोर्ट ने कहा कि सिक्किम और भूटान की तर्ज पर हिमाचल में पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने के लिए यहां आने वाले पर्यटकों से टैक्स वसूला जाना चाहिए। ग्रीन टैक्स को लेकर हलफनामा दाखिल करें कोर्ट ने लाहौल-स्पीति के डीसी को पर्यटकों से वसूले जा रहे ग्रीन टैक्स पर अगली सुनवाई में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने पूछा कि पर्यटकों से वसूले जा रहे ग्रीन टैक्स का कहां इस्तेमाल हो रहा है। अवैध रूप से प्लास्टिक लाने पर जुर्माना लगाएं कोर्ट ने राज्य सरकार को बाहरी राज्यों से आने वाली प्लास्टिक कंपनियों का हिमाचल में पंजीकरण करने के आदेश दिए, ताकि पता चल सके कि राज्य में कितना प्लास्टिक आ रहा है। उसे कहां डंप किया जा रहा है। अगर कोई अवैध रूप से प्लास्टिक ला रहा है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाए। फिलहाल कोर्ट के आदेश पर नजर: पर्यटन निदेशक पर्यटन निदेशक मानसी सहाय ने कहा कि हम तीन सप्ताह से इस पर काम कर रहे हैं। अगले सप्ताह तक इस पर कोई निर्णय लेंगे। अभी हम कोर्ट के आदेश पर नजर रख रहे हैं, उसके बाद कोई निर्णय लेंगे। हिमाचल प्रदेश आने वाले पर्यटकों के लिए कूड़े के थैले अनिवार्य करने की तैयारी चल रही है। हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य को प्लास्टिक और कूड़ा मुक्त बनाने के लिए पर्यटन विभाग को इसे लागू करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश पर पर्यटन विभाग जल्द ही एक सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करेगा, जिसमें हर पर्यटक वाहन के लिए कूड़े के थैले अनिवार्य किए जाएंगे। इसके बाद उन पर्यटकों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान होगा, जिनके वाहन में कूड़े के थैले नहीं होंगे। जस्टिस त्रिलोक चौहान और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा कि पर्यटकों के साथ-साथ टूर ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंसी और वाहन चालक की भी जिम्मेदारी होगी कि वे हिमाचल आने वाले पर्यटकों को कूड़े के थैलों के बारे में जानकारी दें। पर्यटन विभाग भी पर्यटकों को इस बारे में जागरूक करेगा। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर हर साल एक से डेढ़ करोड़ पर्यटक आते हैं। इस साल दो करोड़ पर्यटकों के आने की उम्मीद है। इनमें से कुछ पर्यटक पहाड़ों पर गंदगी फैलाते हैं और खाने-पीने की चीजें प्लास्टिक, शराब, बीयर की बोतलें आदि जहां-तहां फेंक देते हैं। कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 1 अगस्त को निर्धारित की गई है। सरकार को टास्क फोर्स बनाने के आदेश कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने के लिए टास्क फोर्स बनाने के भी आदेश दिए हैं। कोर्ट ने नगर परिषदों, नगर निगमों और नगर पंचायतों के सदस्यों, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिवों, पर्यटन विकास निगम, वन विभाग, गैर सरकारी संगठनों और अन्य हितधारक संस्थाओं आदि को शामिल करते हुए इस विशेष टास्क फोर्स के गठन के आदेश दिए हैं। यह टास्क फोर्स पहाड़ियों पर फैले कचरे, खासकर प्लास्टिक कचरे की सफाई पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसे विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) के नाम से जाना जाएगा। राज्य सरकार को एक अगस्त तक टास्क फोर्स का गठन करना होगा। कोर्ट ने इस संबंध में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए प्रत्येक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों को समन्वयक बनाया है। उन्हें आदेश दिया गया है कि वे स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार प्लास्टिक कचरे के हॉटस्पॉट और जलधाराओं की सफाई और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कानूनों के तहत विभिन्न हितधारकों की भूमिका और जिम्मेदारियों के निर्वहन पर एक निगरानी रिपोर्ट तैयार करें और इसे हर तीन महीने में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। इन पर्यटन स्थलों के कचरे का आकलन करने के निर्देश कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि वह ट्रैकिंग मार्गों पर पर्यटकों द्वारा लाए जाने वाले प्लास्टिक कचरे आदि का आकलन करने के लिए चेक प्वाइंट स्थापित करके ट्रैकिंग मार्गों पर स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर विचार करे। कोर्ट ने सुझाव के तौर पर राज्य सरकार से कहा कि वह पहले कुछ प्राथमिकता वाले ट्रैकिंग मार्गों पर विचार करे, जिनमें खीरगंगा, हामटा, बिजली महादेव, साच पास, ब्यास कुंड, श्रीखंड महादेव, मणि महेश यात्रा, चूड़धार, त्रिउंड और चांसल शामिल हैं। सरकार ग्रीन टैक्स वसूले कोर्ट ने कहा कि सिक्किम और भूटान की तर्ज पर हिमाचल में पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने के लिए यहां आने वाले पर्यटकों से टैक्स वसूला जाना चाहिए। ग्रीन टैक्स को लेकर हलफनामा दाखिल करें कोर्ट ने लाहौल-स्पीति के डीसी को पर्यटकों से वसूले जा रहे ग्रीन टैक्स पर अगली सुनवाई में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने पूछा कि पर्यटकों से वसूले जा रहे ग्रीन टैक्स का कहां इस्तेमाल हो रहा है। अवैध रूप से प्लास्टिक लाने पर जुर्माना लगाएं कोर्ट ने राज्य सरकार को बाहरी राज्यों से आने वाली प्लास्टिक कंपनियों का हिमाचल में पंजीकरण करने के आदेश दिए, ताकि पता चल सके कि राज्य में कितना प्लास्टिक आ रहा है। उसे कहां डंप किया जा रहा है। अगर कोई अवैध रूप से प्लास्टिक ला रहा है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाए। फिलहाल कोर्ट के आदेश पर नजर: पर्यटन निदेशक पर्यटन निदेशक मानसी सहाय ने कहा कि हम तीन सप्ताह से इस पर काम कर रहे हैं। अगले सप्ताह तक इस पर कोई निर्णय लेंगे। अभी हम कोर्ट के आदेश पर नजर रख रहे हैं, उसके बाद कोई निर्णय लेंगे। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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रामपुर में हो रहा अग्निवीर टीमों का गठन:आगजनी से निपटने के लिए वन विभाग का पहल, जंगलों में बनाए जा रहे फायर बैरियर जिला शिमला के रामपुर में आग की घटनाओं को रोकने के लिए गांव गांव में वन अग्निवीर टीमों का गठन किया जा रहा है। डीएफओ रामपुर गुरहर्ष सिंह ने कहा कि आगजनी से निपटने के लिए रामपुर उपमंडल के विभिन्न गांव में अग्निवीर टीमें गठित की जा रही है, जिसमें स्वेच्छा से स्थानीय लोग आ रहे हैं। कई वनों में ग्रामीणों और वन कर्मियों द्वारा मिलकर वनों में फायर बैरियर भी बनाए जा रहे हैं। साथ ही लोगों को घासनियों से वनों में आग न फैलने देने के भी निर्देश दिए गए हैं। रामपुर वन मंडल की ओर से 9 और 10 दिसंबर को पंचायतों में आयोजित ग्राम सभा के माध्यम से समस्त ग्रामवासियों, युवक मंडलों और महिला मंडलों को भी जागरूक किया गया। इस दौरान आगजनी की घटनाओं, वन संपदा और वन्य जीव जंतुओं को आग से बचाने बारे लोगों को जागरूक किया गया। अभी तक इन पंचायतों में चला अभियान
वहीं लोगों को आग से होने वाले नुकसान के बारे विस्तार से जानकारी दी गई। इस संदर्भ में विभिन्न पंचायतों में अभी तक अभियान चलाया जा चुका है। रामपुर की मुनीश, थैली चकटी, ननखड़ी, अड्डू, शोली, भड़ावली, दत्तनगर, बड़ोग, लबाना सदाना, काओबिल, किन्नू, भगावट, सराहन, शाहधार, जघोरी, काशापाट, कुहल, तकलेच, दरकाली, रचोली, कलेडा, मझेवली और शिंगला पंचायतों में अभियान पूरा हो चुका है।
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हिमाचल के ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ भ्रमण पर निकले:4 राज्यों के ऐतिहासिक जगहों पर जाएंगे, CM बोले- इन्हें भी घूमने का अधिकार
हिमाचल के ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ भ्रमण पर निकले:4 राज्यों के ऐतिहासिक जगहों पर जाएंगे, CM बोले- इन्हें भी घूमने का अधिकार हिमाचल प्रदेश के ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ यानी जिन बच्चों ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया है, ऐसे 22 बच्चों को प्रदेश सरकार ने गुरुवार को चार राज्यों के भ्रमण पर भेजा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने इन बच्चों को लेकर गई बस को सचिवालय से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रदेश के 22 बच्चे चंडीगढ़, दिल्ली, आगरा और गोवा का भ्रमण करेंगे। इन बच्चों को मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के तहत चार राज्यों के भ्रमण पर भेजा गया है। इसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इस भ्रमण के दौरान इन बच्चों को ऐतिहासिक जगह पर ले जाया जाएगा, जहां इन बच्चों मनोरंजन भी होगा और ऐतिहासिक जगह का ज्ञान भी प्राप्त कर सकेंगे। सरकार ने बजट सत्र में बनाया कानून बता दें कि राज्य सरकार ने बिन मां-बाप के बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का दर्जा दिया है। इसके लिए विधानसभा के बजट सत्र में बाकायदा कानून बनाया गया। इससे ऐसे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, घूमना फिरना उनका अधिकार हो गया है। सरकार ही इन बच्चों का 26 साल की उम्र तक पालन-पोषण भी करेगी। दिल्ली से बाय-एयर गोवा जाएंगे बच्चे मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता नहीं है, सरकार ही उनकी माता और पिता है। सरकार ने ऐसे बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट बनाया है। इनका भी घूमने-फिरने का अधिकार है। इसी कानून के तहत आज चंडीगढ़ जाएंगे। फिर शताब्दी से दिल्ली जाएंगे। यहां लालकिला, फिर आगरा जाएंगे। दिल्ली से बाय एयर गोवा जाएंगे।