हिमाचल में पोस्ट-मानसून सीजन में रिकॉर्डतोड़ सूखा:58 दिन से नहीं बरसे बादल; 63% जमीन पर गेंहू की बुवाई नहीं, पर्यटन पर पड़ने लगी मार

हिमाचल में पोस्ट-मानसून सीजन में रिकॉर्डतोड़ सूखा:58 दिन से नहीं बरसे बादल; 63% जमीन पर गेंहू की बुवाई नहीं, पर्यटन पर पड़ने लगी मार

हिमाचल प्रदेश में पोस्ट-मानसून सीजन में इस बार रिकॉर्ड तोड़ सूखा है। पोस्ट मानसून सीजन में एक अक्टूबर से 28 नवंबर के बीच 42.2 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 58 दिन में मात्र 0.9 मिलीमीटर बादल बरसे है। चिंता इस बात की है कि अगले दो सप्ताह तक भी अच्छी बारिश के आसार नहीं है। बीते 58 दिन से 6 जिले सोलन, सिरमौर, कुल्लू, चंबा, हमीरपुर और बिलासपुर में पानी की एक भी बूंद तक नहीं बरसी। अन्य जिलों में भी नाम मात्र की बारिश हुई है। वहीं नवंबर में चार दिन पहले लाहौल स्पीति की ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात जरूर हुआ है। मगर 11 जिलों में नवंबर में एक बूंद भी गिरी। मौसम विभाग के अनुसार, इससे पहले भी दो बार ऐसा हुआ है जब अक्टूबर या फिर नवंबर में पानी की एक बूंद भी न गिरी हो। मगर अक्टूबर और नवंबर लगातार 58 दिन तक ऐसा सूखा नहीं पड़ा। इससे पहले अक्टूबर 2000 और नवंबर 2016 में पूरा महीने पानी की बूंद नहीं बरसी थी। इस साल अक्टूबर में 0.7 मिलीमीटर और नवंबर में लाहौल स्पीति में 0.2 मिलीमीटर बादल बरसे है। प्रदेश में इससे सूखे जैसे हालात पनप गए है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों-बागवानों के बाद अब पर्यटन कारोबार और पेयजल स्त्रोतो पर भी पड़ने लगी है। परसो बारिश-बर्फबारी के आसार मौसम विज्ञानी शोभित कटियार ने बताया कि मानसून के बाद वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) सक्रिय होने से ही हिमाचल में बारिश होती है। दो महीने में जो WD एक्टिव हुए है, वह कमजोर पड़े है और हिमाचल में बिन बरसे लेह-लद्दाख की ओर गए है। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर और एक व 2 दिसंबर को भी अधिक ऊंचे पहाड़ों पर ही बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ रहेगा। 37% जमीन पर गेंहू की बुवाई कर पाए किसान कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मुश्किल से 37 प्रतिशत जमीन पर गेंहू की बुवाई हो गई है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में गेंहू की बुवाई का उचित समय 1 नवंबर और मैदानी इलाकों में 15 नवंबर को बीत गया है। जाहिर है कि इससे गेंहू के उत्पादन में कमी आएगी। पर्यटन कारोबार पर मौसम की मार बर्फबारी नहीं होने से पर्यटन कारोबार पर भी मार पड़ने लगी है। अमूमन 15 अक्टूबर के बाद ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाती थी। इससे देशभर से पर्यटक बर्फ को देखने की चाहत में पहाड़ों पर पहुंचता था। मगर इस बार अब तक पहाड़ सूखे पड़े है। इससे पर्यटन कारोबारी चिंता में है और बर्फबारी के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं। पेयजल योजनाओं पर पड़ रहा असर: अंजू जल शक्ति विभाग की प्रमुख अभियंता अंजू शर्मा ने बताया कि पेयजल योजनाओं पर असर पड़ने लगा है। उन्होंने फील्ड से इसकी रिपोर्ट मांग ली है। हिमाचल प्रदेश में पोस्ट-मानसून सीजन में इस बार रिकॉर्ड तोड़ सूखा है। पोस्ट मानसून सीजन में एक अक्टूबर से 28 नवंबर के बीच 42.2 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 58 दिन में मात्र 0.9 मिलीमीटर बादल बरसे है। चिंता इस बात की है कि अगले दो सप्ताह तक भी अच्छी बारिश के आसार नहीं है। बीते 58 दिन से 6 जिले सोलन, सिरमौर, कुल्लू, चंबा, हमीरपुर और बिलासपुर में पानी की एक भी बूंद तक नहीं बरसी। अन्य जिलों में भी नाम मात्र की बारिश हुई है। वहीं नवंबर में चार दिन पहले लाहौल स्पीति की ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात जरूर हुआ है। मगर 11 जिलों में नवंबर में एक बूंद भी गिरी। मौसम विभाग के अनुसार, इससे पहले भी दो बार ऐसा हुआ है जब अक्टूबर या फिर नवंबर में पानी की एक बूंद भी न गिरी हो। मगर अक्टूबर और नवंबर लगातार 58 दिन तक ऐसा सूखा नहीं पड़ा। इससे पहले अक्टूबर 2000 और नवंबर 2016 में पूरा महीने पानी की बूंद नहीं बरसी थी। इस साल अक्टूबर में 0.7 मिलीमीटर और नवंबर में लाहौल स्पीति में 0.2 मिलीमीटर बादल बरसे है। प्रदेश में इससे सूखे जैसे हालात पनप गए है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों-बागवानों के बाद अब पर्यटन कारोबार और पेयजल स्त्रोतो पर भी पड़ने लगी है। परसो बारिश-बर्फबारी के आसार मौसम विज्ञानी शोभित कटियार ने बताया कि मानसून के बाद वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) सक्रिय होने से ही हिमाचल में बारिश होती है। दो महीने में जो WD एक्टिव हुए है, वह कमजोर पड़े है और हिमाचल में बिन बरसे लेह-लद्दाख की ओर गए है। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर और एक व 2 दिसंबर को भी अधिक ऊंचे पहाड़ों पर ही बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ रहेगा। 37% जमीन पर गेंहू की बुवाई कर पाए किसान कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मुश्किल से 37 प्रतिशत जमीन पर गेंहू की बुवाई हो गई है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में गेंहू की बुवाई का उचित समय 1 नवंबर और मैदानी इलाकों में 15 नवंबर को बीत गया है। जाहिर है कि इससे गेंहू के उत्पादन में कमी आएगी। पर्यटन कारोबार पर मौसम की मार बर्फबारी नहीं होने से पर्यटन कारोबार पर भी मार पड़ने लगी है। अमूमन 15 अक्टूबर के बाद ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाती थी। इससे देशभर से पर्यटक बर्फ को देखने की चाहत में पहाड़ों पर पहुंचता था। मगर इस बार अब तक पहाड़ सूखे पड़े है। इससे पर्यटन कारोबारी चिंता में है और बर्फबारी के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं। पेयजल योजनाओं पर पड़ रहा असर: अंजू जल शक्ति विभाग की प्रमुख अभियंता अंजू शर्मा ने बताया कि पेयजल योजनाओं पर असर पड़ने लगा है। उन्होंने फील्ड से इसकी रिपोर्ट मांग ली है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर