हिमाचल प्रदेश के ट्राइबल जिला लाहौल स्पीति में शनिवार आधी रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीवत्रा 34. मापी गई। जमीन के भीतर इसकी गहराई 1,0 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, रात 1 बजकर 11 मिनट पर 2 बार झटके महसूस किए गए है। जिन लोगों ने झटके महसूस किए, वह घबरा कर अपने घरों से बाहर निकल आए थे। अब तक किसी भी प्रकार के जान व माल को नुकसान की सूचना नहीं है। लाहौल स्पीति जिला भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील यानी जोन 5 में आता है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। हिमाचल प्रदेश के ट्राइबल जिला लाहौल स्पीति में शनिवार आधी रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीवत्रा 34. मापी गई। जमीन के भीतर इसकी गहराई 1,0 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, रात 1 बजकर 11 मिनट पर 2 बार झटके महसूस किए गए है। जिन लोगों ने झटके महसूस किए, वह घबरा कर अपने घरों से बाहर निकल आए थे। अब तक किसी भी प्रकार के जान व माल को नुकसान की सूचना नहीं है। लाहौल स्पीति जिला भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील यानी जोन 5 में आता है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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