ओलिंपियन नीरज चोपड़ा के साथ सात फेरे लेने वाली हिमानी मोर स्पोर्टस में सोनीपत का जाना माना चेहरा है। अपने चचेरे भाई से प्रेरित होकर टेनिस में उतरी हिमानी ने टेनिस में कई खिताब अपने नाम किए हैं। हिमानी मोर वर्तमान में अमेरिका के न्यू हैंपशायर में फ्रैंकलिन पियर्स यूनिवर्सिटी में ‘स्पोर्ट्स मैनेजमेंट’ की पढ़ाई कर रही है। हालांकि सोनीपत में रहते हुए हिमानी ने खेल के लिए कई तरह के संघर्ष से जूझना पड़ा। जून 199 में जन्मीं हिमानी कक्षा चौथी से ही टेनिस खेलने लगी थी। उसकी मां की तपस्या में ही हिमानी कुंदन बनी हैं। टेनिस के खेल के सारे गुर अपनी मां से सीखे हैं। हिमानी ने राफेल नडाल को अपना आदर्श माना है और ओलिंपिक में पीला मेडल जीतना उसका सपना है। हिमांशी को खेल अपने परिवार से ही विरासत में मिला है, लेकिन आरंभ में परिवार उसको टेनिस नहीं बल्कि उन्हें कबड्डी, कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे अन्य खेलों में जाने के पक्ष में रहा है। हिमानी के परिवार का खेलों में डंका हिमानी के पिता चांदराम मोर सर्किल कबड्डी के विख्यात खिलाड़ी रह चुके हैं। वे भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान रहे हैं। वहीं हिमानी के छोटे भाई हिमांशु मोर भी टेनिस के खिलाड़ी हैं और खेल कोटे से वायुसेना में अधिकारी हैं। वे आजकल नागपुर में तैनात हैं। उनकी शादी हो चुकी है। हिमानी के चचेरे भाई नवीन मोर कुश्ती में 19 बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे 16 बार हिंद केसरी रह चुके हैं और वर्ष 2007 में हरियाणा सरकार ने उन्हें भीम अवार्ड से नवाजा था। नवीन आजकल हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर हैं और सिरसा में तैनात हैं। परिवार के कई अन्य सदस्यों का भी खेलों में नाम है। कक्षा चौथी से ही टेनिस खेलना शुरू किया हिमानी ने टेनिस में कई खिताब अपने नाम किए हैं। परिवार चार दिन से सोनीपत से बाहर था, जहां कि हिमानी और नीरज चोपड़ा की शादी की रस्में निभाई जा रही थी। हिमानी के पिता चांद मोर के साथ बैंक में काम करने वाले सहकर्मी के साथ परिवार के करीबी 5 व्यक्ति ही इस शादी में शामिल हुए हैं। हिमानी ने वर्ष 2005 में कक्षा चौथी से ही टेनिस खेलना शुरू किया था। पिता ने गांव में बनाया क्ले कोर्ट हिमानी मोर वर्तमान में अमेरिका के न्यू हैंपशायर में फ्रैंकलिन पियर्स यूनिवर्सिटी में ‘स्पोर्ट्स मैनेजमेंट’ की पढ़ाई कर रही है। इससे पहले उन्होंने दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से राजनीति विज्ञान और शारीरिक शिक्षा में स्नातक की डिग्री पूरी की थी। हिमानी का परिवार मूल रूप से सोनीपत में जीटी रोड पर स्थित गांव लड़सौली का रहने वाला है। वहां उनके पता चांद मोर ने बड़ा स्टेडियम भी बनाया है। चांद सोनीपत के SBI बैंक से करीब दो माह पहले ही रिटायर हुए हैं। हिमांशी की मां मीना और पिता पिता चांद ने बेटी को स्पोर्टस में आगे ले जाने के लिए कड़ी मेहनत की है। मां मीना अपनी बेटी को टेनिस स्टार बनाने के लिए गांव लड़सौली में अपना घर छोड़कर कई साल तक सोनीपत शहर में किराए के मकान में रही है। मां भी कोच रही है और उसने एनआईएस किया हुआ हैं। माता-पिता ने उनके लिए खेल की सुविधा जुटाई। मां की तपस्या से कुंदन बनी हिमानी हिमानी मोर की मां मीना सोनीपत के लिटिल एंजल्स स्कूल में बतौर पीटीआई टीचर रही हैं। हिमानी मोर की टेनिस खेल में रुचि पैदा करने वाली उसकी मां थी। अपनी बेटी को टेनिस के खेल में पारंगत करने के लिए मैदान पर भी बहुत ज्यादा प्रैक्टिस करवाती थी। उसकी मां की तपस्या में ही हिमानी कुंदन बनी हैं। टेनिस के खेल के सारे गुर अपनी मां से सीखे हैं। चौथी कक्षा में वह छोटी सी लड़की टेनिस के खेल में जब मैदान पर उतरती थी तो हर कोई उसके खेल को देखकर यह जरूर कहता था की लड़की बहुत आगे जाएगी। पिता चांद भी रेसलर रहें हैं। हिमानी के दो चचेरे भाई भी इंटरनेशनल खिलाडी रहें हैं। हिमानी मोर का छोटा भाई हिमांशु भी टेनिस खिलाड़ी है। सपनों की ओर पहला कदम हिमानी के लिए सबसे यादगार पल तब आया जब उन्होंने यूरोपीय सर्किट पर एशिया का प्रतिनिधित्व किया। कभी नहीं सोचा था कि इस उम्र में एशिया का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा। हिमानी बताती हैं कि जीवन का सबसे बड़ा सपना था,” उन्होंने गर्व के साथ कहा। शुरुआती दिनों में हिमानी क़े माता-पिता ने अपनी बेटी को प्रशिक्षित करने के लिए एक स्थानीय कोच रखा, जिन्होंने खेल की मूल बातें सिखाईं।उसके बाद ऐसे कोच की ज़रूरत थी , जो उसको ITF टूर्नामेंट जैसे बड़े स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर सके और वह भूमिका कोच क़े रूप में मां मीना ने निभाई हैं। हिमानी ने खेलों में कमाया नाम सोनीपत में टेनिस सनसनी हिमानी मोर को मार्च 2018 में दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी के खिताब से नवाजा गया। हिमानी सोनीपत के लिटल एंजल्स स्कूल में पढ़ी है और खेल में जिले का नाम कई बार रोशन कर चुकी है। हिमानी ने वर्ष 2017-18 में ताइवान में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी टेनिस चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया था। इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली वह प्रदेश से अकेली महिला खिलाड़ी थी। इसके पहले उन्होंने ग्वालियर में आयोजित आइटा रैं¨कग टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया था। भारत में हिमानी की टेनिस के एकल वर्ग में 34वीं तथा युगल वर्ग में 24वीं रैंक रही है। ओलिंपिक में पदक जीतना हिमानी का सपना
हिमानी मोर का एकमात्र सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का झंडा बुलंद करना रहा है। खासतौर पर वह ओलिंपिक में पीला मेडल जीतना चाहती है। हिमानी के खाते में जिला व राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की बहुत सी उपलब्धियां दर्ज हैं। ओलिंपियन नीरज चोपड़ा के साथ सात फेरे लेने वाली हिमानी मोर स्पोर्टस में सोनीपत का जाना माना चेहरा है। अपने चचेरे भाई से प्रेरित होकर टेनिस में उतरी हिमानी ने टेनिस में कई खिताब अपने नाम किए हैं। हिमानी मोर वर्तमान में अमेरिका के न्यू हैंपशायर में फ्रैंकलिन पियर्स यूनिवर्सिटी में ‘स्पोर्ट्स मैनेजमेंट’ की पढ़ाई कर रही है। हालांकि सोनीपत में रहते हुए हिमानी ने खेल के लिए कई तरह के संघर्ष से जूझना पड़ा। जून 199 में जन्मीं हिमानी कक्षा चौथी से ही टेनिस खेलने लगी थी। उसकी मां की तपस्या में ही हिमानी कुंदन बनी हैं। टेनिस के खेल के सारे गुर अपनी मां से सीखे हैं। हिमानी ने राफेल नडाल को अपना आदर्श माना है और ओलिंपिक में पीला मेडल जीतना उसका सपना है। हिमांशी को खेल अपने परिवार से ही विरासत में मिला है, लेकिन आरंभ में परिवार उसको टेनिस नहीं बल्कि उन्हें कबड्डी, कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे अन्य खेलों में जाने के पक्ष में रहा है। हिमानी के परिवार का खेलों में डंका हिमानी के पिता चांदराम मोर सर्किल कबड्डी के विख्यात खिलाड़ी रह चुके हैं। वे भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान रहे हैं। वहीं हिमानी के छोटे भाई हिमांशु मोर भी टेनिस के खिलाड़ी हैं और खेल कोटे से वायुसेना में अधिकारी हैं। वे आजकल नागपुर में तैनात हैं। उनकी शादी हो चुकी है। हिमानी के चचेरे भाई नवीन मोर कुश्ती में 19 बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे 16 बार हिंद केसरी रह चुके हैं और वर्ष 2007 में हरियाणा सरकार ने उन्हें भीम अवार्ड से नवाजा था। नवीन आजकल हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर हैं और सिरसा में तैनात हैं। परिवार के कई अन्य सदस्यों का भी खेलों में नाम है। कक्षा चौथी से ही टेनिस खेलना शुरू किया हिमानी ने टेनिस में कई खिताब अपने नाम किए हैं। परिवार चार दिन से सोनीपत से बाहर था, जहां कि हिमानी और नीरज चोपड़ा की शादी की रस्में निभाई जा रही थी। हिमानी के पिता चांद मोर के साथ बैंक में काम करने वाले सहकर्मी के साथ परिवार के करीबी 5 व्यक्ति ही इस शादी में शामिल हुए हैं। हिमानी ने वर्ष 2005 में कक्षा चौथी से ही टेनिस खेलना शुरू किया था। पिता ने गांव में बनाया क्ले कोर्ट हिमानी मोर वर्तमान में अमेरिका के न्यू हैंपशायर में फ्रैंकलिन पियर्स यूनिवर्सिटी में ‘स्पोर्ट्स मैनेजमेंट’ की पढ़ाई कर रही है। इससे पहले उन्होंने दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से राजनीति विज्ञान और शारीरिक शिक्षा में स्नातक की डिग्री पूरी की थी। हिमानी का परिवार मूल रूप से सोनीपत में जीटी रोड पर स्थित गांव लड़सौली का रहने वाला है। वहां उनके पता चांद मोर ने बड़ा स्टेडियम भी बनाया है। चांद सोनीपत के SBI बैंक से करीब दो माह पहले ही रिटायर हुए हैं। हिमांशी की मां मीना और पिता पिता चांद ने बेटी को स्पोर्टस में आगे ले जाने के लिए कड़ी मेहनत की है। मां मीना अपनी बेटी को टेनिस स्टार बनाने के लिए गांव लड़सौली में अपना घर छोड़कर कई साल तक सोनीपत शहर में किराए के मकान में रही है। मां भी कोच रही है और उसने एनआईएस किया हुआ हैं। माता-पिता ने उनके लिए खेल की सुविधा जुटाई। मां की तपस्या से कुंदन बनी हिमानी हिमानी मोर की मां मीना सोनीपत के लिटिल एंजल्स स्कूल में बतौर पीटीआई टीचर रही हैं। हिमानी मोर की टेनिस खेल में रुचि पैदा करने वाली उसकी मां थी। अपनी बेटी को टेनिस के खेल में पारंगत करने के लिए मैदान पर भी बहुत ज्यादा प्रैक्टिस करवाती थी। उसकी मां की तपस्या में ही हिमानी कुंदन बनी हैं। टेनिस के खेल के सारे गुर अपनी मां से सीखे हैं। चौथी कक्षा में वह छोटी सी लड़की टेनिस के खेल में जब मैदान पर उतरती थी तो हर कोई उसके खेल को देखकर यह जरूर कहता था की लड़की बहुत आगे जाएगी। पिता चांद भी रेसलर रहें हैं। हिमानी के दो चचेरे भाई भी इंटरनेशनल खिलाडी रहें हैं। हिमानी मोर का छोटा भाई हिमांशु भी टेनिस खिलाड़ी है। सपनों की ओर पहला कदम हिमानी के लिए सबसे यादगार पल तब आया जब उन्होंने यूरोपीय सर्किट पर एशिया का प्रतिनिधित्व किया। कभी नहीं सोचा था कि इस उम्र में एशिया का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा। हिमानी बताती हैं कि जीवन का सबसे बड़ा सपना था,” उन्होंने गर्व के साथ कहा। शुरुआती दिनों में हिमानी क़े माता-पिता ने अपनी बेटी को प्रशिक्षित करने के लिए एक स्थानीय कोच रखा, जिन्होंने खेल की मूल बातें सिखाईं।उसके बाद ऐसे कोच की ज़रूरत थी , जो उसको ITF टूर्नामेंट जैसे बड़े स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर सके और वह भूमिका कोच क़े रूप में मां मीना ने निभाई हैं। हिमानी ने खेलों में कमाया नाम सोनीपत में टेनिस सनसनी हिमानी मोर को मार्च 2018 में दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी के खिताब से नवाजा गया। हिमानी सोनीपत के लिटल एंजल्स स्कूल में पढ़ी है और खेल में जिले का नाम कई बार रोशन कर चुकी है। हिमानी ने वर्ष 2017-18 में ताइवान में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी टेनिस चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया था। इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली वह प्रदेश से अकेली महिला खिलाड़ी थी। इसके पहले उन्होंने ग्वालियर में आयोजित आइटा रैं¨कग टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया था। भारत में हिमानी की टेनिस के एकल वर्ग में 34वीं तथा युगल वर्ग में 24वीं रैंक रही है। ओलिंपिक में पदक जीतना हिमानी का सपना
हिमानी मोर का एकमात्र सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का झंडा बुलंद करना रहा है। खासतौर पर वह ओलिंपिक में पीला मेडल जीतना चाहती है। हिमानी के खाते में जिला व राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की बहुत सी उपलब्धियां दर्ज हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर