हिसार जिले में नहर से युवक शव बरामद हुआ है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को जब्त कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। घटना सदर थाना क्षेत्र के नियाना गांव की है। ग्रामीण रविन्द्र राणा ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे नहर के घाट के पास शव तैरने की जानकारी लगी मिली थी। मृतक युवक ने बनियान और कच्छा पहना हुआ है। लेकिन उसकी पहचान नहीं हुई कि वह कहां का है। पुलिस ने शव बरामद कर अपनी तफ्तीश शुरू कर दी है। शव में आ रही थी दुर्गंध पुलिस ने बताया कि नियाना गांव में बालसमंद नहर से लगभग 35 साल के एक अज्ञात युवक का शव नहर में तैरता हुआ देखा गया। गांव वालों ने इसी सूचना पुलिस को दी। अज्ञात शव में दुर्गंध आ रही थी, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि शव पांच दिन पुराना हो सकता है। इससे पहले बालसमंद नहर में राजली गांव के पास एक 65 साल के व्यक्ति का शव बरामद किया गया था। लेकिन उसकी भी कोई पहचान नहीं हो सकी थी। हिसार जिले में नहर से युवक शव बरामद हुआ है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को जब्त कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। घटना सदर थाना क्षेत्र के नियाना गांव की है। ग्रामीण रविन्द्र राणा ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे नहर के घाट के पास शव तैरने की जानकारी लगी मिली थी। मृतक युवक ने बनियान और कच्छा पहना हुआ है। लेकिन उसकी पहचान नहीं हुई कि वह कहां का है। पुलिस ने शव बरामद कर अपनी तफ्तीश शुरू कर दी है। शव में आ रही थी दुर्गंध पुलिस ने बताया कि नियाना गांव में बालसमंद नहर से लगभग 35 साल के एक अज्ञात युवक का शव नहर में तैरता हुआ देखा गया। गांव वालों ने इसी सूचना पुलिस को दी। अज्ञात शव में दुर्गंध आ रही थी, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि शव पांच दिन पुराना हो सकता है। इससे पहले बालसमंद नहर में राजली गांव के पास एक 65 साल के व्यक्ति का शव बरामद किया गया था। लेकिन उसकी भी कोई पहचान नहीं हो सकी थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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एंटी इनकंबेसी से जूझती भाजपा,कांग्रेस की राह भी आसान नहीं:हरियाणा में लोकसभा इलेक्शन के 3 संकेत; BJP की 8 रणनीति, कांग्रेस की 7 चुनौतियां
एंटी इनकंबेसी से जूझती भाजपा,कांग्रेस की राह भी आसान नहीं:हरियाणा में लोकसभा इलेक्शन के 3 संकेत; BJP की 8 रणनीति, कांग्रेस की 7 चुनौतियां हरियाणा में BJP भले ही 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से जूझ रही हो लेकिन कांग्रेस के लिए भी रास्ता आसान नहीं है। इसके संकेत मई महीने में हुए 10 लोकसभा सीट पर चुनाव के वोट परसेंट से मिलता है। जिसके बारे में कांग्रेस और भाजपा की टिकट बांटने की मीटिंगों में भी हो रहा है। जिसमें वोट परसेंट को लेकर भी पार्टियां चुनावी रणनीति से जोड़कर चल रही हैं। कांग्रेस में हाईकमान ने टिकट बंटवारे की कमान अपने हाथ में ले चुका है। 90 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस हाईकमान ने अपनी कमेटियां भेज दी हैं। वहीं भाजपा ने भी सीट टू सीट मार्किंग से चुनाव जीतने की प्लानिंग कर ली है। सबसे पहले लोकसभा चुनाव से मिले 3 बड़े संकेत 1. भाजपा 5 सीटें हारी लेकिन वोट % कांग्रेस से ज्यादा
2019 में भाजपा ने हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटें जीतीं। 2024 में भाजपा सिर्फ 5 ही जीत सकी। हालांकि भाजपा को 46.11% वोट मिले। इसके उलट कांग्रेस ने भी 5 ही सीटें जीतीं। मगर उन्हें 43.67% वोट मिले। 2. विधानसभा वाइज भाजपा को बढ़त
10 लोकसभा सीटों के नतीजे को विधानसभा वाइज देखें तो 90 में से 44 सीटों पर भाजपा को बढ़त रही। कांग्रेस को 42 सीटों पर बढ़त मिली। 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी (AAP) आगे रही। लोकसभा में AAP-कांग्रेस साथ थी। विधानसभा में दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ रही हैं। 3. कांग्रेस का वोट परसेंट 2019 के मुकाबले बढ़ा
लोकसभा के नतीजे को अगर 2019 के हिसाब से देखें तो वोटरों का रुझान कांग्रेस की तरफ हुआ है। 2019 में कांग्रेस सभी 10 सीटें हारी और वोट परसेंट 28.51% रहा। 2024 में यह बढ़कर 43.67% हो गया। इसके उलट भाजपा का वोट परसेंट 2019 में 58.21% से घटकर 46.11% हो गया। विधानसभा के लिहाज से इसके मायने क्या? 1. भाजपा मुकाबले में लेकिन चुनौतियां भी
लोकसभा रिजल्ट के लिहाज से देखें तो 10 साल सरकार चलाने के बावजूद भाजपा मुकाबले से बाहर नहीं है। भाजपा का वोट परसेंट कांग्रेस से ज्यादा है। विधानसभा वाइज भी कांग्रेस से 2 सीटें ज्यादा जीतीं। हालांकि भाजपा को 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से जूझना पड़ेगा। 2. रुझान कांग्रेस के पक्ष में लेकिन गुटबाजी चिंता
लोकसभा रिजल्ट के लिहाज से वोटरों का रुझान कांग्रेस के पक्ष में नजर आता है। इसकी वजह ये है कि 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 15.16% वोट ज्यादा मिले। हालांकि गुटबाजी कांग्रेस की बड़ी चिंता है। अपने समर्थक ज्यादा विधायक जिता सरकार बनने की सूरत में सीएम कुर्सी पर मजबूत दावे के लिए पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, सिरसा सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। चुनाव जीतने के लिए BJP ने क्या रणनीति बदली? 1. चेहरा पर चुनाव नहीं सीट टू सीट मार्किंग
भाजपा अमूमन किसी एक चेहरे पर चुनाव लड़ती है। हरियाणा में इस बार ऐसा नहीं है। इसके उलट भाजपा सीट टू सीट मार्किंग कर रही है। किस सीट का जातीय गणित क्या है। वहां का डिसाइडिंग फैक्टर क्या है?। कौन नाराज है?। उसे कैसे मना सकते हैं?। कौन उम्मीदवार यहां जिताऊ होगा। इन सब पर प्रदेश चुनाव समिति की मीटिंग में मंथन किया। 2. बड़े नहीं छोटे वोट बैंक पर फोकस
भाजपा इस बार किसी एक बड़े वोट बैंक पर फोकस नहीं कर रही। जाट, पंजाबी और ओबीसी के अलावा बचे छोटे वोट बैंक पर पार्टी की नजर है। उन्हें कैसे खुश कर अपने पक्ष में ला सकते हैं, इसको लेकर रणनीति बना उस पर काम किया जा रहा है। खासकर, उन सीटों पर जहां वे हार-जीत में प्रभावी साबित हो सकते हैं। 3. RSS को भी साथ में लिया
लोकसभा में भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से दूरी बनाई। विधानसभा में RSS अहम भूमिका में है। RSS के ग्राउंड लेवल सर्वे के फीडबैक को टिकट बांटने पूरी तरजीह दी जा रही है। वोटिंग के लिए भी RSS के ग्राउंड वर्कर भाजपा की मदद करेंगे। 4. मंत्रियों-विधायकों के टिकट कटेंगे
भाजपा टिकट बंटवारे में बहुत सधी हुई चाल चल रही है। इसके लिए मंत्रियों-विधायकों के भी टिकट कटेंगे। गुरुग्राम में हुई चुनाव समिति की मीटिंग में 41 में से 20 से ज्यादा विधायक और आधे से ज्यादा मंत्रियों की टिकट काटने पर चर्चा हुई। यहां नए चेहरे उतारे जाएंगे। 5. किरण चौधरी को राज्यसभा भेज जाटों को रिझाने कोशिश
हरियाणा में भाजपा गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 10 साल में पहले पंजाबी और फिर OBC सीएम बनाया। हालांकि पूर्व सीएम बंसीलाल की बहू किरण चौधरी को पार्टी में शामिल कर 2 महीने में ही राज्यसभा भेज जाटों को रिझाया है। 6. किसान नेताओं नहीं, छोटे किसानों पर फोकस
किसान आंदोलन झेल रही भाजपा ने छोटे किसानों पर फोकस किया है। नेताओं से दूरी बना भाजपा ने प्रदेश में 24 फसलों पर MSP की घोषणा की। अब 2019 की मेनिफेस्टो की थीम ‘हम सबका ख्याल रखते हैं, हम योजनाओं को लटकाते, भटकाते, अटकाते नहीं हैं।’ को बदलकर किसानों पर केंद्रित किया जा रहा है। 7. परिवारवाद से परहेज नहीं
भाजपा परिवारवाद पर खुल कांग्रेस की आलोचना करती है। मगर, हरियाणा चुनाव के लिए यह रणनीति बदली गई है। यहां जिताऊ चेहरों को टिकट देने में इस परिवारवाद से परहेज नहीं किया जाएगा। इसके लिए पहली बार RSS ने भी भाजपा को खुली छूट दे दी है। इससे पहले संघ इसका सबसे बड़ा विरोधी रहा है। 8. बड़े चेहरों पर दांव
भाजपा बड़े चेहरों पर दांव खेलेगी। लोकसभा चुनाव हारे अशोक तंवर, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल समेत दिग्गज चेहरों को टिकट दी जा सकती है। भाजपा इनके रसूख को हरियाणा में सरकार की हैट्रिक के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। कांग्रेस की रणनीति और चुनौतियां 1. टिकट बंटवारे की कमान पहले ही सीधे राहुल-खड़गे को
गुटबाजी से हरियाणा कांग्रेस भी अछूती नहीं है। हाईकमान कितना कह ले लेकिन सीएम कुर्सी की चाह का असर सीधे टिकट की सिफारिशों पर दिखा। इसीलिए कांग्रेस हाईकमान ने टिकट बंटवारे की कमान अपने हाथ में ले ली। स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अजय माकन को सभी 90 विधानसभा सीटों में अपनी कमेटी भेजने को कहा। जिसकी रिपोर्ट सीधे राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को जाएगी। इस बार यह पहले लिया फैसला है। लोकसभा में सब कमेटी तक के फेल होने के बाद अधिकार हाईकमान को सौंपे गए थे। 2. एकजुट नजर आएगी कांग्रेस
गुटबाजी कांग्रेस की हार की बड़ी वजह रही है। इसे कांग्रेस हाईकमान भी जानता है। इसके लिए स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में हुड्डा और सैलजा-सुरजेवाला को एक साथ बिठाया गया। अब भी राहुल गांधी ने उन्हें प्रदेश में एकजुट नजर आने को कहा है। आने वाले दिनों में प्रदेश के सभी कांग्रेसी दिग्गज एक मंच पर नजर आ सकते हैं। 3. जिनसे लोग परेशान, वही मुद्दे पकड़े
कांग्रेस उन्हीं मुद्दों को आगे बढ़ा रही है, जिनसे 10 साल में लोगों की परेशानी सामने आई। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा हर सरकारी सेवा के लिए पोर्टल बनाने का है। दूसरा हर सरकारी फायदे के लिए परिवार पहचान पत्र को लागू करना है। जिनमें गलतियां होने पर ठीक कराने के लिए लोगों को चक्कर काटने पड़े। 4. आम आदमी पार्टी का अकेले चुनाव लड़ना चिंता
कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी है। लोकसभा में कांग्रेस ने 9 और आप ने एक सीट पर गठबंधन में चुनाव लड़ा। कांग्रेस 5 जीत गई लेकिन आप कुरूक्षेत्र सीट हार गई। हालांकि लोकसभा रिजल्ट को विधानसभा वाइज देखें तो 42 में कांग्रेस और 4 आप जीती थी। दोनों मिलकर लड़ते तो यह आंकड़ा 45 के बहुमत से 1 सीट ज्यादा 46 है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह चिंता बनी हुई है। 5. मल्टी एंगल फाइट में वोटों का बिखराव
हरियाणा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस समेत 5 पार्टियां मुकाबले में हैं। जिनमें जजपा, इनेलो-बसपा गठबंधन और आप शामिल है। इसके अलावा निर्दलीय भी चुनाव जीतते आ रहे हैं। अगर भाजपा अपने लोकसभा के वोट परसेंट को भी जकड़कर रख पाई तो कांग्रेस के लिए मुसीबत हो सकती है। खासकर, जाट और एससी वोट बैंक कांग्रेस के अलावा जजपा और इनेलो-बसपा में बंट सकता है। कांग्रेस के लिए अच्छी बात ये है कि लोकसभा में यह बिखराव नहीं हुआ था। 6. टिकट घोषणा में देरी
कांग्रेस की बड़ी दिक्कत टिकट घोषणा को लेकर रहती है। कांग्रेस सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद अपनी लिस्ट जारी करती है। ऐसे में जिन्हें टिकट मिली, उन्हें प्रचार के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। खासकर, हुड्डा और सैलजा-सुरजेवाला में गुटबाजी के चलते जहां अधिकांश सीटों पर कांग्रेस में कन्फ्यूजन है, वहां ये स्थिति नुकसान पहुंचा सकती है। 7. भगदड़ और बगावत रोकना बड़ी चुनौती
कांग्रेस नेताओं को पूरी उम्मीद है कि इस बार उनकी सरकार बनेगी। यही वजह है कि 90 सीटों पर कांग्रेस के 2,556 नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया हुआ है। ऐसे में जब टिकट बंटवारा होगा तो पार्टी में भगदड़ और बगावत तय है। यह चुनाव का अंतिम वक्त होगा, ऐसे में कांग्रेस को इसे संभालने का मौका नहीं मिलेगा।
रोहतक जिला परिषद चेयरपर्सन की कुर्सी का फैसला 30 को:मंजू हुड्डा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 23 को टल गई थी वोटिंग
रोहतक जिला परिषद चेयरपर्सन की कुर्सी का फैसला 30 को:मंजू हुड्डा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 23 को टल गई थी वोटिंग रोहतक से भाजपा की जिला परिषद चेयरपर्सन मंजू हुड्डा की कुर्सी पर फैसला 30 अक्टूबर को होगा। इससे पहले 23 अक्टूबर को चेयरपर्सन के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर वोटिंग होनी थी। लेकिन लेकिन वह वोटिंग टल गई। जबकि मीटिंग में पहुंचे पार्षदों ने राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। इस दौरान जिला विकास भवन की गई गाड़ियों में भी हथियार मिले थे। इससे पहले जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा व उनके पति राजेश सरकारी का पार्षद बेटे के अपहरण केस में भी नाम आया है। रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन के खिलाफ 10 पार्षदों ने डीसी अजय कुमार को अविश्वास प्रस्ताव के लिए ज्ञापन सौंपा था। जिसके बाद डीसी अजय कुमार ने 23 अक्टूबर को वोटिंग के लिए समय निर्धारित किया और पार्षदों को वोटिंग के लिए विकास भवन स्थित डीआरडीए हाल में बुलाया। लेकिन डीसी नहीं पहुंचने के कारण यह वोटिंग टल गई और अब डीसी ने पत्र जारी करके अविश्वास प्रस्ताव के के लिए 30 अक्टूबर को वोटिंग होगी। गाड़ियों में मिले थे हथियार
23 अक्टूबर को वोटिंग स्थगित होने के बाद पुलिस ने विकास भवन में खड़ी गाड़ियों की चेकिंग की तो उनमें से 5 हथियार मिले। जिसके बाद माहौल गर्माया। वहीं चेयरपर्सन मंजू हुड्डा के एक समर्थक अमित कुमार घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती हुए और पार्षदों पर मारपीट करने के आरोप लगाए। मंजू हुड्डा व उनके पति के खिलाफ किडनैप का केस दर्ज
इससे पहले मंजू हुड्डा और उनके पति राजेश सरकारी पर पार्षद नीलम के बेटे को किडनैप करने के भी आरोप लगे थे। जिसे दोनों ने ही नकार दिया था। बता दें कि चेयरपर्सन मंजू हुड्डा इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ BJP उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। हालांकि वह हार गई थीं। करीब 2 साल पहले रोहतक जिला परिषद का चुनाव हुआ था, जिसमें पहली बार जीतकर आईं मंजू हुड्डा को चेयरपर्सन बनाया गया था। चेयरपर्सन बनने के बाद मंजू हुड्डा ने भाजपा का दामन थाम लिया।
पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह की बढ़ी मुश्किलें:पुलिस ने आरोपमुक्त अर्जी का विरोध किया; दोनों पक्षों में बहस, अब 6 को फैसला
पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह की बढ़ी मुश्किलें:पुलिस ने आरोपमुक्त अर्जी का विरोध किया; दोनों पक्षों में बहस, अब 6 को फैसला हरियाणा के पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह से जुड़े महिला कोच यौन शोषण केस में चंडीगढ़ पुलिस ने एसीजेएम राहुल गर्ग की कोर्ट में अपना जवाब पेश किया। जवाब में आरोपी संदीप सिंह की आरोपमुक्त अर्जी का विरोध किया। पीड़िता की ओर से पेश एडवोकेट दीपांशु बंसल ने भी अर्जी का विरोध किया। अर्जी पर बहस के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 6 जुलाई की तारीख तय की है। कोर्ट अब संदीप सिंह की अर्जी पर अपना फैसला देगी। दिसंबर, 2022 में सेक्टर 26 थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 342, 354, 354-ए, 354-बी, 506 और 509 के तहत यह केस दर्ज किया था। जानकारी के मुताबिक संदीप सिंह की अर्जी के विरोध में पुलिस ने पीड़िता द्वारा दर्ज करवाई गई शिकायत के तथ्यों को सामने रखा है। वहीं मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए गिठत एसआईटी तथा आगे की गई जांच का हवाला दिया है। संदीप सिंह ने आरोप मुक्त की दाखिल की की अर्जी हरियाणा की जूनियर महिला कोच यौन शोषण मामले में आरोपी पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह ने खुद को आरोप मुक्त किए जाने को लेकर चंडीगढ़ एसीजेएम कोर्ट में एक एप्लिकेशन दायर की थी। इस पर कोर्ट की ओर से सुनवाई के लिए आज की डेट तय की गई थी। इसके साथ ही चंडीगढ़ कोर्ट की ओर से इस मामले में प्रॉसिक्यूशन की ओर से भी जवाब दाखिल करने को कहा है। वहीं, वकील दीपांशु बंसल पीड़ित जूनियर महिला कोच की ओर से कोर्ट में पेश हुए। जहां दोनों पक्षों में बहस हुई।आरोपी संदीप सिंह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार में खेल मंत्री थे, जूनियर महिला कोच के आरोपों के बाद पूर्व सीएम ने उनसे खेल विभाग वापस ले लिया था, लेकिन वह मंत्री पद पर बने रहे थे। हालांकि अब हरियाणा में नायब सैनी मुख्यमंत्री हैं, इनके मंत्रिमंडल में उन्हें मंत्रिपद नहीं दिया गया है। कोर्ट में पेश हो चुके संदीप सिंह जूनियर महिला कोच यौन शोषण मामले में आरोपी हरियाणा के पूर्व खेल मंत्री संदीप जनवरी में चंडीगढ़ जिला अदालत में पेश हो चुके हैं। अदालत में पीड़ित पक्ष की ओर से दायर की गई पांच में से तीन अर्जियों पर बहस हुई। इससे पहले 16 दिसंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान संदीप सिंह ने कोर्ट में पेश न होने के लिए छूट मांगी थी। इसके बाद फरवरी में सुनवाई की डेट पर पूर्व खेल मंत्री के नहीं पहुंचने पर सुनवाई स्थगित कर दी गई थी। कोच दाखिल कर चुकी तीन अर्जियां पीड़ित जूनियर महिला कोच की ओर से इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किए जाने की अर्जी दाखिल की जा चुकी है। साथ ही केस की सुनवाई मजिस्ट्रेट से हटाकर सेशन कोर्ट में चलाने की मांग और केस की सुनवाई डे टू डे बेसिस पर चलाने की मांग की गई है। तीसरी अर्जी आरोपी की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए अदालत ने कहा था कि इलाका मजिस्ट्रेट जमानत देते हुए उचित शर्तें लगा सकता है, लेकिन अभी तक आरोपी पर कोई शर्त नहीं लगाई गई है। क्या है पूरा मामला 31 दिसंबर 2022 को जूनियर महिला कोच की शिकायत पर सेक्टर-26 थाना पुलिस ने मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। इसके बाद डीएसपी ईस्ट पलक गोयल के सुपरविजन में मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई गई।एसआईटी ने जांच के बाद आरोपित संदीप सिंह के खिलाफ चार्जशीट में नई धारा 509 भी जोड़ी थी और शिकायत के लगभग आठ महीने बाद चार्जशीट कोर्ट में फाइल की थी।