37 साल पुराने हत्या के दो आरोपी सजा से बरी:हाई कोर्ट में तीन अभियुक्त की ओर से दाखिल की गई थी अपील; एक अभियुक्त की उम्रकैद की सजा बरकरार

37 साल पुराने हत्या के दो आरोपी सजा से बरी:हाई कोर्ट में तीन अभियुक्त की ओर से दाखिल की गई थी अपील; एक अभियुक्त की उम्रकैद की सजा बरकरार

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने तीन अभियुक्त की ओर दाखिल 37 साल पुरानी अपील पर सुनवाई के बाद दो अभियुक्त को मिली उम्रकैद की सजा से बरी कर दिया। वहीं एक की सजा को बरकरार रखतें हुये अपील को मंजूर कर लिया। तीनों अभियुक्तों को 35 साल पहले लखनऊ की निचली अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत द्वारा दिये गये उम्रकैद की सजा के आदेश के खिलाफ अभियुक्तो द्वारा हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जोहरी की खण्डपीठ ने हरिशंकर,लवकुश व राधेलाल की ओर से 37 साल पहले दाखिल अपील पर सुनवाई के बाद पारित किया। तीनों अभियुक्त की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपने आदेश में हरिशंकर की अपील पर सुनवाई के बाद लखनऊ की निचली अदालत द्वारा दिये गये सजा को सही मानते हुये खारिज कर दिया जबकि लवकुश व राधेलाल को निचली अदालत द्वारा दी गयी सजा को गलत मानते हुये निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुये इन दोनों अभियुक्तों को सजा से बरी कर दिया । न्यायालय का मानना है कि हरिशंकर ने ही अपने बन्दूक से वादी के पिता मृतक राजा राम यादव को दो गोली मारी थी। न्यायालय का मानना है कि हरिशंकर द्वारा चलाई गई दो गोली से ही मृतक राजा राम की मृत्यु हुई थी। मामला 20 जून 1987 का है जिसमें वादी ओम प्रकाश यादव ने बंथरा थाने में अपने पिता की हत्या के मामलें में तीनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर लिखवाई थी। जिसमें वादी ने तीनों पर अपने पिता राजाराम यादव को गोली मार कर हत्या करने का आरोप लगाया था। निचली अदालत द्वारा तीनो आरोपियों को 1989 में ही आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने तीन अभियुक्त की ओर दाखिल 37 साल पुरानी अपील पर सुनवाई के बाद दो अभियुक्त को मिली उम्रकैद की सजा से बरी कर दिया। वहीं एक की सजा को बरकरार रखतें हुये अपील को मंजूर कर लिया। तीनों अभियुक्तों को 35 साल पहले लखनऊ की निचली अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत द्वारा दिये गये उम्रकैद की सजा के आदेश के खिलाफ अभियुक्तो द्वारा हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जोहरी की खण्डपीठ ने हरिशंकर,लवकुश व राधेलाल की ओर से 37 साल पहले दाखिल अपील पर सुनवाई के बाद पारित किया। तीनों अभियुक्त की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपने आदेश में हरिशंकर की अपील पर सुनवाई के बाद लखनऊ की निचली अदालत द्वारा दिये गये सजा को सही मानते हुये खारिज कर दिया जबकि लवकुश व राधेलाल को निचली अदालत द्वारा दी गयी सजा को गलत मानते हुये निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुये इन दोनों अभियुक्तों को सजा से बरी कर दिया । न्यायालय का मानना है कि हरिशंकर ने ही अपने बन्दूक से वादी के पिता मृतक राजा राम यादव को दो गोली मारी थी। न्यायालय का मानना है कि हरिशंकर द्वारा चलाई गई दो गोली से ही मृतक राजा राम की मृत्यु हुई थी। मामला 20 जून 1987 का है जिसमें वादी ओम प्रकाश यादव ने बंथरा थाने में अपने पिता की हत्या के मामलें में तीनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर लिखवाई थी। जिसमें वादी ने तीनों पर अपने पिता राजाराम यादव को गोली मार कर हत्या करने का आरोप लगाया था। निचली अदालत द्वारा तीनो आरोपियों को 1989 में ही आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर