46 करोड़ का पुल 46 दिन में बहा:बदायूं में नदी ने दिशा बदली तो एप्रोच रोड बही; गूगल मैप पर 1 साल पूरा दिखता रहा

46 करोड़ का पुल 46 दिन में बहा:बदायूं में नदी ने दिशा बदली तो एप्रोच रोड बही; गूगल मैप पर 1 साल पूरा दिखता रहा

2016 में बरेली के फरीदपुर और बदायूं के दातागंज को जोड़ने के लिए रामगंगा नदी पर पुल बनना तय हुआ। 7 साल में पुल बनकर तैयार हुआ। पुल पर सिर्फ 46 दिन गाड़ियां चलीं। बाढ़ आई और एप्रोच रोड बहा ले गई। पुल नदी में टंग गया। 24 नवंबर को इसी पुल से कार सवार 3 लोग निकले। वे गूगल मैप लगाकर आगे बढ़े थे। उस समय गूगल मैप पर पुल पूरा ही दिखा रहा था। उन्हें पता ही नहीं था कि पुल टूटा हुआ है। गाड़ी नदी में गिर गई और कार सवार तीनों लोगों की मौत हो गई। पुल बनाने में कहां गड़बड़ी हुई थी? हादसे के बाद क्या एक्शन लिए गए? ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए सब कुछ… सबसे पहले उस वजह को जानते हैं, जिससे हम इस पुल की चर्चा कर रहे… पुल पर कोई बैरिकेड नहीं, 3 लोग गिरकर मरे
24 नवंबर को बरेली के फरीदपुर में एक शादी थी। चचेरे भाई कौशल और विवेक चौहान अपने एक साथी अमित सिंह के साथ गुरुग्राम से बरेली के लिए निकले। इन लोगों ने मुरादाबाद-बरेली हाईवे से जाने की जगह बदायूं के रास्ते फरीदपुर पहुंचने का फैसला किया। 23 नवंबर की रात 11 बजे निकले। 24 नवंबर की सुबह करीब 7 बजे ये लोग वैगन-आर कार से दातागंज-फरीदपुर में बने अधूरे पुल पर पहुंचे। सुबह की धुंध के बीच गूगल मैप के सहारे चल रहे इन लोगों को रास्ता क्लियर दिखाया गया। कार से ये लोग पुल पर चढ़े और तेजी से आगे की तरफ बढ़े। रास्ते में अचानक नजर आया कि पुल तो आगे खत्म है। 30 फीट पहले तेजी से ब्रेक मारे। लेकिन, कार की स्पीड इतनी तेज थी कि वह घिसटते हुए नदी में गिर गई। तेज आवाज सुनकर आसपास के लोग भागे, लेकिन तब तक तीनों की मौत हो चुकी थी। कौशल और विवेक फर्रुखाबाद के इमादपुर गांव के रहने वाले थे। कौशल डेढ़ महीने पहले ही पिता बने थे। घटना में मरने वाले तीसरे व्यक्ति अमित सिंह मैनपुरी जिले के रहने वाले थे। अब वह पढ़िए, जो हमने देखा घटना के तुरंत बाद 5 जगह बैरिकेड्स लगा दिए
हम बरेली से समरेर के रास्ते इस टूटे हुए पुल के पास पहुंचे। पुल से करीब 500 मीटर पहले घटना के अगले ही दिन एक बोर्ड लगा दिया गया। इस पर लिखा है- ‘आगे मार्ग बंद है, कृपया रास्ते का उपयोग न करें।’ हम और आगे बढ़े। 5 बड़े-बड़े पत्थरों से रास्ता बंद किया गया था। इस पर रास्ता बंद है लिखा है। यहां से हम पैदल ही आगे बढ़े। आगे सड़क पर मिट्टी डालकर रास्ता बंद किया गया है। हम एप्रोच हिस्से को पार करते हुए पुल पर पहुंच गए। यहां भी ईंट-सीमेंट से दीवार बनी है। यहां पहले से भी दीवार बनी थी। लेकिन, स्थानीय लड़कों ने उसके बीच के हिस्से को तोड़ दिया था। इसके बाद वह अक्सर बाइक के जरिए पुल पर घूमने जाते थे। उन्हें पता था कि आगे पुल नहीं है। इसलिए गांव के लोगों के साथ किसी तरह का कोई हादसा नहीं हुआ। लेकिन, अजनबियों को यह बात पता नहीं थी। हम पुल के एप्रोच से नीचे उतरे और पैदल ही नदी में चलने लगे। पहले रामगंगा नदी बीच में बहती थी। लेकिन, अब यह बरेली साइड वाले हिस्से से बहने लगी है। यह नदी ही बरेली-बदायूं जिले की सीमा है। हम करीब 700 मीटर नदी में चलते हुए उस जगह पहुंचे, जहां दुर्घटनाग्रस्त कार पड़ी थी। कार उस जगह पड़ी थी, जहां पुल खत्म होता है। इसे देखकर लगता है कि गाड़ी को ऊपर रोकने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन वह पुल पर लटक गई। फिर उल्टा होकर गिर पड़ी। गाड़ी में आगे और पीछे की सीटों पर पड़ा खून घटना की भयावहता बयां कर रहा है। अखिलेश यादव ने पुल बनाने की घोषणा की थी
हमने इस पुल से जुड़े डिटेल खंगाले। 2016 में उस वक्त के सीएम अखिलेश यादव ने बदायूं में इसकी घोषणा की थी। उस वक्त दातागंज में बसपा के विधायक सिनोज कुमार शाक्य थे। सिनोज से हमने बात की। वह कहते हैं- क्षेत्र की जनता के लिए यह पुल बेहद जरूरी था। इस पुल की घोषणा के बाद करीब 60 गांव के लोग राहत की सांस ले रहे थे। क्योंकि, उन्हें अभी तक करीब 30 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता था। 2016 में पुल बनाने का फैसला हो गया। 699 मीटर लंबा पुल बनाया जाना था। नदी में कुल 24 पिलर बनने थे। दोनों तरफ 200-200 मीटर की एप्रोच रोड बनाई जानी थी। इसके लिए कुल 46 करोड़ 10 लाख रुपए का बजट पास किया गया। सेतु निगम ने बदायूं की तरफ से इसका निर्माण शुरू किया। 2017 में सरकार बदल गई, लेकिन पुल बनाने का काम बंद नहीं हुआ। 2018 में सारे पिलर खड़े कर दिए गए। इन पिलर्स पर उनके बनने की डेट भी लिखी है। मुआवजा नहीं मिला, तो काम रोक दिया गया
करीब साढ़े तीन साल तक पिलर बनकर खड़े, लेकिन सड़क चल नहीं पाई। वजह यह थी कि नदी के दूसरी तरफ वाले गांव खल्लपुर में लोगों ने मुआवजे को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हम खल्लपुर पहुंचे और राम भरोसे से बात की। वह कहते हैं- पुल तो 2018 में ही बनकर तैयार हो गया था। लेकिन, हमारे गांव के कुछ लोगों को मुआवजा नहीं मिला। इसके चलते काम रोक दिया गया। इसके बाद सभी को उनकी जमीन का मुआवजा मिला और मिट्टी का काम शुरू हो गया। अगस्त, 2023 में एप्रोच बनाने का काम पूरा हो गया। फिर इस पुल को शुरू कर दिया गया। इसके बाद लोग इधर से आने-जाने लगे। लेकिन, सितंबर 2023 में रामगंगा नदी उफान पर आई और बरेली साइड वाले एप्रोच को अपने साथ बहा ले गई। जब यह पुल बन रहा था, तब भी नदी की दिशा बदल रही थी। उस वक्त जरूरत थी कि सिंचाई विभाग करीब 2 किलोमीटर आगे बांध बनाकर रोक देता। ऐसा करने से नदी की दिशा सही हो जाती। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया और उसी में एप्रोच बह गया। एप्रोच बनाने में मॉडल स्टडी नहीं हुई
हमने एप्रोच के बनते और ढहते हुए का वीडियो देखा। इसके बाद इस वक्त बदायूं में ही गंगा एक्सप्रेस-वे तैयार कर रहे इंजीनियर दीप से बात की। दीप कहते हैं- एप्रोच बनाते वक्त जल्दबाजी दिखाई गई। नदी के बहाव के आधार पर इसकी स्टडी कराई जानी चाहिए थी। जहां कटान का खतरा होता है, वहां एप्रोच के दोनों तरफ एक सुरक्षा दीवार बनाई जाती है। यहां ऐसा नहीं किया गया। यहीं हमें राम नरेश फौजी मिले। वह कहते हैं- पुल पर सिर्फ डेढ़ महीने लोग चले, इसके बाद यह टूट गया। इसके बाद हम सब लोग एमपी-एमएलए से मिले। लेकिन, कभी कोई सुनवाई नहीं हुई। राम नरेश आगे कहते हैं, यह पुल ऐसे ही खड़ा रहा। जब बाढ़ आती तो चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता है। विधायक ने कहा- हमने सीएम योगी को पत्र लिखा है
इस पुल को लेकर हमने दातागंज के स्थानीय भाजपा विधायक राजीव कुमार सिंह से बात की। वह कहते हैं- टूटे पुल पर 3 लोगों की मौत दुखद है। हम सीएम योगी से मिलकर बात करेंगे और पीड़ित परिवार के लिए हर संभव मदद पहुंचाने का काम करेंगे। इस पुल को लेकर हमने सीएम को पत्र लिखा था। हमने पूछा कब लिखा था और क्या जवाब आया? इस पर विधायक कहते हैं- तारीख तो याद नहीं है, लेकिन जल्द बनवाने का आश्वासन मिला था। पुल सेतु निगम ने बनाया एप्रोच की जिम्मेदारी PWD की
इस मामले में बदायूं की डीएम निधि श्रीवास्तव के आदेश पर दातागंज के तहसीलदार छविराम ने PWD के 4 इंजीनियरों और गूगल मैप के क्षेत्रीय मैनेजर के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसमें सहायक अभियंता मोहम्मद आरिफ और अभिषेक कुमार, अवर अभियंता अजय गंगवार और महाराज सिंह के खिलाफ बीएनएस की धारा 105 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया गया है। 1 अज्ञात के खिलाफ भी मुकदमा हुआ है। हमने तहसीलदार छविराम से पूछा, तो उन्होंने कहा- ये ग्रामीणों के खिलाफ है। क्योंकि पुल पर एक दीवार बनाई गई थी, जिसे स्थानीय लोगों ने तोड़ दिया था। डीएम के लेटर में भी जिक्र, सूचना बोर्ड नहीं था
असल में पुल बनाने का काम राज्य सेतु निगम का था, लेकिन एप्रोच बनाने की जिम्मेदारी बदायूं लोक निर्माण विभाग की थी। इन मार्गों की देख-रेख का भी काम सहायक अभियंता और अवर अभियंता के हवाले था। इनकी जिम्मेदारी थी कि टूटे हुए पुल पर दीवार या फिर बैरिकेड बनाकर लोगों को उधर जाने से रोकते। डीएम ने पीडब्ल्यूडी को जो पत्र लिखा है, उसमें भी इस चीज का जिक्र किया है कि वहां आगे नहीं जाने को लेकर किसी तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा था। गूगल मैप को सूचित नहीं किया गया कि उस रास्ते को मैप से हटा दे। हमने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुर् है, उनसे बात करने की कोशिश की। लेकिन, कोई भी बात करने को तैयार नहीं हुआ। इस मामले में बदायूं पुलिस ने गूगल को भी लेटर लिखकर क्षेत्रीय अधिकारी का नाम पूछा है। यह इसलिए, ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। ———————-
ये खबर भी पढ़ें… गूगल मैप-लापरवाह अफसर मेरे पति की मौत के जिम्मेदार, पत्नी बोली- 45 दिन पहले पिता बने थे, बेटे का नाम भी नहीं रख पाए दैनिक भास्कर टीम बरेली में टूटे हुए पुल से गिरकर मरने वाले लोगों के घर पहुंची। मौत के बाद बेसहारा हो चुके लोगों से मिली। उन बच्चों को भी देखा, जिनके पिता अब दुनिया में नहीं रहे। उन परिजनों का दर्द महसूस किया, जिनको बुढ़ापे में कभी खत्म न होने वाले दुख मिल गया। इस पूरे केस को समझा। पढ़िए, परिवारों की बेबसी… 2016 में बरेली के फरीदपुर और बदायूं के दातागंज को जोड़ने के लिए रामगंगा नदी पर पुल बनना तय हुआ। 7 साल में पुल बनकर तैयार हुआ। पुल पर सिर्फ 46 दिन गाड़ियां चलीं। बाढ़ आई और एप्रोच रोड बहा ले गई। पुल नदी में टंग गया। 24 नवंबर को इसी पुल से कार सवार 3 लोग निकले। वे गूगल मैप लगाकर आगे बढ़े थे। उस समय गूगल मैप पर पुल पूरा ही दिखा रहा था। उन्हें पता ही नहीं था कि पुल टूटा हुआ है। गाड़ी नदी में गिर गई और कार सवार तीनों लोगों की मौत हो गई। पुल बनाने में कहां गड़बड़ी हुई थी? हादसे के बाद क्या एक्शन लिए गए? ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए सब कुछ… सबसे पहले उस वजह को जानते हैं, जिससे हम इस पुल की चर्चा कर रहे… पुल पर कोई बैरिकेड नहीं, 3 लोग गिरकर मरे
24 नवंबर को बरेली के फरीदपुर में एक शादी थी। चचेरे भाई कौशल और विवेक चौहान अपने एक साथी अमित सिंह के साथ गुरुग्राम से बरेली के लिए निकले। इन लोगों ने मुरादाबाद-बरेली हाईवे से जाने की जगह बदायूं के रास्ते फरीदपुर पहुंचने का फैसला किया। 23 नवंबर की रात 11 बजे निकले। 24 नवंबर की सुबह करीब 7 बजे ये लोग वैगन-आर कार से दातागंज-फरीदपुर में बने अधूरे पुल पर पहुंचे। सुबह की धुंध के बीच गूगल मैप के सहारे चल रहे इन लोगों को रास्ता क्लियर दिखाया गया। कार से ये लोग पुल पर चढ़े और तेजी से आगे की तरफ बढ़े। रास्ते में अचानक नजर आया कि पुल तो आगे खत्म है। 30 फीट पहले तेजी से ब्रेक मारे। लेकिन, कार की स्पीड इतनी तेज थी कि वह घिसटते हुए नदी में गिर गई। तेज आवाज सुनकर आसपास के लोग भागे, लेकिन तब तक तीनों की मौत हो चुकी थी। कौशल और विवेक फर्रुखाबाद के इमादपुर गांव के रहने वाले थे। कौशल डेढ़ महीने पहले ही पिता बने थे। घटना में मरने वाले तीसरे व्यक्ति अमित सिंह मैनपुरी जिले के रहने वाले थे। अब वह पढ़िए, जो हमने देखा घटना के तुरंत बाद 5 जगह बैरिकेड्स लगा दिए
हम बरेली से समरेर के रास्ते इस टूटे हुए पुल के पास पहुंचे। पुल से करीब 500 मीटर पहले घटना के अगले ही दिन एक बोर्ड लगा दिया गया। इस पर लिखा है- ‘आगे मार्ग बंद है, कृपया रास्ते का उपयोग न करें।’ हम और आगे बढ़े। 5 बड़े-बड़े पत्थरों से रास्ता बंद किया गया था। इस पर रास्ता बंद है लिखा है। यहां से हम पैदल ही आगे बढ़े। आगे सड़क पर मिट्टी डालकर रास्ता बंद किया गया है। हम एप्रोच हिस्से को पार करते हुए पुल पर पहुंच गए। यहां भी ईंट-सीमेंट से दीवार बनी है। यहां पहले से भी दीवार बनी थी। लेकिन, स्थानीय लड़कों ने उसके बीच के हिस्से को तोड़ दिया था। इसके बाद वह अक्सर बाइक के जरिए पुल पर घूमने जाते थे। उन्हें पता था कि आगे पुल नहीं है। इसलिए गांव के लोगों के साथ किसी तरह का कोई हादसा नहीं हुआ। लेकिन, अजनबियों को यह बात पता नहीं थी। हम पुल के एप्रोच से नीचे उतरे और पैदल ही नदी में चलने लगे। पहले रामगंगा नदी बीच में बहती थी। लेकिन, अब यह बरेली साइड वाले हिस्से से बहने लगी है। यह नदी ही बरेली-बदायूं जिले की सीमा है। हम करीब 700 मीटर नदी में चलते हुए उस जगह पहुंचे, जहां दुर्घटनाग्रस्त कार पड़ी थी। कार उस जगह पड़ी थी, जहां पुल खत्म होता है। इसे देखकर लगता है कि गाड़ी को ऊपर रोकने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन वह पुल पर लटक गई। फिर उल्टा होकर गिर पड़ी। गाड़ी में आगे और पीछे की सीटों पर पड़ा खून घटना की भयावहता बयां कर रहा है। अखिलेश यादव ने पुल बनाने की घोषणा की थी
हमने इस पुल से जुड़े डिटेल खंगाले। 2016 में उस वक्त के सीएम अखिलेश यादव ने बदायूं में इसकी घोषणा की थी। उस वक्त दातागंज में बसपा के विधायक सिनोज कुमार शाक्य थे। सिनोज से हमने बात की। वह कहते हैं- क्षेत्र की जनता के लिए यह पुल बेहद जरूरी था। इस पुल की घोषणा के बाद करीब 60 गांव के लोग राहत की सांस ले रहे थे। क्योंकि, उन्हें अभी तक करीब 30 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता था। 2016 में पुल बनाने का फैसला हो गया। 699 मीटर लंबा पुल बनाया जाना था। नदी में कुल 24 पिलर बनने थे। दोनों तरफ 200-200 मीटर की एप्रोच रोड बनाई जानी थी। इसके लिए कुल 46 करोड़ 10 लाख रुपए का बजट पास किया गया। सेतु निगम ने बदायूं की तरफ से इसका निर्माण शुरू किया। 2017 में सरकार बदल गई, लेकिन पुल बनाने का काम बंद नहीं हुआ। 2018 में सारे पिलर खड़े कर दिए गए। इन पिलर्स पर उनके बनने की डेट भी लिखी है। मुआवजा नहीं मिला, तो काम रोक दिया गया
करीब साढ़े तीन साल तक पिलर बनकर खड़े, लेकिन सड़क चल नहीं पाई। वजह यह थी कि नदी के दूसरी तरफ वाले गांव खल्लपुर में लोगों ने मुआवजे को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हम खल्लपुर पहुंचे और राम भरोसे से बात की। वह कहते हैं- पुल तो 2018 में ही बनकर तैयार हो गया था। लेकिन, हमारे गांव के कुछ लोगों को मुआवजा नहीं मिला। इसके चलते काम रोक दिया गया। इसके बाद सभी को उनकी जमीन का मुआवजा मिला और मिट्टी का काम शुरू हो गया। अगस्त, 2023 में एप्रोच बनाने का काम पूरा हो गया। फिर इस पुल को शुरू कर दिया गया। इसके बाद लोग इधर से आने-जाने लगे। लेकिन, सितंबर 2023 में रामगंगा नदी उफान पर आई और बरेली साइड वाले एप्रोच को अपने साथ बहा ले गई। जब यह पुल बन रहा था, तब भी नदी की दिशा बदल रही थी। उस वक्त जरूरत थी कि सिंचाई विभाग करीब 2 किलोमीटर आगे बांध बनाकर रोक देता। ऐसा करने से नदी की दिशा सही हो जाती। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया और उसी में एप्रोच बह गया। एप्रोच बनाने में मॉडल स्टडी नहीं हुई
हमने एप्रोच के बनते और ढहते हुए का वीडियो देखा। इसके बाद इस वक्त बदायूं में ही गंगा एक्सप्रेस-वे तैयार कर रहे इंजीनियर दीप से बात की। दीप कहते हैं- एप्रोच बनाते वक्त जल्दबाजी दिखाई गई। नदी के बहाव के आधार पर इसकी स्टडी कराई जानी चाहिए थी। जहां कटान का खतरा होता है, वहां एप्रोच के दोनों तरफ एक सुरक्षा दीवार बनाई जाती है। यहां ऐसा नहीं किया गया। यहीं हमें राम नरेश फौजी मिले। वह कहते हैं- पुल पर सिर्फ डेढ़ महीने लोग चले, इसके बाद यह टूट गया। इसके बाद हम सब लोग एमपी-एमएलए से मिले। लेकिन, कभी कोई सुनवाई नहीं हुई। राम नरेश आगे कहते हैं, यह पुल ऐसे ही खड़ा रहा। जब बाढ़ आती तो चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता है। विधायक ने कहा- हमने सीएम योगी को पत्र लिखा है
इस पुल को लेकर हमने दातागंज के स्थानीय भाजपा विधायक राजीव कुमार सिंह से बात की। वह कहते हैं- टूटे पुल पर 3 लोगों की मौत दुखद है। हम सीएम योगी से मिलकर बात करेंगे और पीड़ित परिवार के लिए हर संभव मदद पहुंचाने का काम करेंगे। इस पुल को लेकर हमने सीएम को पत्र लिखा था। हमने पूछा कब लिखा था और क्या जवाब आया? इस पर विधायक कहते हैं- तारीख तो याद नहीं है, लेकिन जल्द बनवाने का आश्वासन मिला था। पुल सेतु निगम ने बनाया एप्रोच की जिम्मेदारी PWD की
इस मामले में बदायूं की डीएम निधि श्रीवास्तव के आदेश पर दातागंज के तहसीलदार छविराम ने PWD के 4 इंजीनियरों और गूगल मैप के क्षेत्रीय मैनेजर के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसमें सहायक अभियंता मोहम्मद आरिफ और अभिषेक कुमार, अवर अभियंता अजय गंगवार और महाराज सिंह के खिलाफ बीएनएस की धारा 105 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया गया है। 1 अज्ञात के खिलाफ भी मुकदमा हुआ है। हमने तहसीलदार छविराम से पूछा, तो उन्होंने कहा- ये ग्रामीणों के खिलाफ है। क्योंकि पुल पर एक दीवार बनाई गई थी, जिसे स्थानीय लोगों ने तोड़ दिया था। डीएम के लेटर में भी जिक्र, सूचना बोर्ड नहीं था
असल में पुल बनाने का काम राज्य सेतु निगम का था, लेकिन एप्रोच बनाने की जिम्मेदारी बदायूं लोक निर्माण विभाग की थी। इन मार्गों की देख-रेख का भी काम सहायक अभियंता और अवर अभियंता के हवाले था। इनकी जिम्मेदारी थी कि टूटे हुए पुल पर दीवार या फिर बैरिकेड बनाकर लोगों को उधर जाने से रोकते। डीएम ने पीडब्ल्यूडी को जो पत्र लिखा है, उसमें भी इस चीज का जिक्र किया है कि वहां आगे नहीं जाने को लेकर किसी तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा था। गूगल मैप को सूचित नहीं किया गया कि उस रास्ते को मैप से हटा दे। हमने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुर् है, उनसे बात करने की कोशिश की। लेकिन, कोई भी बात करने को तैयार नहीं हुआ। इस मामले में बदायूं पुलिस ने गूगल को भी लेटर लिखकर क्षेत्रीय अधिकारी का नाम पूछा है। यह इसलिए, ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। ———————-
ये खबर भी पढ़ें… गूगल मैप-लापरवाह अफसर मेरे पति की मौत के जिम्मेदार, पत्नी बोली- 45 दिन पहले पिता बने थे, बेटे का नाम भी नहीं रख पाए दैनिक भास्कर टीम बरेली में टूटे हुए पुल से गिरकर मरने वाले लोगों के घर पहुंची। मौत के बाद बेसहारा हो चुके लोगों से मिली। उन बच्चों को भी देखा, जिनके पिता अब दुनिया में नहीं रहे। उन परिजनों का दर्द महसूस किया, जिनको बुढ़ापे में कभी खत्म न होने वाले दुख मिल गया। इस पूरे केस को समझा। पढ़िए, परिवारों की बेबसी…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर