उत्तर प्रदेश 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अगस्त को आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा- हाईकोर्ट का आदेश निलंबित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और दोनों पक्षों- अनुसूचित जाति व ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों और कार्यरत शिक्षकों से कहा कि लिखित दलीलें पेश करें। हम इस पर फाइनल सुनवाई करेंगे। हाईकोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए समय चाहिए। अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी। याचिका परिषदीय विद्यालयों में 4 साल से नौकरी कर रहे शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। याचिकाकर्ताओं में शिक्षक राघवेंद्र प्रताप सिंह, रवि प्रकाश पांडेय, शिवम चौबे और रवि सक्सेना सहित अन्य शामिल हैं। इनकी तरफ से एडवोकेट गौरव बनर्जी, एस. मुरलीधर, मुकुल रोहतगी, पीए सुंदरम ने पैरवी की। राज्य सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में यूपी की अपर महाधिवक्ता एश्वर्या भाटी ने रखा। हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी मेरिट लिस्ट
16 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 शिक्षकों की भर्ती की जून 2020 और जनवरी 2022 की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी। बेंच ने सरकार को सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट नए सिरे से जारी करने का भी आदेश दिया था। बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी थी। कोर्ट में शिक्षकों की भर्ती में 19 हजार सीटों पर आरक्षण घोटाला सामने आया था। ऐसे में बेंच ने आदेश दिया कि आरक्षण नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करके नई लिस्ट बनाई जाए। इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच भी ये मान चुकी थी कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती में 19,000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ था। क्या है UP 69,000 शिक्षक भर्ती का पूरा विवाद – सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के रूप में समायोजन रद्द किया
साल 2014 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और 25 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने करीब शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का आदेश दिया था। मतलब अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया था, वे फिर से शिक्षामित्र बन गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश राज्य में नई बनी योगी सरकार को दिया। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते। फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में पहले 68,500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली। फिर, दूसरे चरण में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की गई थी, जिसमें आरक्षण का विवाद चल रहा है। आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई
साल 2018 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन योगी सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षक पदों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन निकाला। इसकी परीक्षा 6 जनवरी, 2019 को हुई। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट 12 मई, 2020 को जारी किया गया। रिजल्ट में जनरल की कट-ऑफ 67.11% और OBC की कट-ऑफ 66.73% थी। इसके तहत तकरीबन 68 हजार लोगों को नौकरी मिली। यहीं से सवाल उठा कि 69,000 भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया। इसके बाद राज्य भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे। आंदोलनकारियों क कहना था कि नियमावली में साफ है कि कोई OBC का अभ्यर्थी अगर नॉन-रिजर्व्ड कैटेगरी के कटऑफ से ज्यादा नंबर पाता है तो उसे OBC कोटे से नहीं बल्कि नॉन-रिजर्व्ड कैटेगरी में नौकरी मिलेगी। यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा। अभ्यर्थियों ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में OBC कैटेगरी को 27% की जगह मात्र 3.86% रिजर्वेशन मिला। OBC कैटेगरी को 18,598 सीट में से मात्र 2,637 सीटें मिलीं। जबकि सरकार का कहना था कि तकरीबन 31,000 OBC कैंडिडेट्स की नियुक्ति की गई है। SC कैटेगरी ने भी आरक्षण की प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं
OBC की तरह ही SC कैंडिडेट्स ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि SC कैटेगरी को भी 21% की जगह मात्र 16.6% रिजर्वेशन मिला है। एस्पिरेंट्स ने दावा किया कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती में करीब 19,000 सीटों का घोटाला हुआ। इसको लेकर वे हाईकोर्ट भी गए और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में भी शिकायत की है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने भी सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था
राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने भी 2021 में माना था कि 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण अधिनियम का पालन नहीं हुआ। लेकिन सरकार ने आयोग के आदेश को नहीं माना था। अभ्यर्थियों ने 5 दिन मंत्रियों का घर घेरा अनुप्रिया बोलीं- UP सरकार को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए
केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा- अपना दल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। हमारी पार्टी का शुरू से मानना है कि 69000 भर्ती के मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है, जिसकी पुष्टि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नई सूची जारी करने का आदेश दे कर की थी। हम अब भी इस मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा- हम न सिर्फ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की हक की लड़ाई पहले की तरह जारी रखेंगे, बल्कि वादे के मुताबिक इस मामले को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए हर संभव कानूनी मदद देना भी जारी रखेंगे। हमारी पार्टी का स्पष्ट मानना है कि उत्तर प्रदेश सरकार को अन्याय का शिकार हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए। कानूनी प्रक्रिया से अलग उत्तर प्रदेश सरकार को राजनीतिक रूप से तमाम उपलब्ध विकल्पों में से सब को स्वीकार्य एक ऐसा विकल्प लागू करना चाहिए जिससे किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो। और हां, 69000 शिक्षक भर्ती में अन्याय का शिकार हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी निराश न हों। इस मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के विस्तृत अध्ययन के लिए सिर्फ अस्थाई रोक लगाया है। अखिलेश ने X पर लिखा- भाजपा सरकार नौकरी देने वाली सरकार नहीं यह खबर भी पढ़ें:- कालिंदी एक्सप्रेस पलटाने की साजिश, IB-ATS पहुंचीं:ट्रैक पर सिलेंडर से टकराई ट्रेन, पेट्रोल-बारूद मिला; 6 संदिग्ध हिरासत में, जमातियों की जांच कानपुर में एक बार फिर ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई। अनवर-कासगंज रूट पर रविवार देर शाम यह घटना हुई। कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे सिलेंडर से टकरा गई। सिलेंडर फटा नहीं और ट्रेन से टकराकर ट्रैक के किनारे गिर गया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तर प्रदेश 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अगस्त को आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा- हाईकोर्ट का आदेश निलंबित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और दोनों पक्षों- अनुसूचित जाति व ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों और कार्यरत शिक्षकों से कहा कि लिखित दलीलें पेश करें। हम इस पर फाइनल सुनवाई करेंगे। हाईकोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए समय चाहिए। अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी। याचिका परिषदीय विद्यालयों में 4 साल से नौकरी कर रहे शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। याचिकाकर्ताओं में शिक्षक राघवेंद्र प्रताप सिंह, रवि प्रकाश पांडेय, शिवम चौबे और रवि सक्सेना सहित अन्य शामिल हैं। इनकी तरफ से एडवोकेट गौरव बनर्जी, एस. मुरलीधर, मुकुल रोहतगी, पीए सुंदरम ने पैरवी की। राज्य सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में यूपी की अपर महाधिवक्ता एश्वर्या भाटी ने रखा। हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी मेरिट लिस्ट
16 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 शिक्षकों की भर्ती की जून 2020 और जनवरी 2022 की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी। बेंच ने सरकार को सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट नए सिरे से जारी करने का भी आदेश दिया था। बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी थी। कोर्ट में शिक्षकों की भर्ती में 19 हजार सीटों पर आरक्षण घोटाला सामने आया था। ऐसे में बेंच ने आदेश दिया कि आरक्षण नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करके नई लिस्ट बनाई जाए। इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच भी ये मान चुकी थी कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती में 19,000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ था। क्या है UP 69,000 शिक्षक भर्ती का पूरा विवाद – सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के रूप में समायोजन रद्द किया
साल 2014 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और 25 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने करीब शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का आदेश दिया था। मतलब अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया था, वे फिर से शिक्षामित्र बन गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश राज्य में नई बनी योगी सरकार को दिया। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते। फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में पहले 68,500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली। फिर, दूसरे चरण में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की गई थी, जिसमें आरक्षण का विवाद चल रहा है। आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई
साल 2018 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन योगी सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षक पदों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन निकाला। इसकी परीक्षा 6 जनवरी, 2019 को हुई। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट 12 मई, 2020 को जारी किया गया। रिजल्ट में जनरल की कट-ऑफ 67.11% और OBC की कट-ऑफ 66.73% थी। इसके तहत तकरीबन 68 हजार लोगों को नौकरी मिली। यहीं से सवाल उठा कि 69,000 भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया। इसके बाद राज्य भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे। आंदोलनकारियों क कहना था कि नियमावली में साफ है कि कोई OBC का अभ्यर्थी अगर नॉन-रिजर्व्ड कैटेगरी के कटऑफ से ज्यादा नंबर पाता है तो उसे OBC कोटे से नहीं बल्कि नॉन-रिजर्व्ड कैटेगरी में नौकरी मिलेगी। यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा। अभ्यर्थियों ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में OBC कैटेगरी को 27% की जगह मात्र 3.86% रिजर्वेशन मिला। OBC कैटेगरी को 18,598 सीट में से मात्र 2,637 सीटें मिलीं। जबकि सरकार का कहना था कि तकरीबन 31,000 OBC कैंडिडेट्स की नियुक्ति की गई है। SC कैटेगरी ने भी आरक्षण की प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं
OBC की तरह ही SC कैंडिडेट्स ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि SC कैटेगरी को भी 21% की जगह मात्र 16.6% रिजर्वेशन मिला है। एस्पिरेंट्स ने दावा किया कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती में करीब 19,000 सीटों का घोटाला हुआ। इसको लेकर वे हाईकोर्ट भी गए और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में भी शिकायत की है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने भी सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था
राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने भी 2021 में माना था कि 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण अधिनियम का पालन नहीं हुआ। लेकिन सरकार ने आयोग के आदेश को नहीं माना था। अभ्यर्थियों ने 5 दिन मंत्रियों का घर घेरा अनुप्रिया बोलीं- UP सरकार को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए
केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा- अपना दल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। हमारी पार्टी का शुरू से मानना है कि 69000 भर्ती के मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है, जिसकी पुष्टि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नई सूची जारी करने का आदेश दे कर की थी। हम अब भी इस मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा- हम न सिर्फ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की हक की लड़ाई पहले की तरह जारी रखेंगे, बल्कि वादे के मुताबिक इस मामले को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए हर संभव कानूनी मदद देना भी जारी रखेंगे। हमारी पार्टी का स्पष्ट मानना है कि उत्तर प्रदेश सरकार को अन्याय का शिकार हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए। कानूनी प्रक्रिया से अलग उत्तर प्रदेश सरकार को राजनीतिक रूप से तमाम उपलब्ध विकल्पों में से सब को स्वीकार्य एक ऐसा विकल्प लागू करना चाहिए जिससे किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो। और हां, 69000 शिक्षक भर्ती में अन्याय का शिकार हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी निराश न हों। इस मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के विस्तृत अध्ययन के लिए सिर्फ अस्थाई रोक लगाया है। अखिलेश ने X पर लिखा- भाजपा सरकार नौकरी देने वाली सरकार नहीं यह खबर भी पढ़ें:- कालिंदी एक्सप्रेस पलटाने की साजिश, IB-ATS पहुंचीं:ट्रैक पर सिलेंडर से टकराई ट्रेन, पेट्रोल-बारूद मिला; 6 संदिग्ध हिरासत में, जमातियों की जांच कानपुर में एक बार फिर ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई। अनवर-कासगंज रूट पर रविवार देर शाम यह घटना हुई। कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे सिलेंडर से टकरा गई। सिलेंडर फटा नहीं और ट्रेन से टकराकर ट्रैक के किनारे गिर गया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर