महाकुंभ में इस बार 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से बने 12 ज्योतिर्लिंग आकर्षण का केंद्र बने हैं। इन रुद्राक्ष को देश के अलग-अलग 10 हजार गांवों से इकट्ठा किया गया है। महाकुंभ के सेक्टर- 6 में बनाए गए ये ज्योतिर्लिंग 11 फीट उंचे, 9 फीट चौड़े और 7 फीट मोटे हैं। इन ज्योतिर्लिंगों में 1 मुखी से लेकर 26 मुखी तक के सफेद, काले और लाल रुद्राक्ष का इस्तेमाल किया गया है। वीडियो में देखिए रुद्राक्ष से बने इन 12 अनूठे विशाल ज्योतिर्लिंग को… महाकुंभ में इस बार 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से बने 12 ज्योतिर्लिंग आकर्षण का केंद्र बने हैं। इन रुद्राक्ष को देश के अलग-अलग 10 हजार गांवों से इकट्ठा किया गया है। महाकुंभ के सेक्टर- 6 में बनाए गए ये ज्योतिर्लिंग 11 फीट उंचे, 9 फीट चौड़े और 7 फीट मोटे हैं। इन ज्योतिर्लिंगों में 1 मुखी से लेकर 26 मुखी तक के सफेद, काले और लाल रुद्राक्ष का इस्तेमाल किया गया है। वीडियो में देखिए रुद्राक्ष से बने इन 12 अनूठे विशाल ज्योतिर्लिंग को… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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मेदांता के डॉक्टरों ने वॉल्व में खराबी बताकर 8लाख मांगे:गैस की समस्या थी, 125 रूपये में मरीज ठीक हुआ, अब सीएम योगी से शिकायत की
मेदांता के डॉक्टरों ने वॉल्व में खराबी बताकर 8लाख मांगे:गैस की समस्या थी, 125 रूपये में मरीज ठीक हुआ, अब सीएम योगी से शिकायत की ‘मैं VHP का नगर अध्यक्ष हूं। 23 मई को सुबह 6:00 बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकला। सीने में दर्द महसूस हुआ। घर लौटा दिन में 12 बजे घबराहट हुई, मैं गिर गया। फेमिली डॉ. सोनी की सलाह पर शाम करीब 6.30 बजे मेदांता अस्पताल में भर्ती हुआ। वहां पर एंजियोग्राफी और ECG की जांच कराई। डॉक्टर ने वॉल्व में खराबी बताई। ऑपरेशन कराने को कहा, 8 लाख का खर्च बताया। 2 लाख की व्यवस्था परिवार ने कर लिया। मुझे एंजियोग्राफी और ECG की रिपोर्ट बार-बार मांगने पर भी नहीं दी गई। इसी बीच मेरे एक दोस्त ने दूसरे डॉक्टर से बात की। उन्होंने बताया गैस की समस्या है। डिस्चार्ज कराने को कहा तो अस्पताल प्रशासन लड़ाई पर उतर आया। किसी तरह से वहां से निकला, ग्लोबल हॉस्पिटल पहुंचा। 2 इंजेक्शन के बाद मैं पूरी तरह से ठीक हो गया। ये कहना है, लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी के सेलिब्रिटी गार्डन टॉवर निवासी मोहन स्वरूप भारद्वाज का । 25 मई को उन्होंने IGRS पोर्टल पर इस प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री से कर मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की हैं। ’30 मिनट में वॉल्व नहीं पड़ा तो मौत हो जाएगी’
मोहन भारद्वाज ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि मेरा मार्बल का छोटा सा बिजनेस भी करता हूं। मैं बीमार हुआ तो मेदांता के डॉक्टरों ने कहा कि 30 मिनट में वॉल्व चेंज नहीं हुआ तो मौत हो जाएगी। किसी तरह से कुछ पैसों की व्यवस्था करके इलाज के लिए ऑपरेशन थिएटर में गया। वहां जाने के बाद मैंने रिपोर्ट देखना चाहा। सोचा ऑपरेशन से पहले जान लूं कि समस्या कितनी बड़ी है। पर अस्पताल के डॉक्टर मुझे रिपोर्ट ही न दें। बार-बार मांगता रहा ईसीजी रिपोर्ट नहीं दिए। मुझे शक हुआ। डॉ. अविनाश और उनकी टीम से मैं एंजियोग्राफी रिपोर्ट मांगा वो भी नहीं दिए। इसी बीच मेरे एक परिचित मनोज कुमार ने ग्लोबल हॉस्पिटल के मालिक डॉ. दीपक अग्रवाल से बात की। उन्होंने कहा कि गैस की समस्या लग रही है। मेदांता अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर ले आइए देखते हैं। हमने डिस्चार्ज करने को कहा तो मारपीट पर आमदा हो गए। किसी तरह सुबह 4 बजे डिस्चार्ज कराकर मुझे वहां से ले जाया गया। ग्लोबल अस्पताल में खुद डॉ. दीपक अग्रवाल मुझे देखने पहुंचे। उन्होंने 2 इंजेक्शन दिया। 30 मिनट में ही आराम हुआ उन्होंने मुझे घर भेज दिया।अगले दिन फिर मैं फिर चेकअप कराने पहुंचा। तब डॉ.दीपक अग्रवाल ने आप हार्ट के पेशेंट है ही नहीं। आपके ब्लॉकेज है ही नहीं। आपको गैस की समस्या थी। अब आराम हो गया है परेशान न हों। घटना के बाद मैंने IGRS पर शिकायत की है। पर अभी तक की कार्रवाई मेरे संज्ञान में नही हैं। मेरी शासन से अनुरोध हैं कि मेदांता लखनऊ में आए दिन होने वाले ऐसी लूट को रोका जाए। और ऐसी घटना किसी अन्य के साथ न हो, इसलिए कठोर कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री जी से भी यही अनुरोध हैं कि इस पर इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें और यह दोनों डॉक्टर चिकित्सक कहलाने लायक नहीं इसलिए इनका रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल किया जाए। डॉक्टर भगवान होता हैं, जीवन देता है पर ये तो राक्षस हैं। पेशेंट के साथ इस तरह का व्यवहार होता हैं कि परिवार टूट जाता हैं। जमीन बेचकर पता नहीं कहां-कहां से पैसे लाकर देता हैं। तब जाकर इलाज की व्यवस्था करता हैं। मेरा प्रशासनिक अधिकारियों से भी अनुरोध है इस मामले ऐसे मामलों को बेनकाब कर इन्हें रोके। अब जान लेते हैं कि क्या था पूरा प्रकरण… दरअसल लखनऊ के टॉप कॉर्पोरेट हॉस्पिटल में से एक, मेदांता अस्पताल पर मोहन स्वरूप भारद्वाज नाम के मरीज ने गंभीर आरोप लगाए हैं। मरीज का आरोप था कि जान को खतरा बताते हुए मेदांता अस्पताल ने इलाज के लिए उनके परिजनों से 8 लाख रुपये मांगे, जब परिजन तत्काल धनराशि की उपलब्धता कराने में असमर्थ रहे तो उनके साथ बदसलूकी और अभद्रता की गई। बाद में किसी तरह उन्हें लखनऊ के एक दूसरे निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां पर महज 125 रुपये की दवा देकर ठीक कर दिया। मरीज का आरोप था कि उन्हें गैस की संमस्या हुई थी पर मेदांता के डॉक्टर हार्ट वॉल्व बदलने की बात कर रहे थे। शुक्रवार को ये विवाद मीडिया में आने के बाद मेदांता लखनऊ में हड़कंप जैसा माहौल रहा। अस्पताल प्रशासन की तरफ से चिकित्सा अधीक्षक ने लिखित बयान जारी किया।इसके बाद कार्डियोलॉजी के डॉक्टर अविनाश सिंह के साथ खुद निदेशक डॉ.राकेश कपूर ने भी प्रकरण में मेदांता लखनऊ का पक्ष रखा। मेदांता अस्पताल ने शुक्रवार को जारी की सफाई वहीं मेदांता अस्पताल प्रशासन ने सभी आरोप निराधार हैं और हॉस्पिटल ने मरीज का इलाज सभी मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किया था। मरीज सीने में तेज दर्द के साथ मेदांता अस्पताल लाए गए थे, ECG समेत अन्य जांच में हार्ट अटैक के प्रमाण मिले। एंजियोग्राफी में दाहिनी कोरोनरी आर्टरी में 100% रुकावट पाई गई। पर मरीज की पत्नी के द्वारा आगे इलाज कराने से मना कर दिया और परिजन LAMA करा कर मरीज को साथ ले गये। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक की तरफ से जारी किए गए लिखित बयान में कहा गया कि मरीज को प्राथमिक चिकित्सा उपचार देकर एंजियोग्राफी की गई जिसमें दाहिनी कोरोनरी आर्टरी (right coronary artery) में 100% ब्लॉकेज निकला। साथ ही बाई कोरोनरी आर्टरी (Left Coronary Artery) की में भी 70% ब्लॉकेज था। ऐसे मरीजों में ब्लॉक्ड आर्टरी 100% (blocked artery) को खोलना जरूरी होता है जिसके बारे में मरीज को विस्तारपूर्वक बताया गया। इसके बाद मरीज की पत्नी ने आगे इलाज कराने से मना कर दिया और मरीज को लामा (Left Against Medical Advise) करा कर अस्पताल से ले गये। नही दिया गया 8 लाख का एस्टीमेट
अस्पताल के निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने बताया कि उन्हें 2 से 2.25 लाख तक का खर्चे के एस्टीमेट दिया गया था। पर मरीज की पत्नी ने इसे रिफ्यूज कर दिया। LAMA के तहत छुट्टी के समय जो डिस्चार्ज कार्ड दिया गया था, उसमें स्पष्ट लिखा हैं कि उन्हें कोई हार्ट के वॉल्व से जुड़ी परेशानी नही थी और इस कागज पर उनकी पत्नी के साइन भी हैं। उन्हें कोई 8 लाख का बिल नही दिया गया था। उन्होंने बताया कि मरीज यहां से डिस्चार्ज होने के बाद कहां गए। इसकी जानकारी नही है। वो जो भी कह रहे हैं वो भ्रामक तरीके से ये फैलाया जा रहा है। हार्ट अटैक आने पर 125 रुपए में इलाज किया जा सकता है। उसे एंजियोप्लास्टी की जरूरत नही है, पर ये मरीज के लिहाज से बेहद घातक साबित हो सकता है।
Maharashtra GBS Case: महाराष्ट्र में जीबीएस बीमारी ने बढ़ाई चिंता, अब तक 158 मामले दर्ज, 5 लोगों की मौत
Maharashtra GBS Case: महाराष्ट्र में जीबीएस बीमारी ने बढ़ाई चिंता, अब तक 158 मामले दर्ज, 5 लोगों की मौत <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Guillain-Barre Syndrome:</strong> महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. इस संदिग्ध बीमारी के बढ़ने से लोगों में डर और चिंता का माहौल बना हुआ है. रविवार (2 फरवरी 2025) को स्वास्थ्य विभाग ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि महाराष्ट्र में अब तक 158 संदिग्ध मरीज सामने आ चुके हैं. इनमें से 127 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 5 संदिग्ध मौतें दर्ज की गई हैं. वहीं 38 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है, लेकिन 48 मरीज ICU में भर्ती हैं और 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किन इलाकों में सबसे ज्यादा मामले?</strong><br />पुणे से अब तक गुइलेन बैरे सिंड्रोम के 83 मामले सामने आए हैं. इनमें पुणे नगर निगम क्षेत्र से 31 मामले, पिंपरी-चिंचवड से 18 मामले और पुणे ग्रामीण इलाकों से 18 मामले शामिल हैं. इसके अलावा, दुसरे जिलों से भी 8 मामलों की पुष्टि हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दिए सख्त निर्देश</strong><br />मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हालात की गंभीरता को देखते हुए 29 जनवरी को ही प्रशासन को सरकारी अस्पतालों में GBS के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे. एक कैबिनेट बैठक में जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट की समीक्षा के बाद, मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि मरीजों को सही और मुफ्त इलाज मिले.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किस योजना में शामिल हैं गुइलेन बैरे सिंड्रोम का इलाज?</strong><br />GBS का इलाज महाराष्ट्र की महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना में शामिल किया गया है. अगर इलाज के लिए दुसरे प्रक्रिया की जरूरत होगी तो जनस्वास्थ्य विभाग इसकी व्यवस्था करेगा ताकि मरीजों को समय पर सही इलाज मिल सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इलाज और अब तक की स्थिति</strong><br />अब तक 38 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है, जबकि 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. इस बीमारी से अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग लोगों से साफ पानी पीने और हाइजीन का ध्यान रखने की अपील कर रहा है, ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”गुलेन बैरी सिंड्रोम से बचने का ये है सबसे सही तरीका, इन चीजों का रखना होगा खयाल” href=”https://www.abplive.com/lifestyle/health/guillain-barre-syndrome-this-is-how-you-can-keep-yourself-safe-follow-these-tips-2875872″ target=”_self”>गुलेन बैरी सिंड्रोम से बचने का ये है सबसे सही तरीका, इन चीजों का रखना होगा खयाल</a> </strong></p>
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल बनाएगा नई पार्टी:14 फरवरी को माघी मेले में घोषणा होगी, अकाली दल भी वार्षिक सम्मेलन करेगा
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल बनाएगा नई पार्टी:14 फरवरी को माघी मेले में घोषणा होगी, अकाली दल भी वार्षिक सम्मेलन करेगा असम की डिब्रूगढ़ जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत बंद खालिस्तान समर्थक और खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह 14 जनवरी को पंजाब की नई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे। श्री मुक्तसर साहिब में माघी पर्व के अवसर पर आयोजित “माघी दा मेला” के दौरान इसकी घोषणा की जाएगी। इस अवसर पर पंथ बचाओ, पंजाब बचाओ रैली का आयोजन किया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। रैली के दौरान अमृतपाल सिंह के पिता और उनके करीबी सहयोगी पार्टी की घोषणा करेंगे। अपने विवादित बयानों और सिख पंथ से जुड़े मुद्दों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले अमृतपाल सिंह के इस कदम से क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। उनकी पार्टी के मुद्दे राज्य में सिख समुदाय के हितों की रक्षा करना और पंजाब की स्थानीय समस्याओं जैसे बेरोजगारी, कृषि संकट और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके साथ ही वह नशे के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे। अकाली दल में मची उथल-पुथल का फायदा उठाने की कोशिश पंजाब के सिख समुदाय के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माघी पर्व और माघी मेले को इस घोषणा के लिए चुना गया है। इस अवसर पर राज्य भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और समर्थक श्री मुक्तसर साहिब पहुंचते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमृतपाल सिंह का यह कदम पंजाब की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है, खासकर ऐसे समय में जब मौजूदा पार्टियां कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही हैं। अमृतपाल की नई पार्टी, जो पूरी तरह से क्षेत्रीय और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी, राज्य में मतदाताओं के लिए एक वैकल्पिक विकल्प बन सकती है। अकाली दल ने भी माघ मेले में करेगा कॉन्फ्रेंस अकाली दल में चल रही उठा-पटक के बीच अनुमान लगाया जा रहा था कि इस साल माघ मेले में वे अपनी वार्षिक कॉन्फ्रेंस नहीं करेंगे। लेकिन, दोपहर अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने घोषणा कर दी है कि इस साल अकाली दल कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है। डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने जानकारी साझा की है कि वे 14 जनवरी को माघी के अवसर पर श्री मुक्तसर साहिब में एक विशाल वार्षिक अकाली सम्मेलन आयोजित करेंगे। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। शिअद के सभी वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।