रोहतक के गांव खरकड़ा हाल अस्थल बोहर की रहने वाली कुश्ती खिलाड़ी रीतिका हुड्डा पेरिस ओलिंपिक के 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली खिलाड़ी हैं। जिन्होंने करीब करीब 9 साल पहले कुश्ती खेलना शुरू किया था। वहीं 2022 में ऐसा दौर आया जब कॉमनवेल्थ व एशियन खेलों में चयन नहीं हुआ तो कुश्ती खेल तक छोड़ने का फैसला ले लिया था। लेकिन माता-पिता की प्रेरणा से उन्होंने दोबारा खेलना शुरू किया। कड़ी मेहनत के बल पर वे ओलिंपिक तक का सफर तय करने में सफल रही। वहीं ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के सपने को पूरा करने के लिए वे स्पेशल रणनीति के तहत मैदान में उतरेंगी। जिसके लिए वे पेरिस के समय अनुसार हर रोज करीब 7 घंटे पसीना बहाती हैं। वहीं रीतिका ने इस ओलिंपिक के लिए फैसला लिया है कि वे दिमाग पर किसी का भी बोझ नहीं रखेंगी ओर खुलकर खेलेंगी। स्पीड वर्क व स्मार्ट वर्क पर भी फोकस
रीतिका हुड्डा ने कहा कि ओलिंपिक में चयन से वे काफी खुश हैं। वे पहली महिला हैं, जो ओलिंपिक में 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। ओलिंपिक के लिए कड़ा अभ्यास किया है। हार्ड वर्क के साथ-साथ स्पीड वर्क व स्मार्ट वर्क पर भी फोकस रहा है। अब तो यही सपना है कि ओलिंपिक में बेस्ट प्रदर्शन करें। यहां तक पहुंचाने में कोच व माता-पिता का अहम योगदान
रीतिका हुड्डा ने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए उनके कोच व माता-पिता का अहम योगदान रहा है। उनके खाने पीने का सामान व खेल संबंधित सामान है, वह पिता जगबीर हुड्डा लेकर आते हैं। वहीं उनकी मां नीलम खान-पान का ध्यान रखती हैं। मैदान में उनके कोच मंदीप अच्छे से ट्रेनिंग देते हैं। आसपास के लोग भी पूरा सहयोग करते हैं। सभी को उम्मीद है कि बेटी गोल्ड लेकर आएगी। इस पर रीतिका ने कहा कि वे ओलंपिक में अपना बेस्ट देकर आएंगी। बाकी जो भगवान देगा उसमें खुश हूं। 2015 में शुरू की थी कुश्ती
रीतिका हुड्डा ने 2015 में कुश्ती खेल की शुरूआत की थी। रीतिका ने कहा कि उस समय खुद नहीं सोचा था कि कभी ओलिंपिक में क्वालीफाई करुंगी और भारत की पहली महिला बनूंगी। आज इस मुकाम पर पहुंचकर काफी खुश हूं। भगवान ने इतना जल्दी मेहनत का रिजल्ट दिया। आज मेहनत सफल होने जा रही है। बस अब मेडल लेकर आना है। हर खिलाड़ी के लिए अलग रणनीति
रीतिका हुड्डा ने कहा कि ओलिंपिक में कई देशों के खिलाड़ी भाग लेंगे। उनको हराने के लिए अलग-अलग स्ट्रेटजी रहती है। सभी की बाउट देखी हैं और उन पर काम किया है। किसी के साथ अटैक करना है तो किसी के साथ डिफेंस। सभी के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की तैयारी की हुई है। 2022 में कुश्ती छोड़ने का मन बना तो माता-पिता ने बढ़ाया हौसला
उन्होंने बताया कि यहां तक का सफर परेशानियों भरा रहा है। खेल के दौरान इंजरी से भी गुजरी हैं। एक समय था, जब उन्होंने हार मान ली थी। क्योंकि 2022 के दौरान कॉमनवेल्थ गेम्स की ट्रायल, सीनियर वर्ल्ड व एशियन गेम्स इन सभी में हार हो गई थी। इस हार के बाद कुश्ती नहीं करने का फैसला किया था। लेकिन परिवार वालों का पूरा सहयोग था। माता-पिता ने कहा कि अपनी प्रैक्टिस पर लगी रह, खाने-पीने का ध्यान हम रखेंगे। इसके बाद दौबारा से खेलने का मन बनाया और आज यहां तक पहुंची हैं। ओलिंपिक में खुलकर खेलेंगे रीतिका
रीतिका हुड्डा ने बताया कि ओलिंपिक में वे एक बात का विशेष ध्यान रखेंगी कि किसी को भी माइंड (दिमाग) पर हैवी नहीं होने देना। इसलिए वे किसी को भी अपने माइंड पर हैवी नहीं होने देंगी। वहीं ओलिंपिक में खुलकर खेलेंगी। उनका लक्ष्य यह है कि गोल्ड लेकर आना है। ओलिंपिक के हिसाब से उन्होंने यहां पर अभ्यास किया है। जिसके लिए वे सुबह-शाम को साढ़े 3-साढ़े 3 घंटे अभ्यास किया है। मां बोली- बेटी से गोल्ड की उम्मीद
रीतिका हुड्डा की मां नीलम हुड्डा ने कहा कि कोई भी खिलाड़ी हो, उसके लिए परिवार के सभी लोगों को संघर्ष करना पड़ता है। आज गर्व महसूस कर रहे हैं कि आज बेटी ओलिंपिक में भाग लेने जा रही है। अभी तक 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व कोई नहीं करता था। बेटी की महनत को देखकर हमें गोल्ड की उम्मीद है, बाकी भगवान के हाथ में हैं। रीतिका प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान दे रही है, इसलिए अब पेरिस में जा रही हैं। अन्यथा इनके साथ की खिलाड़ी दो दिन पहले ही जा चुकी हैं। हमारा घर ज्यादा अमीर तो नहीं हैं, लेकिन रीतिका के पिता ने आर्थित परेशानी झेली। हमें तो रीतिका के पिता ने हर चीज लाकर दी है। अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी थी रीतिका
रीतिका हुड्डा वर्ल्ड चैंपियनशिप के अंडर-23 वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहवान हैं। उन्होंने दिसंबर 2023 में अल्बानिया की राजधानी तिराणा में आयोजित अंडर-23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में बेहतर प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता था। जिसकी बदौलत रीतिका भारत की पहली महिला पहलवान बन गई, जिन्होंने अंडर 23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। इससे पहले भारत के केवल एक पुरुष पहलवान ने ही अंडर 23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। रोहतक के गांव खरकड़ा हाल अस्थल बोहर की रहने वाली कुश्ती खिलाड़ी रीतिका हुड्डा पेरिस ओलिंपिक के 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली खिलाड़ी हैं। जिन्होंने करीब करीब 9 साल पहले कुश्ती खेलना शुरू किया था। वहीं 2022 में ऐसा दौर आया जब कॉमनवेल्थ व एशियन खेलों में चयन नहीं हुआ तो कुश्ती खेल तक छोड़ने का फैसला ले लिया था। लेकिन माता-पिता की प्रेरणा से उन्होंने दोबारा खेलना शुरू किया। कड़ी मेहनत के बल पर वे ओलिंपिक तक का सफर तय करने में सफल रही। वहीं ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के सपने को पूरा करने के लिए वे स्पेशल रणनीति के तहत मैदान में उतरेंगी। जिसके लिए वे पेरिस के समय अनुसार हर रोज करीब 7 घंटे पसीना बहाती हैं। वहीं रीतिका ने इस ओलिंपिक के लिए फैसला लिया है कि वे दिमाग पर किसी का भी बोझ नहीं रखेंगी ओर खुलकर खेलेंगी। स्पीड वर्क व स्मार्ट वर्क पर भी फोकस
रीतिका हुड्डा ने कहा कि ओलिंपिक में चयन से वे काफी खुश हैं। वे पहली महिला हैं, जो ओलिंपिक में 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। ओलिंपिक के लिए कड़ा अभ्यास किया है। हार्ड वर्क के साथ-साथ स्पीड वर्क व स्मार्ट वर्क पर भी फोकस रहा है। अब तो यही सपना है कि ओलिंपिक में बेस्ट प्रदर्शन करें। यहां तक पहुंचाने में कोच व माता-पिता का अहम योगदान
रीतिका हुड्डा ने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए उनके कोच व माता-पिता का अहम योगदान रहा है। उनके खाने पीने का सामान व खेल संबंधित सामान है, वह पिता जगबीर हुड्डा लेकर आते हैं। वहीं उनकी मां नीलम खान-पान का ध्यान रखती हैं। मैदान में उनके कोच मंदीप अच्छे से ट्रेनिंग देते हैं। आसपास के लोग भी पूरा सहयोग करते हैं। सभी को उम्मीद है कि बेटी गोल्ड लेकर आएगी। इस पर रीतिका ने कहा कि वे ओलंपिक में अपना बेस्ट देकर आएंगी। बाकी जो भगवान देगा उसमें खुश हूं। 2015 में शुरू की थी कुश्ती
रीतिका हुड्डा ने 2015 में कुश्ती खेल की शुरूआत की थी। रीतिका ने कहा कि उस समय खुद नहीं सोचा था कि कभी ओलिंपिक में क्वालीफाई करुंगी और भारत की पहली महिला बनूंगी। आज इस मुकाम पर पहुंचकर काफी खुश हूं। भगवान ने इतना जल्दी मेहनत का रिजल्ट दिया। आज मेहनत सफल होने जा रही है। बस अब मेडल लेकर आना है। हर खिलाड़ी के लिए अलग रणनीति
रीतिका हुड्डा ने कहा कि ओलिंपिक में कई देशों के खिलाड़ी भाग लेंगे। उनको हराने के लिए अलग-अलग स्ट्रेटजी रहती है। सभी की बाउट देखी हैं और उन पर काम किया है। किसी के साथ अटैक करना है तो किसी के साथ डिफेंस। सभी के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की तैयारी की हुई है। 2022 में कुश्ती छोड़ने का मन बना तो माता-पिता ने बढ़ाया हौसला
उन्होंने बताया कि यहां तक का सफर परेशानियों भरा रहा है। खेल के दौरान इंजरी से भी गुजरी हैं। एक समय था, जब उन्होंने हार मान ली थी। क्योंकि 2022 के दौरान कॉमनवेल्थ गेम्स की ट्रायल, सीनियर वर्ल्ड व एशियन गेम्स इन सभी में हार हो गई थी। इस हार के बाद कुश्ती नहीं करने का फैसला किया था। लेकिन परिवार वालों का पूरा सहयोग था। माता-पिता ने कहा कि अपनी प्रैक्टिस पर लगी रह, खाने-पीने का ध्यान हम रखेंगे। इसके बाद दौबारा से खेलने का मन बनाया और आज यहां तक पहुंची हैं। ओलिंपिक में खुलकर खेलेंगे रीतिका
रीतिका हुड्डा ने बताया कि ओलिंपिक में वे एक बात का विशेष ध्यान रखेंगी कि किसी को भी माइंड (दिमाग) पर हैवी नहीं होने देना। इसलिए वे किसी को भी अपने माइंड पर हैवी नहीं होने देंगी। वहीं ओलिंपिक में खुलकर खेलेंगी। उनका लक्ष्य यह है कि गोल्ड लेकर आना है। ओलिंपिक के हिसाब से उन्होंने यहां पर अभ्यास किया है। जिसके लिए वे सुबह-शाम को साढ़े 3-साढ़े 3 घंटे अभ्यास किया है। मां बोली- बेटी से गोल्ड की उम्मीद
रीतिका हुड्डा की मां नीलम हुड्डा ने कहा कि कोई भी खिलाड़ी हो, उसके लिए परिवार के सभी लोगों को संघर्ष करना पड़ता है। आज गर्व महसूस कर रहे हैं कि आज बेटी ओलिंपिक में भाग लेने जा रही है। अभी तक 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व कोई नहीं करता था। बेटी की महनत को देखकर हमें गोल्ड की उम्मीद है, बाकी भगवान के हाथ में हैं। रीतिका प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान दे रही है, इसलिए अब पेरिस में जा रही हैं। अन्यथा इनके साथ की खिलाड़ी दो दिन पहले ही जा चुकी हैं। हमारा घर ज्यादा अमीर तो नहीं हैं, लेकिन रीतिका के पिता ने आर्थित परेशानी झेली। हमें तो रीतिका के पिता ने हर चीज लाकर दी है। अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी थी रीतिका
रीतिका हुड्डा वर्ल्ड चैंपियनशिप के अंडर-23 वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहवान हैं। उन्होंने दिसंबर 2023 में अल्बानिया की राजधानी तिराणा में आयोजित अंडर-23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में बेहतर प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता था। जिसकी बदौलत रीतिका भारत की पहली महिला पहलवान बन गई, जिन्होंने अंडर 23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। इससे पहले भारत के केवल एक पुरुष पहलवान ने ही अंडर 23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। हरियाणा | दैनिक भास्कर