यूपी में विधानसभा की 9 सीटों पर उप चुनाव के बीच CM योगी अयोध्या पहुंचे। कहा- चंद मुट्ठी भर लोग, उनके पास बुद्धि, धन और भौतिक बल नहीं था। तब भी वह हम पर हमला करने में सफल हुए। हमारी मां-बहनों की इज्जत से खेलने में सफल हुए। हमें गुलाम बनाने में सफल हुए। अपमान को झेलने को हम मजबूर हो गए। धर्म हमें सदमार्ग पर चलने के लिए कहता है। मगर समाज को सही दिशा में लेकर जाने की हमारी जिम्मेदारी है। इसीलिए मैं कहता हूं कि इतिहास की गलती रोकने के लिए हमको ही प्रयास करना है। पूरा समाज एक भाव और एक साथ लड़ाई लड़ता है, तब सफलता मिलती है। देखिए… एक भाव की सरकार केंद्र और राज्य में आई तो जो 500 साल में नहीं हुआ, वह 2 साल में हो गया। अगर 500 साल पहले भी अगर ऐसी ही एकता का परिचय दिया होता तो उसी वक्त स्थितियां बदल गई होतीं। इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमानगढ़ी और राम मंदिर में दर्शन-पूजन किया। सुग्रीव किला के राजगोपुरम गेट का उद्घाटन किया। योगी ने कहा- राम काज के लिए सबने खुद को समर्पित किया
योगी ने कहा- जब सुग्रीव किला में जब पहले हम आए थे। तब संकरा रास्ता था। अब अच्छा रास्ता है, मैं उसी की बधाई दे रहा हूं। यहां आने में कोई बाधा नहीं होगी। सनातन का संकल्प था, 500 वर्षों में ढांचा समाप्त हो, रामलला का मंदिर बन सके। पूज्य संतों का जो भाव था, एक काज के लिए सबने खुद को समर्पित किया। उन्होंने कहा- यह अहो भाग्य है, जिस कार्य के लिए पीढ़ियां समर्पित हुई, उसे हम अपने सामने होता हुआ देख रहे हैं। आज की अयोध्या में सिर्फ अध्यात्म का वातावरण है। यह दुनिया सबसे सुंदर नगरी बनने की राह पर है। यह जो भव्य स्वरूप दिख रहा है। अयोध्या वासियों का दायित्व है कि वह अयोध्या का ऐसा ही स्वरूप बनाए रखें। जब-जब सनातन को अपमान झेलना पड़ा, कमी जरूर रही
उन्होंने कहा – आज अयोध्या में कई आश्रम हैं, वहां सनातनी वातावरण है। दुनिया में कहीं भी अगर सनातन को अपमान झेलना पड़ा, तो वहां कोई न कोई कमी जरूर रही। कोई भी सभ्य व्यवस्था, अपनी गलतियों का परिमार्जन जितनी जल्दी कर ले, वह उतना अच्छा है। समाज में कोई कमी है, फूट पड़ रही है, मतभेद हो रहे हैं, तो समय रहते उसका इलाज जरूरी है। दक्षिण भारतीय शैली में प्रवेश द्वार
सुग्रीव किला के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य ने बताया- श्रीराम जन्मभूमि पथ कॉरिडोर के निर्माण के समय इस मंदिर परिसर का एक भाग शामिल हो गया। इस वजह से प्रवेश द्वार को तोड़ना पड़ा। अब कॉरिडोर बन जाने के बाद सुग्रीव किला के प्रवेश द्वार को नए सिरे से दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया है। उन्होंने बताया- इसके साथ मंदिर परिसर में गरुड़ स्तंभ भी बनाया गया है। गरुड़ स्तंभ के साथ प्रवेश द्वार की प्रतिष्ठा का अनुष्ठान दक्षिण भारतीय विद्वानों द्वारा किया गया। पीठाधीश्वर ने कहा – ये दिव्य देश का दिव्य द्वार है
सुग्रीव किला के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य ने कहा- धर्म और राजधर्म साथ में हैं, तो फिर कहना ही क्या। ये दिव्य देश कहलाता है, जो भगवान की विश्राम स्थली मानी जाती है। इसका जो प्रवेश द्वार है, वो दिव्य द्वार कहलाता है। यह दिव्य देश में ही संभव है। इसको ढाई साल में बनाया गया। कितने कारीगर और कितना धन लगा, ये हम लोगों ने नहीं देखा। दक्षिण शैली पर बनाया गया है। योगी सम्राट देख रहे हैं, ये फकीरों की भूमि है, हम मांगते नहीं किसी से कुछ भी। भगवान से मांगते हैं, जो प्रसाद मिलता है, उसी को सिर से लगाते हैं। —————————– रामलला से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… रामलला को तिलकोत्सव में मिला सोने का हार, हाथ घड़ी:अयोध्या में जनकपुर के 500 मेहमानों ने गिफ्ट दिए; चंपत राय को सुनाईं मधुर गालियां भगवान श्रीराम का तिलकोत्सव हुआ। तिलक चढ़ाने के लिए मां सीता के मायके जनकपुर से 500 से ज्यादा मेहमान अयोध्या पहुंचे थे। साथ में 501 प्रकार का नेग भी लाए। सीता जी की सखियां, जिन्हें ‘तिलकहरू’ कहा जाता है, रामलला के लिए विशेष तरह की सामग्री लाई गई है। पढ़िए पूरी खबर… यूपी में विधानसभा की 9 सीटों पर उप चुनाव के बीच CM योगी अयोध्या पहुंचे। कहा- चंद मुट्ठी भर लोग, उनके पास बुद्धि, धन और भौतिक बल नहीं था। तब भी वह हम पर हमला करने में सफल हुए। हमारी मां-बहनों की इज्जत से खेलने में सफल हुए। हमें गुलाम बनाने में सफल हुए। अपमान को झेलने को हम मजबूर हो गए। धर्म हमें सदमार्ग पर चलने के लिए कहता है। मगर समाज को सही दिशा में लेकर जाने की हमारी जिम्मेदारी है। इसीलिए मैं कहता हूं कि इतिहास की गलती रोकने के लिए हमको ही प्रयास करना है। पूरा समाज एक भाव और एक साथ लड़ाई लड़ता है, तब सफलता मिलती है। देखिए… एक भाव की सरकार केंद्र और राज्य में आई तो जो 500 साल में नहीं हुआ, वह 2 साल में हो गया। अगर 500 साल पहले भी अगर ऐसी ही एकता का परिचय दिया होता तो उसी वक्त स्थितियां बदल गई होतीं। इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमानगढ़ी और राम मंदिर में दर्शन-पूजन किया। सुग्रीव किला के राजगोपुरम गेट का उद्घाटन किया। योगी ने कहा- राम काज के लिए सबने खुद को समर्पित किया
योगी ने कहा- जब सुग्रीव किला में जब पहले हम आए थे। तब संकरा रास्ता था। अब अच्छा रास्ता है, मैं उसी की बधाई दे रहा हूं। यहां आने में कोई बाधा नहीं होगी। सनातन का संकल्प था, 500 वर्षों में ढांचा समाप्त हो, रामलला का मंदिर बन सके। पूज्य संतों का जो भाव था, एक काज के लिए सबने खुद को समर्पित किया। उन्होंने कहा- यह अहो भाग्य है, जिस कार्य के लिए पीढ़ियां समर्पित हुई, उसे हम अपने सामने होता हुआ देख रहे हैं। आज की अयोध्या में सिर्फ अध्यात्म का वातावरण है। यह दुनिया सबसे सुंदर नगरी बनने की राह पर है। यह जो भव्य स्वरूप दिख रहा है। अयोध्या वासियों का दायित्व है कि वह अयोध्या का ऐसा ही स्वरूप बनाए रखें। जब-जब सनातन को अपमान झेलना पड़ा, कमी जरूर रही
उन्होंने कहा – आज अयोध्या में कई आश्रम हैं, वहां सनातनी वातावरण है। दुनिया में कहीं भी अगर सनातन को अपमान झेलना पड़ा, तो वहां कोई न कोई कमी जरूर रही। कोई भी सभ्य व्यवस्था, अपनी गलतियों का परिमार्जन जितनी जल्दी कर ले, वह उतना अच्छा है। समाज में कोई कमी है, फूट पड़ रही है, मतभेद हो रहे हैं, तो समय रहते उसका इलाज जरूरी है। दक्षिण भारतीय शैली में प्रवेश द्वार
सुग्रीव किला के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य ने बताया- श्रीराम जन्मभूमि पथ कॉरिडोर के निर्माण के समय इस मंदिर परिसर का एक भाग शामिल हो गया। इस वजह से प्रवेश द्वार को तोड़ना पड़ा। अब कॉरिडोर बन जाने के बाद सुग्रीव किला के प्रवेश द्वार को नए सिरे से दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया है। उन्होंने बताया- इसके साथ मंदिर परिसर में गरुड़ स्तंभ भी बनाया गया है। गरुड़ स्तंभ के साथ प्रवेश द्वार की प्रतिष्ठा का अनुष्ठान दक्षिण भारतीय विद्वानों द्वारा किया गया। पीठाधीश्वर ने कहा – ये दिव्य देश का दिव्य द्वार है
सुग्रीव किला के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य ने कहा- धर्म और राजधर्म साथ में हैं, तो फिर कहना ही क्या। ये दिव्य देश कहलाता है, जो भगवान की विश्राम स्थली मानी जाती है। इसका जो प्रवेश द्वार है, वो दिव्य द्वार कहलाता है। यह दिव्य देश में ही संभव है। इसको ढाई साल में बनाया गया। कितने कारीगर और कितना धन लगा, ये हम लोगों ने नहीं देखा। दक्षिण शैली पर बनाया गया है। योगी सम्राट देख रहे हैं, ये फकीरों की भूमि है, हम मांगते नहीं किसी से कुछ भी। भगवान से मांगते हैं, जो प्रसाद मिलता है, उसी को सिर से लगाते हैं। —————————– रामलला से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… रामलला को तिलकोत्सव में मिला सोने का हार, हाथ घड़ी:अयोध्या में जनकपुर के 500 मेहमानों ने गिफ्ट दिए; चंपत राय को सुनाईं मधुर गालियां भगवान श्रीराम का तिलकोत्सव हुआ। तिलक चढ़ाने के लिए मां सीता के मायके जनकपुर से 500 से ज्यादा मेहमान अयोध्या पहुंचे थे। साथ में 501 प्रकार का नेग भी लाए। सीता जी की सखियां, जिन्हें ‘तिलकहरू’ कहा जाता है, रामलला के लिए विशेष तरह की सामग्री लाई गई है। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर